चोर सिपाही

बिहार के एक छोटे से गांव में  जुम्मन एक रेडी चालक के रूप में काम करता था। वह मेहनत से जो कुछ भी कमा कर लाता उससे वह अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। उसने अपने बेटे लाखन को भी स्कूल में डाल दिया था। लाखन बहुत ही समझदार बच्चा था। जब वह… Continue reading चोर सिपाही

अनोखी गिनती

एक दो तीन चार। गाय की टांगें चार पांच छः, सात आठ। मकडी की टांगे आठ।   नो दस ग्यारह बारह। एक दर्जन में होतें हैं बारह। तेरह चौदह, पन्द्रह सोलह। आठ दूनी होतें हैं सोलह।   सतराह, अठारह, उन्नीस बीस। हमारे हाथ पांव की ऊंगलियां बीस। इक्कीस बाक्स, तेईस चौबीस। हमारे राष्ट्रीय झंडे में… Continue reading अनोखी गिनती

मजबूत बंधन

शिवानी और रुपेश के परिवार में उनकी छोटी सी बेटी रानी थी। शिवानी ने रुपेश के साथ प्रेम विवाह किया था। वह भी अपने मां बाप के विरुद्ध जाकर। शिवानी के माता-पिता ने उसे कहा था कि तुम ने अगर अपनी इच्छा से शादी करनी है तो हमारे घर के द्वार तुम्हारे लिए सदा के… Continue reading मजबूत बंधन

स्वच्छता का संकल्प

मेरे प्यारे बच्चों तुम इधर तो आओ। आने में तुम यूं ना देर लगाओ। नाना-नानी चाचा-चाची ताया ताई, सभी को बुलाओ सभी को बुलाओ। आने में यूं ना तुम देर लगाओ। अपनें वातावरण को साफ रखनें का तुम्हे देते हैं आज यह मूल मंत्र। यही है तुम्हारे जीवन का तंत्र। इसको तुम सभी अपने जीवन… Continue reading स्वच्छता का संकल्प

पेड़ (वृक्ष)

पेड़ हमारे जीवन दाता। हमारा इनसे सदियों का नाता। यह है हमारे जीवन का आधार। इनके बिना जिंदगी है निराधार। पेड़ है धरती की जान। इसकी हिफाजत करना है हमारी शान। पेड़ों को काटना है पाप। नहीं तो जिंदगी भर भुगतना पड़ेगा श्राप। पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ।पेड़ लगा कर इस पावन धरा को और भी… Continue reading पेड़ (वृक्ष)

बचपन की यादें

हरी हरी वादियों से मैं यूं ही चला जा रहा था।चला जा रहा था। झूमते गाते, झूमते गाते, यूं ही चला  जा रहा था। मुंह में बस यही एक  धुन गुनगुनाता जा रहा था। गुनगुनाता जा रहा था। हरी हरी वादियों से, मैं यूं ही चला जा रहा था। हरीहरी वादियों से, मैं यूं ही… Continue reading बचपन की यादें

आओ हम सब मिलकर एक हों जांए

आओ हम सब मिलकर एक आवाज़ उठाएं। भारत को तरक्की के शिखर तक पहुंचाकर अपने देश की शान बढ़ाएं। एकता को अपना  जगतगुरु बना कर दुनिया को शिखरों तक पहुंचाएं। मिलजुल कर काम करने का जज्बा सबके दिलों में पहुंचाएं। आओ हम सब मिलकर एक आवाज़ उठाएं। इस पावन धरा को और भी खूबसूरत बनाएं।… Continue reading आओ हम सब मिलकर एक हों जांए

लंच बाक्स

जल्दी से वर्दी पहनाकर स्कूल को करो तैयार। लंच बॉक्स में देरी ना करो झटपट करो तैयार। रोज-रोज रख देती हो मक्की की रोटी और साग। जिस को खा कर अब मेरा दिल नहीं होता है बाग बाग। मीनू अब मैंने छांट डाला। किचन के द्वार पर लिख टांगा। सोमवार को आलू खिचड़ी। संग रोटी… Continue reading लंच बाक्स

Posted in Uncategorized

कब क्यूं और कैसे

तीन दोस्त थे अंकित अरुण और आरभ। तीनों साथ-साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वह तीनों 12वीं की परीक्षा के बाद पढ़ाई भी कर रहे थे। और नौकरी ढूंढने का प्रयास भी कर रहे थे। उनके माता पिता चाहते थे कि वे नौकरी करके हमारा भी सहारा बने। अंकित अरुण और आरभ तीनों मध्यम वर्गीय… Continue reading कब क्यूं और कैसे

एकता में बल होता है

एक छोटे से गांव में एक वृद्ध दंपति रहते थे। उनके दो बेटे थे। हनी मोटू था। बनी पतला था। हनी सारा दिन खा खा कर अपना पेट भरता था। घर का कोई भी काम नहीं करता था। वह हर काम के लिए अपने छोटे भाई बनी पर, हुक्म चलाया करता था। उसके मां बाप… Continue reading एकता में बल होता है