अनोखा मिलन

अनोखा मिलन

आज होली का दिन था ।सभी बच्चे अपने घरों में होली खेल रहे थे। नन्हा सा रौनित भी होली खेलना चाहता था पर उसकी मां उसे कभी होली खेलने नहीं भेजती थी। रौनित का दिल करता कि वह भी पानी से भरी बाल्टी में पिचकारी से रंग खेले, परंतु उसकी मां ने उसे कभी भी होली खेलने नहीं जाने दिया। उसकी मां गरीब थी वह बर्तन  साफ कर अपना तथा अपने बच्चे का पेट भरती थी ।आज तो रौनित ने हद ही कर दी । वह अचानक अपने दोस्तों के साथ होली खेलने चुपके से चला गया और जब वापस घर आया तो रंगों से सराबोर होकर आया ।सारे कपड़ों में रंग  ही रंग बालों में भी रंग और आते ही उसने अपने मासूम से हाथों से अपनी मां के गुलाल मल दिया और अपनी तोतली ज़ुबान से बोला हैप्पी होली। माँ ने आव देखा ना ताव एक ज़ोरदार थप्पड़ मारकर बेचारे  रौनित के होली खेलने के मजे को किरकिरा कर दिया । उसकी माँ  को ख्याल आया कि मैंने क्यों उस बेचारे को थप्पड़ मारा? वह क्या जानता है कि होली के दिन उसके पापा हम सबको छोड़कर चले गए थे। वह दर्दनाक हादसा मैं भुलाए नहीं भूलती । वह  अपने पति के साथ बहुत खुश थी। उसके पति उसे बहुत ही प्यार करते थे । वह उनके साथ बाजार से सामान लाने गई थी ।अचानक उसका कुछ सामान दुकान में ही रह गया था। उस दिन होली का दिन था वह सामान लेने के लिए रौनित के साथ नीचे उतर गई ।उस दिन घर में मेहमान आने वाले थे। उनकी शादी की सालगिरह थी। रौनित के पापा ने कहा, तुम दोनों दूसरी बस में आ जाना ।रौनित उस समय पांच महीने का था। रौनित को गोद में लेकर नीचे उतर गई ।उसे क्या पता था कि होली की रात उसके जीवन में उस से सदा के लिए उसकी ख़ुशियाँ छिनने के लिए आई है ।उस दिन बस के एक्सीडेंट में रौनित के पिता को सदा के लिए उन से दूर कर दिया था ।उस भयानक काली स्याही रात को कभी भी वह नहीं भूलती थी,जब भी होली आती उसे ऐसा महसूस होता की वह क्यों जिंदा है ? परंतु अपने मासूम बेटे की तरफ देखकर वह अपना गम भुलाने की कोशिश करती परंतु आज रौनित ने उसे गुलाल लगा कर सारी यादें ताज़ा कर दी ।उसे अपने ऊपर गुस्सा आने लगा मैंने छोटे से बच्चे को थप्पड़ क्यों मारा? उस  बेचारे का क्या कसूर ।अपने दोस्तों को होली खेलते देख कर उसका भी होली खेलने का मन करता होगा। उसे बताते भी तो उसे क्या समझ आने वाला था ?अपनी मां को रोते देख कर उसने अपनी मां से कहा । माँ सब लोग अपने घरों में त्यौहार मनाते हैं । हम होली क्यों नहीं मनाते। एक दिन तुम बड़े होकर समझ जाओगे इस बात को बहुत दिन गुज़र गए । मां दूसरों के घरों में काम कर कर कर जो कुछ बचता  उससे घर का खर्चा चला रही थी।उस से उनका निर्वाह हो रहा था। उनके पास रहने के लिए दो कमरे तो थे ।एक कमरा उन्होंने किराए पर दे रखा था ।उनके पड़ोसी जिनको उन्होंने किराए पर मकान दिया था उनसे काफी घुल मिल गए थे । वह पुनीत को अपना छोटा भाई मानती थी । पुनीत को राखी वाले दिन राखी बांधती थी ।पुनीत और उसकी पत्नी उनके घर में रहने लगे थे। एक कमरा रोहित की मम्मी ने उन्हें दे रखा था ।उनको ऐसा लगता था कि वह उनके परिवार का ही हिस्सा हो। पुनीत और उसकी पत्नी उन दोंनों से बहुत प्यार करते थे ।पुनीत ऑफिस में काम करता उसकी पत्नी भी पार्ट टाइम जॉब करती थी । उनके घर में भी नन्हा मेहमान आने वाला था ।पुनीत की पत्नी की यह पहली संतान थी ।धीरे-धीरे प्रसव का समय नजदीक आता  जा रहा था ।पुनीत ने इसकी पहले से ही तैयारी कर रखी थी।

।रोहित की मम्मी ने कहा भैया तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी बहन हर मुश्किल  में तुम दोनों के साथ रहेगी।सुमित को ऐसा महसूस होता कि उसने अपने अपने मां बाप की सूरत तो नहीं देखी उसे बहन के रूप में एक  मां मिल गई थी। विभा के भी माँ बाप नहीं थे। दोनों मां बाप के प्यार से वंचित थे। वह दोनों सोचते यही हमारा परिवार है।वह सभी दोस्तों से कहते एक बहन के इलावा हमारा इस दुनिया में और कोई नहीं है ।मैं बहुत ही भाग्यशाली हूं ,जो तुम्हारी जैसी बहन मिली शायद मैंने पुनर्जन्म में कोई अच्छे काम किए होंगे ,जिसकी वजह से आज मुझे इतनी सुंदर बहन मिली है ।

वो दिन  भी आ गया जिस दिन का सभी को  बेसब्री से इंतजार था। होली का त्यौहार भी पास आ रहा था। अचानक होली के दिन उनके घर में एक नन्हा सा मेहमान आ गया था ।रोहित की माँ उस नन्हे से फरिश्ते को गोद में लेकर  इतनी खुश थी कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी । रोहित अपनी  मां के पास आकर बोला मां मुझे भी होली खेलनी है। उसकी मां ने कहा हां हां बेटा ,आज हम सब होली खेलेंगे।

आज मैं भी होली खेलूंगी । हम  आज अपने घर मे ही होलीं मनाएंगे ।रंगों से होली खेलेंगे । बाहर के  बनाए गए रंगों में ना जान कितने रसायनयुक्त विषैले तत्व होते हैं जो हमारे शरीर और त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं आज हम अपने घर में ही रंग बनाएंगे  और उस नन्हे से फरिश्ते को भी तिलक लगाएंगे

।नन्हा रौनित अपनी माँ को मुस्कुराता हुआ देखकर बोला, माँ  आज आप घर में कैसे रंग बनाएंगे?  रोहित की माँ ने कहा बेटा, जो मेहंदी घर में पड़ी हुई है उसमें हम  आटा मिलाएंगे और उसको पानी में डुबाएंगे। हम उस में फिर बेसन मिलाएंगे तो पीला रंग बन जाएगा । बेसन में मेहंदी मिलाकर घोलेंगे तो पीला रंग बन जाएगा और पुनीत मां जो चुकंदर खाने के लिए लाए हैं उसको पानी में उबालकर डालेंगे तो उससे गुलाबी रंग बन जाएगा ।हम सब  इस तरह अपने ही घरों में रंग बनाकर होली खेलेंगे।

आज का दिन हम सभी के लिए खास है। आज के बाद मैं तुम्हें होली खेलने से कभी भी नहीं रोकूंगी ।सभी खुशी-खुशी होली मनाते हैं।

(होली का त्योहार)

होली त्योहार है उल्लास के रंगों में  सराबोर  होने का।

खुशियों और उमंगो का।

होली त्यौहार है रागदैष को भुलाकर एक दूसरे के गले मिलने का।

यह त्योहार है एकता और भाईचारे का।

बुराई अंह कार और नकारात्मक रूपी राक्षस को जलाने का।

निरसता को दूर करने का।

एक दूसरे के रीति-रिवाज को अपनाने का।

यह त्यौहार है धान या फसल को तैयार कर इस अन्न को खाने का।

राग और रंगों का  यह त्योहार है बंसत के आगमन का।

फूलों की आकर्षक छटा का।

होलिका दहन की पवित्र अग्नि  का।

रंग अबीर और गुलाल फैंकनें का।

प्रेरणा और समरसता का।

रूढ़ीवादी मान्यताओं को त्यागने का।।

राधा कृष्ण की होली के जरिए साकार परमात्मा के प्रेम को महसूस करनें का।

प्रकृति की सुन्दरता में चार चांद लगाने का।।

होली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ

                                 मीना शर्मा

(आज का काम कल पर मत छोड़ो)

आज का काम कल पर मत छोड़ो।

अपनी इस आदत को जल्दी बदल डालो।।

कल कल करते करते आज कभी नहीं आएगा। अरे! मानव इस भाग दौड़ में तू हमेशा पीछे छूट जाएगा।।

जिंदगी में कुछ करना चाहते हो तो हवाई किले बनाना बंद करो।

कुछ नया करके उत्साह के साथ आगे बढ़ो।। दृढ निष्ठा और बुलंद हौसले से आलस पन पर विजय पाओ।

पहले हर जरूरी काम करने की आदत बना डालो।।

सोच समझकर सही दिशा में आगे बढ़ो।

आगे बढ़कर अपनी परेशानियों को कम करो।। छोटी-छोटी खुशियों को नजर अंदाज मत करो।

खुशियां और गम दोनों को गले लगाकर अपनी किस्मत बदल डालो।।

चुनौतियों को स्वीकार कर गले लगाओ।

रूढ़ीवादी  परम्पराओं को बदल  कर दिखाओ।।

कड़ी मेहनत और सही दिशा में कार्य करना सीखो।

आत्मविश्वास और लग्न के साथ काम कर बेहतर जीवन शैली को अपना डालो,

साहस के बल पर अपने जीवन के उद्देश्य को सफल कर डालो।।

आलोचनाओं को सहकर भी श्रेष्ठ प्रदर्शन कर दिखाओ।।

आलोचना करने वालों के साथ भी दोस्ती का कदम बढ़ाओ।।

गया वक्त लौट कर कभी नहीं आएगा।

जो कुछ  बिगड़ चुका है वह संवर जाएगा।।

किस्मत की रेखाओं को खुद बदल डालो। भाग्य के भरोसे बैठे मत रह जाओ।।

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