शिक्षक


शिक्षक हैं हमारी आन,बान और शान।
हम दिल से सदा करते हैं उन का सम्मान।।
वे हमें देतें हैं सत्बुद्धि,शिक्षा और ज्ञान।
हमारे शिक्षक सभ्य और संस्कारी।
नम्रता की मुर्त और हितकारी।
उन की संगत हमें लगती है प्यारी।।

ऊंगली पकड़ कर लिखना सिखलाते।
मां की ममता जैसा आभास करवाते।।
बार बार अभ्यास की राह सुझाते।
हर शब्द,वाक्य,स्वर,वर्णों का क्रम है सिखलाते।
श्रूतलेख का हर रोज अभ्यास है करवाते।
बारंबार लिखनें का आभास है करवाते।।
वे लिखनें का सही तरीका हमें समझाते।।
आनाकानी करनें पर हल्का रोब है दिखलाते।
अपनत्व भरा व्यवहार हम से अपनाते।।

हमारे शिक्षक जन तो हैं गुणोंकी है दिव्य खान।।
वे तो हैं शालीनता की अद्भुत पहचान।।
हम शिक्षकों का दिल से करतें हैं सम्मान।।

शिक्षक जनों की छत्र छाया में रह कर हम सीख पातें हैं ज्ञान।
चिन्तन,मनन,और श्रवण के सभी सोपान।।

शिक्षक जन हैं हमारी आन,बान और शान।
हम दिल से करतें हैं उनका आदर सम्मान।।
वे तो हैं गुणों की खान।
शिक्षक जनों से है हमारा रिश्ता प्यारा।
माता पिता की तरह न्यारा।।
चरणों का स्पर्श कर हम उन्हें करतें हैं प्रणाम।
हमारे शिक्षक अति सभ्य और महान।।










थाली में खाना जूठा मत छोड़ो

थाली में खाना जूठा मत छोड़ो।

आवश्यकता से अधिक खानें कि आदत से पीछा छोड़ो।।

अन्न में होता है अन्न पूर्णा का निवास।

जूठन बचाना होता है बर्बादी का वास।

अन्न पूर्णा का मत करो अपमान।

नहीं तो कोई भी तुम्हारा जग में कभी नहीं करेगा सम्मान।।

अपनें छोटे भाई बहनों को भी यह बात समझाओ।

भूख से कम खानें की आदत को अपनाओ।।

अपनें भोजन का कुछ भाग जरूरत मंद को दे डालो।

अपनें मुकद्दर को नेक काम करके बदल डालो।।

थोड़ा थोड़ा करके अन्न कि बचत कर  अपने जीवन को सुखमय बनाओ।

हफ्ते में एक दिन झुग्गी झोपड़ियों का चक्कर लगाओ।।

अपनें हाथ से दान कर  अपनें जीवन को जगमगाओ।

दूसरे की पीड़ा को समझ कर उन के दुःख में काम आओ।

उनकी मदद के लिए सबसे पहले आगे आओ।।

अपनें साथियों को भी इस नेक काम में शामिल करके दिखाओ।

अपनें  परिवार और उनके जीवन में भी खुशहाली बिखराओ।

हर वस्तु की बचत करना जब तुम सीख जाओगे।

कामयाबी के शिखर तक तब तुम पहुंच जाओगे।।

पानी,बिजली,सफाई और बचत को अपनी आदत में शामिल कर डालो।

इस नेक काम को करनें कि पहल अपने मोहल्ले से कर डालो।।

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