चंदा मामा भाग-२



प्यारे प्यारे चंदा मामा।
न्यारे न्यारे चंदा मामा।
तुम हो सब के राजदुलारे मामा।

मां कहती हैं तुम अपनी किरणों की प्रखरता से सारे जग को चमकाते हो।
किरणों की चकाचौंध से सभी के मनों को लुभाते हो।।
कभी गोल-मटोल बन कर दिखाते हो।
कभी तिरछी कलाओं का जाल दिखाते हो।
कभी आधी, कभी पुरी आकृति बनाते हो।

आमावस की रात को तुम कहां छिप जाते हो?
अंधियारे बादलों के संग न जानें कहां दौड़ लगाते हो।।
अपना राज़ मुझे से छिपाओ न।
बच्चा समझ कर मुझ पर रोब चलाओ न।।
मुझे बहुत अधिक चिढाओ न।
अपना अंदाज मुझे भी सीखाओ न।।
मेरे गोल मटोल चंदा मामा।
आप तो खुबसुरती का हो अनमोल खजाना।।
प्यारे प्यारे चंदा मामा।
सब के मनभावन मामा।।
एक बात आज तक मेरे समझ में नहीं आई।
घटनें और बढनें की कला तुम नें कहां से पाई?
क्या तुम सचमुच में कोई जादुगर हो?
क्या तुम सपनों के सौदागर हो?
चुपके से मुझे बता दो न।
अपनी कला का बडपन्न मुझे भी सीखा दो न।।
मैं भी छोटा और बड़ा हो कर सभी को हर्षाऊंगा।
आपकी तरह का मुखौटा पहन कर सभी को ललचाऊंगा।
सर्कस के जोकर की तरह बन कर सभी को हंसाऊंगा।।




Leave a Reply

Your email address will not be published.