किसी गांव में एक व्यापारी रहता था वह शॉल बेचकर अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करता था। शॉल बेचने के लिए उसको अपने काम से बाहर जाना पड़ता था। ईमानदारी से शॉल बेचता था जो कुछ मिलता उसी से खुश रहता था। एक बार की का बात है कि उसका दोस्त गांव में आया और उसे बोला चलो आज दोनों साथ मे शॉल बेचने चलते है। उसका दोस्त स्वायटर बेचने कां काम करता था। उसका दोस्त बहुत ही लालची था दीनू बहुत ईमानदारी से शॉल बेचता था। धनीराम बहुत ही चालाक था। वह अपने दोस्त को समझाबुझा कर अपने साथ दूसरे गांव में ले गया। दीनू तो मुश्किल से बीस ही शाल बेच पाया। उसका दोस्त उसने तो सारे स्वायटर दुगनी किमत पर बेच दिए। उसको देख कर दीनू बोला तुमने तो लोगों को सौ रुपए वाला स्वेटर भी ₹200 में बेच दिया। उसका दोस्त धनीराम उससे बोला ऐसे ही थोड़े मैं धनवान बना हूं लोगों को थोड़ा बेवकूफ भी बनाना पड़ता है। तुम भी मेरी तरह ही शौल को ज्यादा कीमत में जकर उसके अच्छे दाम वसूल कर सकते हो। उसके अच्छे दाम वसूल कर सकते हो। दीनूं सोचने लगा मेरा दोस्त ठीक ही कहता है। आजकल ईमानदारी का कोई जमाना नहीं ईमानदार लोगों की ईमानदारी कि इस दुनिया में कोई कीमत नहीं। मुझसे अच्छा तो मेरा दोस्त है जो मुझसे ज्यादा कमाता है। वह भी आधी पहर में। मैं तो सारा सारा दिन मेहनत करके थक जाता हूं परंतु फिर भी मुझे शौल के इतने अच्छे दाम नहीं मिलते जितने में इच्छा रखता हूं चलो कल से मैं भी अपने दोस्त की तरह अपनी शौलों के अच्छे दाम लूंगा। दूसरे लोगों को बेवकूफ बनाकर फिर खूब रुपया कमा लूंगा। मेरी बेटी बेचारी के पास ले दे कर एक-दो ही फ्रॉक है। उसको ही धो – धोकर पहनती है और मेरा बेटा उसके पास भी ले देकर दो ही सूट है बेचारे मेरे दोनों बच्चे अपने पापा से कुछ नहीं कहते। बेचारे वे समझते हैं कि मेरे पापा सारा दिन शॉल बेच बेचकर गुजारा करते हैं जो कुछ मिलता है उससे घर का खर्चा चलाते हैं इसलिए वह मुझसे कभी मिठाई वह फल की कभी आस नहीं करते। मेरी पत्नी तो बिचारी ग्ऊ है। जैसे कहो वैसे ही मान जाती है मुझे और मेरे बच्चों को आज तक किसी वस्तु की कमी महसूस नहीं होने दी अपने आप भूखी रह जाएगी मगर मुझे और मेरे बच्चों पर कभी आंच नहीं आने देती। इस बार तो मैं भी इन तीनों के लिए कुछ बढ़िया सी चीजें घर पर लेकर जाऊंगा तो वे तीनों बहुत ही खुश होंगे।। सोचते सोचते वह घर वापिस आ गया। शाम को जब उसकी पत्नी बोली कि तुम क्या बेच कर आए तो उसने सारी कहानी सुना दी कि मैं तो मुश्किल से ही बीस ही बेच पाया मगर मेरे दोस्त ने मुझसे जल्दी सारे स्वेटर बेच डाले और वह भी दुगनी कीमत में। वह अपनी पत्नी से बोला भाग्यवान कल मैं अकेले ही दूसरे गांव माल लेकर बेचनेे जाऊंगा कल मैं भी अपने दोस्त की तरह ही ज्यादा दाम में सारी सारी शौलेंबेच दूंगा। उसकी पत्नी ने अपने पति को समझाया कि तुम ज्यादा लालच मत करना ज्यादा लालच करना अच्छा नहीं जो कुछ मिलेगा वह हमें मंजूर है। वह कुछ नहीं बोला दूसरे दिन व्यापारी अपनी पत्नी से विदा लेकर दूसरे गांव में शॉलों को बेचने चला गया उस ने शॉल की दुगनी कीमत लगाई उसने किसी ना किसी तरह पन्द्रह शौलें बेच दी। पन्द्रह शौलें अभी भी बाकी थी। वह उनको बेचने ही वाला था कि उसकी नजर वहां पर सुंदर नए डिजाइन की साड़ी शोलों पर पड़ी। उसने दुकानदार से पूछा कि यह नए डिजाइन की शौलें कितने की है। दुकानदार ने उसे कहा कि सोलह शक्लें ₹4800 की है एक शौल तुम्हें ₹300 की पड़ेगी। वह उसको शॉल दिखा रहा था तभी उस दुकानदार को उसकी पत्नी ने बुलाया वह अपनी पत्नी की बात सुनने लग गया। व्यापारी नें दुकान में देखा वैसी डिजाइन कि ना जाने कितने बंडल पड़े थे। उसने उनमें से पन्द्रह नए डिजाइनर शौलें चुरा ली। और अपनी पुरानी डिजाइन की पन्द्रह शौंलें वहां पर रख दी। जल्दी में दुकानदार आया और उससे बोला क्या तुम यह सब खरीदना चाहते हो।? उसने कहा आपकी शौलें तो बहुत ही महंगी है। मैं इन्हें नहीं खरीद सकता। तुम मुझे एक फ्रॉक दिखाओ मेरी बेटी छः साल की है। मुझे उसे फ्राक लेकर जाना है। दुकानदार ने कहा कि यह फ्रॉक तुम्हें ₹300 की पड़ेगी। उसने वह फ्रॉक अपनी बेटी के लिए खरीद ली। वह दूसरी दुकान पर गया उसने अपने बेटे के लिए कमीज पेंट खरीदा। उसे भूख भी बड़े जोरों की लग रही थी वह एक होटल में गया वहां उसने तरह तरह के व्यंजन देखें। तरह तरह के पकवान देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। आज वह बेहद खुश था उसने आज अपने दोस्त की तरह शौलों को बेचकर काफी ग्राहकों को बेवकूफ बनाया था। पन्द्रह शौलेंउस दुकानदार से हड़प कर ली थी। उसकी शौल तो मुश्किल से ₹50 तक की थी परंतु उस दुकानदार की सौ शौलें ₹300की थी। वह बहुत ही खुश नजर आ रहा था आज उसे बहुत ही खुशी हो रही थी खुशी-खुशी खाने की मेज पर पकवान खाने के लिए मंगवा रहा था। उसने खूब पेट भर कर खाना खाया और खुशी-खुशी वहां से चलने लगा वहां से जाते हुए सोचने लगा कि आज तो वह अपनी पत्नी के लिए भी कुछ ना कुछ अवश्य ही खरीदेगा। उसने एक दुकान में जाकर एक सूट पसंद किया और उसे पैक करवाया घर को खूब सारी मिठाई भी ले गया घर पहुंचने ही वाला था कि उसके पेट में बहुत ही जोर का दर्द होने लगा जैसे तैसे वह घर पहुंचा उसे उसकी तबीयत बहुत ही खराब हो रही थी। उसने अपनी बेटी को फ्रॉक दी उसकी बेटी फ्रॉक पाकर फूली नहीं समाई। वह दौड़ी-दौड़ी अपनी सहेलियों को फ्रॉक पहन कर दिखाने चली गई उसका बेटा भी पीछे नहीं रहना चाहता था वह भी अपनी मां से बोला मुझे भी पैंट शर्ट दे दो मैं भी पहन लूंगा। जैसे वह पेंट पहनने लगा पहनते ही वह पूरी तरह से फट गई। वह अच्छे ढंग से सिली हुई नहीं थी वह बहुत जोर जोर से रोने लगा उसकी मां बोली बेटा रोते नहीं तुम्हारी यह पैंट में दर्जी से ठीक करवा दूंगी। अपनी मां से बोला मैं खुद दर्जी की दुकान पर ठीक करवाने जाता हूं। वह दर्जी की दुकान पर लेकर गया दर्जी ने कहा इसकी तो सारी सिलाइयां निकल गई है अगर तुमने इसको ठीक करवाना है तो तुम्हें इसके सौ रुपए लगेंगे। वह घर आकर अपनी मम्मी को बोला मां मुझे ₹100 दे दो दर्जी पेंट को ठीक करने के सौ रुपए मांग रहा है। उसकी मां ने उसे सौ रुपए दे दिए। वह खुशी-खुशी पैंट सिलवाने चला गया उसकी पत्नी ने जब सूट देखा तो वह बिल्कुल भी अच्छा नहीं था वह भी जगह-जगह से फटा हुआ था। दुकानदार ने उसे ढक दिया था ₹500 में वह फटा हुआ सूट थोड़ी देर बाद उसकी बेटी भी रोती रोती अपनी मां के पास आकर बोली मां मेरी फ्रॉक के सारे मोती निकल गए हैं। काली और अपनी पुरानी डिजाइन की 15 शोले दुकानदार की दुकान में रख दी जल्दी में दुकानदार आया अब उसे बोला क्या तुम यह शौलें खरीदना खरीदना चाहते हों? उसने कहा आपकी शोले तो बहुत ही महंगी है मैंने नहीं खरीद सकता तुम मुझे एक फर्राक दिखाओ मेरी बेटी 6 साल की है मुझे उस लेकर जाना है। दुकानदार ने उस से कहा यह तुम्हें ₹300 की पडेगी। उसने वह फ्रॉक अपनी बेटी के लिए खरीद ली। वह दूसरी दुकान पर गया उसने अपने बेटे के लिए कमीज पैंट खरीदा। उसे भूख री बड़े जोरों की लग रही थी वहां एक होटल में गया वहां उसने तरह तरह की व्यंजन देखे तरह तरह के पकवान देकर उसकी मुंह में पानी आ गया। आज वह बेहद खुश था। उसने आज अपने दोस्त की तरह शक्लें बेच कर काफी ग्राहकों को बेवकूफ बनाया था। उसनें पन्द्रह शौलें उस दुकानदार से हड़प कार ली थी। उसकी शाल तो मुश्किल से ₹50 तक की थी। परंतु उस दुकानदार की शक्लें बहुत ही बढिया थी। वह बहुत ही खुश नजर आ रहा था आज उसी बहुत ही खुशी हो रही थी खुशी खुशी खाने की इमेज पर पकवान खाने के लिए मंगवा रहा था उसने पेट भरकर खाना खाया और खुशी खुशी वह से चले लगा, वहां से जाते हुए सोचने लगा कि आज तो वह अपनी पत्नी के लिए भी कुछ ना कुछ अवश्य ही खरीदेगा। उसे एक सूट ले लेता हूं। उसने एक दुकान में जाकर एक सूट पसंद किया और उसे पैक करवाया। घर को खुशी-खुशी खूब सारी मिठाई लेकर गया घर पहुंचने ही वाला था कि उसके पेट में बहुत जोर की दर्द होने लगी। जैसे तैसे वह घर पहुंचा उसकी तबीयत बहुत खराब हो रही थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। इंजेक्शन के रुपये अलग दवाइयों के अलग? और इतना ही नही एक हफ्ते की दवाईयों का बिल जब उसे थमाया तो वह धक्क सा रह गया। उसकी इतनी कमाई भी नही हुई थी जितना कि उसकी दवाइयों का खर्चा हो गया था। उसकी पत्नी नें कहा तुम नें यह सामान लालच करके कमाया था हदूसरे से ज्यादा रुपये एंठ कर खुश हो रहे थे। तुम ने रुपया ज्यादा कमाने के लालच में जो तुम्हे मिल रहा था वह भी गंवा दिया। तुम ने दुकानदार की नई सौलें चुरा कर अच्छा काम नंही किया। भगवान जो ईमानदारी से देता है उसे ही स्वीकार करना चाहिए। हमें ज्यादा रुपयों का लालच नंही करना चाहिए। आज से मेरी बात को गांठ बांध लो इमानदारी से कमाया गया रुपया ही फलता फूलता है। बेइमानी से कमाई गईं धन दौलत गडडे में चली जाती है। और हाथ में कुछ नंही लगता। कल तुम न्ई डिजाइन की पन्द्रह शौलों उस दुकानदार को वापिस कर के आओगे। मै समझूंगा आप नें ईमानदारी का रास्ता अपना कर मुझे ही नंही अपनें बच्चों के जीवन को भी सुखी बना दिया है। जो इंसान ईमानदारी के रास्ते पर चलता है
चाहे उसे कम ही मिलता हैं के उस के जीवन में कभी निराशा नंही होती। उसे हर काम में सफलता मिलती है। हमें कम खाना मंजूर है बेइमानी से कमाए हुए रुपयों को हम कभी भी हाथ नंही लगाएंगे। तुम मुझसे से आज एक वायदा करोकि तुम कभी भी लालच नंही करोगे। दीनू नें आंखे भरते हुए कहा ठीक है मैं कान पकड़ कर मौफी मांगता हूं। मैं अपने दोस्त के बहकावे में आ गया था। ठीक है जो मिलेगा उसी में मैं खुश रहूंगा। दूसरे हफ्ते उसने दुकानदार के पास जा कर कहा-आपकी न्ई डिजाइन की शौलों का एक बंडल मेरे पास आ गया था। ये लो। दुकानदार उसकी ईमानदारी को देख कर बहुत खुश हुआ। मुझे ऐसे ईमानदार लोग ही पसन्द है। मैं कपडा बेचने के लिए तुम्हे 10’000रू दे दिया करूंगा। दस हजार रूपये सुन कर उसकी तो बोलती ही बन्द हो गयी। वह बोला हे भगवान आप का-धन्यवाद हो तुम नें मुझे बुराई के दल दल में फंसने से
बचा लिया। उसने खुशी खुशी से उसकी दूकान पर काम करने का निश्चय कर लिया। घर आ कर उसने अपनी पत्नी को सारा व्योरा कह सुनाया। उसकी पत्नी बहुत ही खुश हुई।
अपनें दोनों बच्चों को मिठाई खिलाते हुए बोली ये हमारी ईमानदारी की कमाई है।