ए राही अपने पथ पर आगे बढ़ता चल। मत डर।
निर्भीक होकर अपना काम करता चल।।
पर्वत की तरह स्थिर।
वायु की तरह द्रुतगति।
झरने की तरह निर्मल बन कर सबके दिलों में अपनी जगह बनाता चल।
हर खुशी सब पर लुटाता चल।।
दुर्गम पथ पर आगे बढ़ता चल मत डर। निर्भीक होकर अपना काम करता चल।।
कठिन रास्तों पर चलकर संघर्षों से मत घबरा फूलों के साथ कांटों को भी गले लगाना सीख।।
ए राही चलता चल चला चल मत घबरा।
देश के लिए कुछ करके दिखा।
सपनों को धूमिल मत होने दे।
अपने सपनों को साकार होने दे।।
स्वेच्छा से शुद्ध मन से काम करता चल।
ऐ राही अपने पथ पर आगे बढ़ता चल। मत डर निर्भीक होकर अपना काम करता चल। बुलंद हौसलों से अपने देश की नैया को पार लगा।
देश से भ्रष्टाचार को समाप्त करने का बीड़ा उठा।
एक अच्छा किया काम देश के लिए एक मिसाल बन जाएगा।
तेरे दिली विश्वास से भारत का उज्जवल भविष्य बन जाएगा।
ऐ राही अपने पथ पर आगे बढ़ता चल मत डर।
निर्भीक होकर अपना काम करता चल।
अपनें पथ पर चलता चल। चलता चल।।
किसी गरीब के आंसू पोंछ कर तो देख।
किसी असहाय अबला का दर्द बांट कर तो देख।
ऐे राही चला चल, अपनें पथ पर आगे बढता चल।
निर्भीक हो कर अपना काम करता चल।।