छवि

छवि अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। वह अब  कॉलेज जाने लगी थी ।उसकी मम्मी को सदा यही डर लगा रहता था कि कॉलेज में कहीं गलत बच्चों के संग से वह बिगड़ ना जाए इस लिए  उसे  और बच्चों के साथ खेलनें नहीं भेजती थी। कॉलेज से सीधे घर आना और घर मैं ही वह सारा दिन समय व्यतीत करती थी। पहले तो जब वह स्कूल में थी तो वह अपनी मम्मी का कहना मान  भी जाती थी मगर जब उसने कॉलेज जाना शुरु किया  तो उसे लगने लगा कि उसकी मम्मी बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। मुझे खेलने तक जाने भी नहीं देती।  उसनें अगर मोबाइल पर किसी न किसी से बात कर ली तो उसकी मम्मी यही समझती की फोन पर इतनी देर तक शायद  न जाने किसी लड़के से बात कर रही है। यही बात   उस को अपने मम्मी पापा की पसंद नहीं आती थी। बात बात पर टोका टाकी इस कारण उसका पढ़ाई में भी ज्यादा मन नहीं लगता था  ।वह हर बार यह समझती थी कि उसकी मम्मी गलत है ।   

 

परीक्षा  में जब उसके इतने अच्छे अंक नहीं आए तो उसने इस बात की भड़ास अपनी मम्मी पर निकाली। गुस्सा अब उसकी आदत में शामिल हो चुका था ।   छवि ने  फिर अपनी मम्मी को कहा कि मैंने  ट्यूशन  पढ़नी है।   

 

वह ट्यूशन पढ़ने जाने लगी। उसके साथ की लड़कियों  भी दूसरे कॉलेज में  प्रवेश ले चुकी थी। थोड़े अंक    कम होने की वजह से उसको अच्छे कॉलेज में प्रवेश नहीं मिला ।अपनी मम्मी से गुस्सा करके सहेलियों के साथ खेलने चले जाना और काफी देर तक घर में  न आना उसकी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया।

 

छवि  को अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज में   प्रवेश नहीं मिला तो वह ज्यादा परेशान रहने लगी। अपनी ममी से कहती जिस कॉलेज में मैं जाती हूं अच्छा नहीं है। अपने मम्मी पापा को परेशान करके किसी दूसरे कॉलेज में दाखिला ले लिया।  एक दिन तो हद ही हो गई। जब उसकी मम्मी ने उसे किसी बात को लेकर डांटा तो उसने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया।  छवि जैसी बच्ची को एक अच्छे सलाहकार की जरूरत  थी।

उसके घर के समीप ही एक न्ई आंटी के आ जानें से से उसके व्यवहार में थोड़ा परिवर्तन  आया। बच्चों की गतिविधियों पर नजर  तो रखनी चाहिए। विशेषकर जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उनके साथ मित्रता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। और उन बच्चों पर विश्वास रखना चाहिए। बच्चे अपने हमउम्र दोस्तों के साथ ही खुलकर बातें करते हैं। हमें मम्मी ना बन कर उसके दोस्त बनना होगा  और उसको प्यार से हर बात समझानी होगी   वह तभी तुमसे सारी बातें खुल कर कह  पाएगी।

 

पिता को भी चाहिए कि वह कहां जा रही है? क्या कर रही है? उस के पीछे पीछे नंही भागना चाहिए। उसे अगर अपने बच्चों पर विश्वास है। छवि की मम्मी भी अब समझ चुकी थी। उस से एक दोस्त की तरह से बातें करती थी। साथ वाली आंटी नें छवि की ममी को समझाया कि आप की बेटी बहुत ही समझदार है। वह अपना भला बुरा सब कुछ समझती है। आप उस के साथ ज्यादा ही सख्ती से पेश आती हो। आप को उसकी ममी न बन कर उसके साथ सहेली वाला माहौल बनाना है तब देखो आप चमत्कार। उसकी ममी जब छवि कॉलेज से वापिस आ  जाती तो कहती छवि चलो आज हम घूमने चलते हैं।। चलो आज मालरोड पर पहुंच  कर शॉपिंग करने चलते हैं। चलो आज बाहर डिनर करने चलते हैं। जाओ अपनी सहेलियों के साथ घूम आओ।  छवि भी अपनी मम्मी में आए परिवर्तन से हैरान थी।परंतु कुछ कहती नहीं थी।

एक दिन छवि ने अपनी मम्मी को बताया कि उसके पडौस का एक लड़का उसे हर रोज परेशान करता है। वह कहता है कि अगर तुमने किसी को मेरे बारे में बताया तो वह तुम्हें और तुम्हारे मम्मी पापा को छोड़ेगा नहीं। मम्मी उसकी बात सुनकर हैरान हो गई। उसकी मम्मी ने छवि को कहा बेटा  तुझे उस लड़के से डरने की कोई जरूरत नहीं है। तुमने यह बात बता कर मुझे उम्मीद की किरण जगा दी है। मेरी बेटी कितनी महान है। हम उस लड़के को मां बेटी मिल कर  दोनों मां बेटी सबक सिखाएंगे।

 

छवि की मम्मी उस लड़के के माता-पिता से मिलने गई ।   उस लड़के के माता पिता वहां नहीं मिले। वहां पर उसकी धाय मां थी। जो उसकी देखरेख करती थी। उसे नहीं पता चला कि वह लड़का बहुत ही बिगड़ चूका है क्योंकि उसके माता पिता ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। उस लड़की की मम्मी क्लब में देर रात तक पार्टी करना और पापा तो हर दम टूर पर ही रहते थे। वह तो बेचारा  धाय मां के सहारे था। इस तरह वह लड़का देर रात तक बाहर रहना और ड्रिंक करने लग गया था। छवि की मम्मी ने उस लड़के को प्यार से एक जगह ले जाकर उसे प्यार से समझाया और कहा कि अगर तुमने आगे से मेरी बेटी को कभी तंग किया तो मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं। एक बार मैं प्यार से तुम्हें कह रही हूं। जब प्यार प्यार से छवि की मम्मी ने उस लड़के के साथ  प्यार से बात करते हुए कहा तो उस लड़के   की आंखों में आंसू आ गए।

 

उस लड़के ने कहा कि अगर आज इस तरह उसे  उसे कोई समझाने वाला मिला होता तो वह बिगड़ता नहीं। मुझे आज तक ना मम्मी का प्यार मिला और ना पापा का मुझे पता ही नहीं था कि प्यार क्या होता हैआज जब आप ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए आप ने मुझे समझाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा। उसने हाथ जोड़कर छवि से अपने किए पर माफी मांगी और कहने लगा कि वह आज के बाद में  तुम्हे कभी तंग नहीं करूंगा। यह कहते हुए उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। अब छवि  ने  उसे माफ कर दिया था छवि की मम्मा ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा कि शाबाश बेटा अगर तुम्हें अपने किए पर पछतावा है तो मैं समझूंगी कि तुम अभी भी सुधर सकते हो नहीं तो बुराई की दलदल में अगर तुम एक बार फंस जाओगे तो तुम्हें सिवाय बर्बादी के कुछ  भी हासिल नहीं होगा तुम कसम खाओ कि आज के बाद तुम कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाओगे। मैं भी तुम्हारी मम्मी की ही तरह हूं।?

 

घर आकर चिंटू  धाय मां के पास आकर बोला कि आज से आप ही मेरी असली मां हो। मैंने आप से ही मां-बाप दोनों का प्यार पाया है। मुझे आप ने बहुत प्यार से पाला परंतु मैंने हर बार आप से गलत व्यवहार किया। आप को फटकारा और गुस्से में ना जाने आप को क्या क्या कहा? मैंने आपके प्यार की कीमत को कभी नहीं समझा।  आप जबरदस्ती मुझे खाना खिलाती थी।  स्वयं भूखी रह जाती थी। जिस दिन मैं भूखा रहता था आप भी भूखी रह जाती थी। अब मैं तुम्हारी देखभाल करूंगा।   मैं अब नौकरी करके आप को अपने साथ ले जाकर यहां से कहीं दूर चला जाऊंगा क्योंकि आपका भी इस दुनिया में कोई नहीं है। घर आकर उसने अपनी  धाय मां के पैर छुए और कहा  कि आप मुझे आशीर्वाद दें ताकि मैं जल्दी से जल्दी अपने पैरों पर खड़ा होकर एक बेटा होने का फर्ज पूरा कर सकूं। मेरे माता-पिता को तो मेरे होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके लिए रुपया पैसा ही सब कुछ है।  ऐसी धन-दौलत किस काम की जिससे अपनों का साथ होते हुए भी अपनों की कमी का एहसास होता है। अच्छा मां कहकर चिंटू नौकरी की तलाश में चला गया।

 

चिंटू के माता पिता को जब समझ आई तब तक बहुत देर  हो चुकी थी। उनका बेटा उनके हाथ से निकल चुका था। उन्हें अपने किए की सजा मिल चुकी थी। धन्यवाद। धाय मां नें कहा बेटा अगर तुम सचमुच ही मुझे अपनी मां समझते हो तो आप अपनें माता-पिता को कभी छोड़ कर नंही जाओगे। मैं तो जब तक जिन्दा हूं तब तक तुम्हारे साथ ही रहूंगी। चिंटू नें धाय मां के कहने पर अपनें माता पिता को माफ कर दिया था। वह उनके साथ खुशी खुशी रहने लगे गया था।

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