शिक्षक हैं हमारी आन,बान और शान।
हम दिल से सदा करते हैं उन का सम्मान।।
वे हमें देतें हैं सत्बुद्धि,शिक्षा और ज्ञान।
हमारे शिक्षक सभ्य और संस्कारी।
नम्रता की मुर्त और हितकारी।
उन की संगत हमें लगती है प्यारी।।
ऊंगली पकड़ कर लिखना सिखलाते।
मां की ममता जैसा आभास करवाते।।
बार बार अभ्यास की राह सुझाते।
हर शब्द,वाक्य,स्वर,वर्णों का क्रम है सिखलाते।
श्रूतलेख का हर रोज अभ्यास है करवाते।
बारंबार लिखनें का आभास है करवाते।।
वे लिखनें का सही तरीका हमें समझाते।।
आनाकानी करनें पर हल्का रोब है दिखलाते।
अपनत्व भरा व्यवहार हम से अपनाते।।
हमारे शिक्षक जन तो हैं गुणोंकी है दिव्य खान।।
वे तो हैं शालीनता की अद्भुत पहचान।।
हम शिक्षकों का दिल से करतें हैं सम्मान।।
शिक्षक जनों की छत्र छाया में रह कर हम सीख पातें हैं ज्ञान।
चिन्तन,मनन,और श्रवण के सभी सोपान।।
शिक्षक जन हैं हमारी आन,बान और शान।
हम दिल से करतें हैं उनका आदर सम्मान।।
वे तो हैं गुणों की खान।
शिक्षक जनों से है हमारा रिश्ता प्यारा।
माता पिता की तरह न्यारा।।
चरणों का स्पर्श कर हम उन्हें करतें हैं प्रणाम।
हमारे शिक्षक अति सभ्य और महान।।