हृदय परिवर्तन

राहुल का रिपोर्ट कार्ड देख कर आयुक्ता चौंक कर पीछे हट गई।उसका बेटा चार विषयों में फेल था।ऐसा नहीं था कि राहुल पढ़नें में होशियार नहीं था।उसे समझ तो सब कछ आता था मगर वह पढ़ा हुआ याद नहीं करता था।उसके घर का माहौल ठीक नहीं था।मां आयुक्ता को पार्टी और क्लबों से ही फुर्सत ही नहीं मिलती थी।वह सुबह सुबह निकल जाती और देर शाम तक घर आती।उसके पिता एक बहुत बड़े व्यवसाय के मालिक थे।अमीर परिवार में जन्म ले कर राहुल बिल्कुल अकेला था।उसकी लालन पालन की व्यवस्था आया ही करती थी।शैली उसे बहुत ही प्यार से संभालती थी।उसे खाना खिलाती उसके संग थोड़ी देर बैठती प्यार से उसे मनाती।

आज वह जल्दी घर आ गई थी।बिमार होनें की वजह से पार्टी में भी उसका मन नहीं लग रहा था।रह रह कर उसे राहुल का चेहरा सामने आ रहा था।मेरा बेटा पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं कर रहा है।शायद उसे अच्छे साथी नहीं मिले जिन की संगत कर वह बिगड़ गया।उसे अभी से नहीं सम्भाला गया तो वह कभी भी सुधर नहीं पाएगा।एक अच्छा औफिसर नहीं बन पाएगा।वह तो अपने पिता के व्यवसाय को भी डूबो देगा ,इसी कारण पार्टी में भी उसका मन नहीं लगा इस कारण वह जल्दी घर आ गई थी। घर आते ही शैली पर बरस पड़ी उसे कहनें लगी तुम राहुल पर ध्यान नहीं देती हो।इस बार भी राहुल तीन तीन विषयों में फेल हो गया है।शैली बोली बीबी जी मैं उसे पढ़नें के लिए कहती हूं वह पढ़ाई तो करता है आप को तो पता ही है कि मैं पढ़ी लिखी नहीं हूं।मैं उसे क्या पढ़ा सकती हूं?आयुक्ता को अपनें पर पछतावा हुआ मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।नम्र हो कर बोली तुम कहती तो ठीक है राहुल का कुछ तो करना ही पड़ेगा।शाम को जब अभिनव घर आया तो आयुक्ता अपनें पति से बोली कि आप अपनें बेटे की तरफ ध्यान ही नहीं देते हो आप उसे एक अच्छा औफिसर बनाना चाहते हो।औफिसर न ही बन पाए मगर आप के व्यापार को सम्हालने लायक तो बन जाए।
राहुल खेल कर घर वापिस आ गया था।आते ही बिस्तर पर सो गया।मां के बार बार जगानें पर भी नहीं जागा। पिता नें भी जगानें कि कोशिश कि मगर उन्हें भी नाकामी ही हाथ लगी।आयुक्ता अपनें बेटे की पाठशाला गई और अपनें बेटे की रिपोर्ट कार्ड के बारे में अध्यापिका से पूछा ।उसकी अध्यापिका बोली आप का बेटा बहुत ही चंचल स्वभाव का है।वह अपनें में ही मग्न रहता है ।पढ़ाते वक्त किसी भी पाठ को ध्यान से नहीं सुनता।वह होशियार तो है मगर पढ़ाई करनें के लिए तो कठिन मेहनत और लग्न से अपनें काम में दिल लगाना पड़ता है।उस से कहती हूं अपनी मम्मी या पापा के पास बैठ कर थोड़ी देर बैठ कर पढ़ाई क्यों नहीं करते ?आप के बेटे नें कहा कि मेरी ममी को पार्टीयों से ही फुर्सत नहीं होती और पिता जी तो मां से भी ज्यादा देर से घर आतें हैं तब तक तो मैं आधी नींद में होता हूं।कई कई दिनों तक पिता का चेहरा भी नहीं देखता। मैं जल्दी से होमवर्क करके खेलनें चला जाता हूं।मैडम बोली मैनें प्यार से उससे पूछा तुम्हें होमवर्क कौन करवाता है?वह बोला आया होम वर्क करनें के लिए कहती हैं मैं उसे झूठा बहाना बना कर कहता हूं कि मैं पढ़ाई कर रहा हूं।। वह बोला एक बात बताऊं मैम वह पढ़ी लिखी नहीं है।
मुझे आप के बेटे पर गुस्सा नहीं आया बल्कि उस पर प्यार आया। इस में उस बेचारे का क्या दोष है।आप नें जब अपनें बेटे कि प्रगति रिपोर्ट देखी तो आप मेरे पास खुद दौड़ी चली आईं।आयुक्ता जल भून कर बोली हम आप लोगों को इतनी-इतनी फीस देतें हैं आप लोगों की जिम्मेदारी होती है हमारे बच्चे के भविष्य बनानें की। अध्यापिका बोली हम सारे बच्चों को अच्छी तरह से पढातें हैं ।वह ही पढ़ाई में पिछड़ा हुआ है।इसके लिए तो आप को उस पर ध्यान देना होगा।
आयुक्ता नें अपनें बेटे को हौस्टल में डालनें का निर्णय कर लिया।अपनें पति के साथ दूसरे शहर में जा कर उसे सब से बढ़िया गुरूकुल विद्यालय और हौस्टल में डाल दिया।उन के पास रुपयों की तो कोई कमी नहीं थी।
राहुल जब हौस्टल पहुंचा तो वहां का मौहोल देख कर दंग रह गया। हौस्टल में तो हर काम समय के अनुसार करना पड़ता है ।ऐसा उसे वहां पर रह रहे बच्चों से मालूम पड़ा।
वार्डन नें राहुल को अपनें पास बुलाया और कहा यहां तो तुम्हें हर काम समय पर करना होगा।तुम्हारी प्रगति रिपोर्ट देख कर मालूम होता है तुम पढ़ाई नहीं करते। राहुल डर से कांपनें लगा।वह बोली यहां पर तो तुम्हें हर काम समय पर करना होगा।सुबह सुबह चाय पीने से पहले यहां प्रार्थना के लिए हाल में आना पड़ता है जो समय पर चाय लेनें नहीं आएगा उसे चाय पीनें को नहीं मिलेगी।पांच दिन तक तो चलेगा वर्ना चाय या खाना भी नहीं मिलेगा।
राहुल सारा दिन खोया खोया रहा ।वह तो कोई भी काम समय पर नहीं करता था।यहां तो सब बच्चे समय पर मैडम कि आज्ञा का पालन करतें हैं। उदासी भरे मन से जब राहुल अपने कमरे में आया तो उसके दोनों दोस्त जिन के साथ उसे रहना था बोला तुम दोनों मेरी मदद करना।।


विकी और रौनी बोले एक दिन तो हम तुम्हारी मदद कर देंगे आगे तो तुम्हें खुद ही सब काम करने पड़ेंगे।दोस्तों कि बात सुन कर उसे थोड़ा ढांढस बंधा।दो चार दिन तो उसके दोस्तों नें उसकी सहायता कर दी।पांचवें दिन उसके सहपाठियों नें जो उसके कमरे में ही रह रहे थे,वे आपस में बोले कल से इसके लिए चाए ले कर नहीं आएंगे।इसको प्रार्थना सभा में स्वयं जा कर चाय ले कर आनी होगी।कोई बात नहीं इसको अगर एक दो दिन चाय नहीं मिलेगी तो पता चलेगा।अपनें आप जल्दी उठनें कि आदत डालनी होगी।


हम अपनें कमरे में सफाई करतें हैं यह चारों तरफ गन्दगी ही गन्दगी, कूड़ा कर्कट कभी भी कूड़े दान में नहीं डालता है ।पहले हमारा कमरा बहुत ही साफ रहता था।जब सफाई कर्मचारी कूड़ा मांगनें आई तो उस को भी कमरे में चारों तरफ कागज ही कागज नजर आए। राहुल के बिस्तर पर गन्दे कपड़ों का ढेर लगा था।विकी और रौनी ने एक दूसरे से कहा अगर इसे अभी नहीं समझाया गया तो वह फेल हो जाएगा।यह तो किसी बिगड़े घर कि औलाद लगता है।इस के माता पिता नें इसे कोई काम नहीं सिखाया। कूड़ा कचरा साफ करनें वाली बाई आई तो वह रौनी और विकी से बोली तुम राहुल को कहना कि अपनें बिस्तर पर कागज फाड़ कर मत फैंका करें।तुम कागज उधर उधर फैलाना बन्द नहीं करोगे तो तुम्हारे दोस्त कि शिकायत वार्डन से कर देगी।

सुबह जब राहुल चाय लेने नहीं गया तो उन दोनों दोस्त ने उसे नहीं उठाया उसे चाय से वंचित होना पड़ा, जब उठा तो 9:00 बज चुके थे। उसे सारा दिन चाय नहीं मिली ।सारा दिन उदास होकर चक्कर काटता रहा। कूड़ा कचरे वाली आई तो वह राहुल से बोली जब तक तुम कूड़ा कचरा फैलाओगे मैं तुम्हारे कमरे में झाड़ू लगाने नहीं आऊंगी ।तुम जब हॉस्टल नहीं आए थे तो यह दोनों बच्चे अपने कमरे को साफ-सुथरा रखते थे तुम्हें शायद घर वालों ने कुछ नहीं सिखाया ।राहुल चुप रहा परीक्षा भी पास आ रही थी राहुल गणित में बहुत ही कमजोर था। वह रौनी को बोला भाई मुझे गणित के प्रशन हल करवा दे ।

रौनी बोला तुम्हें आए हुए 3 महीने हो गए हैं लेकिन तुमने एक दिन भी गणित के सवालों का अभ्यास नहीं किया जो बच्चे मेहनत नहीं करते आलस्य में समय बिता लेते हैं जीवन में कभी सफल नहीं होते। तुम्हारे पास इतना समय था मगर तुमने कभी भी हम से पूछने का कुछ साहस नहीं किया। तुमने चाय के लिए तो हमें कह दिया मगर पढ़ाई के बारे में हम से कुछ नहीं कहा। तुम अगर कुछ बनना चाहते हो तो तुम्हें मेहनत तो करनी पड़ेगी।
राहुल बोला मैं तुम दोनों की बात अवश्य मानुंगा। वह रोज रौनी के पास पढ़ने लगा। सुबह जल्दी उठने लगा। रौनी नें उसे बताया कि मेरी मां ने मुझे होस्टल में पढ़ाने के लिए अपने गहने तक बेच डाले थे। ताकि मैं बड़ा अफसर बन सकूं। मैं यहां पर सो सो कर समय व्यतीत कर लूंगा तो अपनी मां के गहनों का ऋण कभी भी उतार नहीं पाऊंगा। मैं कभी भी अपनी मां को सुख नहीं दे पाऊंगा। मेरी मां छोटे छोटे घरों में काम करती है। तब वह कहीं जा कर वह मेरी फीस जुटाती है। यहां पर जो कूड़ा कचरा उठाने आती है उसके बच्चों को छुट्टी वाले दिन मैं पढ़ाता हूं ताकि इसका बेटा पढ़ लिख कर अपनी मां को सब खुशियां दे सके ।मेरी मां ने सिखाया है कि हमें दूसरों कि मदद अवश्य करनी चाहिए इसके लिए जरुरी नहीं है तुम रुपये दे कर ही किसी कि भी मदद करो। हर यथा सम्भव तरीके से तुम सब कि सहायता कर सकते हो।

राहुल अपनें दोस्त कि बातें सुनकर हैरान हो गया। राहुल में थोड़े ही अन्तराल में काफी परिवर्तन आ चुका था। दोस्तों के उठने से पहले जल्दी उठ जाता।कमरे को साफ-सुथरा करता और पढ़ाई में खूब मन लगाने लगा। इस बार परीक्षा में उसके अच्छे अंक आ गए थे।
गर्मियों की छुट्टियां भी होने वाली थी सभी बच्चे अपने-अपने घरों को जाने की तैयारी कर रहे थे राहुल मायूस होकर गुमसुम सा बैठा था। रौनी उसके पास आ कर बोला तो तुम्हें खुश होना चाहिए तुम घर जा रहे हो तुम्हारा चेहरा फिर भी उदास है क्या कारण है?

राहुल बोला ऐसी कोई बात नहीं ।तुम्हारी कहानी सुनकर भावुक हो उठा। मैं तो इस मामले में खुशनसीब हूं। मुझे इतनी मुसीबतें उठाने नहीं पड़ी। मेरे माता-पिता आधुनिक विचारों के हैं ।उनके पास इतना रुपया है लेकिन उनके पास अपने बेटे के लिए समय नहीं है ।आया के पास पला बढ़ा हूं। मां तो किटी पार्टी में व्यस्त रहती है ।पिता का कारोबार अच्छा है । मां के पास मुझे पढ़ाने के लिए समय ही नहीं था। पिता तो शाम को देर रात तक घर आते ।उनसे तो पांच-पांच दिन तक मुलाकात भी नहीं हो पाती थी। मेरे माता-पिता मुझे अच्छा इंसान बनाना चाहते हैं। वह मुझे अच्छा ऑफिसर बनाना चाहतें हैं।अच्छा ही हुआ मैं यहां आया, तुम जैसे प्यारे प्यारे दोस्तों से मिला तो जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं अब पढ़ाई का महत्व समझ गया हूं। बेचारी आया के पास रहकर उससे भी बहुत कुछ सीखने को मिला। वह तो पढ़ी-लिखी भी नहीं थी ।वह तो अनपढ़ थी ।वह मुझे क्या पढ़ा पाती उसका अपना बेटा भी किसी सरकारी स्कूल में पढ़ता है ।राहुल ने अपने दोस्तों से हाथ मिलाया और कहा ठीक है छुट्टियों के बाद मिलेंगे। उसके दोस्त भी उस में आए परिवर्तन से बहुत ही खुश थे वह अपना काम अच्छे ढंग से करना सीख गया था। राहुल नें अपने घर वापसी के लिए ट्रेन कि टिकट बुक करवा ली थी।आज वह घर जानें वाला था। ट्रेन में सीट मिल चुकी थी ।छुक छुक और गार्ड कि सीटी की ध्वनि का स्वर उसे सुनाई दे रहा था। ट्रेन में काफी लोग थे ।वह अपने मन में सोच रहा था कि वह घर जाकर अपने मम्मी पापा को परेशान नहीं करेगा बल्कि अब हर काम सोच समझ कर और सूझबूझ से करेगा। ट्रेन में उसकी आंख ना जाने कब लग गई जब आंख खुली तो सुबह हो चुकी थी। अपने घर पहुंचने की खुशी का एहसास उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था ।घर पर जल्दी ही सारी हॉस्टल की मधुर यादें अपने माता-पिता को बताऊंगा। घर पहुंच कर उसने बैल बजाई काफी देर बाद बालकनी का दरवाजा खुला।
शैली ने दरवाजा खोला बोली बाबा बेटा तुम आ गए। वह एकदम आया के गले से लिपट कर रो दिया। यह देखकर शैली की आंखों में भी खुशी के आंसू बह निकले बोली बेटा तुम्हारा तुम्हारे बिना तो यह घर काटने को दौड़ता था ।मेरा भी काम करने को मन नहीं करता था। वह बोला आप थोड़ी देर आराम करो ।आया बोली बाबा नहा लो तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं ।चुपचाप वह नहाने चला गया।। आया उस में आए बदलाव को देखकर हैरान थी। जिस बच्चे को 10-10 बार बोलने पर भी सुनाई नहीं देता था वह चुपचाप बिना गुस्सा किए नहा धो कर आ गया।

आया चाय लेकर आ चुकी थी। घर में माता पिता को ना पाकर राहुल को थोड़ी मायूसी हुई लेकिन उसे याद आ गया उसकी मां तो घर पर होती ही नहीं थी।वह बोला आंटी आप बताओ आप का बेटा कौन सी कक्षा में है? आया बोली बेटा हम गरीब आदमी है बड़ी मुश्किल से अपने बेटे को पांचवी कक्षा में डाला है। मैं अपने बेटे को कैसे पढ़ा सकतीहूं? मैं तो खुद ही पढ़ी लिखी नहीं हूं। वह बोला आंटी में आपको, और साथ में आपके बेटे को पढ़ना लिखना सिखा दूंगा। माया हंसने लगी बोली बेटा हमारे अब पढ़ने लिखनें की उम्र नहीं है। वह बोला अगर आप थोड़ा बहुत भी पढ़ना लिखना सीख जाएंगे तो आप कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाओगी। मुझे आप कितना प्यार करती है?। मैं आप को ही नहीं अपने आसपास मोहल्ले में बहुत सारे अनपढ़ व्यक्ति हैं और जो गरीब माता-पिता हैं उनके बच्चों की स्कूल की फीस नहीं दे सकते उन्हें पढ़ा दिया करूंगा ।उनकी इस तरह की बातें सुनकर शैली की आंखों में आंसू बहने लगे ।वह बोली ऐसा बेटा सब को दे।

दरवाजे पर घंटी बज रही थी। जैसे ही आया नें दरवाजा खोला राहुल की मां पार्टी से घर आ गई थी।अपने बेटे को घर आया देखकर बहुत ही खुशी हुई और उसके गले लग कर बोली रास्ते में कोई कठिनाई तो नहीं हुई, हमने तुम्हें गाड़ी भेजी थी। शायद तुम्हें पता ही नहीं चला। वह किसी दूसरे स्टेशन पर ही चला आया था। आते ही उसकी मां बोली बेटा थोड़ी देर मैं आराम कर लूं तब तुम से ढेर सारी बातें करूंगी ।मैं तो अपनी मां के स्वभाव से परिचित ही था इसलिए उसे जरा भी फर्क नहीं पड़ा ।अगले हफ्ते उसका जन्मदिन आने वाला था। वह बोला मैं इस बार अपने दोस्तों को अपने जन्मदिन पर बुलाना चाहता हूं। उसकी मां ने उसे इजाजत दे दी बोली बेटा जरूर बुलाओ। इस में पूछने वाली कौन सी बात है?
उसका जन्मदिन आ चुका था। घर हवेली की तरह चमक रहा था। उसके माता-पिता ने बड़े-बड़े रईस लोगों को घर पर बुलाया था। वे अपने बेटे के घर वापसी की पार्टी देना चाहते थे ।शाम को सारे लोग पार्टी में शरीक थे। धूमधाम से साज संगीत के साथ कार्यक्रम आरंभ हुआ ।राहुल तो बहुत सारी झुग्गी झोपड़ी वाले बच्चों को बुलाकर अपना जन्मदिन मनाने वाला था। उसका कमरा बच्चों से खचाखच भरा था ।।उसके मम्मी पापा बड़े बड़े रईस शाही परिवार के लोगों के साथ पार्टी का आयोजन कर रहे थे अचानक अभिनव के दोस्तों ने कहा अपने बेटे को बुलाइए। नौकर जाकर राहुल बाबा के पास जाकर बोला बेटा तुम्हारे पापा हॉल में तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। वह जल्दी ही हॉल में आया। उसने बड़ों का सम्मान पूर्वक आदर किया और कहा कि आप सभी पार्टी का आनंद मनाएं। मैं तो अपने दोस्तों के संग पार्टी मना रहा हूं। उसके माता पिता बोले कि तुम अपने दोस्तों को भी यहां ही बुला लो। वह बहुत ही खुश हुआ और सभी बच्चों को वहां पर बुला कर लें आया। सभी लोग उन बच्चों को देखकर नाक भौं सिकोड़ कर बोले क्या यही है आपके बेटे के दोस्त? अपनी हैसियत का अंदाजा तो लगाया होता आप जल्दी से यहां से इन्हें बाहर का रास्ता दिखाइए वर्ना हम पार्टी छोड़कर चले जाएंगे। इनके कपड़ों से कितनी दुर्गंध आ रही है? वह बोला पापा मैं तो उन सब के साथ ही मौज मस्ती करूंगा नहीं तो मैं भी इन्हें यहां से ले कर जा रहा हूं! उसके माता पिता ने अपने बेटे को दूसरे कमरे में जाने के लिए कह दिया। वह उन बच्चों के साथ पार्टी मना कर खुश हो रहा था । उन सब बच्चों के चेहरे पर इतनी मुस्कान देख कर मुस्कुरा रहा था। बच्चे तरह तरह के उपाहरों को पा कर खुश थे। कुछ खाने का आनंद ले रहे थे ।
जब सारे मेहमान चले गए तो राहुल की मां अपने बेटे के पास आकर बोली तूने तो आज हमारी नाक कटवा दी। तुम्हें हॉस्टल क्या पढ़ने भेजा? अगर हमें पहले पता होता कि तू हमारी नाक कटवाएगा तो तुझे हम कभी भी हॉस्टल पढ़ने नहीं भेजते। हां तुम्हारे इस बार अंक तो बहुत ही अच्छे आए हैं इसलिए हम तुम्हें माफ करते हैं वर्ना तुम्हें हॉस्टल में पढ़ने नहीं भेजते ।मां आप मुझे बाहर भेजो या ना भेजो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं सभी सुविधाएं और रुपए जुटा लूंगा ।आप अगर सचमुच ही मुझसे प्यार करती हो तो आप मेरी बात पर जरा गौर करना !

आप किटी पार्टी में जाने के बजाय कोई सोशल वर्क का काम कर सकती हो या अपना कोई भी व्यवसाय चला सकती हो जिससे आप उन बच्चों को भी पढ़ा सकती हो जिनके माता-पिता ज्यादा फीस देने में सक्षम नहीं है। वहां पर तो किटी पार्टी में आपको हर परिवार की अनेकों सहेलियां मिलेगी। वह आप से कहेंगी, मैंने यह साड़ी लखनऊ से मंगवाई है जरा यह सोने का नेकलेस तो देखो। दूसरी कहेगी कि मैंने यह डायमंड का सेट सबसे महंगा लिया है। इससे क्या होगा? जिनके पास इतना महंगा सेट नहीं होगा वे शाम को जाकर अपने अपने पतियों से उस वस्तु को मंगवाने के लिए फरमाइश करेंगी जब उनकी फरमाइश पूरी नहीं होगी तो भी या तो अपना ससुराल छोड़कर मायके चली जाएगी या किसी ना किसी कारण अपने पति पर दबाव डालकर उनसे अपनी बात मनवाने के लिए उन्हें राजी करेंगी।
मां अभी भी वक्त है आप मेरी बात पर जरा ठन्डे दिमाग से सोच समझ कर विचार करना। आपने मेरा जीवन बनाने के लिए, एक अच्छा औफिसर बनाने के लिए मुझे हॉस्टल में डाला। अब आपका बेटा आपको समझा रहा है कि इन आडम्बर भरी दुनिया से बाहर निकल कर देखो। मुझे तो मेरे दोस्त की बातों में सच्चाई नजर आई। मैं तो काफी बदल चुका हूं। आपने देखा नहीं जन्म दिन वाले दिन वह मासूम बच्चे कितने प्यार से उस खाने पर टूट पड़े थे। ना जाने कितने दिनों बाद उन्होंने इतना स्वादिष्ट खाना खाया था। मैं तो उनको इस प्रकार प्यार से खाते देख कर खुश हो गया। मेरी आत्मा की आवाज ने मुझे कहा कि सच सच मायने में आज तुम नें अपना जन्मदिन अच्छे ढंग से मनाया है। जितना पिज़्ज़ा केक बर्गर पर,और बैंड बाजों पर इतना रुपया खर्च करते हो उतना उन सब बच्चों को खिलाने और खर्च करने पर जो मजा है उतना किसी और कार्य में नहीं।
राहुल का हॉस्टल खुल गया था वह वापस हॉस्टल चला गया था। राहुल को गए हफ्ता हो चुका था। कुछ दिनों बाद आयुक्ता किटी पार्टी में पहुंची तो उसका दिल वहां पर नहीं लगा। बार-बार उसकी आंखों के सामने अपने बेटे का चेहरा और उसके कहे शब्द गूंज रहे थे। सारी की सारी सखियां चाय पार्टी में मस्त थी। आज कुछ सखियां बेहद उदास थी । आयुक्ता को मालूम पड़ा कि एक सहेली बीमार पड़ गई है जिस के कारण वह किटी पार्टी में नहीं आ सकी है। दूसरी सहेली नें बताया उसनें चुप्पी का आवरण ओढ़ लिया है। वह ना तो किसी से बोलती है और ना किसी से कुछ बात ही करती है ।उसे ना जाने क्या हुआ है? आयुक्ता सोचने लगी हो सकता है कि जो बात मेरा बेटा कह कर गया हो वह सही हो। उसे भी किसी का बहुत ही महंगा गिफ्ट देखकर आहत हुई होगी ना मिलने पर चुप्पी साध कर बैठ गई होगी। इस बात का पता लगाकर ही रहूंगी। चुपचाप एक दिन वह अपनी सहेली के घर पहुंच गई। उसकी सहेली बहुत ही दुबली पतली हो गई थी। प्यार प्यार से उसने कंचन से पूछा क्या बात है? तुम इतने दिनों तक पार्टी में भी नहीं आई क्या कारण है? वह बोली कुछ नहीं । दूसरी सहेली ने बताया कि कंचन कि अपने पति से कहा सुनी हो गई, जिस कारण उसने उसे तलाक दे दिया। उसे अब महसूस हो रहा है कि उसने गलत कदम उठा लिया है जिसके लिए अब वह पछता रही है।
आयुक्तों को पहली बार अपने बेटे की बातों में सच्चाई नजर आई। हम दिखावा क्यों करते हैं? इसकी जगह पर अगर हम किसी गरीब बच्चे की शिक्षा पर ध्यान दें तो उस बच्चे का जीवन तो सुधर जाएगा साथ ही साथ हमें भी कोई अच्छा काम करके खुशी हासिल होगी। उस दिन के बाद आयुक्ता ने कीटी पार्टी में जाना छोड़ दिया। उसने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उसने अपने आसपास के गरीब बच्चों को इकट्ठा करके उनके लिए पाठशाला का निर्माण करवाया। वहां पर उन बच्चों को पढ़ाना आरंभ किया जो बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते थे। आज उसे अपने बेटे पर गर्व महसूस हो रहा था ।वह गर्व से सर ऊंचा करके अपने बेटे पर नाज कर रही थी। उसके बेटे ने सही मायने में उस का हृदय परिवर्तन कर दिया था ।अच्छा कार्य करके उसे जो संतोष हासिल हुआ उसे आज तक कि जिंदगी में कभी हासिल नहीं हुआ था। असली मायनें में आज वह एक अच्छी मां साबित हुई।




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