गाय जगत माता कामधेनु है कहलाती।
गाय की सेवा घरों में खुशहाली को बढ़ाती।।
धर्म,अर्थ,मोक्ष का आधार है गौ माता।।
सकल जग उदधारिणी है गौ माता।
समन सकल भव रोग हारिणी है गौ माता।।
पृथ्वी पर रहनें वाले जीवों से करती है प्यार।
हर प्राणी,जीवों पर इसके हैं असंख्य उपकार।।
गाय की सेवा,पालन पोषण करना है धर्म हमारा।
इस से बढ़ कर नहीं है कुछ भी दायित्व हमारा।।
गाय में है सभी देवी देवताओं का वास।
यह तो हैं सभी तीर्थों में सब से खास।।
सोलह संस्कार गौ के साथ ही पूर्ण कहलाते।
इन संस्कारों के बिना हम अपूर्ण ही रह जाते।
पुराणों में गाय है मोक्ष का द्वारा।
सेवा कर समस्त पापों,संतापों से पातें हैं छुटकारा।।
गाय का गोबर है लाभकारी।
उपले, किटाणुओं और रोगों को मिटानें में है चमत्कारी।।
गोबर में है अद्भुत शक्ति।
मलेरिया, मच्छरों को भगानें की है शानदार युक्ति।।
गाय के गोबर के प्रयोग से बंजर भूमि की भी उपजाऊ क्षमता बढ़ती।
फसलों को हरा भरा कर किसानों में दुगुना उत्साह है बढ़ाती।।
गाय के दूध से बनी वस्तुएं सभी जनो को है भाता
दूध,दही, मक्खन,भी सभी जनों को है सुहाता।।
गाय हमारे आत्मसम्मान का है गौरव।
प्रेम और संस्कृति का है सौरभ।।
गौ हत्या करना है महापाप।
गौ को बूढ़ा होनें पर बाहर कर देना है अभिशाप ।।
गौ हत्या करनें वालों को बख्सा नहीं जाएगा।
उनके दुष्कर्मों का परिणाम प्रकृति से स्वयं मिल जाएगा।।
गाय का अपने माता पिता कि तरह हमेशा करो सम्मान।
जग में उनकी सेवा कर पा जाओगे मनोइच्छित वरदान।।
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क्षमा याचना
राजन एक ट्रक ड्राइवर था।उस का तबादला दूसरे कस्बे में हुआ था।रोबीला चेहरा,काफी लम्बा चौड़ा बड़ी बड़ी मूंछों वाला।तीखे नयन नक्स। ट्रक चलानें में माहिर था। उसको कस्बे में आए हुए छ सात महीनें हो चुके थे।काफी ज्यादा संख्या में लोग उससे परिचित हो चुके थे।छोटा सा पहाड़ी इलाका था।वह जंहा भी बैठ जाता लोग उसके आसपास घेरा लगा कर बैठ जाते थे। वह उन्हेंं न जानें कितने अपने अनुभव सुना कर उनका मन बहलाया करता था। थोड़े से समय में उसनें वहां के लोगों पर अपना जादू चला दिया था। ट्रक चलानें में भी इतना माहिर था कि लोग उसकी बराबरी नहीं कर सकते थे।उसको एक ही बुरी आदत थी वह ट्रक बहुत ही तेज चलाता था।उसकी पत्नी उस से कहती कि एक बात मेरी भी सुनो लिया करो तुम गांव के लोगों से अपनी प्रसंसा सुन और भी फूल कर कुप्पा हो जाते हो। ज्यादा गर्व करना आप को शोभा नहीं देता।आप का यह घमंड एक दिन आप को ले डूबेगा ।राजन अपनी पत्नी की बात को हंसी में टाल देता।वह कहता अरी नादान मुझे ट्रक चलाते आज इतनें वर्ष हो गए।मैं कोई दूध पीता बच्चा थोड़े हूं जो मैं गिर जाऊंगा।बेवजह अपना दिल मत दुखाया करो।तुम तो मिन्कु का ध्यान रखा करो। वह बोली मेरे माता-पिता ने मेरा नाम आन्नदी रखा है।मगर तुम मेरी जरा परवाह नहीं करते।मैं तो केवल नाम की ही आन्नदी हूं।वह बोला अच्छा अब आगे से कोताही नहीं बरतूंगा।यह कह कर वह मुस्करा कर घर से निकल पड़ता और शाम को घर आता।कभी कभी तो वह रात रात भर देर से घर आता।कभी बहुत देर हो जानें पर वहीं विश्राम कर लिया करता।गांव के लोग उसकी जब प्रशंसा करते तो वह और भी तेज ट्रक चलाता।गांव के लोग भी उससे हिलमिल गए थे।कुछ लोग तो उससे कहते भाई थोड़ी रफ्तार रख ट्रक चलाया करो।वह उन्हें कहता यह तो मेरी आदत है।गांव के कुछ लोग उससे कहते तुम्हारी यह ही आदत एक दिन तुम्हें ले डूबेगी।वह उन्हें हंसी हंसी-मजाक में कहता वह तो उसके इतने सारे वर्षों का नतीजा है जो मैं अच्छी रफ्तार से ट्रक चला लेता हूं।उसकी मां उसे समझाती बेटा अपनी मां कि बातों को अनदेखा नहीं करना चाहिए वह अपनी मां के कुछ कहनें से पहले अपनी माता के मुंह पर हाथ रख दिया करता था।कितनी बार वह मरते मरते बचा?वह सभी को ज़बाब देता कि मैं अपनी होशियारी के कारण हमेशा बच जाता हूं।एक दिन की बात है कि वह सुबह सुबह ही ट्रक को ले कर निकल पड़ा।वह बहुत ही तेज रफ्तार से ट्रक चला रहा था।वह जल्दी ही अपनें गन्तव्य स्थान पर पहुंचना चाहता था। उसे तीन घंटे से भी ज्यादा समय हो चुका था। सारा सामान लेकर दूसरे गांव में बेचने जा रहा था ।अचानक तेज हवाएं चलने लगी हवाएं इतनी तेज थी कि उसे रास्ता भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था आंधी तूफान भी चलनें लग गया था। उसने ट्रक दूसरी ओर घुमा दिया उसे पता था कि दूसरे रास्ते से भी पहुंचा था सकता था। तूफान इतना भयंकर था कि आस पास के पेड़ भी उखड़ने लगे। उसे पता ही नहीं चल रहा था कि ट्रक को कंहा ले जाए । ट्रक की ब्रेक फेल हो गई थी। थोड़ी देर में ट्रक एक गहरी खाई में जा गिरा ।राजन ट्रक की खिड़की से कूद पडा एक पहाड़ी से जा टकराया।उसनें वृक्ष की शाखा को कस कर पकड़ रखा। ट्रक का तो पता नहीं चल सका कि कहां गिरा? वह पेड़ की शाखा को काफी देर तक कस कर पकड़े रखा था।उसे चोटें भी लग चुकी थी।मगर वह सुरक्षित था।वह पेड़ की शाखा के तने को छोड़ता तो वह मर ही जाता कि क्योंकि नीचे बहुत ही गहरी खाई थी।वह उस में गिर सकता था।धीरे धीरे डंडे के सहारे से सरक सरक कर पेड़ के ऊपर चढ़नें में सफल हो गया।वह सोचनें लगा कि मुझे सभी नें समझाया था कि रफ्तार तेज नहीं रखनी चाहिए लेकिन वह अपनी प्रशंसा सुनने के लिए इतना व्याकुल हो चुका था कि अपनें आसपास के लोगों और अपनें परिवार जनों के शब्दों को हंसी में उड़ा दिया करता।आज सचमुच ही जब मुझ पर यह बीता तब पता चला।अच्छा ही हुआ आज ट्रक में मेरे साथ लोग नहीं थे न जानें अपनें साथ कितने लोगों को मरवा ही डालता।आज तो वह मर ही जाता लेकिन मुझे बचना था वह सारी रात पेड़ पर चिपका रहा।सुबह के समय उसने ऊपर कि और देखा उसेएक ट्रक दिखाई दिया।उसने सोचा मैं इस पेड़ पर से छलांग लगा दूं तो मैं मर जाऊंगा ऐसे ही मैं मर ही रहा था।इस समय तो मुझे कोई बचानें वाला भी नहीं आएगा।मेरे चीखनें चिल्लाने से भी इस ट्रक वाले को आवाज सुनाई ही नहीं दी।नीचे खाई में ही गिर जाऊंगा। किसी के गिरनें किआवाज़ तो सुनाई ही देगी।यह सोच कर उसने आंखें बंद करके छलांग लगा दी।वह सड़क में गिरनें की अपेक्षा एक कंटीली झाड़ी में फंस गया।वहां पर बहुत ही कांटेदार झाड़ियों के बीच फंस गया।उसकी सारे शरीर से लहू निकल रहा था।वह बेहोश हो चुका था।उसने सुना कोई कह रहा था शायद यहां कोई गिरा है दूसरे ही पल वहां एक जंगली कुत्ता सरपट भागता हुआ दिखा।ट्रक वाला व्यक्ति बोला यह कुता ही झाड़ियों में फंसा हुआ था।देखो लहू कि बूंदे।यह कह कर वह ट्रक चलानें वाला वहां से जा चुका था।राजन कि आंखों के सामने अंधेरा छा गया।दो दिन तक वह वहीं बेहोश पड़ा रहा।उसकी घड़ी टिक-टिक कर रही थी।वह चिल्लाने कि कोशिश करनें लगा मगर उसके गले से आवाज ही नहीं निकल रही थी।वह घनें जंगल में झाड़ियों के बीच फंस गया था।जंगल में बहुत सारे जीव जन्तु थे। उसे शेर की दहाड़ सुनाई दी।वह लकड़ियों के बीच में छिपा गया।अपनें ऊपर लकड़ीयां गिरा दी।उसके सारे शरीर में कंटीली झाड़ियां चुभ गई थीं।वह बाहर भी निकल नहीं सकता था।शेर, हाथी, तोता , भेड़िया बहुत सारे जीव जन्तुओं की आवाजें उसे साफ सुनाई दे रही थी।शाम के समय सब के सब जीवजन्तु चले गए तो उसकी जान में जान आई।एक तोता उसके पास आ कर टेंटें करनें लगा।तोते को सामनें देख उसकी आंखों में आंसू आ गए।तोता उसकी पैन्ट जो जगह जगह से फट गई थी उस को चाटनें लगाराजन को महसूस हुआ कि वह तोता उस की दयनीय दशा देख कर मायूस हो गया था। ।आज उसे महसूस हुआ कि जीव भी प्राणियों पर अपना प्यार दर्शातें हैं।उसने कभी भी किसी जीव जन्तु को प्यार से कभी नहीं देखा।उसे याद आ गया कि एक दिन एक चिड़िया का बच्चा अपनें घौंसले से नीचे गिरा हुआ था।उस के साथ वाला व्यक्ति बोला देखो भाई इस चिड़िया के बच्चे को चोट लगी है चलो इस को अस्पताल में पहुंचा देतें हैं शायद यह बच जाए।राजन बोला भाई मेरे पास समय नहीं है मैं अगर रुक गया तो मुझे देर हो जाएगी। तुम्हारे पास समय है तो तुम चले जाओ।वह व्यक्ति उस के ट्रक से उतर कर उस चिड़िया के बच्चे को उठा कर ले गया।आज उसे समझ आया कि प्रकृति के जीव जन्तुओं में भी समझ होती है पर वे बोल ही नहीं सकते मूक रह कर भी बहुत कुछ कह जातें हैं। उसकी जेब से पैन नीचे गिर गया था।तोता उसकी जेब में झांकनें लगा।उस की जेब में छोटी सी डायरी और चाकू था। वह दोनों नीचे गिर गए।तोते नें पैन निकाला और पेज पर अपनीं चोंच में पैन पकड़ कर लिखा तुम कौन हो?उसको लिखता देख कर राजन हैरान हो गया। ड्राईवर नें उसे इशारे से बताया कि मैं एक ट्रक ड्राइवर हूं।उसने यह सब बड़ी मुश्किल से लिखा। ट्रक न जानें गिर कर कहां फंस गया।तोता बोला मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक पहुंचाऊंगातुम चिंता मत करो।तुम को खानें के लिए जानवरों का मांस तुम्हें दिलवाता हूं।वह बोला नहीं नहीं आज से कभी भी मांस न खानें का प्रण लेता हूं।आज मैंनै जाना कि जीव जन्तु भी एक दूसरे कि मदद करनें में समर्थ होतें हैं।उनके पास भी इतना प्यारा मन होता है।नहीं मैं आज से ही प्रण लेता हूं कि कभी भी मांसाहारी भोजन नही खाऊंगा।उसने पतो को खा कर अपनी भूख मिटाई।उसे प्यास भी बड़े जोरों की लग रही थी।पानी पानी यह कह कर वह बेहोश हो गया।तोते ने अपनी चोंच से खोद खोद कर पत्थर के नीचे से पानी निकाला।उसने अपनी चोंच से पतों के द्वारा उसे पानी पिलाया। ट्रक ड्राइवर थोड़ा बोलनें में समर्थ हुआ वह बोला तुम मेरे लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं हो।तोता बोला कि मैं इंसानों की भाषा समझता हूं।मैं भी एक व्यक्ति के पास रहता था।मेरा मालिक मुझे बहुत ही प्यार करता था।उस से भी मैनें पढ़ना लिखना सीखा।मेरा दोस्त दूसरे शहर में पढ़ने चला गया तो मैं अकेला पड़ गया।उसके दोस्त नें उस से वायदा किया था कि जब वह औफिसर बन कर आएगा तो वह उसे लेनें आएगा।काफी दिनों तक इन्तजार करनें के पश्चात भी जब वह नहीं आया तो वह उड़ कर जंगल में आ गया।इन जानवरों के बीच में रहनें लगा।तोता बोला ये सब के सब मेरे दोस्त हैं।शेर को मैं मना लूंगा वह तुम्हें नहीं खाएगा।रात को जब राजन सो रहा था तो एक भयंकर सांप अपनें बिल से निकला।डर के मारे राजन कांपनें लगा।सांप नें उसे पांव के अंगूठे में काट खाया।वह सोचनें लगा कि मैं ट्रक से तो बच गया अब तो मैं अवश्य ही मर जाऊंगा।सांप उस को छोड़ कर दूर निकल गया।राजन नें बड़ी मुश्किल से पांव से सरक कर आव देखा न ताव देखा जमीन से चाकू को उठाया और अपने पैर का अंगूठा काट डाला।तोता उड़ता उड़ता आया उसने राजन के पैर के अंगूठे से लहू निकलते देखा उस को पता लग गया था कि सांप नें उसे काट खाया है। राजन धीरे धीरे सरक कर डायरी तक पहूंचा लेकिन उस का हाथ काम नहीं कर रहा था।उस के दिमाग में विचार आया क्यों न दांतों से उस डायरी से पन्ना निकाल लूं।उस ने कोशिश की मगर डायरी दूर जा गिरी उस के दांतों के पास केवल कागज का एक पन्ना ही बचा।तोते नें पन्ना लाल कर उसे थमाया।राजन नें डायरी के पन्ने को दांत से पकड़ कर छोटे से परचे पर लिखा मुझे बचाओ।तोते नें सड़क के समीप कुछ लोगों को टैक्सी से जाते देखा।वे पानी पीनें के लिए नीचे उतरे थे।तोता उड़ कर एक व्यक्ति के कंधे पर बैठ गया।वह फौजी अफसर था।उसने तोते को अपनें कंधे पर बैठनें दिया।तोते नें कागज का पन्ना उस व्यक्ति को दिखाया।औफिसर कर्मवीर नें पढ़ा मुझे बचाओ।मैं झाड़ियों में तीन दिन से फंसा हुआ हूं।मुझे सांप नें भी काट खाया है कृपया नीचे झाड़ियों के पास आ कर मेरी मदद करो।आर्मी औफिसर आसपास कि झाड़ियों में जा कर ढूंढनें ही लगा था कि तोता उड़ कर एक झाड़ी के पास जा कर टैंटैं करनें लगा।आर्मी औफिसर नें दखा नीचे एक बड़ी भारी खाई थी।उस के पास ही नीचे की ओर झाड़ियां थी।तोता उड़ कर उस घायल व्यक्ति के पास बैठ गया। आर्मी औफिसर नें टैलिफोन कर के सहायता के लिए लोगों को बुलवाया।बड़ी मुश्किल से उस ट्रक ड्राइवर को बाहर निकाला।उसे अस्पताल पहुंचाया।इतने सारे वक्त में वह तोता भी उसके साथ ही था। आर्मी औफिसर नें सोचा यह तोता शायद इसका पालतू हो।जहांजहा वह औफिसर जाता तोता उसके साथ जाता।डाक्टर नें कहा कि थोड़ा भी समय ज्यादा हो जाता उसका बचना मुश्किल था।यह पता नहीं कौन है? तोता उस अजनबी की नीचे पड़ी डायरी पर मंडरानें लगा।वह जब बार बार उस डायरी के आसपास चक्कर काटनें लगा तब आर्मी आफिसर को शक हुआ हो न हो वह तोता उस से अवश्य कुछ कहना चाहता है।अचानक उस आर्मी आफिसर की नजर उस डायरी पर पड़ी उस ने डायरी को उठाया उस पर ट्रक ड्राइवर का नाम पता लिखा था। उस औफिसर को राजन के घर का पता उस डायरी से मालूम हो चुका था। आर्मी आफिसर को विश्वास हो गया कि उस तोते के साथ उस ट्रक ड्राईवर का कंही न कहीं सम्बन्ध तो अवश्य है राजन की पत्नी के घर का पता मालूम होने पर आर्मी आफिसर ने उस ट्रक ड्राइवर के घर पहुंच दरवाजा खटखटाया।अन्दर से एक नौजवान बाहर निकला।उसको देख कर तोता उस के पास जा कर टैंटैं करनें लगा।अपनें मालिक को पहचान कर खुशी से नाचनें लगा।उसको इस प्रकार देख कर आर्मी औफिसर हतप्रभ रह गया।राघव अपनी बहन के बुलाने पर उसके घर आता था।उसके बोलनें से पहले ही आर्मी औफिसर समझ गया था कि इस तोते से इसका अवश्य ही कोई गहरा नाता है। आर्मी औफिसर नें आन्नदी से बातों ही बातों में राजन के बारे में पूछा। जानकारी मिलनें पर औफिसर कर्मवीर ने आन्नदी को बताया तुम्हारे पति सिविल अस्पताल में भर्ती हैं। उन का ट्रक दुर्घटना ग्रस्त हो गया था।हमनें बड़ी मुश्किल से उन्हें बाहर निकाला।इस तोते नेंअगर उनका सन्देश हमें पहुंचाया न होता तो ये बच नहीं सकते थे।राघव अपने तोते से मिल कर उसे गले लगा रोते रोते बोला मैंनें तुम्हे नहीं छोड़ा था। मैनें सोचा था कि मैं शहर में जाकर अपने लिए घर का प्रबन्ध कर आता हूं।तुम्हें लौट कर लें जाऊंगा।जब मैं वापिस आया तो तुम जा चुके थे। तुम्हें न पा कर मन बहुत दुःखी। हुआ।आज तुम्हें पा कर मैं बहुत खुश हूं।तुम नें मेरे जीजा जी की जान बचा कर और उनको सही सलामत सुरक्षित मौत के मुंह से बाहर निकाला है इसके लिए मैं जीवन भर तुम्हारा ऋणी रहूंगा।अस्पताल पहुंच कर आन्नदी नें अपने पति को होश में आता देख बहुत ही खुश हुई।वह तोते से बोली आज से तुम भी मेरे भाई हुए।यह कह कर उसने तोते को नाम दिया। बोली आज से मैं तुम्हें रज्जू कह कर बुलाऊंगी।मेरे अब दो भाई हो गए।राजन बोला तुम हमेशा से ठीक ही कहती थी।आज जब अपनें पर बीती तब पता चला कि दूसरे का दर्द क्या होता है।आज से पहले मैं प्रकृति के सभी जीव जन्तुओं को तुच्छ समझता था।आज उनके बीच में रह कर जाना कि जीव जन्तु तो इंसानों से भी ज्यादा समझ दार होतें हैं।वे भी पीड़ा,दर्द को समझतें हैं लेकिन मुंह से कुछ कह नहीं सकते।उनकी मूक जुबान सब कुछ समझती है।तुम मुझे कहती थी कि मांस खाना छोड़ दो मैंनें कसम खाई है कि मैं जिंदगी में कभी भी मांस नहीं खाऊंगा। शाकाहारी भोजन सेहत के लिए लाभकारी होता है।तोते कि और मुड़ कर बोला तुझे तेरे मालिक तक पहुंचा कर ही रहूंगा मैं आजीवन भर तुम्हारा ऋणी रहूंगा।राजू बोला जीजा जी यही तो मेरा दोस्त तोता है जिस को देते समय आप नें मां से कहा था कि तोते को रखेगा या पढ़ाई करेगा।मैं शहर में इसे अकेला छोड़ कर चला गया था।वह मेरी बांट ढूडते ढूंढते कितनी बार घर भी आया मगर हर बार निराश हो कर वापिस चला गया।राजन बोला हम लोग जीव-जंतुओं को देख कर भी अनदेखा कर देतें हैं यह नहीं समझते कि इन में भी इंसानों कि तरह प्रेम मोहब्बत होती है।उन पर पत्थर मार कर उन्हें भगा देतें हैं लेकिन यह सही नहीं।सभी प्राणियों को यह बोध हो जाए तो लोग दुसरों को सताना भी छोड़ देंगें।राजन नें लटक कर रज्जू को अपने हाथ पर लिया बोला आज से यह घर भी तेरा है।जहां रहना हो आजादी से रह सकते हो।दोस्त मुझे मौफ कर दो।आज मैं मन से सभी लोगों से मौफी मांगना चाहता हूं जो मेरे सम्पर्क में हर रोज आते थे और आएंगें।बाहर लोगों कि भीड़ खड़ा देख कर उन से क्षमा याचना करते हुए बहुत ही हल्का महसूस हो रहा था।उस के मन से सारा गर्व चूर चूर हो चुका था। वह नेक इंसान बन चुका था।
नया जन्म
रुपाली एक मध्यमवर्गीय मां बाप की बेटी थी। उसने अपनें माता पिता की इच्छा के विरुद्ध अपनें ही कौलिज के एक लड़के को अपना योग्य वर चुना। उसके माता-पिता इस शादी के बहुत खिलाफ थे। इसलिए नहीं कि वह उनकी बिरादरी का नहीं था बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें उस लड़के का चाल चलन और स्वभाव पसंद नहीं था। रूपाली ने प्यार में पड़कर अपने माता-पिता का साथ छोड़ रईस सेठ के बेटे के साथ शादी कर ली। रुपाली के माता पिता ने अपनी बेटी को बहुत समझाया पर उसने उनकी एक न सुनी। अपने माता-पिता से सारे रिश्ते तोड़ कर वह अपने पति के साथ दूसरे शहर मे आ कर रहने लगी थी।
उसके पति को छोटे मोटे व्यापार के सिलसिले में अक्सर बाहर जाना पड़ता था। कुछ बुरे दोस्तों का संग करनें लगा। उसे शराब की लत लग गई।
रूपाली छोटे-मोटे लोगों से बात करना पसंद नहीं करती थी वह हमेशा अपनी ही अकड़ में रहती थी। वह अपनी 4 साल की छोटी सी कनिका को भी अपने जैसा ही बनाना चाहती थी। उसे कनिका का अपनी से छोटे तबके के बच्चों के साथ खेलकूद करना बातें करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था।
उसके घर से थोड़ी ही दूरी पर एक छोटी सी झोंपड़ी थी जिसमें रुचि अपनी बेटी टीना के साथ रहती थी। टीना कनिका की हमउम्र थी। उसकी मां बहुत ही मेहनती और नेक महिला थी। उसने पाई पाई जोड़ कर एक छोटी सी झोंपड़ी बनाई थी।
रुचि अपनी बेटी की खातिर संघर्ष करने के लिए तैयार थी। वह अपने मन में सोचा करती थी कि मेरी बेटी पढ़ लिखकर बहुत बड़ी इंसान बने। उसे किसी भी चीज की तंगी नहीं होने देगी ।स्वयं भूखे रहकर वह अपनी बेटी को अच्छी से अच्छी शिक्षा देगी।
जब भी रुपाली वहां से जाती तो उसको देख कर नन्ही सी टीना मुस्कुराती और अपने हाथों से हाथ जोड़कर उसे नमस्ते कहती। रुपाली इतनी घमंडी थी कि वह उस छोटी सी बच्ची के अभिवादन को ठूकरा दिया करती थी। उस की तरफ देख कर अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया करती थी। रुपाली अपनी बेटी को कहा करती थी कि छोटे लोगों के साथ दोस्ती नहीं रखनी चाहिए।ये कितने गंदे कपड़े पहनते हैं? साफ सफाई भी नहीं रखते। तुम उनके साथ मत खेला कर।क् छोटी सी कनिका टीना से बात भी नहीं करती थी। वह अपनी सहेलियों के साथ ही खेला करती थी।
रूपाली को जब कोई नौकर काम पर नहीं मिला तो उसने रुची को कहा कि तुम मेरे घर पर सफाई कर दिया करो तो मैं तुम्हें अच्छी रकम दूंगी। रुची उसके घर में साफ सफाई करने लगी। एक दिन रुपाली ,रुची को कहने लगी कि यह साथ वाली जगह हमें दे दे। तू कहीं और जाकर रह ले। मैं दुगुनी कीमत पर यह जगह खरीदना चाहती हूं। रुचि कहनें लगी कि बीवी जी मैं मर जाऊंगी मगर अपनी जगह किसी भी कीमत में नहीं दूंगी। मेरा और मेरी बेटी का यही एक छोटा सा घर संसार है । मैनें अपनी जिंदगी का लम्बा सफर यहीं से शुरू किया। अपनी बेटी को शिक्षा देने के काबिल बनाया । हम गरीबों की झोपड़ी का मोल आप लोग क्या जाने? रूपाली ने कई बार रुची की झोंपड़ी को तुड़वाने के की कोशिश की मगर रुचि की हिम्मत के आगे कुछ भी ना कर सकी।
इसी कारण वह उस के साथ बात नहीं करती थी। उसे रूचि का काम करना भी पसंद नहीं आता था कोई भी उसके पास काम करना पसंद नहीं करता था इस कारण उस को काम पर रखनें से मना नहीं कर सकती थी। वह उसकी बेटी को स्कूल से भी ले आती थी। टीना आओर कनिका दोनों एक ही विद्यालय को पढ़ाई करना अच्छा नहीं लगता था। वह सारे दिन खेल में समय नष्ट कर दिया करती थी।
टीना कक्षा में सबसे आगे रहती थी । एक दिन कक्षा में कनिका ड्राइंग बना रही थी। मैडम ने तीन बार कनिका का नाम पुकारा मगर कनिका नें मैडम की बात का जवाब नहीं दिया। मैडम कनिका की सीट पर पहुंचने ही वाली थी कि टीना नें उसकी ड्राइंग वाली नोटबुक जल्दी से उठाकर अपनें बैन्च पर रख दी। कनिका ने देखा कि टीना ने उसे आज बचा लिया था। मैडम उसके बस्ते की तरफ देख कर वापिस अपनी सीट पर चली गई थी। कनिका कुछ बोली नहीं। आज कनिका को तो टीना पर गुस्सा नहीं बल्कि उस से बातें करने को मन कर रहा था । एक वही लड़की थी जो उसकी भावना को समझती है। क्या हुआ इस के कपड़े गंदे हैं। कोई बात नहीं, यह दिल की बहुत अच्छी है। धीरे-धीरे कनिका टीना के साथ घुलमिल गई ।अपनी मां की आंख बचा बचा कर चुपचाप उसके साथ खेला करती थी।
रूपाली का पति शराब पीता था अपने रुपाली को कभी नहीं बताया था कि वह बुरी संगत में पड़ गया है। कई बार रूपाली ने अपने पति को समझाया मगर उसने शराब पीना नहीं छोड़ा। शराब का ठेका भी उसने खोला हुआ था। व्यापार उस में भी उसे नुकसान ही हुआ। रूपाली को अपना मकान भी गिरवी रखना पड़ा ।उसके पास अब रहने के लिए घर भी नहीं था। उसकी मदद को कोई आगे नहीं आया।उसका बर्ताव भी दूसरे लोगों के साथ अच्छा नहीं था। तीन-चार दिन तक जैसे तैसे कर के उसनें जो कुछ उस के पास रुपये बचे थे उस से होटल में रहकर रात गुजारी । उसके पास अब रुपए भी खत्म हो गए थे । किसी ने भी उसे आसरा नहीं दिया।
रुचीका अपनी बेटी को लेकर बाजार से जा रही थी कि उसकी नजर रुपाली पर पड़ी । उसने कुछ दिन पहले ही रुचि को काम से निकाल दिया था। रुची नें जब रुपाली की ऐसी हालत देखी तो वह उस से बोली बहन आप इधर-उधर मत भटको ।आपको अगर कोई तकलीफ ना हो तो आप मेरे घर में कुछ दिन आराम से रह सकती हैं। जब तक आपका कोई ठौर ठिकाना नहीं मिलता तो आप मेरे यहां रह कर काम कि तलाश करती रहें।।आप तो बहुत पढ़ी लिखी है जल्दी ही आप को कोई न कोई काम मिल जाएगा।
रुपाली सोचनें लगी थी ठीक ही तो कह रही है जब तक उसे आसरा नहीं मिलता उस के पास ही रह लिया जाए।किस मुंह से उस से हां कहूं।मैनें भी तो अपनी हेकडी में रह कर उस से कभी सीधे मुंह बात नहीं की।जब इन्सान के बुरे दिन आतें हैं तो उस का कोई साथ नहीं देता। मैंनें भी घम्मड में चूर हो कर गांव के लोगों के साथ ठीक बर्ताव नहीं किया।उन्हें अपना दुश्मन ही जाना।
आज किस्मत मुझे फिर से उस के पास खींच कर लें आई है जिस से वह सब से ज्यादा घृणा करती थी। इसलिए कि वह बेचारी गरीब है।उस की झोंपड़ी का भी कई बार सौदा करना चाहा मगर उस गरीब का कुछ भी न बिगाड़ पाई।आज वही उस से अपना पन दिखला कर उस को अच्छा मश्वरा दे रही है। तीन दिन हो गए हैं यूं ही उसे घूमते घूमते। कोई काम नहीं मिला।करें भी तो क्या करें? जाए तो कहां जाए।अपनें पति को कैसे जेल से छुड़ाएगी? मेरे पति ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा।
अपने माता-पिता के पास भी नहीं जा सकती वह भी बहुत ही दूर शहर में रहते हैं। उन्होंने ठीक ही कहा था कि बिना सोचे समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। मैंने तो कर्ण के लिए अपने माता पिता को छोड़ दिया। माता-पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ना जाने क्या-क्या करते हैं और हम बच्चे उनकी आशाओं का गला घोट देते हैं। मैंने उनकी बात मानी होती तो आज मुझे यह कदम नहीं उठाना पड़ता। आज अपनी बेटी को लेकर कहां जाऊं ।मैंने आज तक किसी से सीधे मुंह बात भी नहीं कि इंसान को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। एकदम आज मेरी हालत ऐसी हो गई है जिस की झोपड़ी को मैं हडपना चाहती थी आज वही रूचि मेरे काम आई। वह तो आज मेरे लिए एक मसीहा बनकर आई है।
कनिका को बुखार आ चुका था ।वह वर्षा में काफी भीग चुकी थी। रुचि उसे अपनी झोपड़ी में ले जाकर बोली की कनिका को बुखार आ गया है जल्दी से इसके कपड़े बदला दो ।यहां टीना की फ्रॉक है। यह है तो पुरानी है पर धुली हुई है। रुपाली ने जल्दी से टीना की फ्रॉक उसे पहना दी आज उसे महसूस नहीं हो रहा था कि वह किस स्तर की है? तब तक रूचि चाय लेकर आ गई थी वह बोली बीवी जी आप भी कपड़े बदल लो आपकी साड़ी सारी गीली हो गई है ।मैं आपको अपनी शौल लाती हूं । आप कुछ देर मेरी शौल ओढ लो जल्दी ही आपकी साड़ी सूख जाएगी तब तक आप यह सूट पहल लो। आज उसे जरा भी महसूस नहीं हो रहा था कि रुची उसके स्तर की नहीं है। टीना को ले कर अपने आप नीचे जमीन पर सो गई। कन्नू और उसकी मां को उसनें अपनी चारपाई दे दी। आज रूपाली सच्चाई से अवगत हो चुकी थी।उस की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे।रुपाली नें रुचि को कहा कि मैं अपने भाई को फोन मिलाती हूं ।उसने अपनी सारी कहानी रुचि को सुना दी।
रूची बोली की बहन मां बाप तो गुस्से में ना जाने अपने बच्चों को क्या-क्या बोल देते हैं? आपने अपने मां बाप का दिल दुखाया है। आप उन्हें सच सच बता दे। माता-पिता अपने बच्चों की खातिर क्या-क्या नहीं करते? आज आपको पता चला। आप अपनी बेटी की खातिर सब काम करने को तैयार हो गई।रुपाली की आंखों में आंसू आ गए।रूची नें अपनी गुल्लक तोड़ी और कहा बहन इस में थोड़ा थोड़ा कर के कुछ रुपये जमा किए हैं शायद आप को मुझ से ज्यादा आप को इन की जरुरत है।उसने अपनी सोनें की चेन जो उसनें पिछले साल अपनी बेटी के लिए बनवाई थी रुपाली को कहा बहन इस को बेच कर उस से कुछ काम बनता है तो आप अपने पति को जेल से छुड़वा कर लाओ।जब तक आप के पास रहने का बंदोबस्त नहीं है आप खुशी से मेरे यहां रह सकती हैं। आप अपनें भाई को भी फोन मिलाओ।
रुपाली नें अपने भाई को फोन मिलाया। उसके भाई ने कहा कि बहन तेरे साथ इतना सब कुछ हो गया तूने पहले हमें क्यों खबर नहीं की। वह बोली भाई अब मुझे समझ आ गया है। मैं आप सब से माफी मांगना चाहती हूं। उसकी मां बोली बेटा तू जल्दी ही वापिस घर आ जा।रुपाली बोली मुझे कुछ रुपए इस पते पर भिजवा दें। उसने गांव का पता दे दिया अपनी मां को बोली कि मैं अपने पैरों पर खड़ा होकर कुछ बन कर ही वापिस आपके पास आऊंगी ।
रुपाली को उसके भाई ने ₹1,000,00 की राशि भिजवा दी। उसने रुचि को ₹50,000 देकर कहा कि बहन आप इस से अपना घर बना लो। तुमने मुसीबत के समय मेरी सहायता की। एक अच्छी बहन का किरदार निभा कर मुझे समझाया।मैं भटक चुकी थी। रुचिका बोली मैं ये राशि नहीं ले सकती मुसीबत के समय अपने दोस्त का साथ देना तो मेरा फर्ज था । रूपाली ने रुचिका से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगी और कहा कि तुम्हें झोपड़ी खाली करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
मैं अपनें पांव पर खड़ी हो कर अपना तथा अपनी बेटी का लालन पालन करुंगी ।तुम भी मेरे व्यवसाय में मेरा हाथ बंटाना।आज से ही मैं हर गांव वालों से अपने बुरे व्यवहार के लिए क्षमा मांगूंगी।आज ही तो मेरा नया जन्म हुआ है।आज से मैं स्वार्थी नहीं परमार्थी कहलाऊंगी।तुम्हारी सीख नें ही मुझ में बदलाव लाया है।उस दिन के बाद रुपाली सचमुच आदर्श गुणों वाली बन गई।उस नें अपनें पति को भी जेल से छुड़वा दिया और उस से कहा कि अगर तुम नें शराब को हाथ भी लगाया तो वह अपनी बेटी को ले कर सदा सदा के लिए इस गांव को छोड़ कर चली जाएगी।
कुछ दिनों की कोशिश से कर्ण भी बदल गया ।उस नें शराब पीना सदा के लिए छोड़ दिया।वह भी व्यापार में अपनी पत्नी का हाथ बंटाने लगा।
मधुमक्खी और तितली की दोस्ती
मधुमक्खी और तितली की है यह कहानी।
एक थी सुंदर एक थी स्वाभिमानी।।
एक पेड़ पर मधुमक्खी और तितली साथ साथ थी रहती।
दोनों साथ साथ रहकर सदा थी मुस्कुराती रहती।।
साथ साथ रहने पर भोजन की तलाश में थी जाती ।
शाम को अपने पेड़ पर इकट्ठे थी वापिस आती।।
अपने बच्चों के संग रहकर अपना समय थी बिताती।
एक दूसरे के सुख-दुख में सदा साथ थी निभाती।।
बरसात ने एक बार अपना कहर बरसाया।
सारे नदी नालों में था पानी भर आया।।
तितली को उदास देखकर मधुमक्खी बोली इतने सुहावने मौसम में तुम्हारे मुखड़े पर ये कैसी उदासी छाई?
तुम पर ऐसी कौन सी विपदा आई ?
यूं उदास रहकर किसी भी समस्या का हल नहीं होता।
समस्याओं में भी जो खिल कर मुस्कुराए वही तो मुकद्दर का सिकंदर है होता।।
तितली बोली:— इस मौसम में भोजन सामग्री कहां से जुटाऊंगी?
इस तरह पानी बरसता रहा तो बच्चों को क्या खिलाऊंगी?
इस मौसम में भोजन लेने बाहर जा नहीं सकती ।
बच्चों को भूखा रखकर चैन की नींद सो नहीं सकती।।
सुहावने मौसम से कहीं ज्यादा भूख है प्यारी ।
भोजन न जुटा पाई तो करनी पड़ेगी मौत की तैयारी।।
मधुमक्खी बोली:– तुमने भोजन सामग्री को पहले क्यों नहीं जुटाया?
आलस में अपना समय यूं क्यों गंवाया?
कल पर विचार न करनें वाले यूं ही निराश रहते हैं ।
यूं ही घुट घुट कर निराशा में हमेंशा हताश रहतें हैं।।
पहले से बचत करने वाले जीवन भर मुस्कुराते हैं।
अपनें बच्चों संग खुशी-खुशी खिलखिलातें हैं।।
आज तो मैं तुम्हारी मदद कर पाऊंगी ।
तुम्हें आवश्यक सामग्री दिलवाकर तुम्हारे बच्चों की जान बचाऊंगी।।
आलस करने वाले जीवन भर यूं ही पछताते हैं।
परेशान रह कर अपनें परिवार के लिए भी विपदा लातें हैं।।
कमाई में से कुछ ना कुछ तो बचाना चाहिए।
सही समय पर उसका उपयोग कर जीवन में किसी के आगे यूं हाथ फैलाना नहीं चाहिए।।
प्रथम पाठशाला परिवार
सबसे बड़ा विद्यालय है परिवार हमारा ।
परिवार के सदस्य शिक्षक बनकर संवारतें हैं भविष्य हमारा
जिंदगी की पाठशाला में माता शिक्षक है बन जाती ।
प्यार दुलार व डांट फटकार लगाकर हर बात है समझाती ।।
जिम्मेदारी का अहसास ,अनुशासन का पाठ, सम्मान का पाठ भी है सिखलाती।
गुरु व माता बनकर अच्छे संस्कारों को रोपित कर सभ्य इंसान है बनाती ।।
स्नेह मयी वात्सल्य की छत्र छाया में बच्चे नैतिकता के गुणों का विकास हैं कर पातें ।
मान-मर्यादा और आदर का भाव विकसित कर ,दूसरों को सही दिशा हैं दिखाते ।।
मां बच्चों को अच्छी आदतों का अनुसरण करना है सिखाती,
उनके चरित्र का विकास कर उनका भविष्य उज्जवल है बनाती ।।
स्वयं काम करने की आदत है डलवाती ।।
ईमानदारी से काम करना और संघर्षमय जीवन जीना भी है सिखाती।
कर्तव्य पालन बोध का ज्ञान भी उन्हें हैं करवाती ।।
उनके गुणों-अवगुणों को अपना कर बच्चे जीवन में उनकी खुशियों को हैं महकातें ।
परमार्थ और स्वाबलंबी नागरिक बनना भी माता-पिता हैं सिखातें ।।
मुसीबत के समय एक दूसरे का साथ निभाना भी वह सिखाते।
बच्चों को क्या झूठ क्या सच क्या है उसका अन्तर भी वह हैं बतलाते।।
सुसंस्कार वाले बच्चे सभ्य नागरिक बन हैं बन जाते।
कुसंस्कारी जीवन की दौड़ में कभी आगे नहीं बढ़ पातें ।।
जीवन पथ में हताश हो कर सारी उम्र पछताते ही रह जातें।।
बुजुर्ग बच्चों को धार्मिक ग्रन्थों की जानकारियां उन्हें हैं सुनातें।
बड़े-बड़े महान पुरुषों के पदचिन्हों पर चलना उन्हें हैं सिखाते।
उन ही के जैसा महान कार्य करनें की उमंग उन में हैं जगातें ।
बच्चों में स्पर्धा की भावना को भी हैं जगाते ।।
आपस में मिल जुल कर रहना और मिल बांट कर खाना उन्हें हैं सिखाते
विपरीत परिस्थितियों में अपने बचाव और मदद हासिल करनें की सीख हैं सिखातें।।
लक्ष्य के प्रति समर्पण का भाव जागृत हैं करवातें।
अच्छाई और आत्मविश्वास के साथ काम करनें का हौंसला उन्हें हैं दिलवातें ।
माता पिता की सीख बच्चे की दुनिया है बदल देती ।
कठिन संघर्षों पर चल कर उन्हें शानदार जीत है दिलवाती ।
माता पिता के आदर्शों का पालन करना उन्हें हैं सिखाती
उनके व्यक्तित्व को निखार कर उनका सुनहरा भविष्य है बनाती।।