प्रातः कालीन भ्रमण(कविता)

प्रातकाल व्यायाम करने की आदत डालो।

तीन चार चक्कर अपने घर की फुलवारी के लगा डालो।  

प्रातः भ्रमण आलस्य को है दूर भगाता।

चुस्त्ती फुर्ती और ताजगी  को है  बढाता।।

शौच आदि नित्य कर्मों से निवृत होकर सैर को जाओ।

अपनी स्मरण शक्ति को बढ़ाकर कार्य क्षमता को बढाओ।।

स्वच्छ हवा में टहलनें की आदत डालो। बिमारीओं से छुटकारा पा कर आयु में वृद्धि कर डालो।।

प्रातः भ्रमण से मस्तिष्क में अच्छे विचार हैं पनपते।

हम हर काम को सुव्यवस्थित ढंग से है कर पाते।।

सुबह नाश्ते में  ताजे   फल ही खाएं।

फल खा कर त्वचा में निखार लाएं।।

प्रातः काल भ्रमण है बहुत ही संजीदा।

व्यक्ति को बनाए सुडौल और गठीला।।

हॉस्टल और कॉलिज की मधुर यादें

दसवीं की परीक्षा के बाद परिणाम निकलने की उत्सुकता हरदम बनी रहती थी। इस बार अच्छे अंक आए  तो ममी- पापा मुझे कॉलिज और हौस्टल में प्रवेश दिलाना चाहते थे। अपने मन    में   हौस्टल का सपना  संजोए जल्दी से परिणाम निकलनें का इन्तजार करनें लगी। मुझे पता ही था कि  मैं अच्छे अंक ले कर   उतीर्ण हो जाऊंगी। लेकिन एक अजीब सी खुशी और थोड़ा सा भय  भी छाया हुआ था। मन में ना जाने  हॉस्टल के बारे में बहुत कुछ अपने सहपाठियों से सुनने को मिला था।  उन्होंनें रैगिंग से डराया हुआ था। कॉलेज में प्रवेश करने पर रैगिंगका डर और  यह हॉस्टल क्या होता है? यह शब्द केवल सुना था। यह कुछ भी मालूम नहीं था कि हॉस्टल कैसा होता होगा? यह रैगिंग क्या होती है? कॉलेज का डर भी कॉलेज  के बारे में जो कुछ सुनने को मिला था उससे तो कॉलेज जाने को मन ही नहीं करता था।

हमारे समय में दसवीं के बाद कॉलेज में ही प्रवेश लेना पड़ता था। आजकल तो समय बदल चुका है। बारहवीं की परीक्षापरीक्षा के बाद ही कॉलेज में जाने को मिलता है।  अचानक वह दिन भी आ गया जब दसवीं की परीक्षा  उतीर्ण कर कॉलेज में प्रवेश ले लिया। वहीं पर हॉस्टल में दाखिला करवा लिया। मम्मी पापा हॉस्टल छोड़ने आए। वहां पर पहुंचकर खुशी भी हुई। वहां पर  पहले से ही लड़कियों का झुंड लौन में इंतजार कर रहा था। कुछ लड़कियों ने मम्मी पापा को नमस्ते कर अभिवादन किया। लड़कियों ने कहा नीचे हॉस्टल वार्डन का कमरा है। वहां पर जाकर उनसे मिल लो।। हॉस्टल में मुझे प्रवेश मिल चुका था। माता-पिता ने जैसे ही कहा कि बेटा हम अब अपने घर वापस जा रहे हैं तो मैंने मां का हाथ कस कर पकड़ लिया। मां पिता से कभी भी अलग नहीं रहे थे। उनका हाथ पकड़ कर कहा मुझे नहीं पढ़ना है यहां। मैं भी आपके साथ वापिस जाना चाहती हूं। सारी की सारी लड़कियां मुझे देख कर हंसने लगी बोली रोते नहीं। उन्होंने मेरा हाथ मां के आंचल से छुड़ाया और कहा कि आप जाओ सब कुछ ठीक हो जाएगा। मां पिता के जाते ही मुझे रोना आ गया। वे मुझेकहां अकेला  छोड़कर वापस घर चले गए। हॉस्टल में दो दो लड़कियों कोो एक रूम दिया गया। सुबह 5:00 बजे चाय की घंटी बजी। सुबह उठने का मन ही नहीं किया। थोड़ी आलस करने के पश्चात उठकर चाय पीने का इंतजार करने लगी। एक लड़की आकर बोली तुम चाय का इंतजार कर रही हो।चाए अब नहीं मिलेगी। यहां पर समय पर ही सब कुछ मिलता है। 5:00  बजे सुबह के वक्त प्रार्थना होती है। जो बच्चा प्रार्थना में नहीं जाता उसे चाय भी नसीब नहीं होती। उस दिन बिना चाय पिए  ही मैं कॉलेज जाने लगी। खाने की घंटी भी बजी।। इस बार मुझे पता चल चुका था कि खाने की मेज पर समय पर नहीं पहुंचे तो खाना भी नसीब नहीं होगा जल्दी जल्दी मेज पर खाने का इंतजार करने लगी। अचानक सीनियर लड़कियां आकर बोली  सारी नई आई लड़कियां खड़ी हो जाएं। पहले सीनियर को विश करो। जब तक तुम सीनियर को विश नहीं करोगे तब तक मेज के सामने खड़ी रहो। सारी सीनियर  लड़कियां खाना खाने लगी। थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा कि आज हम तुम्हें पहले ही समझा देते हैं  तुम्हें तब तक नहीं बैठना है जब तक सारी की सारी सीनी लड़कियां बैठ नहीं जाती। एक लडकी ने ं उनकी बात नहीं मानी और न ही उनको प्रणाम कहा। वह लड़की जब खाना खानें बैठी तो उसकी थाली में बहुत सारी मिर्ची डाल दी। वह लडकी बहुत ही ढीठ थी उसनें उन की बात नहीं मानी।  सारी लडकियों नें उस से किनारा कर लिया। मन में हॉस्टल के प्रति इतनी कड़वाहट भर गई यह कैसा हॉस्टल है? यहां पर  तो सीनियर लडकियां हम पर रोब झाड़ कर  हमें सूख कर कांटा बना देगी। हम तो सुख सुख कर कांटा हो जाएंगे। जैसे तैसे अपने आप को संभाला। दूसरे दिन सहेलियों के साथ कॉलेज में कॉलेज में गई। कॉलिज में भी कुछ नया नया सा था। जैसे ही पहला कालांश लगा हम भाग  कर कक्षा में चले गए। कॉलेज में मैडम आकर हाजिरी लगाने लगी। काफी विद्यार्थी कक्षा में नहीं आए थे। आधे से ज्यादा बच्चे एक दूसरे की हाजिरी लगा रहे थे।

एक लड़की मेरे पास आकर बोली मेरी  प्रौक्षी लगा देना। मुझे तो प्रौक्षी शब्द का मतलब भी मालूम नहीं था। थोड़ी देर बाद समझ आया की प्रौक्षी  उपस्थिति को कहते हैं। अंग्रेजी के सर तो सब कुछ अंग्रेजी में भाषण देकर कुछ गिटार पीटर कर चले गए। जितनी भी कक्षा में  लेक्चरर आए  सब कुछ अंग्रेजी में बोलते चले गए। हम नई आई हुई लड़कियां उनके चेहरे की ओर देखने लगी। हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। यह सब क्या पढ़ा रहे हैं? अपने मन में हीन भावना पैदा हो रही थी। क्योंकि हिंदी मीडियम में पड़े हुए बच्चों को जो कुछ भी शुरू में सिखाया जाता वह कभी भी किसी के पल्ले नहीं पड़ता था। अचानक मैंने अपनी एक सहेली से पूछा क्या तुम्हें कुछ समझ आया? वह कहने लगी नहीं, तब कहीं जाकर दिल को तसल्ली हुई कि मैं ही अकेली नहीं हूं जिसे कुछ समझ नहीं आ रहा। धीरे-धीरे अंग्रेजी के  लेक्चर समझ में आने लगे। हॉस्टल में आने पर सीनियर का डर सताता रहता था। ना जाने आज क्या कह दे?

एक दिन सारी लड़कियों ने रैगिंग लेने के लिए सबको एक कमरे में इकट्ठा कर दिया। सब से कुछ ना कुछ करने के लिए कहा। जो कुछ किसी को आता था। वह लड़कियों ने हमसे करवाया। एक लड़की बहुत ही अकड़ू थी वह कहनें लगी मैं क्यों आप लोगों को गाना सुनाऊं। पहल सीनियर लडकियों नें उस लड़की को कहा तुम्हारा नाम क्या है? वह बोली मेरा नाम  मीरा है। एक सीनियर लड़की उठकर बोली वही मीरा तो नहीं जो कृष्ण की दीवानी बन गई थी। अपनी इतनी बेइज्जती को वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। वह फूट फूट कर रोनें लगी। धीरे-धीरे सभी लड़कियों कुछ दिनों बाद आपस में इतना घुलमिल गई कि एक दूसरे को देखे बिना खाना भी हजम नहीं होता था। जिस हौस्टल शब्द को सुनकर नफरत सी होती थी वह हॉस्टल अब अच्छा लगने लगा।।

हॉस्टल वार्डन भी बहुत  नेक  इन्सान थी। वह बाहर से बहुत सख्त मगर अन्दर से    दिल की बहुत ही अच्छी थी। बिना अभिभावकों की आज्ञा बिना कहीं भी जाने की अनुमति नहीं थी। शनिवार को शॉपिंग  दो घंटे  ही जाने दिया जाता था। उसके बाद समय पर ही हॉस्टल पहुंचना पड़ता था। लड़कियां हॉस्टल में ही रहकर परीक्षा की तैयारी करती थी। महीने में एक बार फिल्म देखने जाने दिया जाता था। हॉस्टल में कुछ एक लड़कियां  एसी थी जो फिल्म देखने की शॉकिन थी।   मैडम दो फिल्में देखने की अनुमति तो दे दे तो अच्छा हो आएगा। मैडम  तो वायदे की बहुत ही पक्की थी।  एक बार  जो कह दिया  वह पत्थर की लकीर होता था। कोई लड़की अगर नियम का उल्लंघन करती थी तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दिया करती थी। मैडम सुबह की प्रार्थना में सब लड़कियों को कहती थी कि जल्दी उठा करो। जो जल्दी नहीं उठेगा उसे चाय मत देना। नियम का उल्लंघन करने वालों को सजा दी जाती थी। एक दिन हॉस्टल वार्डन  अपने किसी रिश्तेदार से मिलने चंडीगढ़ चली गई। लडकियों नें उनके जाते ही फिल्म देखनें का प्रोग्राम बना लिया। आज तो उन्हें फिल्म देखनें को मिल ही जाएगी। जल्दी ही हॉस्टल के खानाबनाने वाले भैया को कहा आपने हम सब की फिल्म की टिकटें लो। आप हमारे साथ चलो। आप  ही हमारे साथ फिल्म देखने  चलो।  पिक्चर हॉल में जब बैठकर सभी फिल्म का आनंद ले रहे थे तभी एक लड़की की नजर हॉस्टल वार्डन पड़ी। हॉस्टल वार्डन अपने किसी परिचित के साथ फिल्म देखने आई थी। मैडम नें यहसब देख लिया था। फिल्म देखना तो दूर की बात थी  उस वक्त ऐसा महसूस हो रहा था कब जैसे हॉस्टल पंहूंचे। आधी फिल्म ही देख कर वापिस आ गए। मैडम जब हॉस्टल्आई  आग बबूला हो कर बोली तुम मेरी अनुमति लिए बगैर ही फिल्म देखने चली गई। और खाना बनाने  वाले भैया को भी डांट लगाई। सारा दिन  हमें खड़ा रखा फिर  थोड़ा नर्म हो कर बोली। इतनी सी सजा से काम नहीं चलेगा। तुम्हारी तीन महीने तक की शॉपिंग बाद। हमें तीन महीने तक शॉपिंग नहीं जाने दिया गया। जो कुछ भी सामान मंगवाना होता था हॉस्टल के  चपरासी से मंगवा लेते थे। वही सारा सामान लेकर आता था। उस दिन के बाद हमें सबक मिल गया था। आज भी मैडम की सीख याद आती है। मैडम ठीक ही कहती थी।

मैडम जब  एक राउन्ड लगानें   आती देखूं लडकियां पढाई भी कर रही हैं या नहीं तो कुछ लड़कियां तो पढ़ रही होती। कुछ लड़कियां एक दूसरे के कमरे में होती। जैसे ही  उन्हें पता चलता कि  मैडम राउन्ड लगानें आई हैं तो जो लडकियां एक दूसरे के कमरे में होती वह कोई तो कुर्सी के नीचे छिप जाती कोई पंलग के नीचे।  हॉस्टल  के सामने एक अमरूद का पेड़ था। जिस पर लड़कियां  चढा करती थी  मैडम के आते ही चुपचाप लड़कियां  पेड़ से नीचे उतर जाती  थीं एक लड़की इशारा करके बताती थी कि पेड़ से नीचे उतर जा। मैडम आने  रही है।

सर्दियों के दिन थे लड़कियां  वार्षिक परीक्षा की तैयारी में जुटी हुई थी। अचानक एक लड़की को मजाक सूझा। अपनी सहेली से बोली  कल 31 दिसंबर है। क्यों न नए साल की खुशी में कुछ नया किया जाए?। कुछ लड़कियां बोली क्या करते हैं? चलो आज लड़कियों को लड़का बन कर डराते  हैं। ।  रात के 1:00 बजे थे। अकड़ू लड़की ने अपने सीनियर  लड़की के कमरे का दरवाजा खटखटाया। वह लड़के  की वेशभूषा में थी। वह भी सफेद रंग की पोशाक में। उस लड़की को लगा शायद मैडम राउन्ड लेने आई  है।लडकियां रात रात बैठ कर पढाई किया करती थी। उस लड़की नें सोचा ज्यादा समय नहीं हुआ होगा।

हॉस्टल का चपरासी किसी को भी अंदर फटने नहीं देता था। उस लड़की ने किसी लड़के की कल्पना भी नहीं की थी। जैसे  ही उस लड़की ने दरवाजा खोला अपने सामने एक लड़के को देखा। लड़के को देख कर डर के कारण बेहोश हो कर गिर गई। इस वजह से ही वह दोनों लड़कियां डर गई क्योंकि उन्होंने यह सब मजाक के लिए किया था। बाद में उन्हें पता चला कि ऐसा मजाक हमें  किसी के साथ नहीं करना चाहिए। काफी देर तक उस लड़की को होश में लाने का प्रयत्न करने लगे। सारी की सारी लड़कियां इकट्ठी हो गई थी कमरे के साथ ही  हर एक कमरा दूसरे के साथ जुड़ा हुआ था। सभी लड़कियां एक  ही कमरे में इकट्ठी हो गई थी।  उसे होश में लाने का प्रयत्न करनें लगी। उस को बेहोशी की हालत में देख कर लड़कियां रोने लगी। दौड़ी दौड़ी जा कर मैडम को बुला कर लाई। मैडम जी हम से बहुत ही भारी भूल हो गई। उसको  लड़का  बनकर  डराया। कृपया हमें मौफ कर दो। मैडम नें तुरन्त ही डाक्टर को फोन करके बुलाया। डाक्टर के आने से पहले उस लड़की को होश आ चुका था। डाक्टर नें कहा कि इस लड़की को कुछ भी हो सकता था। भगवान् का लाख लाख शुक्र है कि इस लड़की की जान बच गई वर्ना आज कुछ भी हादसा हो सकता था। इस का ब्लड प्रैशर बहुत ही कम हो गया था।। मैडम नें कहा तुम सब लडकियां उस लड़की से मौफ मांगो वर्ना तुम सब को हौस्टल से  छुट्टी दे दूंगी। उन लडकियों नें अपनी सहेली से क्षमा मांगी और कहा कि आज के बाद हम कभी भी ऐसा मजाक नहीं करेंगे। आज भी हॉस्टल और कॉलेज की यादों का सिलसिला जहन में अंकित है। बाद में हॉस्टल से विदा होते समय उन सखियों के गले लग कर इतना रोए।

आज भी इस घटना को भूल कर भी नहीं भूला जाता। कॉलेज के समय की   यादें दिमाग से मिटाने  से भी नहीं मिटती।

मेरी बगिया(कविता)


मेरी बगिया में खिले नन्हे नन्हे फूल।
लाल पीले नीले और न्यारे न्यारे फूल।।
मन के दर्पण को लुभाते फूल।
कभी अधखिले तो कभी मुरझाए फूल।।
फूलों से क्यारी की शोभा लगती है प्यारी प्यारी।
इसकी खुश्बू से महकती है
मेरे आंगन की फूलवारी।।
चम्पा चमेली गेंदा और जूही के फूल।
नन्ही नन्ही बेलों में लटकते फूल।।
सुबह सुबह अपनी खुश्बू बिखराते फूल।
क्यारी में धरती की प्राकृतिक छटा को निहारते फूल।।
भंवरों की गुंजन से चहकते फूल।
ओस की बूंद में भीगे फूल।।
चांदनी रात में रात की रानी खुश्बू जानें कहां से लाती है?
चोरी चोरी चुपके चुपके सारी बगिया को महकाती हैं।।
पवन झूला झूलाती है
चिड़ियां मीठे मीठे राग सुनाती है।।
भंवरे थपकियां देते हैं।
रंगबिरंगी तितलियाँ फूलों पर मंडराती है।
मधुमक्खियां भी फूलों की सुगन्ध से बेसुध होकर खींची चली आती हैं।।
फूलों की मासूम मुस्कान भोली हंसी प्रत्येक जनों को मंत्र मुग्ध कर देती है।
बच्चे नर नारी सभी को सौन्दर्य की अद्भुत छटा से आत्मविभोर कर देती है।

अभिलाषा

एक छोटे से गांव में देवी शरण और उसकी पत्नी माधवी अपने बेटे साहिल के साथ रहते थे। वह मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे। उनका बेटा साहिल  उनके घर के समीप ही गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ता था।। माता-पिता अपने बच्चे के भविष्य को लेकर बहुत ही सतर्क थे। उन्होंने अपने बेटे को डॉक्टर बनाने का निर्णय लिया था।। वे दोनों उसे पढ़ा लिखा कर एक बड़ा डॉक्टर बनाना चाहते थे। उन्होंने उसके लिए घर में ट्यूशन के लिए पहले ही एक शिक्षक महोदय  नियुक्त किया हुआ था। वह उनके बच्चों को पढ़ाया करता था। वह दोनों चाहते थे कि हम अपने बच्चे के भविष्य के लिए कुछ भी करेंगे लेकिन उसे डॉक्टर बना कर ही छोड़ेंगे। साहिल के पिता बिजली विभाग में कार्यरत थे। माधवी भी एक शिक्षिका थी। ऑफिस  में जैसे ही पहुंचे बाहर चपरासी फाइलें      ले कर  साहब के मेज पर छोड़ आया था। दूसरे ऑफिस के कर्मचारी अपने-अपने गंतव्य स्थान पर जा रहे थे ऑफिस में आज खुशनुमा माहौल था। एक हॉल में पार्टी का आयोजन किया जा   रहा था। उन के दोस्त ने पार्टी का आयोजन करवाया   आदित्यनाथ का बेटा डाक्टरी  में सिलेक्ट हो गया था। उनके चेहरे की खुशी उनके मुख से जाहिर हो रही थी। ऑफिस के लोग इकट्ठा कर उसे बधाइयां दे रहे थे। देवी शरण भी उनके पास जाकर बोले मुबारक हो। शरण जी आपके बेटे ने तो कमाल ही कर दिया। उनका दोस्त आदित्यनाथ बोला  हम उसे डाक्टर ही बनाना चाहते थे। मेरा बेटा भी डाक्टर ही बनना चाहता था। आज मेरा सपना साकार  हो गया।देवीशरण अपनें मन में सोचने लगे  उसका  बेटा भी  11वीं कक्षा में है। केवल   एक साल की ही तो बात है। इस साल उसे कोई काम नहीं करने देंगे। उसकी पढ़ाई पर ही ध्यान देगें। हमारा बेटा भी अगले साल   डाक्टरी में सिलेक्ट हो जाएगा। थोड़े दिन की बात है एक साल का पता भी नहीं चलेगा कब समय पंख लगा कर उड़ जाएगा। पार्टी समाप्त हो गई थी। देवीशरण बोले मैं भी अपने बेटे को डाक्टर बनाना चाहता  हूं। आदित्य नाथ बोले यह तो बहुत ही बड़ी बात है। उसके लिए पहले से  ही कोचिंग  शुरू कर देनी चाहिए। घर आ कर देवीशरण अपने    बेटे से बोले बेटा खूब मन लगाकर मेहनत करो। तुम्हें जिस चीज की भी आवश्यकता हो मांग लेना। तुम्हें पढाई के अतिरिक्त कुछ करना नहीं है। देवी शरण ने अपने बेटे को  कहा बेटा सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई  किया करो। साहिल दस से बारह घंटे लगातार पढाई किया करता था। वह जब थक  हार  कर बैठ जाता था उसका दोस्त उससे मिलने  आता तो देवीशरण उसे कहते बेटा खेलना, दोस्तों से मिलना ये तो सारी उम्र भर चलते रहेंगे। तुम  अभी तो अपना कैरियर बनाओ।

हमारे पास तो सारे साधन उपलब्ध नहीं थे। हम कुछ अच्छा ज्यादा अच्छा नहीं बन पाए। तुम्हारे पास तो सब कुछ है। माधवी भी अपने बच्चे की स्कूल में सभी अध्यापिकायों के सामने प्रशंसा करती। मेरा बेटा खूब मन लगाकर पढ़ता है। माधवी की सहेली रिया बोली आप तो उसे डॉक्टर बनाना चाहते हो। क्या आपके बेटे ने अपने मुंह से कभी यह कहा कि वह डॉक्टर बनना चाहता है?  माधवी बोली उससे पूछने की क्या बात है। हम तो उसे डॉक्टर ही बनाएंगे। रिया बोली बहन देखो हमें सबसे पहले बच्चे की मनो भावनाओं को समझना बहुत ही जरूरी होता है। इसलिए सबसे पहले   उस से पूछ लेना तभी उसके भविष्य का लक्ष्य निर्धारित करना वर्ना  तुम्हे सारी जिंदगी भर पछताना पड़ सकता है। माधवी बोली नहीं ऐसा नहीं है।  मेरा बेटा डॉक्टर ही बनना चाहता है।

  घर आ कर अपनें मन में  सोचनें लगी मेरी सहेली कह तो ठीक ही रही है। आज उस से पूछने  का यत्न करती हूं। शाम को     साहिल जब  घर आया तो थोड़ी देर आराम करने के लिए बिस्तर पर सो गया। उसे गहरी नींद आ गई। माधवी अपने बेटे के कमरे में आई अपने बेटे को उठाने ही लगी थी अपने बेटे को गहरी नींद में सोया देख कर वह चुपचाप अपने कमरे में चली गई। बेटा पढ़ाई कर कर के थक गया होगा। वह जब उठेगा तब ही उससे पूछने का प्रयत्न करूंगी।

देवी शरण ऑफिस से आ गए थे। उन्होंने अपनी पत्नी माधवी को कहा कि एक कप चाय बाहर डाइनिंग टेबल पर ले आओ। उन्होंने साहिल को आवाज लगाई। माधवी नें कहा वह सो रहा है।  साहिल के पिता बोले उसे उठाओ। माधवी बोली सोने दो। नहीं, ये भी कोई सोने का वक्त है। उठ कर पढाई करने  के लिए कहो। उसके पिता जल्दी से साहिल के कमरे में गये। उसे पढ़ने के लिए जगा दिया। वह बोला बाबा  मुझे सोने दो।  उसके पापा उसे समझाते हुए बोले इस साल के बाद   तुम्हे सोना ही सोना है।। अभी तो तुम्हारे पढाई  और मेहनत करने का वक्त है। साहिल को गुस्सा आ गया बोला सोने भी नहीं देते। उसके पिता उस से नाराज होकर बोले। आजकल के बच्चों को देखो अपनी मनमानी करते हैं। पढ़ने को  कहो तो आगे से जवाब देते हैं। मुझे क्या है?वह गुस्सा होकर बोला मुझे नहीं बनना।  मैं डॉक्टर बनना ही नहीं चाहता। आप लोग मुझसे जबरदस्ती कर रहे हैं। पापा मुझे डाक्टर बनना अच्छा नहीं लगता। मुझे चीर फाड़ करना जरा भी अच्छा नहीं लगता। वह  बोले  बेटा चिरफाड करना अच्छा नहीं लगता तो क्या अच्छा लगता है।? वह बोला मैं इंजीनियर बनने का ख्वाब देखा करता था। आप तो मेरे सपनों को लात मार रहे हो। इंजीनियर बनकर क्या करोगे? तुझे तो हम  डाक्टर बनाकर ही छोड़ेंगे। डाक्टर की समाज में बहुत ही इज्जत होती है। भगवान के बाद डाक्टर ही तो पूजनीय है। माधवी अपने बच्चे के उत्तर को सुनकर हैरान रह  गई। उसे प्यार से बोली बेटा कोई बात नहीं अगर तुम  पीएम टी मेंनहीं निकलोगे तो भी कोई बात नहीं अगले साल फिर ट्राई कर लेना।

देवी शरण बोले तुम्हारी मां ठीक ही कहती है। तुमको भी  डाक्टरी की पढाईअच्छी लगने लग जाएगी। वह कुछ नहीं बोला उसका डॉक्टरी की पढ़ाई करने में जरा भी मन नहीं लगता था। उसके मां-बाप उसे डॉक्टर बनाना ही चाहते थे। वह तो इंजीनियर बनने का ख्वाब  देखता था। अपने पिता को कुछ कह नहीं सकता था उसका एक दोस्त था सौरभ। वह उस से अपने मन की बात बता दिया करता था। वह उसका घनिष्ठ मित्र था। वह उस से कोई भी बात नहीं छुपाता था। सौरभ माधवी की सहेली रिया का बेटा था। वह भी पायलट बनना चाहता था। स्कूल में वे दोनों इकट्ठे पढ़ते थे।  उसके मन की बात जान लिया करता था। एक दिन साहिल को उदास देख कर उसका दोस्त बोला। दोस्त तुम उदास क्यों हो? साहिल बोला मेरे माता-पिता को कौन समझाए? मेरे माता पिता  मुझे डाक्टर बनता देखना चाहते हैं। लेकिन  ऐसा नहीं हो सकता है मेरी डाक्टर बनने की जरा भी इच्छा नहीं है। अगर मैं किसी दिन डाक्टर बन भी गया तो मैं उस काम को छोड़ दूंगा।सौरभ बोला तुम समझदार हो। तुम्हे ही  अपने माता-पिता को समझाना होगा नहीं तो तुम ना तो घर के  रहोगे ना घाट के। साहिल बोला मैडम ने आज टेस्ट लिया था। मेरे बहुत ही कम अंक आए हैं। घर में जाकर अपनी जांच  पुस्तिका घर में दिखा दूंगा। जब  साहिल घर आया तो बहुत ही उदास था। घर में आकर साहिल अपनें पापा से बोला पापा मेरे टैस्ट में बहुत ही कम अंक आए हैं।  उसके पिता बोले तो क्या हुआ? कोई बात नहीं दोबारा कोशिश करके देखो। वह बोला पापा आप क्यों मुझे डॉक्टर बनने के लिए जोर डाल रहे हो? उसके पिता गुस्सा होते हुए बोले। जो डॉक्टर बनते हैं क्या किसी बड़े अफसरों के बच्चे होते हैं? पिछले साल एक रिक्शा चालक का बेटा डॉक्टर बना। अपनें दोस्त मिश्रा जी है उनका बेटा कोई ज्यादा होशियार नहीं है। वह भी तो डॉक्टर बन गया। सौरभ बोला मिश्रा जी के बेटे के पास तो ढेर सारा रुपया है। वह तो डोनेशन दे कर डॉक्टर बन गया।आप मेरे भविष्य की चिंता मत करो। मैं भी अपनी मेहनत के बल पर कुछ न कुछ बनकर दिखा दूंगा। आप मेरी चिंता करना छोड़ दे। देवी शरण बोले कोई बात नहीं। मैं भी कहीं से रुपयों का जुगाड़ कर लूंगा। कहीं से उधार ले लूंगा। तुमने डॉक्टर ही बनना है। बाकी तुम और कुछ  और नहीं बनोगे। चाहे तुम्हारे  तीन साल ज्यादा ही क्यों ना लग जाए? साहिल बोला पापा एक दिन अगर मैं डॉक्टर बन गया और मैंने किसी मरीज को मार दिया तो क्या करोगे? उसके पिता आग बबूला होकर बोले आजकल के बच्चों की जबान कैंची की तरह चलती है। हम तो कुछ नहीं बन सके हमें अगर समय मिलता हमारे पास सारी सुविधाएं होती तो मैं भी डॉक्टर बन सकता था। मैं तुम्हें डॉक्टर बनते हुए ही देखना चाहता हूं।

साहिल अपने पिता के हर रोज की डांट से परेशान आ चुका था। उसका मन जरा भी पढ़ाई में नहीं लगता था। एक दिन जब उसका डॉक्टरी का  परिणाम  निकला तो फेल हो गया था। उसे इस बात का पहले से ही पता था कि वह  उतीर्ण नहीं होगा। किस मुंह से  अपने घर जाए। उसके पिता तो उस से थोड़ा नाराज होंगे। लेकिन थोड़ी देर बाद कहेंगे कोई बात नहीं बेटा अगले साल फिर मेहनत करो। मैं इस तरह अपने पापा के मेहनत से कमाए रुपए  व्यर्थ में बर्बाद होते नहीं देख सकता। मैं क्या करूं? उसके दिमाग में हर रोज प्रश्न उभरने लगे। उसके कानों में सीटीयां बजने लगी। क्या करूं।? उसे फेल होना भी अच्छा नहीं लगता था। उसके सारे के सारे साथी  उस से आगे बढ़ चुके थे। वह अपनी जिंदगी से वह बहुत ही निराश हो गया था। उसने सोचा क्यों ना मैं अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूं? अपने घर से जंगल की ओर निकल पड़ा। उसने घर में भी किसी को कुछ नहीं बताया। वह पहाड़ी पर से कूदने ही वाला था उसके दोस्तों ने उसे देख लिया। सौरभ ने उसे खींचकर नहीं निकाला होता तो वह नदी में डूबकर मर चुका होता।

 

सौरभ नें उसे समझाया  मरना यह तो इस समस्या का समाधान नहीं है। तुम अगर यहां से गिर गए तो या तो तुम्हारी टांगे टूट जाएंगी या तुम   अधमरे हो जाओगे। तुम्हें  यह क्या पता कि तुम ऊपर से गिर कर मर ही जाओगे। मरना इतना आसान नहीं होता। अगर बच जाते तो सारी उम्र भर बिस्तर पर अपाहिज की तरह सड़े पड़े रहते।  इतना पढ़े-लिखे होने के बावजूद यह कदम तुमने क्यों उठाया? मेरी समझ में नहीं आता। जल्दी घर चलो। वर्ना माता-पिता परेशान हो जाएंगे। यह तो शुक्र है मैं अपने दोस्त  गौरव के घर आया हुआ था। तुम अगर मेरे दोस्त गौरव को देखोगे तो तुम सब समझ जाओगे। कल तुम्हें मैं उसके घर ले चलूंगा।

जंगल के बीचों बीच पीपल के पेड़ के पास उसका घर है। तुम उसके घर चलोगे तो सब समझ जाओगे।  किसी न किसी तरह साहिल को मना कर उसे अपने दोस्त गौरव के घर  ले जाने आया। साहिल के घर आकर उसे ले जाने के लिए साहिल के पिता के पास आकर बोला मैं अपने दोस्त को अब अपने दूसरे दोस्त के घर ले जाना चाहता हूं। साहिल के पिता को बोला अंकल इसे आप डांटना मत। यह  आज बहुत ही मायूस है क्योंकि इसका पीएमटी का परिणाम अच्छा नहीं आया है। देवी शरण बोले तो कोई बात नहीं बेटा इसमें तुम्हारा क्या कसूर।  दूसरी बार पीएमटी का टेस्ट दे देना। डरने की कोई बात नहीं। हम तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे। तुम खुशी-खुशी अपने दोस्त के साथ घूम फिर कर आओ। सौरभ अंकल से बोला साहिल का मन डॉक्टर की पढ़ाई करने का नहीं है।

आप तो क्यों उस पर  डाक्टर ही बनने के लिए जोर डाल रहे हो। देवीशरण बोले बेटा तुम बच्चे अपनी मनमानी करते हो। इस बार नहीं निकला तो कोई बात नहीं। यह मन वन कुछ नहीं होता। मन को तो अंदर से तैयार करना पड़ता है। यही बात तो मैं आपको समझाना चाहता हूं।देवीशरण बोले बेटा तुम्हें हम बाप बेटे के बीच में पड़ने की कोई जरूरत नहीं है। तुम उतना ही कहो जितना तुम्हें कहने की जरूरत है।

सौरभ आगे  कुछ  नहीं बोला। साहिल गम्भीर  रहने लग गया था। वह बात बात पर गुस्सा करने लगा। एक दिन सौरभ उसको अपने दोस्त  गौरव के घर ले गया। गौरव के घर जाकर उसे बहुत ही अच्छा लगा।  गौरव के माता-पिता  साहिल से बोले। उसे कहने लगे बेटा आओ तुम भी हमारे बेटे गौरव के दोस्त हो। तुम चुप चुप क्यों रहते हो? इस उम्र में तो बच्चे खूब मस्ती करतें हैं। तुम्हारे अभी तो खेलने कूदने के दिन है। गौरव के माता ने सौरभ को भी आवाज लगाई। बेटा चलो खाना खाने आओ। सब खाना खाने की मेज पर  बैठे थे। गौरव के पिता अपने बेटे से बोले बेटा चलो गर्मा-गर्म परौंठों का आनंद लो।  हम सब इकट्ठे बैठकर पिक्चर देखते हैं। गौरव बोला पापा मुझे पढ़ाई करनी  है। वह बोले बेटा सारे दिन पढ़ाई पढ़ाई नहीं किया करते।पढाई के साथ साथ आराम भी जिंदगी में बहुत ही जरूरी होता है। पापा मैं आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं। वह बोले बेटा ठीक है।  तुम जो बनना चाहते तुम वही बनना मैं तुम पर कभी भी दबाव नहीं डालूंगा। सारा दिन पढ़ने के बजाय  खेल कूद और मनोरंजन भी जरुरी होता है। इंसान को खुलकर अपनी हर बात अपने माता पिता के साथ करनी चाहिए। गौरव  बोला पापा मैं अगर आईएस  अधिकारी नहीं  नहीं बन पाया तो क्या होगा? वह बोले तो कोई बात नहीं कोशिश करो। नहीं बन पाओगे तो कुछ और बन जाना। इसके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

हम लोगों के पास तुम्हें डोनेशन वगैरह देने के लिए रूपया  नहीं है मगर तुम कामयाब हो गए तो ठीक है वर्ना और  भी बहुत सारे रास्ते हैं। तुम खुश हो कर अपनी पढ़ाई करते चलो। हम तुम्हें खुश देखना चाहते हैं। बेटा  तुमसे बढ़कर जिंदगी में हमारे लिए कुछ भी नहीं है।

साहिल को वहां पहुंचकर बहुत ही अच्छा लगा उसके माता पिता अपने बेटे की हर बात खुशी-खुशी सुन रहे थे। एक मेरे माता-पिता है जो मुझ पर अपनी इच्छाएं  थोप रहे हैं। वह अपने दिमाग से काम लेगा और डॉक्टरी की पढ़ाई नहीं करेगा। वह इंजीनियर ही बनेगा। यहां पर आकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा। मेरे मन में एक बोझ था वह भी हट गया। मैं उस दिन गलत कदम उठा देता तो मेरे माता पिता मर जाते। मां-पापा चाहे जितना भी मुझे डांटडपट करें मुझे उनकी बातों का बुरा नहीं मानना चाहिए। उनकी बातों को दिल से नहीं लगाना चाहिए।  सौरभ के पास आकर बोला भाई  मुझे नई जिंदगी देने के लिए तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद। मेरी आंखें खुल चुकी है। घर आया तो काफी खुश था। उसके माता-पिता अपने बच्चे को खुश देख कर खुश थे।

कॉलेज में उसने खूब मन लगाकर पढ़ना शुरू कर दिया। उसके माता-पिता उसे डांटते तो वह परवाह ही नहीं करता था। चुप और शांत होकर उनके प्रश्नों के उत्तर दिया करता था। साहिल के माता-पिता समझ गए थे कि उनके बेटे ने पीएमटी का टेस्ट दिया होगा लेकिन उसने इंजीनियर का टेस्ट दिया था। उसने जिले में टॉप किया। उसके पिता ने जब ऑफिस में अखबार देखा तो सारे के सारे ऑफिस के कार्यकर्ता साहिल के पिता को बधाइयां दे रहे थे। आपका बेटा तो सारे जिले में प्रथम आया है। वह बोले मैं ना कहता था मेरा बेटा एक दिन जरूर  डाक्टर ही बनेगा। मुझे हर रोज कहता था कि मैं डॉक्टर नहीं बनूंगा। उसके साथी कार्यकर्ता बोले आपको क्या यह भी पता नहीं था कि आपके बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई में टॉप किया है? देवी शरण खामोश हो गए। वही हुआ जिसका उसको डर था। उसके बेटे ने पीएमटी की परीक्षा नहीं दी थी। वह चुपचाप अपने साथी कार्यकर्ताओं के प्रश्नों के उत्तर देते रहे। घर आने पर चुपचाप साहिल के पास आकर बोले। तू ने हमारी नाक डुबो दी। मैं तो तुम्हें डॉक्टर बनते देखना चाहता था। तुमने मेरी इच्छाओं का गला घोट दिया। माधवी भी शून्य में अपने पति को निहार रही थी। वह भी मायूस थी। उसका दोस्त गौरव बोला। अंकल आपका बेटा तो बहुत ही समझदार है।

आपको तो भी यह भी मालूम नहीं होगा वह आपकी बातों से परेशान होकर अपनी जीवन लीला समाप्त करने चला था।  यह सुनते ही उसके माता-पापा की आंखों में आंसू छलक पड़े।  हमारा बच्चा इतनें दबाब में आ कर ऐसा गम्भीर कदम उठानें की सोच रहा था। हमें एहसास भी नही हुआ हमारा बेटा इतना बड़ा कदम भी उठा सकता है।  सौरभ बोला मैं  अगर समय पर नहीं पहुंचता तो आप अपने बेटे से हाथ धो बैठते। आपका बेटा इस दुनिया में ही नहीं होता। वह तो निराश होकर मरने चला था। वह पहाड़ी से कूदने ही वाला था तभी मैं अपने दोस्त गौरव के घर से निकला था। मैंने दौड़कर उसे बचा लिया। मैंने उसे बहुत समझाया मेरे समझाने पर और अपने दोस्त सौरभ के घर जाकर  उस से मिलवाया तो उसने यह कदम ना उठा कर एक सही फैसला लिया।

उसके माता-पिता अपने बच्चे के साथ मिलजुलकर आपसी समझ से एक दूसरे की मन की बात जान लेते हैं। वह एक दोस्त की तरह अपने बच्चे के साथ पेश आते हैं। वह अपनी इच्छा को उनके ऊपर लादते नहीं। आपका बेटा समझ गया। वह आज इंजीनियर मे टॉप आया है। आप उससे उदास हो कर मत मिलो।  उसकी खुशी में अपनी खुशी जाहिर करो। उस दिन अगर आपका बेटा मर जाता आप सारी उम्र भर रोते फिरते। कहां से अपने बेटे को ढूंढ कर लाते?

देवी शरण अपनी करनी पर बहुत ही पछताए वह बोले बेटा तुम तो उसके एक सच्चे दोस्त निकले। तुमने उसे एक सच्चे मित्र की तरह उसे भटकने से बचाया। मैं एक पिता होकर उसकी भावनाओं को समझ नहीं सका। मैं उस से भी आज माफी मांगना चाहता हूं।

हम बच्चों की मनोंभावनाओं को समझते नहीं उस पर  जोरजबरदस्ती  कर देते हैं। जो वह करना नहीं चाहता वही उससे करवाना चाहते हैं। जिससे सैकड़ों बच्चे अपनी जीवन लीला समाप्त कर देते हैं। बाद में माता-पिता सारी उम्र भर पछताते रहते हैं।

माधवी आकर बोली एक दिन मेरी सहेली रिया ने मुझे कहा था कि अपने बेटे से पूछ कर तो देखो वह क्या बनना चाहता है? मैं भी अनभिज्ञ थी। मैं भी  तो उसे डॉक्टर बनते देखना चाहती थी लेकिन मेरे मन से भी अब अधंकार की काली  परत हट चुकी है।  मैं भी अपने बच्चे के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करना चाहती। हमारा बेटा तो हमसे ज्यादा समझदार है। हमें कहां उसका साथ देना चाहिए था कहां हम उसे मौत के मुंह में ढकेल रहे थे।

साहिल अपने माता पिता की बातें सुन रहा था वह बोला मां पापा इसमें आपका कोई दोष नहीं है। आप भी अपनी जगह ठीक थे। आप तो मुझे डॉक्टर बनते देखना चाहते थे।  मैं अगर डॉक्टर बन भी जाता तो मेरे हाथ से कोई भी ऑपरेशन ठीक ढंग से नहीं होता। मैं इस व्यवसाय को छोड़ ही देता। साहिल के माता पिता बोले हमें सबक मिल चुका है। उन्होंने अपने बेटे साहिल को गले से लगाया और कहा कि बेटा खुश रहो। गौरव को कहा कि बेटा जुग जुग जियो। चलो आज बाहर चलकर पार्टी का आयोजन किया जाए। सबके चेहरों पर खुशी थी।

भिखारी

मैं जब भी सुबह सुबह कार्यालय से निकलती तो रेलवे प्लेटफॉर्म पर और बस स्टैंड पर भिखारियों को देखा करती। पटरियों पर एक तरफ सिकुडते हुए छोटे बच्चों को फटे वस्त्रों और नंगे पैरों से इधर उधर भागते हुए देखकर मेरी रूह कांप जाती और सोचती यह बेचारे छोटे-छोटे बच्चे इनका बचपन इस तरह क्यों गुजरा? उन्हें मांगते देखती तो सोचती कि इस भगवान की बनाई हुई दुनिया में आज इनका कोई भी नहीं। इनको तन ढकने के लिए कपड़ा नहीं। रहने के लिए घर नहीं। और खाने के लिए रोटी नहीं। जगह-जगह मांग मांग कर भीख ना मांगे तो कहां जाएं?एक दिन जब मैंने एक भिखारी के साथ छोटे से नौ साल के बच्चे को देखा जो अपनी तोतली जुबान से बोल  गया कि बीबी जी बडे़ जोर की भूख लग रही है खाने के लिए चाहिए। कुछ भी   मुझे दे दो।

 

एक दिन तो मुझे  उस पर दया आ गई मैंने उसे ₹दस का नोट निकाल कर दिया।  जैसे ही मैंने ₹दस का नोट दिया उसके बाबा ने उसके हाथ से वह नोट छिन लिया।  मैंने उसे देखते हुए अंदाजा लगा लिया कि हो ना हो यह इसका पिता या संरक्षक  तो हो ही नहीं सकता। इस तरह काफी दिन गुजर गए।

 

एक दिन अचानक ऑफिस जाते हुए वही बच्चा नजर आया। लंगडाते लंगडाते  वह भीख मांग रहा था। मैंने उस से पूछा कि तुम्हारी टांग को क्या हुआ?तो उसके जवाब देने से पहले ही उसका पिता आकर बोला  बीवी जी  इसका एक्सीडेंट हो गया था। इस कारण इसकी टांगे नहीं चल रही है। मैं जल्दी में थी मैंने उस से कहा कि इतनी ठंड में कांपते हो मैं तुम्हें घर से कंबल ला कर दूंगी। दूसरे दिन मैंने उसे कंबल दिया। कंबल पाकर बाप बेटा दोनों खुश हुए। उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया।

एक दिन मुझे सुबह सुबह जल्दी में  कार्यलय पहुंचना था।  देखा बस स्टैंड पर दोनों बाप बेटा सो रहे थे। सारा कंबल आदमी नें अपनें ऊपर लपेटा  हुआ था और बच्चा ठंड से कांप रहा था। मुझे समझते देर नहीं लगी कि इसने इस बच्चे को जरूर कहीं से चुराया है। इसका वह अपना बच्चा नहीं हो सकता। अपनें बच्चे के लिए कोई इतना निर्मम कैसे हो सकता है?। उस दिन   मैं कार्यलय से जल्दी  जल्दी छुट्टी लेकर आ गई थी। मुझे मेरे परिचित रास्ते में मिल गए। उन्होंने एक कॉफी हाउस की ओर इशारा करते हुए कहा। यहां बहुत ही अच्छी कॉफी बनती है चलो एक कप कॉफी हो जाए।

 

अंदर से समोसों की खुशबू आ रही थी। मैं अपने सहकर्मियों के साथ कॉफी का आनंद लेने लगी। मैंने एक लड़के को भागते-भागते देखा वह समोसे   मांग रहा था।  मैंने  घर ले जानें के लिए समोसे खरीदे। मैंने अपने दिमाग पर जोर देते हुए डालते हुए कहा कि शायद मैंने इस लड़के को कहीं देखा है। जब कॉफी पी कर चुकी तो मैंने देखा कि उस लडके कि शक्ल भिखारी के बेटे से शक्ल मिलती थी। मैंने भिखारी के बेटे को तो देखा हुआ था। वह तो एक टांग से लंगड़ा था। मैंनें उस लडके को पहचान लिया था। वह तो लंगडाते हुए नही चल रहा था।

 

मुझे समझते देर नहीं लगी कि उस भिखारी ने मुझे बेवकूफ बनाया था। वह  न जानें दिन में कितने लोगों को ठगता था।  और भीख मांगने का नाटक करता था। किसी भिखारी को भीख देते हुए मुझे ऐसा लगता ही नहीं कि  इन्हें   कुछ दिया जाए। एक दिन उसी बच्चे को फिर मैंने भीख मांगते देखा। वह बुरी तरह बीमार हो चुका था। रात को ठंड में ठिठुरते हुए उसे देखा था। और  एक दिन सचमुच वह बीमार हो गया। भिखारी के पास अपनें बेटे के इलाज के लिए रुपए होते हुए भी वह उन को खर्च करना नंही चाहता था। वह झूठमूठ का नाटक कर लोंगों में दया भाव बटोरना चाहता था ताकि लोग उस पर दया कर उसके बेटे के इलाज के लिए उसे रुपये  इकट्ठे कर के दे दे।

 

भिखारी सब लोगों से पैसे मांगने लगा कि मेरे पास अपने बेटे के इलाज के लिए रुपए नहीं है। शाम तक उसके पास ना जाने कितने रुपए इकठ्ठे हों जाते थे। वह उन रुपयों से अपने बेटे का इलाज नहीं करवाता था। उन से शाम के समय अपनें दोस्त भिखारियों के साथ शराब और नशे में धुत  रहना उसका काम था।

 

एक दिन मैंने उसे अपने उस भिखारी बच्चे की लाश पर जोर जोर से झूठे आंसू बहाते देखा। वह लोगों में बिलख-बिलख कर उनसे उसके कफन के लिए रुपए मांग रहा था। उस बच्चे के कफन के लिए भी उसके पास रुपए नहीं थे। वह भिखारी वहीं प्लेटफार्म के पास एक खोली बनाकर रहता था। उसने अपने बेटे को ठंड के कारण मरने के लिए मजबूर कर दिया। उसका बेटा तो उस दुनिया में नहीं था लोग उसकी लाश को देखकर सब उस भिखारी को रुपए दे रहे थे।

एक दिन सुबह सुबह जब मैंने अखबार में उस भिखारी की पहले पन्ने पर फोटो देखी तो मैं चौक गई। उसकी खोली जिसमें वह रहता था जलकर राख हो चुकी थी। वह भिखारी बच गया था। उसके बारे में जो अखबार में लिखा था उसको सुनकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। उस भिखारी ने रो-रो कर अखबार वालों को बताया था कि उसके 10, 00,000रुपए उस खोली  की चारपाई में तकिए  के बीच लपेटे हुए थे जलकर राख हो गए। भिखारी की दयनीय अवस्था पर मुझे करुणा नहीं आई। उस भिखारी के प्रति मेरा मन द्रवित नहीं हुआ। जिस भिखारी ने इतना रुपए होते हुए भी अपने बच्चे की जान नहीं बचाई। ऐसी भिखारियों को तो कैद में डाल देना चाहिए जो ना जाने किन किन घरों के बच्चों को अगवा कर उनसे भीख मंगवाते हैं। और उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर देते हैं।  

हिरन और बंदर की सूझबूझ

किसी जंगल में एक शेर रहता था। वह जंगल का राजा था ।वह जानवरों को मारकर खा जाया करता था। सभी जीव-जंतु अपने राजा के अत्याचारों से तंग आ चुके थे। एक बार शेर ने सभी जीव जंतुओं को बुलाकर सभा बुलाई और कहा कि अगर तुम मुझे हर रोज एक जानवर या प्राणी मुझे ला कर दोगे तब मैं तुम्हें तंग नहीं करूंगा ।नहीं तो ,इस गांव के लोगों और जीव-जंतुओं को मैं मार मार कर खा जाऊंगा ।सभी राजा के यह शब्द सुनकर थर थर कांपने लगे ।सभी जानवर सोचने लगे कि अगर हम ने राजा की बात नहीं मानी तो वह हम सब जानवरों को मारकर खा जाएगा। अब क्या किया जाए ?सभी जानवर हिरण के पास गए क्योंकि हिरण सब जानवरों में सबसे तेज भागने वाला जानवर था। जंगल के जानवरों ने हिरण को अपना नेता बनाया और कहा कि तुम इससे हमारा पीछा छुड़वाओ। हम सब जानवरों को मारकर वह शेर खा जाएगा। हमारे जंगल में कोई भी प्राणी नहीं बचेगा ।हिरण का एक मित्र था बंदर ।बंदर हमेशा साथ साथ रहता था ।बंदर जिस वृक्ष पर रहता था वंहा पर पास में ही हिरण भी उसके आस पास ही रहता था। शाम को हिरण ने अपने दोस्त बंदर से कहा बंदर भाई बंदर भाई क्यों ना हम दोनों शेर से बचने का उपाय निकालते हैं । उन्होंने सामने से एक मछुआरे को आते हुए देखा मछुआरा तेजी से जाल को लेकर मछली पकड़ने जा रहा था। जब बंदर ने और हिरण ने उसको जाते देखा तो बंदर नें हिरणको कहा कि जब यह मछली पकड़ कर आएगा तबतुम इसका जाल खींच लेना और जाल खींचकर भाग जाना तब एक बड़ी मछली हमारी जाल में फंस जाएगी और हम उसको ले जाकर राजा को दे देंगें। हिरण ने बंदर को धन्यवाद कहा शुक्रिया भाई, चलो जल्दी से इस मछुआरे के पीछे पीछे चलते हैं ।मछुआरा काफी देर तक मछली पकड़ने का यत्न करता रहा आखिरकार एक मछली उसके जाल में फंस गई ।मछली को पकड़कर मछुआरा घर को ले जा रहा था तभी हिरण ने तेजी से दौड़ कर मछुआरे को नीचे गिरा दिया और उसका जाल ले कर चंपत हो गया ।बंदर ने भी इस काम में उसकी सहायता की । मछली को लाकर शेर के सामने रख दिया तभी उसे सामने से एक शिकारी आता दिखाई दिया। शिकारी हर रोज बंदर को देखा करता था। शिकारी ने सोचा यह बंदर तो हर रोज मेरे सामने आकर खड़ा हो जाता है क्यों ना इसके साथ दोस्ती कर ली जाए ।
शिकारी का एक बेटा था जो जानवरों की भाषा जानता था। बंदर को अपने सामने खड़ा देखकर शिकारी बोला बंदर भाई बंदर भाई तुम मुझे हर रोज परेशान क्यों करते हो ?मैं जब भी मछली पकड़ने जाता हूं तब तुम मेरे सामने खड़े हो जाते हो और हिरण को शिकार पकड़वाने के लिए उकसाते रहते हो। भाई मेरे ,मैं तुम्हारी भाषा समझ सकता हूं ।मुझे बताओ क्या बात है ?शायद मैं तुम्हारे किसी काम आ सकूं ? बंदर नें कहा शिकारी भाई, मेरा दोस्त हिरण तुम ने देखा तो होगा ,जंगल के राजा शेर ने हम सब जानवरों को चेतावनी दी है कि अगर हम उसे एक जानवर यह प्राणी को लाकर नहीं देंगे तो वह हम सब को मार कर खा जाएगा। शिकारी भाई ,हम सब अपने राजा के इस अत्याचार से संग तंग आ चुके हैं ।हम क्या करे?हमें कुछ भी सूझ नहीं रहा है । हम आज अगर उसे कुछ नहीं देंगे तो वह मेरे मित्र हिरण को मार कर खा जाएगा। जंगल के अन्य जानवरों ने हिरण को अपना नेता बनाया है उससे फरियाद की है कि एक तुम ही हमें इस के चुंगल से बचा सकते हो ।क्योंकि वही एक ऐसा जानवर है जो तेज़ी से भाग सकता है शिकारी ने हिरण और बंदर से कहा कि आज के लिए तो मैं तुम्हें खाने का प्रबंध कर देता हूं मेरा एक मछुआरा दोस्त है वह रोज अपने घर में जानवरों का मांस खाता है ।तुम मेरे साथ उसके घर पर चलना और वहां से मांस ले आना ।मैं अपने मित्र को बातों में लगा रखूंगा वह शराब पीने का बहुत ही शौकीन है जब शराब पीकर मस्त होकर वह भी बेसुध हो जाएगा तो मैं मांस को बाहर मैदान में रख दूंगा। तुम वहां से मांस लेकर अपने राजा को दे देना ।दूसरे दिन हिरण ने शिकारी की बात मानकर वहां से मांस लाकर शेर को दे दिया। इस बात को बहुत दिन व्यतीत हो गए । हिरण को कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्याकरूं।आज तो शेर उसको अवश्य ही मार कर खा जाएगा। उसने देखा कि दो डाकू मंदिर में जा रहे थे ।वह मंदिर में चोरी करने के इरादे से आए थे । उनको एक साधु बाबा ने जो वहां तपस्या कर रहे थे पूछा तुम कौन हो? सच- सच बताओ तब डाकूओं ने कहा कि हे तपस्वी !गुरुजन ,हम डाकू हैं। हम चोरी करने के इरादे से यहां पर आए हैं।तपस्वी उनकी सच्चाई सुनकर हैरान हो गया क्योंकि डाकू कभी सच नहीं कहते ?उसने कहा बेटा, जाओ मैं तुम पर प्रसन्न हूं। तुम डाकू हो जब भी तुम चोरी करो अगर तुम से कोई पूछे कि तुम कौन हो ?तुम उन्हें सच अवश्य बोलना। सच्चाई इंसान को भगवान का मार्ग दिखाती है । चोरी करने के पश्चात अगर तुम्हें कोई पूछे कि तुम क्या करने आए थे ? तुम उसको सच अवश्य बोलना और जो कोई भी मंदिर में तुम्हें पहला इंसान जो भी दिखे उसे तुम अवश्य छोड़ देना । उसे मारना मत । तब चोरों ने उस तपस्वी के पैर छुए और बोले आज से हम आपकी बात को गांठ में बांध लेते हैं हम कभी भी किसी से झूठ नहीं बोलेंगे मगर हम चोरी अवश्य करेंगे जब वे दोनो डाकू हर रोज उस मंदिर के पास से जाते थे तो हर रोज की तरह चोरी की खोज में जा रहे थे तो चलते चलते हुए बहुत थक गए थे उन्हें एक बूचड़खाना दिखाई दिया वहां पर एक आदमी हर रोज बैठकर भेड़ के बच्चों को इतना मारता था कि डाकूओं से यह देखा नहीं गया। वह एक बच्चे को उठाकर ले आया और सोचने लगा क्यों ना इस भेड़ के बच्चे की बलि दे दी जाए?। रोज-रोज की मार से तो यह अच्छा है कि यह एक ही झटके में मर जाए। उस भेड़ के बच्चे को वह बलि देने के लिए ले जा रहे थे क्योंकि उन्होंने सुन रखा था कि बलि देने से देवी प्रसन्न होती है। वह जैसे ही मंदिर में जाने लगे तो मछुआरे ने उन दोनों से पूछा कि तुम कहां जा रहे हो और क्यों जा रहे हो? उन दोनों डाकुओं ने कहा कि हम दोनों चोर हैं और हम इस भेड़ के बच्चे की बलि देने जा रहे हैं क्योंकि बलि देने से देवी प्रसन्न होती है। मछुआरा बोला भाई मेरे देवी बलि देने से खुश होती है यह तुमसे किसने कहा किसी को मारकर क्या कोई खुश होता है? उन चोरों ने कहा कि हम इस भेड़ के बच्चे को हर रोज उसके मालिक के हाथों रोज-रोज पीटते देखते थे। हर रोज की मार से तो इस भेड़ के बच्चे को छुटकारा मिलेगा। एक ही बार में इसका काम तमाम हो जाएगा इसे भी पीड़ा नहीं होगी।
मछुआरे ने कहा कि कृपया तुम इस भेड़ के बच्चों को मुझे दे दो। मैं उसे एक ऐसी जगह भेज दूंगा जहां उसे कोई तकलीफ नहीं होगी। भाई मेरे इसके बदले में मैं तुम्हें मछली दे देता हूं तुम मछली ले लो। यह आज रात का तुम्हारा भोजन हो जाएगा । मछली को अपने सामने देखकर उनके मुंह में पानी आ गया। उन्होंने उस भेड़ के बच्चों को उस मछुआरे को सौंप दिया। दूसरे दिन मछुआरे को फिर वही डाकू मिले उन्होंने मछुआरे को पूछा तुमने भेड़ के बच्चे को कहां भेजा जहां उसे जरा भी पीड़ा नहीं हुई। भाई मेरे वह जगह हमें भी दिखा दो तब वह दोनों डाकू रास्ते से धीरे धीरे चलने लगे। डाकूओं ने मछुआरे से कहा कितनी देर में हम वहां पर पहुंचेंगे? वहां पर हम उस भेड़ के बच्चे को देखेंगे कि ऐसा वहां पर क्या है जहां पर उस भेड़ के बच्चे को जरा भी कष्ट नहीं होगा। डाकू मछुआरे के पीछे-पीछे चले जा रहे थे
एक घने जंगल में पहुंचकर मछुआरे ने उन दोनों डाकुओं को कहा कि अब वह स्थान आने वाला है जहां पर तुम्हें जाना है। वहां पर तुम दोनों को ही जाना होगा क्योंकि वहां पर तीन व्यक्ति एक साथ नहीं जा सकते। डाकू उसकी बात मान गए। मछुआरा वहां से भाग कर घर आ गया। डाकू जैसे ही उस स्थान पर गए जहां मछुआरे ने उन्हें बताया था। वह एक गुफा को देखकर वहां पर गए। उन्होंने सोचा शायद यहां पर हमारा भेड़ का बच्चा सुरक्षित होगा जैसे ही अंदर गए उनके तो मानो प्राण ही निकल गए। अपने सामने शेर को देखकर उनके होश गुम हो गए। शेर नें जोर से गर्जना की तब शेर ने उन दोनों डाकुओं से कहा। हम तुम्हें खाकर अपनी भूख को शांत करेंगे। वह चोर भी जानवरों की भाषा जानते थे। चोरों ने कहा कि आप हमें छोड़ दो तब शेर ने कहा कि तुम में से मैं एक को खाऊंगा एक को छोड़ दूंगा। वे बोले हम तो घनिष्ठ मित्र हैं। तुम ने हमें खाना ही है तो हम दोनों को खाकर आप अपनी भूख को शांत करो। शेर उन दोनों की मित्रता से प्रसन्न हो गया और बोला चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं, अगर तुम कल मेरे पास किसी भी जानवर या कुछ भी लाकर मुझे दोगे तो मैं तुमको छोड़ दूंगा। उसने उन दोनों को छोड़ दिया। वह वहां से भागकर सीधे एक राजा के महल में पहुंचे। उन्होंने सुन सुन रखा था कि यहां के राजा का मंत्री बहुत ही चतुर है। वह हर समस्या से निजात दिला सकता है। वह दोनों डाकू राजा के पास फरियाद लेकर गए। राजा ने उन दोनों डाकूओं से पूछा तुम कौन हो और क्यों घबराए हुए हो। बताओ तब उन चोरों ने राजा को सारी बात सच-सच बता दी कि शेर किस तरह हम दोनों को खाना चाहता है। हम अगर आज रात तक उसके पास भोजन लेकर नहीं गए तो वह हम दोनों को मार कर खा जाएगा। राजा ने तब अपने मंत्री को बुलाया और कहा कि वह दोनों डाकू हैं। मंत्री हैरत से उन्हें देखने लगा। उन डाकूओं ने अपनी सारी कहानी राजा को सुना दी। उस मंत्री ने डाकू से पूछा तुम वहां तक कैसे पहुंचे। तुम शेर की गुफा में क्या करने गए थे। चोरों ने कहा कि हमें रास्ते में एक मछुआरा मिला वह हमें वहां लेकर गया था। मंत्री ने कहा कि उस मछुआरे को बुलाकर लाओ।
मछुआरे ने कहा कि मैं तो अपनी मछली पकड़ कर गुजारा करता था
परंतु एक दिन एक हिरण मेरे पास फरियाद लेकर आया और बोला की मेरी सहायता करो। शेर जंगल का राजा हर रोज किसी न किसी को मारकर खाना चाहता है। हम अगर किसी जानवर को उसके पास खाने को नहीं भेजेंगे तो वह हम सब को मार कर खा जाएगा। इसके लिए फरियाद लेकर आपके पास आए हैं। आप ही हमें उससे छुटकारा दिला सकते हैं। राजा के मंत्री ने कहा तुम जंगल के राजा के पास आज खूब मांसाहारी भोजन यहां से ले जा कर रखना। उस भोजन में मैं नशे की गोलियां डाल दूंगा। जिनको खाकर वह शेर बेहोश हो जाएगा फिर जब तक वह होश में नहीं आएगा हम उसे जंगल के चिड़िया घर में छोड़ आएंगे। इस तरह से तुम भी बच जाओगे और सारे जंगल के सारे जानवर भी बच जाएंगे।
उस खाने को खाकर शेर मूर्छित हो गया जैसे ही शेर मूर्छित हो गया डाकूओं ने पहले ही चिड़ियाघर के प्रबंधक को सूचित कर दिया था। उन्होंने ले जा कर शेर को चिड़ियाघर में बंद कर दिया। अब तो सारे जानवरों को शेर के आतंक से छुटकारा मिल चुका था सारे जानवर खुशी से झूम रहे थे क्योंकि हिरण और बंदर की सूझबूझ से यह काम हो चुका था। सारे जानवरों ने हिरण और बंदर का धन्यवाद किया और खुशी खुशी रहने लगे।

फुर्सत के क्षण (कविता)

फुर्सत के क्षणों में आ बैठ मेरे पास।

अपने मन के भावों को आ बांट मेरे साथ।। कल्पना की दुनिया से बाहर आ।

यथार्थ की दुनिया में अपना भाग्य आजमा।।

बीता समय लौटकर नहीं आता।

वर्तमान से विमुख होकर जिया नहीं जाता।।

भविष्य में अच्छे कार्य करके दिखा।

अपनी मंजिल खुद तलाश करके दिखा।।

जीवन में कोई भी चीज असंभव नहीं होती।

असंभव को संभव बनाने में मुश्किल नहीं लगती।।

कामयाबी  पा कर भी घमंड मत दिखा।

कुछ ना कुछ तो अच्छा करके दिखा।।

अंहंकार की भावना भावना को पनपने ना दे।

कलुषित विचारों को अपने मन में स्थान ना दे।।

अपने मधुर व्यवहार से सभी के मनो को जीत ले।

अपनी खुशी दूसरों पर लुटा के उनके दुःखों को बांट ले।।

  • जीवन में चुनौतियों से निपटना सीख।

कांटो भरे रास्ते  से भी  निकलना सीख।।

डैनियल और चम्पू

एक घना जंगल था। उस जंगल में  बीचो-बीच चट्टानों को तोड़ कर एक गुफा बनी हुई थी। यह गुफा इतनी लंबी चौड़ी थी कि उस गुफा मे अंदर जाने का  रास्ता पैदल चल कर तय करना पड़ता था। इस गुफा में एक राक्षस अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहता था।

एक दिन राक्षस कहीं गया हुआ था। घर पर राक्षस की पत्नी और उसका बेटा अकेले थे। वहां से कुछ आदिवासी गुजरे उन्होंने तीर कमान चलाया। वह सीधा राक्षस की पत्नी को लगा। उसका बेटा चिल्लाया आदिवासियों ने  नहीं देखा। राक्षस की पत्नी मर गई थी उन्होंने सोचा अगर राक्षस जिंदा होगा तो वह हमें मार डालेगा। यह बच्चा बड़ा होकर राक्षस ही बनेगा हमें उसे नहीं बचाएंगे। उन्होंने उस बच्चे पर भी तीर चला दिया , उसकी पत्नी को मारना नहीं चाहते थे। गलती से तीर राक्षस की पत्नी को लग गया था।

राक्षस जब घर वापस आया तो उसने पत्नी और बच्चे को मरा हुआ पाया। अब राक्षस जो कोई भी वहां से गुजरता उसको मार डालता था। वह अपनी पत्नी और बच्चे की मौत का बदला लेना चाहता था। उसने ना जाने कितने लोगों को मार गिराया था। अब तो राक्षस भी बूढ़ा हो चुका था उसे अपनी बेटे की बहुत याद आती थी। वह उसके साथ खूब मस्ती करता था ।

एकदिन वहां से कुछ साधु जा रहे थे। उसने एक साधू को पकड़ लिया वह साधु बोला तुम मुझ क्यो मारना चाहते हो ।तुम जा करअपने शत्रुओं को मारो। मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। तुम राह चलते राहगीरों को मारते फिरते हो। यहां से लोगों ने आना – जाना भी कम कर दिया है। तुम्हारे डर से सब लोगों ने अपना रास्ता ही बदल दिया है मैंने तुम्हारी पत्नी को मारते देख लिया था हम यहां से गुजर रहे थे। तुम्हारे शत्रुता आदिवासियों से होनी चाहिए। उनके कबीलों ने तुम्हारी पत्नी और तुम्हारे बेटे को मारा है। तुम जाकर उन्हें मारो। तुम सब को मारोगे तो कोई भी इस रास्ते से नहीं आएगा। तुम अकेले ही रह जाओगे।

 

वह सोचने लगा अब जिंदगी के कितने दिन बचे होंगे मुझे अपनी जिंदगी को अच्छे ढंग से खुशी-खुशी जीना चाहिए। वह राक्षस अब बिल्कुल बदल चुका था मगर लोगों में तो उस राक्षस की दहशत थी । एकदिन की बात है कि बच्चों के स्कूल का एक ग्रुप वहां से गुजरा। बड़ी तेज वर्षा हो रही थी। सब के सब बच्चे गुफा में जाने लगे थे। सब बच्चों के अध्यापकों ने आवाज लगाई जल्दी आओ हमारी गाड़ी छूट जाएगी। सभी बच्चे गाड़ी की और भागने मगर चंपू वही गुफा में अंदर घुस गया। चंपू ने देखा एक बड़ी बड़ी सिंह वाला’ बड़ी बड़ी मूछ वाला’ बड़े मोटे पेट वाला बड़ा सा भीमकाय शरीर वाला आदमी खर्राटे ले रहा था। चुपचाप उसके घर के पास खड़ा हो गया उससे उसे उसे जरा भी डर नहीं लगा। उसने कहानियों में सुना था कि राक्षस खतरनाक होते हैं उनके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। उसने दानव के कान में पेंसिल से कुरेदना शुरू कर दिया। बह चिल्लाने लगा कौन है। उसको इस प्रकार बोलते देखकर चंपू जोर-जोर से हंसने लगा। उसको हंसता देख कर दानी डेनियल की नींद खुल गई। डेनियल ने देखा एक छोटा सा बच्चा उसके कान  कुरेद रहा था। वह बोला नमस्कार आपका क्या नाम है। आप मुझसे दोस्ती करोगे चंपू ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। चंपू  बोला आहिस्ता बोलो. बच्चे मुझे ढूंढने आ जाएंगे। अपने घर में इतने दिनों बाद किसी बच्चे को देखकर  डैनियल खुश हो गया। डेनियल ने अपने बच्चे के बड़े-बड़े कपड़े उस बच्चे को दिए और कहा बदल लो तुम तो वर्षा से भीग गए हो। डेनियल के बेटे के कपड़े चंपू ने पहन लिए थे। चंपू ने डैनियल को कहा दोस्त आहिस्ता बोलो  अगर मेरे अध्यापकों को पता चला तो वह मुझे यहां से ले जाएंगे। घर में मेरे पिता माता मुझे मारते रहते हैं हर वक्त कहते हैं कि पढ़ाई करो पढ़ाई करो इस रोज रोज की पढ़ाई से मैं तंग आ गया हूं। मां तो हर वक़्त मेरे पीछे पड़ी रहती है तुमने होमवर्क किया या नहीं तुम हर वक्त खेलते रहते हो। अध्यापक तो और भी आगे है बेंच पर खड़ा कर देते हैं। और पिटाई भी करते हैं अच्छा है इन सब से छुटकारा मिलेगा । चंपू बोला दोस्त चलो, खेलते हैं। तुम्हारे पास खेलने के लिए गैंद है।  डेनियल बोला नहीं है। वह बोला यह बोल क्या होवे है । चंपू बोला अरे! तुम्हें गेंद का भी नहीं पता। कपड़े की बनती है। सुई धागा लाओ, मैं बनाता हूं। चम्पू नें बहुत सारे कपड़ों की गोल गोल  गैंद बना दी। अब राक्षस के साथ वह खेलने लग गया था। राक्षस को इतने दिनों बाद चंपू के साथ खेलते खेलते बहुत ही खुशी हुई चंपू को भूख लगने लग गई थी। चंपू बोला खाना लाओ। वह तो जानवरों को मार-मार कर खाता था। चंपू बोला मैं जानवरों का मांस नहीं खाता मुझे खाना लाओ। डेनियल ने कहा तुम थोड़ी देर अकेले खेलों मैं तुम्हारे लिए खाने का प्रबंध करता हूं। वहां से कुछ राहगीर चल रहे थे। उन्होंने नदी का किनारा देखकर अपने खाने का डिब्बा रख दिया था । उसने उनका खाने का डिब्बा चुरा लिया था। और दूध की बोतल भी। वह दौड़ा दौड़ा  चम्पू के पास आकर बोला, खाओ। चंपू  बोला  मैं ठंडा खाना नहीं खाता। गर्म करके लाओ। डेनियल बोला यह गर्म क्या होता है। चंपू बोला गर्म करने के लिए आग जलाने पड़ती है। माचिस ला। वह बोला माचिस क्या होती है?  वह बोला आग राक्षस बोला आग क्या होती है। आग जैसे सूर्य होता है उससे गर्मी निकलती है। आग से भी गर्मी पैदा होती है। और माचिस से  आग जल जाएगी । चंपू ने दो पत्थरों को आपस में रगड़ा। उसके रगड़ने से उनमें आग उत्पन्न हो गई थी। उसने कागज से आग जलाई। वह चोरी करके खाने के बर्तन भी ले आया था। उसे खाना बड़ा स्वाद लगा तो चंपू ने बताया की पत्तों को काटकर भी सब्जी बनाई जाती है। उसने दूध से चाय बनानी भी डेनियल को सिखाई। उसने  डैनियल को  लिखना पढना भी सिखाया। चंपू उसका गुरु बन गया था और डैनियल विद्यार्थी। उसने डेनियल को उसका नाम लिखना भी सिखा दिया था। चंपू को डेनियल के साथ रहते हुए 10 दिन हो चुके थे चंपू के माता पिता अपने बेटे को ढूंढ कर थक गए थे। उन्होंने तो सोच लिया था कि हमारा बच्चा मर गया है। क्योंकि उस राक्षस की गुफा में जाने का कोई भी साहस नहीं करता था। एकदिन सभी बच्चे अपने दोस्त को ढूंढते-ढूंढते थक गए थे उन्होंने गुफा को देखा था उन्होंने सोचा क्यों ना अपने दोस्त को उसी गुफा में ढूंढा जाए? गुफा में पहुंचने पर उन्होंने अपने दोस्त को आवाज लगाई। उन्हें अंदर से अपने दोस्त की आवाज सुनाई दे रही थी।  वह अंदर जाने का साहस नहीं कर रहे थे। उस राक्षस को  दूर से ही देख कर सारे के सारे बच्चे वापस घर चले गए थे। उन्होंने चंपू के माता पिता को बताया कि चंपू जिंदा है। उसे अंदर से चंपू की आवाज सुनाई दे रही थी। अंदर एक भयानक राक्षस को देखकर हमारी तो जान ही निकल गई। हम बाहर से ही वापिस आ गए चंपू के माता-पिता ने पुलिस का सहारा लिया। पुलिस चंपू को ढूंढते-ढूंढते उस गुफा तक पहुंच गई थी। उन्होंने जोर से चंपू को पुकारा चंपू- चम्पू। क्या  तुम  हमें सुन सकते हो? चंपू डरकर डेनियल से बोला। मुझे लेने पुलिस वाले आ गए हैं। तुम बाहर गए तो वह तुम्हें मार डालेंगे मैं अपने दोस्त को खोना नहीं चाहता। इतने दिनों तक वह राक्षस उसे अपने ही पलंग पर सुलाता  है। जैसे एक बेटे को उसका पिता सुलाता है। चंपू डेनियल से बोला तू बाहर मत आना। डैनियल बोला मैं किसी से नहीं डरता। वह बाहर आकर गुस्से में चिल्लाया कौन है? पुलिस वालों ने कहा  दुष्ट राक्षस चंपू को छोड़ दे नहीं तो हम बंदूक चला देंगे। उसने एक पुलिस वाले को अपने एक हाथ मैं ऊपर उठा दिया था।  चम्पू ने कहा दोस्त डेनियल तुम इस पुलिसवाले को मत मारना।  पुलिस वाले  तुम पर गोली चला देंगे। डैनियल चंपू की हर एक बात मानता था। उसने उस पुलिस इंस्पेक्टर को एक और फेंक दिया। पुलिस वालों ने कहा चंपू को हमारे हवाले कर दो नहीं तो हम तुझे मार देंगे। वह बोला चंपू को मैं तुम्हें किसी भी हालत में नहीं दूंगा।  उन्होंने सचमुच ही डेनियल पर गोली चला दी थी। अपने दोस्त को बचाने के लिए चंपू आगे आ गया था। चंपू के बाजू में गोली लगी थी। खून का फव्वारा जैसे ही निकला डेनियल चिल्लाया तुमने मेरे दोस्त को मारा। मैं तुम सबको मार दूंगा।  अपने हाथ के इशारे से चंपू ने आहिस्ता से कहा अगर तुम सचमुच ही मुझे अपना दोस्त मानते हो तो तुम इन पुलिस वालों को गोली नहीं चलाओगे अगर तुम  मुझे अपना दोस्त मानते हो। राक्षस ने कहा तुमने मेरे बेटे को मारा है। चम्पू ने उसकी बाजू  से गोली निकाल दी थी। उस पर पट्टी बांध दी थी। राक्षस को रोता देखकर सारे पुलिस वाले हैरान थे  इस छोटे से बच्चे की दोस्ती ने उस राक्षस को बदल दिया था। चंपू ने पुलिसवालों को कहा कि मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं। अगर तुम मेरे दोस्त को नहीं मारोगे। पुलिस वालों ने कहा हमें तुम्हारी बात मंजूर है। उन्होंने डेनियल को छोड़ दिया। चंपू नें रोते-रोते डेनियल को कहा मेरे दोस्त अभी तो मैं जाता हूं परंतु बहुत जल्दी मैं तुमसे मिलने आया करुंगा। साथ में अपने दोस्तों को भी लाया करूंगा। डेनियल को चंपू ने कहा अलविदा उसका मन अपने दोस्त डेनियल को छोड़कर जाना नहीं चाहता था। चंपू घर वापिस आ चुका था तो चंपू ने अपने माता पिता को डेनियल की सारी बातें बताई कि किस तरह उसके साथ खेलता था। अपने दोस्तों के साथ डेनियल के साथ खेलने आता था। एक दिन जब वह अपने दोस्त से मिलने आया तो उसने डेनियल को जगाने के लिए उसके कान में

कुरेदना शुरू कर दिया मगर उसका दोस्त डेनियल नहीं जागा। उसके हाथ में एक कागज का पर्चा था। उस पर लिखा था मेरे दोस्त अलविदा डेनियल खूब पढ़ाई करना। मेरे जाने के बाद यहां पर कभी कभी आकर अपने साथी दोस्त कि यादों को तराताजा करना। तुम सब दोस्त मेरे बगीचे में आ कर खेलोगे तो मैं अपने जीवन को धन्य समझूंगा।

दुष्ट जादूगर

  1. यह कहानी बहुत वर्ष पुरानी है दो दोस्त थे सलिल और पुनीत। सलील के पिता आदिवासी थे उन दोनों में इतनी गहरी दोस्ती थी ऐसा लगता था कि उन दोनों का पुनर्जन्म का संबंध हो ।सलिल नटखट शरारतों से भरपूर और पुनीत एक दम शांत और गंभीर स्वभाव का था वक्त पड़ने पर एकदम दोनों एक दूसरे के लिए मर मिटने को आतुर रहते थे। उनके गांव में कोई हाई स्कूल नहीं था इसलिए उन दोनों को नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता था ।बरसात का मौसम था उनकी अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं आने वाली थी दोनों ही पढ़ाई में मस्त े एक दिन उन दोनों को ना जाने क्या सूझा की छुट्टी वाले दिन नदी के पार चलकर पढ़ाई की जाए

दोनों ने घर में कहा कि आज हमारी एक्स्ट्रा क्लासेस लगेगी दोनों ही तैयार होकर घर से झूठ बोलकर स्कूल के लिए रवाना हो गए चलते-चलते रास्ता भटक गए उनके गांव में चारों तरफ से बियाबान जंगल था । उन्हें समझ ही नहीं रहा था कि घर कैसे पहुंचा जाए ।चलते चलते हुए जंगल में बहुत ही दूर आ गए उन्होंने सुना था कि उनके गांव में एक ऐसी गुफा है जिसमें से अंदर जाकर दूसरी तरफ से निकल कर अपने घर के रास्ते में पहुंचा जा सकता है ।वे गुफा की खोज कर रहे थे वह गुफा हमें मिल जाए और अपने घर पहुंचा जाए अचानक सलिल का पैर एक तीखी चीज से टकराया। वह एक बहुत ही नुकीला पत्थर था उन दोनों की हिम्मत जवाब दे चुकी थी। उन्हें प्यासऔर भूख बड़े जोरों की लग रही थी ।शाम होने को थी उन्हें अपने घर का रास्ता ही नहीं मिल रहा था। सलिल के पैर से खून निकल आया था वह एक जादू का पत्थर था पुनीत ने वह पत्त्थर अपने जेब में रख लिया कोई अगर उन्हें मारने आए तो उसे चुभा कर उससे बच सकें। अंधेरा होने को था दोनों का डर के मारे बुरा हाल था दोनों सोच रहे थे कि हम पता नहीं कहां फंस गए वे दोनों डरपोक नहीं थे ।उन्होंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी सोचने लगे अब क्या किया जाए वह चलते-चलते बहुत दूर निकल आए दोनों ने देखा सामने ही एक पुराना खंडहर था ।उसमें वह जाकर रात बिता देना चाहते थे ।वह वहां पहुंच गए रात को उन दोनों को डर लगने लगा वे दोनों सोचने लगे कि हमारे मम्मी पापा हमारे लिए परेशान हो रहे होंगे अब क्या किया जाए। सामने ही एक बड़ा घर था दोनों उस घर में घुस गए अंदर जाकर देखा वह बिल्कुल खाली था। एकदम अंदर घुस केदेखा े वहां कोई नहीं था जैसे ही आधी रात हुई| खमडहर  सेें जोर जोर से आवाज आने लगी हमें बचाओ उन्होंने देखा आवाज कहां से आ रही है उन्हें कुछ भी पता नहीं चला की आवाज कहां से आ रही है वह एक के बाद एक कमरे में गए वहां पर बहुत सारे कमरे थे एक कमरे में एक पलंग बिछा था उस पर एक तकियाथा। तकिए के नीचे एक चाबी थी वंहा एक खंडहर था उस खंडहर का मालिक एक राक्षस था वह हर एक मासूमों को मारकर खा जाता था उसने वह चाबी तकिये केे नीचे इसलिए छुपा कर रखी थी जैसे ही कोई उस चाबी को हाथ लगाएगा उसे मालूम हो जाएगा कि उसके जादुई खंडहर में कोई आ गया है इसलिए वह मौके की तलाश में रहता था कि कब कोई शिकार आए और उसे मारकर अपनी भूख मिटा सके जब भी कोई भूला भटका वहां आता था तकिये केे नीचे चाबी को देख कर उसे छूता था तब उस राक्षस को मालूम हो जाता था पुनीत ने जैसे ही तकिया उठाया उसके नीचे से उसे चाबी दिखाई दी उस दैत्य को पता चल गया कि उसके घर में कोई आ गया है उसने जोर जोरसे हुंकार भरी  आदम बू दोनों दोस्त डर के मारे एक कोने में छिप गए े।  उनको  छिपते देख कर उस  दैत्य ने अपने आप से कहा  कोई बात नहीं अंधेरे में उस राक्षस    को दिखाई नहीं देता था मैंे सुबह के समय इन बच्चों को खाऊंगा वह सोचने लगा े कि इस दैत्य से कैसे छुटकारा मिले अचानक पुनीत को उस पत्थर का ख्याल आया उसने उसे निकालने के लिए हाथ बढ़ाया उसके कमीज के बटन की रगड़ाहट से एक  जिन्न प्रगट हुआ उसने कहा क्या हुक्म है अपने सामने एक जिन्न को खड़ा देख कर बहुत ही डर गए वह जिन्न कहने लगा कि मेरे बच्चों बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं उसने कहा मैं इस इलाके का जिन्न हूं अब मुझे बताओ क्या करना है वह बोले कृपया हमें हमारे घर पहुंचा दो जिन्न ने कहा मैं तुम्हें तुम्हारे घर तो पहुंचा नहीं सकता मगर जहां तुम्हारे पैरों में ठोकर लगी थी उसी रास्ते तक पहुंचा सकता हूं उन्होंने कहा कि ठीक है जल्दी करो वरना हम दोनों को  वह दानव मार डालेगा उस जिन्न नेअपनी जादू की शक्ति से उन्हें उसी रास्ते पर पहुंचा दिया डर के मारे अचानक एक पेड़ पर चढ़ गए रात को जंगली जानवरों के डर से पेड़ पर चढ़ गए। उस पर एक मैना अपने बच्चों से कह रही थी दो मासूम बच्चे जाने कहां फंस गए यहां पर एक खंडहर में एक राक्षस रहता है वह ना जाने कितने मासूम बच्चों को उस ने मार डाला है इन दोनों बच्चों को अब कौन बचाएगा राक्षस इन बच्चों को जरूर खा जाएगा ।इस जंगल से निकलना बच्चों का खेल नहीं है सलिल को पक्षियों की भाषा आती थी क्योंकि उसके पिता आदिवासी थे ।वह पक्षियों की बोली जानते थे मैंना कहने लगी कि वह अभी एक किलोमीटर चले ता उन्हें े एक घर दिखाई देगा उस घर में अगर वह चले गए तो वे दोनों बच्चे बच सकते हैं। सलिल ने जब यह सुना तो उसने अपने दोस्त पुनीत को सारी बात कही दोनों दोस्त  पेड पर से नीचे उतरे और आहिस्ता आहिस्ता रास्ता पार करने लगे डरते डरते उस घर में पहुंच ही गए उस घर के अंदर चले गए अंदर जाने पर उन्हें एक बुढ़िया मिली ।बुढ़िया ने उन्हें उन्हें खाना खिलाया अचानक उसकी आंखें भर आ गई। वह कहने लगी मुझे पता है कि तुम उस दानव के चुंगल से बचकर आ गए हो ।उस देत्य के चंगुल से बचना मुश्किल है ।बुढ़िया ने उन्हें खाना खिलाया अचानक उस बूढिया की आंखें भर आई। वह कहने लगी उस दैत्य को जादुई शक्तियां प्राप्त है ।उसने मेरी मुंह बोली बेटी को कैद किया हुआ है ।मैंने उसे बचपन से पाल पोस कर बड़ा किया ।उसके माता-पिता चन्दरगढ  के राजा-रानी थे।उनके पास जादू की तलवार थी। दुष्ट जादूगर को कहीं से उस जादू  की तलवार के बारे में पता लग गया था उसे यह भी पता लग गया था कि यह जादू की तलवार  है। वह तलवार राजा रानी की इकलौती बेटी के पास है। उसकी धाय मां को यह पता चल गया था कि वह दैत्य राजकुमारी से जादू की तलवार प्राप्त करने के लिए आएगा।  उसने राजकुमारी के पलंग पर अपनी बेटी को सुला दिया और दूसरे कमरे में अपनी बेटी को उस राक्षस ने जब राजकुमारी को सोया देखा तो उन्होंने उसे  राजकुनारी समझकर मार दिया और जादुई तलवार को लेकर चंपत हो गया। जब सुबह राजकुमारी उठीऔर अपनी सहेली को देखने गई तो उसे सारा माजरा समझ में आया ।धाय़ मां  ने उससे कहा बेटी मेरी कुर्बानी जाया नहीं गई। उसके माता पिता ने उसे एक जादू का शीशा दिया था । कहा था कि यह तुम्हारी हमेशा मदद करेगा। उस बुढ़िया ने उन दोनों को कहा कि तुम दोनों बच्चे बहादुर तो हो तुम मेरी बिटिया को उस राक्षस के चुंगल से छुड़ा सकते हो ।उस बुढ़िया ने उन्हें एक अंगूठी दी और कहा जब भी तुम पर कोई मुसीबत आए तो तुम इस को तीन बार रगडना मुझे पता चल जाएगा कि तुम मुझे याद कर रहे हो ।तुम जल्दी से यहां से चल चले जाओ वरना उस राक्षस से तुम्हारा भी बचना संभव नहीं है ।वह दोनों जाने को ही थे कि उन्हें उस नुकीले पत्थर का ध्यान आया ।उन दोनों दोस्तों ने उस जिन्न को बुलाया कुछ जिन्न ने कहा  मैं तुम्महारी क्या मदद कर सकता हूं।बच्चों इस इलाके से बाहर मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता ।  पत्थर से जंहा तुम्हें ठोकर लगी थी उसी रास्ते तक पहुंचा सकता हूं उन्होंने कहा ठीक है। जल्दी करो वरना वह राक्षस हम दोनों को मार डालेगा उस जी ने अपनी जादुई शक्ति से उन्हें उसी रास्ते पर पहुंचा दिया ।वह डर के मारे अचानक एक पेड़ पर चढ़ गए। रात को जंगली जानवरों के डर से पेड़ पर चढ़ गए ।उस पेड़ पर एक मैनाअपने बच्चों से कह रही थी दो मासूम बच्चे जाने कहां फंस गए ।पुराने खंडहर में एक राक्षस रहता है उस राक्षस ने ना जाने कितने मासूम बच्चों को मार डाला है इन दोनों बच्चों को उस राक्षस से कौन बचाएगा। राक्षस सुबह इन बच्चों को जरूर खा जाएगा। इस जंगल से निकलना बच्चों का खेल नहीं है सलिल को पक्षियों की भाषा आती थी ।उसके पिता आदिवासी थे वे पक्षियों की बोली जानते थे मैना कहने लगी कि वह अभी 1 किलोमीटर चले तो उन्हें एक घर दिखाई देगा ।उस घर में चले जाए तो वह दोनों बच्चे बच सकते है।ं सलिल ने जब यह सुना तो उसने अपने दोस्त पुनीत को सारी बात कही ।दोनों उस पेड़ से नीचे उतरे और आहिस्ता आहिस्ता रास्ता पार करने लगे। उस बुढिया ने उन्हें बताया जब  तकतुम जादुई शंख ,जादू की तलवार, जादू की माला और जादू का बक्सा जब तक नहीं लाओगे तब तक वह राक्षस मरने वाला नहीं है ।दोनों ने जिन्न सेे कहा कि हमें एक उड़ने वाला घोड़ा दे दीजिए जिन्न ने उन्हें एक उड़ने वाला घोड़ा दे दिया ।घोड़ा पाकर वे दोनों बहुत ही खुश हुए उन दोनों ने ठान लिया था कि अब वह उस राक्षस को मार कर ही दम लेंगे जब तक उन्हें यह चारों वस्तुएं नहीं मिल जाती तब तक चैन से नहीं बैठेंगे मन में दृढ़ संकल्प लिए वहां से निकल पड़े ।आधी रात में ही घोड़े पर सवार होकर वे वहां से निकल गए चलते चलते उन्हें सुबह हो चुकी थी ।वह एक गांव में पहुंचे  वहां पर जोर जोर से एक आदमी आवाज लगा रहा था कि जो कोई मेरा खेत जोत देगा उसे 100 अशर्फिया दूंगा ।उन दोनों ने सोचा क्यों ना आज के दिन इस आदमी का खेती जो त दें उन्हेें १०० अशर्फियां  मिल जाएगी ।उन्हें धन की बहुत आवश्यकता थी इसलिए उन दोनों ने आवाज लगाई। हम बहुत दूर से आए हैं हम दोनों तुम्हारा खेत जोत देंगे ।उस आदमी ने कहा तुम शक्ल से ताे शरीफ   घराने के लगते हो तो चलो अभी से अपना काम करना शुरू कर दो ।पहले कुछ खा पी लो उन दोनों ने  पेट भर  कर खाना खाया ।उस आदमी ने उन्हें अपना खेत दिखा दिया।  दोनों अपने अपने काम में लग गए ।शाम होने को आई थी वे खेत जोतते काफी थक चुके थे ।वे सोचने लगे अब थोड़ा सुस्ता लिया जाए उनकी नजर उस खेत में दबेे  एक कुत्ते के बच्चे पर पड़ी । उन्हाेंने उसे बाहर निकाला उन्होंने उस कुत्ते के बच्चे को पानी पिलाया वह बच्चा बच चुका था। उन्होंने सारा खेत जोत दिया था खेत जोत कर खेत के मालिक के पास आए। खेत का मालिक  े उनकी मेहनत देख कर  उस खेत के मालिक ने उन्हे १०० अशर्फियां दे दी।वह खुशी खुशी वहां से आगे निकल पड़े जहां भी जाते कुत्ते का बच्चा भी उन दोनों के साथ चल पड़ता। वह भी उनका उनका दोस्त बन चुका था ।चलते चलते उन्हें काफी दिन हो चुके थे सात समुद्र पार जाने के लिए वे जादुई शंख जादू की तलवार ,जादू की माला और जादू का बक्सा प्राप्त करना चाहते थे ।वे चलते ही जा रहे थे 7 किलोमीटर की दूरी पर उन्हें एक बहुत ही सुंदर बगीचा दिखाई दिया ।पुनीत ने बाग में फलों को देख कर खुश होते हुए अपने दोस्त से कहा इस बाग की सुंदरता को निहारते हुए कहा इस बाग  की महक हमारे मन को लुभा रही है इस  बगीचे के फल भी इतने ही स्वादिष्ट होंगे जैसे ही उसने उन फलाेंको हाथ लगाया दोनों दोस्त खाने ही वाले थे कि कुत्ता जोर-जोर से भाैंकने लगा ।उनको  भीैंकते देख कर दोनों ने सोचा  वे किसी मायावी नगरी में पहुंच गए है।ं उन्होंने उन फलाें को नहीं खाया । वह थकान मिटाने के लिए वही विश्राम करने लगे तो उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वह निद्रा देवी की गोद में थे ।़जब जागे तो उन्होंने अपने आप को एक हवेली में पाया ।उस हवेली की संचालिका एक दुष्ट जादूगरनी थी ।वह दुष्ट जादूगरनी उस राक्षस की बहन थी ।वह हर पूर्णमासी को एक आदमी को मारकर खा जाती थी ।एक एक आदमी को पकड़कर कैद कर लेती थी और उन्हें मारकर अपनी पिपासा को शांत करती थी ।जादूगरनी कहने लगी की बच्चाे तुम कहां से आए हो ।उन्होंने उस जादूगरनी को अपनी कहानी सुना दी कि हम अपने घर का रास्ता भूल गए हैं अपने घर जाना चाहते हैंं उसने कहा कि वह उन्हें सुरक्षित तुम्हारे घर पहुंचा देगी ।रात को सोने के लिए उन्हें एक साफ-सुथरा कमरा दे दिया। उन्होंने देखा सुबह के समय उस जादूगरनी को सीढ़ियां उतरते देखा जब वह जादूगरनी नजरों से ओझल हो गई तो कुत्ता जोर जोर से भाैंकने लगा उन दोनों ने सोचा जरूर दाल में कुछ काला है जब वह जादूगरनी किसी काम से बाहर गई तो उन दोनों ने साेचा चल कर देखे तो इस घर में क्या है ।इस हवेली का मुआयना किया जाए ।सीढ़ियां उतरनें लगे सबसे नीचे वाले कोने में एक छोटी सी काेठरी के सामने अंधेरा था वहां  परकुत्ता जोर जोर से भाैंकने लगा । पुनीत ने कहा कि मैं देखता हूं यहां क्या है जब उन्होंने खिड़की में से देखा तो वहां एक आदमी सोया पड़ा था और कुत्ता जोर-जोर से  रोने लगा उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए तब उन्होंने बुढिया द्वारा दी गई अंगूठी को तीन बार रगडा । बुढ़िया ने कहा तुमने मुझे  क्याें ेंयाद किया। सलिल ने कहा कि हम ना जाने किस मायावी नगरी में पहुंच गए है।ं बुढ़िया ने कहा कि तुम सही दिशा में जा रहे हो मेरे बच्चे यह तुम्हारा पहला पडा़व है यहां की संचालिका एक दुष्ट जादूगरनी है जिसने मेरी बेटी को कैद कियाा है ।मेरी बेटी को भी इस जादुई शंख के बारे में पता है इसलिए वह उसको नहीं मारती परंतु उसका रहस्य मालूम करना चाहती है लग्न और मेहनत से काम करोगे तो तुम्हें तुम्हारी मंजिल अवश्य मिलेगी। तुम दोनों उसके दिए हुए भोजन को मत खाना तुम्हें भी वह मार देगी । शाम को जादूगरनी ने खाना दिया जा कर उन दाेनाें ने खाने को फेंक दिया और सोने का नाटक करने लगे।आधी रात हुई तब बुढ़िया जादूगरनी उठी अपने कमरे में गई जैसे बुढ़िया अपने कमरे में गई उन्होंने देखा खिड़की में से झांक कर देखा बुढ़िया ने अपने कमरे में एक घड़ा रखा था उसने उसने एक बोतल में  से जल लिया और अपने पलंग के नीचे एक बक्से में से एक छडी निकालकर और दरवाजे को खोल कर े  जाने लगी जैसे ही वह बुढ़िया सीढ़ियां  उतरने लगी चुप चाप छिप के उसके पीछे हो लिये। वहां जाकर उन दोनों ने देखा बुढ़िया ने हवेली की सबसे नीचे की मंजिल में जाकर उस काेठरी काद्वार खोला े।े जल्दी से बूढ़ी जादूगरनी के कमरे में गए वहां एक लोटा लिया और उस घड़े में से एक जल का गिलास लिया और पलंग के नीचे से उसके बॉक्स में  से उस छड़ी को निकाला जल्दी-जल्दी सीढ़ियां उतरने लगे। उन्होंने उस नुकीले पत्थर सेे उस कोठरी के द्वार को खोला और अंदर घुस के वहां जाकर उन्होंने देखा एक बहुत ही सुंदर राजकुमारी  बेहोशी की अवस्था में थी ।पुनीत ने उस पर जल की बूंदें खिड़की और छड़ी को उसके बालों पर घुमाया वह देखकर दंग रह गई कि वह उठकर बैठ  गई।उन दोनों युवकों  को आश्चर्य से देखने लगी। उन दोनों ने कहा कि डरो मत हम तुम्हें छुड़ाने  आए हैं।तुम्हारी मां ने हमें यहां भेजा है ।उस राजकुमारी ने कहा कि जल्दी करो नहीं तो वह दुष्ट जादूगरनी हमें मार कर ही दम लेगीं ।उन्होंने उस राजकुमारी को वहां से छुड़वाया उस राजकुमारी ने कहा कि मेरी तरह एक आदमी को भी उस दूसरे तहखाने में बंद कर के रखा है जल्दी से उसे भी निकालो। कल पूर्णमासी के दिन उसे भी वह दुष्ट जादूगरनी खा जाएगी जैसे इन्होंने दूसरे तक आने के द्वार खुला तो वहां एक आदमी को मृत्यु शैया पर पड़े हुए देखा कुत्ता उसके पास जाकर उसके पैरों    के पास लेाटने लगा । सलिल ने पानी की दाे तीन बूंदें उस आदमी पर छिड़की और छड़ी उस पर घूमाई। मै परी भानुमति को ढूंढते-ढूंढते यहां आ पहुंचा वह तो मुझे नहीं मिली परंतु मैं यहां फंस गया ।वह आदमी उठ खड़ा हुआ वह अपने कुत्ते टॉमी को देख कर बहुत खुश हुआ अपने मालिक को जीवित देखकर कुत्ता बहुत खुश हुआ उस आदमी ने कहा कि पता नहीं चलते चलते यहां उस बाग में पहुंच गया अचानक रास्ता भटक जाने से और चट्टानों पर किस करने से मेरा टाॉमी ताे मुझसे बिछड़ गया मगर उस दुष्ट जादूगरनी ने मुझे यहां बंदी बना लिया। आज अगर तुम दोनों ना होते तो मैं यहां से कभी वापस अपने घर नहीं जा सकता था उसने उन दोनों दोस्तों का शुक्रिया अदा किया और जल्दी-जल्दी अपने कुत्ते टॉमी के साथ वहां से चला गया ।राजकुमारी ने उन दोनों को कहा कि जल्दी हमें यहां से निकलना चाहिए नहीं तो वह दुष्ट जादूगरनी आकर हमें मार देगी। उस राजकुमारी ने कहा कि तुम दोनों जैसे ही दुष्ट जादूगरनी यहां पर आएगी तुम दोनों उसे बंद कर देना जैसे ही वह दुष्ट  जादुगरनी अपने कमरे में चारपाई पर जाकर  अपने पंलंग पर लेट गई उन दोनों ने उसको अंदर से बंद कर दिया और ताला लगा दिया ।अभी तीनों घोड़े पर सवार हो कर चल दिए। राजकुमारी ने कहा कि जिस ने तुम्हें कैद किया था उस दानों की बहन है ।वह जल्दी ही बुढ़िया की बेटी कहने की कि मेरे मां बाप चंद्र गढ़ के राजा रानी थे जिस बुढ़िया मां ने मुझे पाला में प्यार से उन्हें धाय मां बुलाती हूं। उनकी भी एक बेटी थी उस दुष्ट दानव ने चुपके से धोखे से मेरे मां-बाप को मार डाला एक दिन वह ढूंढते मुझे भी मारने आया। उस धाय मां ने मुझे बचा डाला धाय मां ने मेरी जगह अपनी बेटी को सुला दिया ।धोखे में उस ने धाय मां की बेटी को मार डाला वह धाय मां मुझे लेकर चुपके से उस शहर से दूर आ गई ।वहां उन्होंने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया उस दुष्ट जादूगरनी को मेरे जीवित होने का पता चल गया और वह ढूंढते-ढूंढते मुझे भी मारने आ गया मेरी मां ने मरते वक्त मुझे जादुई तलवार के बारे में बताया था। वहां पर पहुंचना कोई आसान बात नहीं है ।इसलिए उस जादूगरनी ने मुझे यहां पर कैद कर लिया था ।राजकुमारी बोली ठहरो उसने अपनी जेब से एक शीशा निकाला उसने मंत्र पढ़ा और सीसे से पूछा हमें आगे का रास्ता बताओ। ।उसके सामने अचानक एक सीधा रास्ता बन गया ।उसने उन दोनों दोस्तों से कहा जहां से यहां यह रास्ता खत्म होगा वहां जो भी मकान हमें मिलेगा हम वही विश्राम करेंगे चलते चलते हुए तीनों थक गए थे उन्होंने अपने घोड़े को दौड़ाया अचानक उन्होंने देखा कि रास्ता समाप्त हो चुका था उन्हें वहां पर एक हवेली नजर आई। वहां पर तीन मकान थे तीनों मकान इतने सुंदर थे कि तीनों उस मकान की सुंदरता को देखकर   क्योंकि इतना सुंदर घर उन्होंने अपनी जिंदगी में जिंदगी में कभी नहीं देखा था। बहार फूलों का एक सुंदर बगीचा था ।वह मीठे मीठे फल लगे हुए थ।े राजकुमारी ने बताया कि हम तो खुशनसीब है हम 3 हैं तीनों अलग-अलग घर में रहेंगे सुबह हम तीनो एक ही जगह पर मिलेंगे हम तीनो में से कोई भी अगर मुसीबत में होगा तो हम इस घर के बाहर हरे रंग से प्लस का निशान बना देंगे ।उस राजकुमारी ने कहा कि यह घर तीन परियों का है तीनों परियां तीनों सभी बहने हैं मुझे मां ने इस इनके बारे में थोड़ा थोड़ा बताया था तीनो एक दूसरे को अलविदा कहते हैं ।पहले सलीम ने पहले घर में प्रवेश किया जैसे उसने दरवाजे पर दस्तक दी अंदर से एक आवाज आई  ठहराे। हम बाहर से आने वाले अजनबी  पर विशवास नहीं करते तुम्हें हमारे इम्तहान से गुजरना होगा ।तुम अपनी बहादुरी की मिसाल  देना चाहते हो तो तुम्हें हमारे सैनिकों के साथ लड़ना होगा। सलिल ने अचानक उसके साथ लड़ाई करके अपनी वीरता की मिसाल दी तब परी ने उससे कहा तुम काे अंदर आने की ईजाजत है ।परी ने उससे पूछा आप क्या लेना पसंद करेंगे शरबत या फल ।उसने कहा मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए मैं  विश्राम करना चाहता हूं ।मैं थक गया हूं परी ने कहा जैसी तुम्हारी मर्जी उसने उसे रहने के लिए एक सुंदर कमरा दे दिया उसने देखा कि एक नौकर ने आकर उसे खाना लगा दिया है ।उसने देखा कि एक चूहा आकर उस खाने को खाने लगा वह वही मर गया। वह सोचने लगा कि यह कोई जादुई परी नहीं वह जादूगरनी के जाल में फंस गया है ।परी आई उसने देखा खाना समाप्त हो गया था खाने को चुपके से उसने बाहर फेंक दिया। था वह वहां से चली ेगई। रात  के समय परी नेे सोचा कि अब वह मर चुका होगा ।मेरे विष का असर उस पर हाे हो गया होगा ।उस परी ने पिंजरे में से एक तोते को निकाला और उससे पूछा मेरे मियां मिट्ठू मेरे मियां मिट्ठू मुझे जल्दी बताओ जादुई तलवार के रहस्य के बारे में अचानक उसने कहा मेरी प्यारी परी जिस मनुष्य को तुमने  जहर देकर मारना चाहा उसने तुम्हारे खाने को नहीं खाया वह बहुत बहादुर है ।उसके साथ दोस्ती कर लो वह तुम्हारी जरुर मदद करेगा, तभी तुम अपने मनपसंद राजकुमार से मिलोगी। यह सब सलिल देख रहा था वह चुपके से अंदर आया और चुपचाप सोने का नाटक करने लगा जब आधी रात हुई तो वह परी जोर जोर से रोने लगी ।उसे रोता देखकर सलिल बाहर आया और बोला  तुम क्यों रो रही हो ।वह बोली शायद लगता है तुम मेरा काम कर सकते हो ।हम तीनों बहनों को एक विषधर सांप रूपी दैत्य ने अपने वश में कर रखा है ।जब हम उस के चुंगल से छूटेंगे तभी हम अपने घर सही सलामत पहुंच जाएगी। हम तीनों परियों काे भी   जादू  आता था। उस विष रूपी दैत्य ने,हमें अपने वश में कर लिया है। इसलिए हम बिल्कुल असमर्थ हैं तुम जब जादुई तलवार को  प्राप्त कर लोगे तो उस विषधर रूपी दैत्य को मारकर जादुई तलवार से वह दैत्य तो  मर जाएगा और जब वह मर जाएगा तब हम भी आजाद हो जाएंगी। सलील बोला मैं तुम पर यकीन नहीं करता तुमने मुझे अभी मारने की कोशिश की थी मैं मर ही गया होता अगर मैंने वह खाना खा लिया होता तो परी ने उस से माफी मांगी मेरे तोते ने मुझे सब कुछ बता दिया ह। सलिल ने कहा पहले मेरे दोस्त पुनीत और राजकुमारी को भी यहां बुला लो तब हम तीनों मिलकर इस समस्या का हल ढूंढ़ते हैं। पहली परी उसको दूसरी परी के पास ले गई। परी ने अपनी बहनों को सारी बातें कहीं ।  हमारा जादू अब उसके सामने नाकाम है । जब दूसरी परी ने उसे भानुमति कह कर पुकारा तब पुनीत चाैंका वह युवक ही तो उस भानुमति को ढूंढते-ढूंढते यहां आया हो ।दोनों दोस्त और बुढ़िया की बेटी उसके साथ चलने लगे ।एक बड़े से  वृक्ष के पास जाकर वहां पर बोली वह रात को इस वृक्ष  के नीचे अपना वेश धारण करता है ।सुबह के वक्त तो वह सोया होगा हमने तुम्हें यह जगह बता दी ।तीनों वापिस आ गए ।वे तीनो बहुत थक चुके  तीनाे, रात को आराम से सो गए ।तीनों चुपके से रात के समय आए और उस वृक्ष की ओट के पीछे से छुपकर सारा माजरा देखने लगे । आधी रात के समय वह विषधर नाग रुपी दैत्यके रूप में बदल गया ।उसने परी को आवाज दी आदमबू आदमबू कहते हुए दैत्य ने हुंकार भरी और परियों को बुलाया। पुनीत ने देखा उसके गले में मोतियों की माला चमक रही थी उसने उन मोतियों की माला में से एक मन का निकाला और कहा जंतर मंतर छली छलंतर 3 बार  यह मंत्र  बाेला।वंहाएक गुफा बन गई और उसने फिर उस मनके को अपनी माला में डाल दिया। उसने अपने सिर का एक बाल तोड़ा और फिर वही मंत्र धराया तंत्र मंत्र छली छलंतरअचानक उन्होंने देखा अंदर जाने के लिए एक रास्ता बन गया । जब वही मंत्र उन्होंने तीसरी बार दोहराया तो वह  गुफा गायब हाे गई।वह दानव े भी दिखाई नहीं दिया ।तीनों दोस्त देखते ही रह गए। उस देत्य से मुकाबला करना इतना आसान नहीं तीनों ने उसी मंत्र को दानव को बोलते हुए सुना था परियों द्वारा उन तीनों को पता चला कि वह दारू पी कर दिन को सोता रहता है ।दिन को वह किसी को कुछ नहीं करता दिन को उसके जादू का किसी पर असर नहीं होता ।उन तीनो ने मिलकर अंदर जाने का निश्चय कर लिया। पुनीत सलीम और राजकुमारी  तीनाें अन्दर जाने वाले थे ।उन्होंने अपने दिमाग पर जोर देकर वही मंत्र याद किया ।उन्होंने कहा तंत्र मंत्र छली छलंतर  कहा कुछ नहीं हुआ तब उन्होंने 3 बार वही तंत्र मंत्र तीनाें ने कहा उन्होंने देखा एक विषधर नाग रुपी दैत्य आराम से वहां खर्राटे ले रहा था ।ऐसे तो वह सांप दिखाई देता था उन्होंने देखा कि उसके गले में मोतियों की माला है वह सोचने लगे कि इसके गले से कैसे माला ली जाए ।उन्होंने उस जादूगरनी से लिए हुए जल की बूंदें उस  दैत्य पर फेंकी सांप रुपी दैत्य अचेतन अवस्था में गया था। उन्होंने चुपके से उसके गले से माला निकाली उस माला को उसनेअपने  गले में चारों ओर  से लपेटा हुआ था ।सलिल ने वह मोतियों की माला उसके गले से ले ली ।उसनेवह मोतियों की माला में से एक मनका लियाऔर फिर कहा तंत्र मंत्र छली छलंतर वही मंन्तर  दाेहराया।चुपके से उस दै्त्य का एक बाल तोड लिया जैसे हीउन्होंने उस के बाल को हाथ लगाया उस  दैत्यको होश आ गया उसको होश में आता देखकर जैसे ही वह दैत्य रुप में प्रवेश होने लगा तीनों दोस्तों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई।  बुढिया की लड़की को याद आया कि जादुई शीसेसे पूछा  अब क्या किया जाए ।उसने जल्दी से पूछा। दैत्य होश में आ रहा है कृपया कर उससे बचने का उपाय बताओ ।शीशे से आवाज आई अच्छा हुआ तुम ने एक बाल खैंचा है।तुम वही मंतर  दाेहराओ तुम्हें अपने आप रास्ता मिल जाएगा नहीं तो वह दानव तुम्हें मार देगा। जल्दी से उन्होंने वही मंत्र बोला वह गुफा गायब हो गई। वह मोतियों की माला उनके हाथ लग गई थी ।वह तीनों परियों के पास आए और बोले हमें जादू की माला प्राप्त हो गई है। हमने अभी उस राक्षस को नहीं मारा है तीनों परियों ने कहा पहले तुम्हें जादू की छड़ी को प्राप्त करना होगा और जादू की तलवार से उस राक्षस को मारना होगा वह जादू की तलवार यहां से 5 किलोमीटर दूर एक खंडहर है ।वहां पर सीधी हलाल नाम का एक डाकू रहता है ।वह बहुत खूंखार है उसके विष सांप रुपी देत्य का   उस सिद्धीहलाल नामक डाकू पर  असर हो गया है। वह डाकू जो कोई भी आता है वह सीधी हलाल नाम का डाकू उस बक्से की रखवाली करता है। उस बॉक्स में वह जादू  की तलवार रखी हुई है। जादू  की तलवार को प्राप्त करने के लिए तुम्हें एक विशाल समुद्र को पार करना होगा । तुम जब इस विशाल समुद्र को पार कर लोगे तो इस समुदर् में अनेक प्रकार के विषैले कीड़े मकोड़े हैं ।इनका विष इतना खतरनाक है कि व्यक्ति वहां तक पहले पहुंच ही नहीं सकता अगर पहुंच भी गया तो वहां से जिंदा बचकर नहीं आता ।तीनों अपने घोड़े पर बैठे और चलने लगे।े चलते चलते वे बहुत ही थक चुके थे अचानक उन्होंने अपने सामने एक सुंदर बाग देखा ।वहां पर सुंदर फूल लगे थे। वहां कोई नहीं था। वह अंदर जैसे ही जाने लगे उन्होंने देखा एक किनारे पर एक छोटी सी कुटिया थी। वहां पर एक साधु बाबा तपस्या कर रहे थे ।वह साधु बाबा पता नहीं कितने दिन से तपस्या कर रहे थे ।उन्होंने उनकी  बहुत सेवा की परंतु वह साधु बाबा कुछ नहीं बोले। उन्होंने उनको हिलाया  डुलाया। पुनीत ने देखा वह साधु बाबा की सांसें तो चल रही थी उन्होंने उनकी खूब सेवा की वे सोचने लगे कि हम इन्हें कैसे हो उसमें लाएं उन्होंने उन साधु बाबा पर दो तीन बूंदे उस जल की  उंडेल दी।बाबा ओम नमो करते हुए उठ गए उन्होंने आश्चर्य से उन बच्चों की तरफ देखा और कहा मेरे प्यारे बच्चों, ना जाने मुझे किसी दैत्य ने क्या सुंघाया था की मेरे कुछ भी बोलने की शक्ति मुझसे छीन गई थी। मैं  एका साल से ऐसे ही यहां प़डा हूं तुमने मुझे फिर से जीवनदान दिया है अब मेरे प्यारे बच्चों मांगो तुम क्या मांगना चाहते हो ।पुनीत बोला बाबा हमें कुछ नहीं चाहिए ।हम तो अपने मक्सद में कामयाब होना चाहते है,ं कृपया हमें अपना आशीर्वाद दे दीजिए। बाबा बाेले तथा अस्तु बाबा बाेले तुम्हारा मकसद क्या है ।तब पुनीत बोला कि मैं जादुई तलवार प्राप्त करना चाहता हूं जिससे मैं दानव को मार कर उस राजकुमारी को उसके राजकुमार से मिलाना चाहता हूं परियों को उनके देश वापस भेजना चाहता हूं और खुशी-खुशी अपने घर वापिस जाना चाहता हूं ।मुझे इसके अलावा कुछ नहीं चाहिए बाबा बोले बच्चों जिस इंसान में धैर्य, साहस, लग्न और सच्ची निष्ठा होती है कामयाबी उसे जरुर हासिल होती है ।तुम्हारा ईरादा नेक है तुम दोनों में वह सभी खुबिया हैं तुम अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों से मुकाबला करते हुए तो तुम्हें एक दिन विजय जरूर हासिल होगी ।साधु महात्मा ने कहा तुम अपनी मंजिल के आखिरी पड़ाव पर हो । तुम जैसे ही आगे बढ़ोगे तुम्हें वहां पर जोर जोर से रोने की आवाजें सुनाई देगी बचाओ-बचाओ तुम दोनों आगे ही बढ़ते रहना। तुमने पीछे मुड़कर जरा भी देखा तो तुम दोनों पत्थर के बन जाओगे तुम इस राजकुमारी को यहीं पर छोड़ दो ।वापस आने पर यहां से तुम इन्हें उनके घर सही सलामत पहुंचा देना वह राजकुमारी अब यहीं पर रहेगी ।दोनों ने राजकुमारी को अलविदा कहा और जाते जाते उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे राजकुमारी ने उन दोनों को जादू का शीशा दे दिया। वह धीरे धीरे अपने यात्रा की ओर बढ़ने लगे अचानक पुनीत ने माला को अपनी गर्दन में डाल दिया ।पुनीत गायब हो गया सलीम कहने लगा परंतु उसका दोस्त कुछ भी बोल नहीं रहा था सही सोच लगा वह पत्थर बन गया है वह पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहता था वह सोचने लगा कि मैं अगर पीछे मुड़कर देख लूंगा तो मैं भी पत्थर का बन जाऊंगा ।उसका दोस्त उसका दोस्त ही नहीं भाई के जैसा था वह उसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा था।  उसकी भी हिम्मत अब जवाब दे चुकी थी ।उसने देखा आगे सिढियां ही सिढीयां थी वह उनको चढने लगा चुप-चाप वहीं पर बैठ गया । वह अपने दाेस्त काे ढूंडने लगा।उसकी आंखें रो रोकर सूज गई थी। अचानक उसे शीशे का ध्यान आया उसने सीसे् से कहा मुझे सही राह दिखाओ ।जादू  के सीसे ने कहा तुम्हारा दोस्त मरा नहीं है जीवित है तुम सीढ़ियों की तरफ सीसा लगाओ। शीशे में से उसने देखा उसका दोस्त  वंहा बेहाेश पडा हुआ था।,तुम उसके गले से माला निकालो ,पर पीछे मुड़कर मत देखना। उसने बांए हाथ से उसके गले से माला निकाली सलिल ने पीछे से घुमाकर माला निकाली। उसका दोस्त उठ खड़ा हुआ दोनो दोस्त गले मिले ।वहअब आगे चलने लगे सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते उन्हें एक पुल को पार करना था ।पुल को पार करते करते हुए नीचे उतरने लगे वहां पर पहुंचते ही एक सुंदर बाग दिखा दिया। बाग में फूल लगे थे उन्हें भूख भी बड़े जोरों की लग रही थी उन्होंने खूब भरपेट कर खाना खाया खाते ही उन्हें अपने शरीर में अधिक उर्जा का आभास हुआ ।वह आगे चल रहे थे उन्होंने एक तोता और मैना को बातें करते सुना मैना कह रही थी कि इस विशाल समुद्र में एक विशाल मगरमच्छ रहता है उसके पेट में वह जादुई शंख है जिसको प्राप्त करने पर व्यक्ति के पास बहुत धन-दौलत आ जाती है ।उस जादुई शंख से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है। यह दोनों बच्चे अपनी मंजिल के बहुत करीब है यहां पर सामने ही सीधी हलाल नाम का डाकू पहरा दे रहा है डाकू को मार कर अंदर प्रवेश कर ले तो उन्हें रहस्यमई तलवार को प्राप्त करने में आसानी हो जाएगी ।अंदर सात दरवाजे हैं तो दोनों में से एक द्वार में चाभियां पड़ी है और उस रहस्यमइ तलवार को जिस कमरे में रखा गया है इन साताें द्वाराें

ं में से किसी एक  दरवाजे में चाबी है। रहस्यमई तलवार को जिस कमरे में रखा गया था  साताें दरवाजाेंं में से एक द्वार में चाबी थी ।वह रहस्यमई बॉक्स के अंदर वह तलवार रखी गई थी दोनों सोचने लगे कि सातों ं में किस में चाबी होगी उन्होंने नुकीले पत्थर को रगड़ा और जिन्न से पूछा कि किस दरवाजे में चाबी है जिन्न ने कहा जिस द्वार में लाल निशान लगा है उस द्वार में चाबी है।ं उन्होंने जल्दी से जाकर वहां से चाबी ले ली और सारे द्वार खाेले मगर उन्हें कहीं बॉक्स नजर नहीं आया ।उन्हें सातवें द्वार पर बिस्तर के नीचे जादू का बॉक्स मिल गया जिसमें जादुई तलवार पड़ी थी ।पुनीत ने जल्दी से तलवार निकाली और जल्दी से उस विशाल समुद्र की ओर गया जहां पर एक बड़ा अजगर था उसके पेट में एक विशाल जादू का शंख था वह अजगर नहीं था वास्तव में वह एक दानव था जो दिन  में अजगर बन जाता था और रात को एक खूंखार  दानव े का रूप धारण कर लेता था उसके पेट में जादुई शंख था जादू के शंख को कोई प्राप्त कर ले तो बीमार व्यक्ति भी ठीक हो जाता था जिस शंख को प्राप्त कर व्यक्ति बहुत धनवान हो जाता है ।यहां पर सीधी हलाल नाम का डाकू पहरा दे रहा था वह डाकू अजगर  रूपी दानव का पहरेदार था अगर सिद्धि हिलाल डाकू को मार कर अंदर प्रवेश कर ले तो इस रहस्यमई तलवार को प्राप्त करने में हमें सफलता मिल जाएगी सलिल और पुनीत जैसेही आगे बढ़ेउन्होंने विशाल समुद्र को पार कर लिया। लाल नाम का डाकू अजगर के रूप में था क्योंकि दिन के समय वह दानव का रूप धारण नहीं कर सकता था उन्होंने चुपचाप सीसे को जेब से निकाला और पुनीत ने माला पहन पहन ली जिससे वह दोनों अदृश्य हो गएे सीसे मेंे से सामने वाला कोई भी व्यक्ति देख नहीं सकता था। चुपचाप वे दोनों उस अजगर के पास पहुंच गए उन्होंने अजगर पर उसने  नुकिले पत्थर से वार किया उसकी आंखों में नुकीले पत्थर को चुभा दिया। जैस हीे उन्होंने वह पत्थर रगड़ा एक जिन्न प्रगट  हुआ र सलिल और पुनीत को कहा कि यह अजगर ऐसे नहीं मरेगा तो इसके पेट में पत्थर  चुभा कर उसे बेहोश कर दो ।वहां उन्होंने उस अजगर को पत्थरों पर पटक कर मार दिया और जादुई शंख प्राप्त कर लिया जपुनीत ने भानुमति को उस राजकुमार से मिला दिया क्योंकि वह वही राजकुमार था जिसने कि अपने कुत्ते को पहचान लिया था भानुमति अपने राजकुमार को पाकर बहुत ही खुश हुई परी का जादू वापिस आ गया था उसने उन दोनों दोस्तों को बुढिया की बेटी तक पहुंचा दिया धाय मां भी अपनी बेटी को पाकर बहुत खुश हुई ।परियों ने उन्हें उनके घर वापस भेज दिया ।सलिलऔर पुनीत अपने घर में पहुंच कर बहुत खुश हुए। उनके माता-पिता अपने बच्चों को देखकर बहुत ही खुश हुए ं

गांव का मेला (कविता)

गांव के मेले का पर्व आया, पर्व आया।

हम सब नें अपने गांव में जाकर मेला देखने का भरपूर आनंद उठाया।।

इधरउधर पांडाल सजे हैं।

लोग सज धज कर मेले मेंआतुर हो कर जमघट लगाएं खड़े हैं।।

बच्चे सजधज कर मेला देखनें चलें हैं।

 बूढ़े और युवा वर्ग सभी अपने साथियों संग मेला देखने चले हैं।।

 

खोमचे वाले और हलवाई की चारों ओर भीड़ लगी है।

रंग बिरंगी प्यारी-प्यारी वस्तुओं की दुकानें  भी खूब सजी है।।

बच्चों की  जीभ तरह तरह की  मिठाईयों को देख  ललचा रहीं हैं।।

 

इधर उधर झूला झूले और चंडोल भी लगे हैं।

बच्चे चंडोल और झूला झूले में  बैठे मस्त होकर चिल्ला रहे हैं।

ऊपर नीचे जाते चांडाल पर बैठ कुछ खुशी कुछ भय के साथ चंडोल का आनंद उठा रहे हैं।।

आने जाने वाले लोग मिठाई भी खा रहे हैं।

कोई चाट पापड़ी तो कोई रसमलाई भी खा रहे हैं।।

बच्चे अपने दोस्तों संग खुशियां मना रहे हैं।

बच्चों के माता-पिता भी बच्चा बनकर उनकी खुशी में अपनी खुशी दिखा रहे हैं।।

मेलों में  बच्चों के कार्यक्रम का आगाज भी हो रहा है।

मेला प्रबंधक महोदय और मेलों में आए लोग बच्चों के गीत सुन सुन कर उन को सराह रहे हैं।

उन्हें पारितोषिक दिला कर उनके हौसले को बढ़ा रहे हैं।।

मेले में कुश्ती का कॉम्पीटिशन भी हो रहा है।

हर युवा और व्यस्क कुश्ती में भाग लेने की हट कर रहा है।।

बच्चे आगे जा जाकर कुश्ती का आनंद ले रहे हैं।

हर एक को  वाह! वाह!कह कर उसकी खुशी को चार चांद लगा रहे हैं।।

बच्चों की मम्मीयां भी चाट पापड़ी चटकारे लेकर खा रहीं हैं।

सीसी करके उसे एक और दे कह कर  मक्खन लगा रही हैं।।

 

गोलगप्पे वाला खुशी से कुप्पा हो कर उन सब को गोलगप्पे खिला रहा है।

हर आने जाने वालों  लोंगों को चाटपापडी खिला कर लुभा रहा है।।