हम नन्हें नन्हें हैं बच्चे

हम नन्हे नन्हे बच्चे,

नादान उम्र के हैं कच्चे।।

भोले भाले दिल के सच्चे।

मासूम और सच्चे बच्चे।।

लिखना पढ़ना क्या जानें?

हम तो अभी अक्षर भी न पहचानें।।

केवल मां की ममता को ही जानें।।

हम नन्हे नन्हें हैं  बच्चे 

नादान उम्र के हैं कच्चे।

मासूम और सच्चे बच्चे।।

हमें डांट फटकार से डर लगता है।

केवल मातापिता का संग ही अच्छा लगता है।

हमें तो आजादी भरा वातावरण ही अच्छा लगता है।।

हम से ज्यादा पढ़ाई न करवाओ।

हमें खेल  खेल में सब कुछ  समझाओ।।

हमारे संग बच्चा बन कर धमाल मचाओ।।

रूखा व्यवहार मत अपनाओ।

अपनें चेहरे पर हंसी का नूर लाओ।।

होम वर्क  विद्यालय में ही करवाओ।

चित्र कारी   करनें का अवसर दिलवाओ।।

हम हैं नन्हें नन्हें बच्चे।

नादान उम्र के हैं कच्चे।

भोले भाले दिल के सच्चे बच्चे।।

हमें हाथ पकड़ कर ही लिखना सिखाओ।

गन्दा लिखनें पर आंखें मत दिखाओ।

हम पर  जबरदस्ती मत चलाओ।।

मैडम हम तो हैं नन्हें नन्हें बच्चे।

नादान उम्र के हैं कच्चे।

भोले भाले दिल के सच्चे।।

प्रार्थना

 तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।

तुम्हारा हर पल करें  हम ध्यान।

भक्तों का तुम करते कल्याण।।

तेरी छवि अति महान।

मनमोहक अति सुन्दर राम।।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।

तू ही अन्दर ,

तू ही भीतर

तू ही सब का प्यारा हितकर।।

तू ही सर्वत्र विद्यमान।

तेरी लीला अति महान।

तेरी लीला अति महान।।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएंआलीशान।

तू ही भक्ति देनें वाला।

तू ही शक्ति देने वाला।

तू ही सब का तारण हार।

तू ही सब का पालनहार।।

तेरी करुणा अति महान।

तेरी करुणा अति महान।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।

भव चक्र से छुड़ाने वाला।

मोह, अंधकार मिटाने वाला।

कष्टों का निवारण हार।

तू दाता तू ही  कर्तार।

तू दाता तू  ही करतार।

  आओ मन में तुम्हें बसाएं।

सुबहोशाम तेरा ध्यान लगाएं।।

बारम्बार तुम्हें शीश नवाएं।

सब के दाता दानी राम।

सब के दाता दानी राम।।

तेरे पूजन को भगवान बना मन को बनाएं आलीशान।

झुलाझूला कर तुम्हें सुलाएं।

 शीतलजल कुंए से  लाएं।

वृक्षों के फल तोड़ कर लाएं।

अपनें हाथों से  तुम्हें खिलाएं।।

तुम्हें हर पल रिझाएं राम।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।

तेरी माया बड़ी निराली।

मंत्र मुग्ध होते नर नारी।।

तुम्हारी ओर खिंचे चले आते।

दिव्य दृष्टि,तेज तुम से ही पाते।

तुम्हारी अनौखी लीला राम।

प्रभु,पिता,परमेश्वर राम।

प्रभु, पिता, परमेश्वर राम।

कल्याण मुर्ति के धाम।।

चौपाईयां

राम कथा जीवन आधारा।

सुमरित श्रवण कर जग से तारा।।

राम सिया राम ,सिया राम जै जै राम।

सुखी वहीं जो राम गुण गाएं।

प्रभु प्रसाद वहीं जन पाएं।।

राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।

राम सिया राम, सिया राम , जै जै राम।।

भृकुटि विशाल,नयन चकोरा।

चारू कपोल,चंचल चितचोरा।।

राम सिया राम,सिया राम जै जै राम।।

स्नेह सुधा बरसानें वाले।

मोह मद अहंकार मिटाने वाले।

राम सिया राम सिया राम जै जै राम।

बिना सत्संग ज्ञान नहीं पावें

वो तो मूढ़ मति  ही रह जावे।।

राम सिया राम, सिया राम जै जै राम।।

राम सिया राम ,सिया राम जै जै राम।

हरि अनन्त कथा अनन्ता।

प्रिय पालक परलोक के सन्ता।।

राम सिया राम ,सिया राम  जै जै राम।।

एक अनीह सर्वत्र व्यापक भगवान।

जग हित हेतू  कृपा करुं समाना।।

राम सिया राम सिया राम  जै जै राम।

हरहूं क्लेश दुःख कलुषित विचारा।

देहूं विमल मति विवेक की धारा।।

राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।

काम कोटि छवि श्याम शरीरा।

शील गुण सम्पन्न  रघुवीरा।।

राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।

आन्नद स्नेह सुख की राशि।

सुख के धाम अवध के वासी।।

राम सिया राम,सिया राम जै जै राम।।

मन क्रम वचन  ध्यान  से जो कथा सुनें सुनाए।

वहीं सकल सर्व सम्पत्ति पा जाए।।

राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।

वृथा जन्म ताकों जग माहिं।

जो राम कथा से विमुख होई जाहिं।।

राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।

प्रार्थना

सुबह सवेरे ले कर तेरा नाम प्रभु।
करते हैं शुरुआत आज का काम प्रभु।।
पढ़ाई में हमेशा ध्यान लगाएं हम।
मेहनत से ही अच्छे अंक पाएं हम।
मेहनत से ही अच्छे अंक पाएं हम।।
सुबह सवेरे ले कर तेरा नाम प्रभु।
करते हैं शुरुआत आज का काम प्रभु ।।
कक्षा में कभी जी न चुराएं‌ हम।
सच्चाई को ही हमेशा अपनाएं हम।
सच्चाई को ही हमेशा अपनाएं हम।।
मातापिता,गुरूजनो का हमेशा सम्मान करें।
नत मस्तक हो कर उनका आदर सत्कार करें।।
नत मस्तक हो कर उनका आदर सत्कार करें।।
कलह क्लेश ‍ राग द्वैष को बिसराए हम।
प्रेम स्नेह,अपनत्व का सभी को पाठ पढ़ाएं हम।
प्रेम स्नेह अपनत्व का सभी को पाठ पढाएं हम।
सुबह सवेरे ले कर तेरा नाम प्रभु।
करतें हैं शुरुआत आज का काम प्रभु।।
भू की रज को माथे से लगाएं हम।
हाथ जोड़ कर उन्हें शीश झुकाएं हम।।
हाथ जोड़ कर उन्हें शीश झुकाएं हम।।
तिरंगे का हमेशा मान बढ़ाएं हम।
शहीदों के पथ पर चल कर दिखलाएं हम।
शहीदों के पथ पर चल कर दिखलाएं हम।

होली के रंग

          होली के रंग 11/3/22

          

आओ बच्चों  एक साथ   होली मनाएं।

एक साथ मिल बांट कर गुलाल लगाएं ।।

होली के रंग में रंग कर ,सभी को लुभाएं।

अपनों के संग गुझिया और मिठाई मिल-बांट कर खाएं ।।

मां,दादी,नानी के जायकेदार पकवानों को खा कर खुब लुत्फ उठाएं।

दोस्तों, रिश्तेदारों के संग खुशियां मना कर सुरीले गीत गाएं।।

आओ सखियों मिल जुल कर होली के रंग में रंग जाएं।

होली के त्योहार में चार-चांद लगा कर सभी के मन को महकावें।।

ढोलक की थाप पर थिरक थिरक कर आओ नाचें और सभी को नचाएं।

राधिका बन कर कृष्ण कि बंसी का आनन्द उठाएं।।

आओ  वृज में राधिका के संग होली खेलनें जाएं।

कृष्ण और राधिका की  सजीली जोड़ी  देख कर मंद मंद मुस्कुराएं।।

गोपियों के संग गोपी बन कर उन्हें नृत्य दिखलाएं।

बंसी की धुन में खो कर खुद पर इतराएं।

मन की आंखों से कृष्ण सांवरे सिलौने की जोडी कों रिझाएं।।

आओ बच्चों एक साथ होली मनाएं।

एक साथ मिल बांट कर गुलाल लगाएं।

खुशियां मनाएं और सभी को रिझाएं।।

 

घूमने निकली मैं

निकली मैं शाम को बाग में,
मैं शाम को बाग में घुमनें निकली।।
चमक रही थी सूरज कि किरणें।
सूरज कि किरणें थी चमक रही।।
हंसी एकाएक जोर से।
जोर से यकायक हंसी।
मुझे गिलहरी एक दिखी, बाग के एक ओर।
बाग के एक ओर एक गिलहरी दिखी
थी बैठी तार का सहारा ले कर।
तार का सहारा ले कर थी बैठी।
हंसी यकायक जोर से मैं।
मैं जोर से यकायक हंसी।
समझ बैठी थी दूर से देख कर उसे टिटहरी।
उसे दूर से देख कर टिटहरी समझ बैठी।।
सामने आता देख अचानक मुस्कुराई।
अचानक सामने उसे देख मुस्कुराई।।
चबा रही थी टिटहरी फलियों को।
टिटहरी फलियों को चबा रही थी।।
मुस्कुराई आसमान कि ओर देख कर अकस्मात मैं।
मैं अकस्मात आसमान कि ओर देख कर मुस्कुराई।
नहीं थी वह टिटहरी,
वह नहीं थी टिटहरी।
थी वह तो एक गिलहरी।
वह तो थी एक गिलहरी।।
भूरे,बालों वाली एक सुनहरे।
सुनहरे,भूरे बालों वाली एक गिलहरी।
(छोटे बच्चों के लिए कविता)




क्षमा याचना

राजन एक ट्रक ड्राइवर था।उस का तबादला दूसरे कस्बे में हुआ था।रोबीला चेहरा,काफी लम्बा चौड़ा बड़ी बड़ी मूंछों वाला।तीखे नयन नक्स। ट्रक चलानें में माहिर था। उसको कस्बे में आए हुए छ सात महीनें हो चुके थे।काफी ज्यादा संख्या में लोग उससे परिचित हो चुके थे।छोटा सा पहाड़ी इलाका था।वह जंहा भी बैठ जाता लोग उसके आसपास घेरा लगा कर बैठ जाते थे। वह उन्हेंं न जानें कितने अपने अनुभव सुना कर उनका मन बहलाया करता था। थोड़े से समय में उसनें वहां के लोगों पर अपना जादू चला दिया था। ट्रक चलानें में भी इतना माहिर था कि लोग उसकी बराबरी नहीं कर सकते थे।उसको एक ही बुरी आदत थी वह ट्रक बहुत ही तेज चलाता था।उसकी पत्नी उस से कहती कि एक बात मेरी भी सुनो लिया करो तुम गांव के लोगों से अपनी प्रसंसा सुन और भी फूल कर कुप्पा हो जाते हो। ज्यादा गर्व करना आप को शोभा नहीं देता।आप का यह घमंड एक दिन आप को ले डूबेगा ।राजन अपनी पत्नी की बात को हंसी में टाल देता।वह कहता अरी नादान मुझे ट्रक चलाते आज इतनें वर्ष हो गए।मैं कोई दूध पीता बच्चा थोड़े हूं जो मैं गिर जाऊंगा।बेवजह अपना दिल मत दुखाया करो।तुम तो मिन्कु का ध्यान रखा करो। वह बोली मेरे माता-पिता ने मेरा नाम आन्नदी रखा है।मगर तुम मेरी जरा परवाह नहीं करते।मैं तो केवल नाम की ही आन्नदी हूं।वह बोला अच्छा अब आगे से कोताही नहीं बरतूंगा।यह कह कर वह मुस्करा कर घर से निकल पड़ता और शाम को घर आता।कभी कभी तो वह रात रात भर देर से घर आता।कभी बहुत देर हो जानें पर वहीं विश्राम कर लिया करता।गांव के लोग उसकी जब प्रशंसा करते तो वह और भी तेज ट्रक चलाता।गांव के लोग भी उससे हिलमिल गए थे।कुछ लोग तो उससे कहते भाई थोड़ी रफ्तार रख ट्रक चलाया करो।वह उन्हें कहता यह तो मेरी आदत है।गांव के कुछ लोग उससे कहते तुम्हारी यह ही आदत एक दिन तुम्हें ले डूबेगी।वह उन्हें हंसी हंसी-मजाक में कहता वह तो उसके इतने सारे वर्षों का नतीजा है जो मैं अच्छी रफ्तार से ट्रक चला लेता हूं।उसकी मां उसे समझाती बेटा अपनी मां कि बातों को अनदेखा नहीं करना चाहिए वह अपनी मां के कुछ कहनें से पहले अपनी माता के मुंह पर हाथ रख दिया करता था।कितनी बार वह मरते मरते बचा?वह सभी को ज़बाब देता कि मैं अपनी होशियारी के कारण हमेशा बच जाता हूं।एक दिन की बात है कि वह सुबह सुबह ही ट्रक को ले कर निकल पड़ा।वह बहुत ही तेज रफ्तार से ट्रक चला रहा था।वह जल्दी ही अपनें गन्तव्य स्थान पर पहुंचना चाहता था। उसे तीन घंटे से भी ज्यादा समय हो चुका था। सारा सामान लेकर दूसरे गांव में बेचने जा रहा था ।अचानक तेज हवाएं चलने लगी हवाएं इतनी तेज थी कि उसे रास्ता भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था आंधी तूफान भी चलनें लग गया था। उसने ट्रक दूसरी ओर घुमा दिया उसे पता था कि दूसरे रास्ते से भी पहुंचा था सकता था। तूफान इतना भयंकर था कि आस पास के पेड़ भी उखड़ने लगे। उसे पता ही नहीं चल रहा था कि ट्रक को कंहा ले जाए । ट्रक की ब्रेक फेल हो गई थी। थोड़ी देर में ट्रक एक गहरी खाई में जा गिरा ।राजन ट्रक की खिड़की से कूद पडा एक पहाड़ी से जा टकराया।उसनें वृक्ष की शाखा को कस कर पकड़ रखा। ट्रक का तो पता नहीं चल सका कि कहां गिरा? वह पेड़ की शाखा को काफी देर तक कस कर पकड़े रखा था।उसे चोटें भी लग चुकी थी।मगर वह सुरक्षित था।वह पेड़ की शाखा के तने को छोड़ता तो वह मर ही जाता कि क्योंकि नीचे बहुत ही गहरी खाई थी।वह उस में गिर सकता था।धीरे धीरे डंडे के सहारे से सरक सरक कर पेड़ के ऊपर चढ़नें में सफल हो गया।वह सोचनें लगा कि मुझे सभी नें समझाया था कि रफ्तार तेज नहीं रखनी चाहिए लेकिन वह अपनी प्रशंसा सुनने के लिए इतना व्याकुल हो चुका था कि अपनें आसपास के लोगों और अपनें परिवार जनों के शब्दों को हंसी में उड़ा दिया करता।आज सचमुच ही जब मुझ पर यह बीता तब पता चला।अच्छा ही हुआ आज ट्रक में मेरे साथ लोग नहीं थे न जानें अपनें साथ कितने लोगों को मरवा ही डालता।आज तो वह मर ही जाता लेकिन मुझे बचना था वह सारी रात पेड़ पर चिपका रहा।सुबह के समय उसने ऊपर कि और देखा उसेएक ट्रक दिखाई दिया।उसने सोचा मैं इस पेड़ पर से छलांग लगा दूं तो मैं मर जाऊंगा ऐसे ही मैं मर ही रहा था।इस समय तो मुझे कोई बचानें वाला भी नहीं आएगा।मेरे चीखनें चिल्लाने से भी इस ट्रक वाले को आवाज सुनाई ही नहीं दी।नीचे खाई में ही गिर जाऊंगा। किसी के गिरनें किआवाज़ तो सुनाई ही देगी।यह सोच कर उसने आंखें बंद करके छलांग लगा दी।वह सड़क में गिरनें की अपेक्षा एक कंटीली झाड़ी में फंस गया।वहां पर बहुत ही कांटेदार झाड़ियों के बीच फंस गया।उसकी सारे शरीर से लहू निकल रहा था।वह बेहोश हो चुका था।उसने सुना कोई कह रहा था शायद यहां कोई गिरा है दूसरे ही पल वहां एक जंगली कुत्ता सरपट भागता हुआ दिखा।ट्रक वाला व्यक्ति बोला यह कुता ही झाड़ियों में फंसा हुआ था।देखो लहू कि बूंदे।यह कह कर वह ट्रक चलानें वाला वहां से जा चुका था।राजन कि आंखों के सामने अंधेरा छा गया।दो दिन तक वह वहीं बेहोश पड़ा रहा।उसकी घड़ी टिक-टिक कर रही थी।वह चिल्लाने कि कोशिश करनें लगा मगर उसके गले से आवाज ही नहीं निकल रही थी।वह घनें जंगल में झाड़ियों के बीच फंस गया था।जंगल में बहुत सारे जीव जन्तु थे। उसे शेर की दहाड़ सुनाई दी।वह लकड़ियों के बीच में छिपा गया।अपनें ऊपर लकड़ीयां गिरा दी।उसके सारे शरीर में कंटीली झाड़ियां चुभ गई थीं।वह बाहर भी निकल नहीं सकता था।शेर, हाथी, तोता , भेड़िया बहुत सारे जीव जन्तुओं की आवाजें उसे साफ सुनाई दे रही थी।शाम के समय सब के सब जीवजन्तु चले गए तो उसकी जान में जान आई।एक तोता उसके पास आ कर टेंटें करनें लगा।तोते को सामनें देख उसकी आंखों में आंसू आ गए।तोता उसकी पैन्ट जो जगह जगह से फट गई थी उस को चाटनें लगाराजन को महसूस हुआ कि वह तोता उस की दयनीय दशा देख कर मायूस हो गया था। ।आज उसे महसूस हुआ कि जीव भी प्राणियों पर अपना प्यार दर्शातें हैं।उसने कभी भी किसी जीव जन्तु को प्यार से कभी नहीं देखा।उसे याद आ गया कि एक दिन एक चिड़िया का बच्चा अपनें घौंसले से नीचे गिरा हुआ था।उस के साथ वाला व्यक्ति बोला देखो भाई इस चिड़िया के बच्चे को चोट लगी है चलो इस को अस्पताल में पहुंचा देतें हैं शायद यह बच जाए।राजन बोला भाई मेरे पास समय नहीं है मैं अगर रुक गया तो मुझे देर हो जाएगी। तुम्हारे पास समय है तो तुम चले जाओ।वह व्यक्ति उस के ट्रक से उतर कर उस चिड़िया के बच्चे को उठा कर ले गया।आज उसे समझ आया कि प्रकृति के जीव जन्तुओं में भी समझ होती है पर वे बोल ही नहीं सकते मूक रह कर भी बहुत कुछ कह जातें हैं। उसकी जेब से पैन नीचे गिर गया था।तोता उसकी जेब में झांकनें लगा।उस की जेब में छोटी सी डायरी और चाकू था। वह दोनों नीचे गिर गए।तोते नें पैन निकाला और पेज पर अपनीं चोंच में पैन पकड़ कर लिखा तुम कौन हो?उसको लिखता देख कर राजन हैरान हो गया। ड्राईवर नें उसे इशारे से बताया कि मैं एक ट्रक ड्राइवर हूं।उसने यह सब बड़ी मुश्किल से लिखा। ट्रक न जानें गिर कर कहां फंस गया।तोता बोला मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक पहुंचाऊंगातुम चिंता मत करो।तुम को खानें के लिए जानवरों का मांस तुम्हें दिलवाता हूं।वह बोला नहीं नहीं आज से कभी भी मांस न खानें का प्रण लेता हूं।आज मैंनै जाना कि जीव जन्तु भी एक दूसरे कि मदद करनें में समर्थ होतें हैं।उनके पास भी इतना प्यारा मन होता है।नहीं मैं आज से ही प्रण लेता हूं कि कभी भी मांसाहारी भोजन नही खाऊंगा।उसने पतो को खा कर अपनी भूख मिटाई।उसे प्यास भी बड़े जोरों की लग रही थी।पानी पानी यह कह कर वह बेहोश हो गया।तोते ने अपनी चोंच से खोद खोद कर पत्थर के नीचे से पानी निकाला।उसने अपनी चोंच से पतों के द्वारा उसे पानी पिलाया। ट्रक ड्राइवर थोड़ा बोलनें में समर्थ हुआ वह बोला तुम मेरे लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं हो।‌तोता बोला कि मैं इंसानों की भाषा समझता हूं।मैं भी एक व्यक्ति के पास रहता था।मेरा मालिक मुझे बहुत ही प्यार करता था।उस से भी मैनें पढ़ना लिखना सीखा।मेरा दोस्त दूसरे शहर में पढ़ने चला गया तो मैं अकेला पड़ गया।उसके दोस्त नें उस से वायदा किया था कि जब वह औफिसर बन कर आएगा तो वह उसे लेनें आएगा।काफी दिनों तक इन्तजार करनें के पश्चात भी जब वह नहीं आया तो वह उड़ कर जंगल में आ गया।इन जानवरों के बीच में रहनें लगा।तोता बोला ये सब के सब मेरे दोस्त हैं।शेर को मैं मना लूंगा वह तुम्हें नहीं खाएगा।रात को जब राजन सो रहा था तो एक भयंकर सांप अपनें बिल से निकला।डर के मारे राजन कांपनें लगा।सांप नें उसे पांव के अंगूठे में काट खाया।वह सोचनें लगा कि मैं ट्रक से तो बच गया अब तो मैं अवश्य ही मर जाऊंगा।सांप उस को छोड़ कर दूर निकल गया।राजन नें बड़ी मुश्किल से पांव से सरक कर आव देखा न ताव देखा जमीन से चाकू को उठाया और अपने पैर का अंगूठा काट डाला।तोता उड़ता उड़ता आया उसने राजन के पैर के अंगूठे से लहू निकलते देखा उस को पता लग गया था कि सांप नें उसे काट खाया है। राजन धीरे धीरे सरक कर डायरी तक पहूंचा लेकिन उस का हाथ काम नहीं कर रहा था।उस के दिमाग में विचार आया क्यों न दांतों से उस डायरी से पन्ना निकाल लूं।उस ने कोशिश की मगर डायरी दूर जा गिरी उस के दांतों के पास केवल कागज का एक पन्ना ही बचा।तोते नें पन्ना लाल कर उसे थमाया।राजन नें डायरी के पन्ने को दांत से पकड़ कर छोटे से परचे पर लिखा मुझे बचाओ।तोते नें सड़क के समीप कुछ लोगों को टैक्सी से जाते देखा।वे पानी पीनें के लिए नीचे उतरे थे।तोता उड़ कर एक व्यक्ति के कंधे पर बैठ गया।वह फौजी अफसर था।उसने तोते को अपनें कंधे पर बैठनें दिया।तोते नें कागज का पन्ना उस व्यक्ति को दिखाया।औफिसर कर्मवीर नें पढ़ा मुझे बचाओ।मैं झाड़ियों में तीन दिन से फंसा हुआ हूं।मुझे सांप नें भी काट खाया है कृपया नीचे झाड़ियों के पास आ कर मेरी मदद करो।आर्मी औफिसर आसपास कि झाड़ियों में जा कर ढूंढनें ही लगा था कि तोता उड़ कर एक झाड़ी के पास जा कर टैंटैं करनें लगा।आर्मी औफिसर नें दखा नीचे एक बड़ी भारी खाई थी।उस के पास ही नीचे की ओर झाड़ियां थी।तोता उड़ कर उस घायल व्यक्ति के पास बैठ गया। आर्मी औफिसर नें टैलिफोन कर के सहायता के लिए लोगों को बुलवाया।बड़ी मुश्किल से उस ट्रक ड्राइवर को बाहर निकाला।उसे अस्पताल पहुंचाया।इतने सारे वक्त में वह तोता भी उसके साथ ही था। आर्मी औफिसर नें सोचा यह तोता शायद इसका पालतू हो।जहांजहा वह औफिसर जाता तोता उसके साथ जाता।डाक्टर नें कहा कि थोड़ा भी समय ज्यादा हो जाता उसका बचना मुश्किल था।यह पता नहीं कौन है? तोता उस अजनबी की नीचे पड़ी डायरी पर मंडरानें लगा।वह जब बार बार उस डायरी के आसपास चक्कर काटनें लगा तब आर्मी आफिसर को शक हुआ हो न हो वह तोता उस से अवश्य कुछ कहना चाहता है।अचानक उस आर्मी आफिसर की नजर उस डायरी पर पड़ी उस ने डायरी को उठाया उस पर ट्रक ड्राइवर का नाम पता लिखा था। उस औफिसर को राजन के घर का पता उस डायरी से मालूम हो चुका था। आर्मी आफिसर को विश्वास हो गया कि उस तोते के साथ उस ट्रक ड्राईवर का कंही न कहीं सम्बन्ध तो अवश्य है राजन की पत्नी के घर का पता मालूम होने पर आर्मी आफिसर ने उस ट्रक ड्राइवर के घर पहुंच दरवाजा खटखटाया।अन्दर से एक नौजवान बाहर निकला।उसको देख कर तोता उस के पास जा कर टैंटैं करनें लगा।अपनें मालिक को पहचान कर खुशी से नाचनें लगा।उसको इस प्रकार देख कर आर्मी औफिसर हतप्रभ रह गया।राघव अपनी बहन के बुलाने पर उसके घर आता था।उसके बोलनें से पहले ही आर्मी औफिसर समझ गया था कि इस तोते से इसका अवश्य ही कोई गहरा नाता है। आर्मी औफिसर नें आन्नदी से बातों ही बातों में राजन के बारे में पूछा। जानकारी मिलनें पर औफिसर कर्मवीर ने आन्नदी को बताया तुम्हारे पति सिविल अस्पताल में भर्ती हैं। उन का ट्रक दुर्घटना ग्रस्त हो गया था।हमनें बड़ी मुश्किल से उन्हें बाहर निकाला।इस तोते नेंअगर उनका सन्देश हमें पहुंचाया न होता तो ये बच नहीं सकते थे।राघव अपने तोते से मिल कर उसे गले लगा रोते रोते बोला मैंनें तुम्हे नहीं छोड़ा था। मैनें सोचा था कि मैं शहर में जाकर अपने लिए घर का प्रबन्ध कर आता हूं।तुम्हें लौट कर लें जाऊंगा।जब मैं वापिस आया तो तुम जा चुके थे। तुम्हें न पा कर मन बहुत दुःखी। हुआ।आज तुम्हें पा कर मैं बहुत खुश हूं।तुम नें मेरे जीजा जी की जान बचा कर और उनको सही सलामत सुरक्षित मौत के मुंह से बाहर निकाला है इसके लिए मैं जीवन भर तुम्हारा ऋणी रहूंगा।अस्पताल पहुंच कर आन्नदी नें अपने पति को होश में आता देख बहुत ही खुश हुई।वह तोते से बोली आज से तुम भी मेरे भाई हुए।यह कह कर उसने तोते को नाम दिया। बोली आज से मैं तुम्हें रज्जू कह कर बुलाऊंगी।मेरे अब दो भाई हो गए।राजन बोला तुम हमेशा से ठीक ही कहती थी।आज जब अपनें पर बीती तब पता चला कि दूसरे का दर्द क्या होता है।आज से पहले मैं प्रकृति के सभी जीव जन्तुओं को तुच्छ समझता था।आज उनके बीच में रह कर जाना कि जीव जन्तु तो इंसानों से भी ज्यादा समझ दार होतें हैं।वे भी पीड़ा,दर्द को समझतें हैं लेकिन मुंह से कुछ कह नहीं सकते।उनकी मूक जुबान सब कुछ समझती है।तुम मुझे कहती थी कि मांस खाना छोड़ दो मैंनें कसम खाई है कि मैं जिंदगी में कभी भी मांस नहीं खाऊंगा। शाकाहारी भोजन सेहत के लिए लाभकारी होता है।तोते कि और मुड़ कर बोला तुझे तेरे मालिक तक पहुंचा कर ही रहूंगा मैं आजीवन भर तुम्हारा ऋणी रहूंगा।राजू बोला जीजा जी यही तो मेरा दोस्त तोता है जिस को देते समय आप नें मां से कहा था कि तोते को रखेगा या पढ़ाई करेगा।मैं शहर में इसे अकेला छोड़ कर चला गया था।वह मेरी बांट ढूडते ढूंढते कितनी बार घर भी आया मगर हर बार निराश हो कर वापिस चला गया।राजन बोला हम लोग जीव-जंतुओं को देख कर भी अनदेखा कर देतें हैं यह नहीं समझते कि इन में भी इंसानों कि तरह प्रेम मोहब्बत होती है।उन पर पत्थर मार कर उन्हें भगा देतें हैं लेकिन यह सही नहीं।सभी प्राणियों को यह बोध हो जाए तो लोग दुसरों को सताना भी छोड़ देंगें।राजन नें लटक कर रज्जू को अपने हाथ पर लिया बोला आज से यह घर भी तेरा है।जहां रहना हो आजादी से रह सकते हो।दोस्त मुझे मौफ कर दो।आज मैं मन से सभी लोगों से मौफी मांगना चाहता हूं जो मेरे सम्पर्क में हर रोज आते थे और आएंगें।बाहर लोगों कि भीड़ खड़ा देख कर उन से क्षमा याचना करते हुए बहुत ही हल्का महसूस हो रहा था।उस के मन से सारा गर्व चूर चूर हो चुका था। वह नेक इंसान बन चुका था।

नन्हीं चिड़िया की पुकार

नन्ही चिड़िया मां से बोली।
मैं हूं तेरी प्यारी भोली।।
जल्दी से दाना देखकर मेरी भूख मिटाओ न।
कहानी सुनाकर मेरा दिल बहलाओ न।।
मां बोली ना कर शैतानी।
हर दम करती रहती मनमानी।।
नन्ही चिड़िया बोली अभी खेलने जाना है।
नन्ही चिड़ियों संग खेल खूब धमाल मचाना है।।
मां चिड़िया बोली तेरी एक नहीं चलेगी।
तू भी आज मेरे संग दाना चुगने चलेगी।।
भोली बोली मैं एक शर्त पर तेरे संग चलूंगी।
बाग में रंग बिरंगी तितलियों संग आंख मिचोली खेलूंगी।।
फूलों संग भी खेल खेल कर मन बहलाऊंगी। उनकी महक अपने मन मे जगाऊंगी।
मां बोली बेटा तुम्हारे अध्यापक अध्यापिकांए आज घर आएंगे।
तुझे खेलते देखकर मुझे समझाएंगें।।
भोली बोली मां मैं आज पढाई नहीं करुंगी।
आज तो मैं ढेर सारी मस्ती करुंगी।।
भोली बोली आज अध्यापिकांओं को बुलाओ न।
उनसे कह कर बस्ते का बोझ कुछ कम करवाओ न।।
मां बोली बेटा आज से तू पढाई लिखाई में मन लगाएगी।
तभी तेरी सारी इच्छाएं मां पूरी कर पाएगी।।
भोली खुश होकर बोली मां जल्दी से मुझे पढ़ाई करवाओ ना।
पढ़ाई करा कर मुझे और डराओ न।।
मां चिड़िया बोली शिक्षा रहित जीवन निर्थक।
शिक्षा सहित जीवन सार्थक।।
मां बोली शिक्षा बहुत जरुरी है।

  • शिक्षा बिना जीवन अधूरा तुम्हे समझाना जरूरी है।।

मेरी लाड़ली बहना

 सुन्दरता की पहचान हो।

भोली सूरत और ममता की खान हो ।।

करुणा,दया और ममता कि साक्षात मिसाल हो।

चिन्तनशीलता और गुणों की बेमिसाल हो ।।

सोच समझ से हर काम को करती हो ।

अपनों से दिलोजान से मोहब्बत करती हो।।

आप से बढ़ कर कोई नहीं है सानी।।

आप तो सभी से हो स्यानी।।

आप के हाथों से बनें पकवानों कि महक आज भी आती है।

आप के हाथों से बनें हलवे कि सुगन्ध मन को भाती है।।

रुठनें मनाने की कहानी आज भी याद है।

पापा मम्मी कि झलक  आज भी आप में विद्यमान हैं ।।

घर में चुल्हा चौंका,  और करती झाड़ू बुहारी।

सब कि करती घर में खातिरदारी।।

 आप के हाथों में कहानी कि पुस्तक लगती  प्यारी।

आज भी आप कि सूरत लगती है सब से न्यारी।।

चचंल ,चुलबुली और नटखट।

मेरी बहना प्यारी,सिलौनी  और चटपट।।

एक से एक वस्त्र पहन कर स्कूल को जाती।

दो चोटीयां गूंथ बालों को सजाती।।

पजामी पहन कर शर्माती।

अलग अलग परिधान पहन कर  सखी सहेलियों को दिखाती।

छोटे भाई के सामने अपनी धाक है जमाती।।

आप  हर दम यूं ही बिंदास रहें। 

हर फ़िक्र और चिंता  से मुक्त रहें।।

हर पल,हर क्षण आप सदा ही यूं ही मुस्कुराएं।

अपनों कि झलक हम आप में सदा पाएं।।

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चंदा मामा भाग-२



प्यारे प्यारे चंदा मामा।
न्यारे न्यारे चंदा मामा।
तुम हो सब के राजदुलारे मामा।

मां कहती हैं तुम अपनी किरणों की प्रखरता से सारे जग को चमकाते हो।
किरणों की चकाचौंध से सभी के मनों को लुभाते हो।।
कभी गोल-मटोल बन कर दिखाते हो।
कभी तिरछी कलाओं का जाल दिखाते हो।
कभी आधी, कभी पुरी आकृति बनाते हो।

आमावस की रात को तुम कहां छिप जाते हो?
अंधियारे बादलों के संग न जानें कहां दौड़ लगाते हो।।
अपना राज़ मुझे से छिपाओ न।
बच्चा समझ कर मुझ पर रोब चलाओ न।।
मुझे बहुत अधिक चिढाओ न।
अपना अंदाज मुझे भी सीखाओ न।।
मेरे गोल मटोल चंदा मामा।
आप तो खुबसुरती का हो अनमोल खजाना।।
प्यारे प्यारे चंदा मामा।
सब के मनभावन मामा।।
एक बात आज तक मेरे समझ में नहीं आई।
घटनें और बढनें की कला तुम नें कहां से पाई?
क्या तुम सचमुच में कोई जादुगर हो?
क्या तुम सपनों के सौदागर हो?
चुपके से मुझे बता दो न।
अपनी कला का बडपन्न मुझे भी सीखा दो न।।
मैं भी छोटा और बड़ा हो कर सभी को हर्षाऊंगा।
आपकी तरह का मुखौटा पहन कर सभी को ललचाऊंगा।
सर्कस के जोकर की तरह बन कर सभी को हंसाऊंगा।।