गाय माता

गाय जगत माता कामधेनु है कहलाती।
गाय की सेवा घरों में खुशहाली को बढ़ाती।।

धर्म,अर्थ,मोक्ष का आधार है गौ माता।।
सकल जग उदधारिणी है गौ माता।
समन सकल भव रोग हारिणी है गौ माता।।


पृथ्वी पर रहनें वाले जीवों से करती है प्यार।
हर प्राणी,जीवों पर इसके हैं असंख्य उपकार।।
गाय की सेवा,पालन पोषण करना है धर्म हमारा।
इस से बढ़ कर नहीं है कुछ भी दायित्व हमारा।।
गाय में है सभी देवी देवताओं का वास।
यह तो हैं सभी तीर्थों में सब से खास।।

सोलह संस्कार गौ के साथ ही पूर्ण कहलाते।
इन संस्कारों के बिना हम अपूर्ण ही रह जाते।
पुराणों में गाय है मोक्ष का द्वारा।
सेवा कर समस्त पापों,संतापों से पातें हैं छुटकारा।।

गाय का गोबर है लाभकारी।
उपले, किटाणुओं और रोगों को मिटानें में है चमत्कारी।।
गोबर में है अद्भुत शक्ति।
मलेरिया, मच्छरों को भगानें की है शानदार युक्ति।।
गाय के गोबर के प्रयोग से बंजर भूमि की भी उपजाऊ क्षमता बढ़ती।
फसलों को हरा भरा कर किसानों में दुगुना उत्साह है बढ़ाती।।
गाय के दूध से बनी वस्तुएं सभी जनो को है भाता
दूध,दही, मक्खन,भी सभी जनों को है सुहाता।।

गाय हमारे आत्मसम्मान का है गौरव।
प्रेम और संस्कृति का है सौरभ।।
गौ हत्या करना है महापाप।
गौ को बूढ़ा होनें पर बाहर कर देना है अभिशाप ।।
गौ हत्या करनें वालों को बख्सा नहीं जाएगा।
उनके दुष्कर्मों का परिणाम प्रकृति से स्वयं मिल जाएगा।।
गाय का अपने माता पिता कि तरह हमेशा करो सम्मान।
जग में उनकी सेवा कर पा जाओगे मनोइच्छित वरदान।।




मधुमक्खी और तितली की दोस्ती

मधुमक्खी और तितली की है यह कहानी।
एक थी सुंदर एक थी स्वाभिमानी।।

एक पेड़ पर मधुमक्खी और तितली साथ साथ थी रहती।
दोनों साथ साथ रहकर सदा थी मुस्कुराती रहती।।
साथ साथ रहने पर भोजन की तलाश में थी जाती ।
शाम को अपने पेड़ पर इकट्ठे थी वापिस आती।।

अपने बच्चों के संग रहकर अपना समय थी बिताती।
एक दूसरे के सुख-दुख में सदा साथ थी निभाती।।

बरसात ने एक बार अपना कहर बरसाया।
सारे नदी नालों में था पानी भर आया।।
तितली को उदास देखकर मधुमक्खी बोली इतने सुहावने मौसम में तुम्हारे मुखड़े पर ये कैसी उदासी छाई?
तुम पर ऐसी कौन सी विपदा आई ?
यूं उदास रहकर किसी भी समस्या का हल नहीं होता।
समस्याओं में भी जो खिल कर मुस्कुराए वही तो मुकद्दर का सिकंदर है होता।।
तितली बोली:— इस मौसम में भोजन सामग्री कहां से जुटाऊंगी?
इस तरह पानी बरसता रहा तो बच्चों को क्या खिलाऊंगी?
इस मौसम में भोजन लेने बाहर जा नहीं सकती ।
बच्चों को भूखा रखकर चैन की नींद सो नहीं सकती।।
सुहावने मौसम से कहीं ज्यादा भूख है प्यारी ।
भोजन न जुटा पाई तो करनी पड़ेगी मौत की तैयारी।।
मधुमक्खी बोली:– तुमने भोजन सामग्री को पहले क्यों नहीं जुटाया?
आलस में अपना समय यूं क्यों गंवाया?
कल पर विचार न करनें वाले यूं ही निराश रहते हैं ।
यूं ही घुट घुट कर निराशा में हमेंशा हताश रहतें हैं।।

पहले से बचत करने वाले जीवन भर मुस्कुराते हैं।
अपनें बच्चों संग खुशी-खुशी खिलखिलातें हैं।।

आज तो मैं तुम्हारी मदद कर पाऊंगी ।
तुम्हें आवश्यक सामग्री दिलवाकर तुम्हारे बच्चों की जान बचाऊंगी।।
आलस करने वाले जीवन भर यूं ही पछताते हैं।
परेशान रह कर अपनें परिवार के लिए भी विपदा लातें हैं।।

कमाई में से कुछ ना कुछ तो बचाना चाहिए।
सही समय पर उसका उपयोग कर जीवन में किसी के आगे यूं हाथ फैलाना नहीं चाहिए।।

गोलू की फरियाद

गोलू मां से बोला मां मां मुझे कुछ ढेर सारे महंगे खिलौनें दिला दो ना।
मेरे मन की ईच्छा को पूर्ण कर मुझे खुशी दिला दो ना।
मां बोली बेटा हर जरूरत की चीज ही तुम्हें दिलवांऊंगी।
अपने घर का बजट देखकर ही तुम्हारा कहना पूरा कर पाऊंगी।
गोलू बोला मां तू है बड़ी ज्ञानी ।
तेरी अब कोई नहीं चलेगी मनमानी ।
ज्ञान की बात मेरे समझ में नहीं आती।
खिलौनौं के सिवा और कोई बात मुझे नहीं भाती।
गोलू मां से बोला मेरे दोस्तों के पास बहुत सारे खिलौने कहां से आते हैं ?
आप मुझे ढेर सारे खिलौने क्यों नहीं दिलवातें हैं? ।
मां गोलू से बोली पहले तुम्हारे पापा से अनुमति ले कर आऊंगी।
मैं तभी तुम्हारी इच्छा पूरी कर पाऊंगी ।।
रानी राघव से बोली तुम मेरी बात आज सुन ही लो।
गोलू की इच्छा पूरी कर ही दो।।
राघव बोला बच्चे को अच्छे और बुरे में फर्क करना सिखाओ ?।
उसकी इस आदत में जल्दी ही बदलाव करवाओ।।
बेटी की पढ़ाई का खर्चा कैसे चल पायेगा?
हमारा तो सारा बजट भी बिगड़ जायेगा।।
हमारे लिए तो बेटा और बेटी दोनों ही समान है।
आवश्यकता से ज्यादा दिलाना करता नुकसान है।।

बच्चे की हर इच्छा पूरी करना नहीं है फर्ज हमारा ।
जरूरत के मुताबिक ही वस्तु को दिलाना है कर्तव्य हमारा।।
दूसरों की वस्तु को देखकर वह भी लालच में आ जाएगा ।
सच्चाई को अनुभव कर ही समझ पाएगा।।
रानी से बोले हमारी कमजोरी को जानकर वह हमारा विरोध कर जाएगा हमारे हालात को समझकर वह अपनें कदम पीछे हटा पाएगा।।

मां गोलू से बोली तुम अपने आप को खास समझना छोड़ ही डालो। सच्चाई से परिचित हो कर ही अपना इरादा बदल डालो।।
मीनु बोली भैया, यह गुल्लक तुम्हें खिलौनें न दिलवा पाई तो यह मेरे किस काम आएगी?
तुम्हारें प्रति बहन का प्यार- कैसे दर्शा पाएगी?
छोटी बहन के इस प्रकार कहने पर गोलू की आंख भर आई।
बहन की पीठ थपथपा कर बोला हां अब कहीं जाकर यह बात मेरी समझ मेंआई।।

आज के बाद कभी भी मैं खिलौनों की जिद नहीं करूंगा ।
आप तीनों सलामत रहे यही दुआ करूंगा।।