अच्छी आदतें भाग(2)मुहावरों का प्रयोग किया

 

10/12/2018.

रामू घर आकर बोला मां मेरे पेट में चूहे  हैं कूद रहे।

मां धमा चौकड़ी मचा कर परेशान है कर रहे।।

मां आकर बोली तू है मेरी आंख का तारा। प्यारा प्यारा राज दुलारा।।

पढ़ाई में  हमेशा ध्यान लगाना।

कक्षा में  इस बार भी अव्वल आ कर दिखाना।।

रामू बोला बहना से :-तू क्यों मुझ से झगड़ रही।

तू अपनी शेखी क्यों बघार रही।।

रेनु बोली भाई मेरे:- तू  तीन पांच मत कर। जल्दी से अपना काम कर।

झगड़ा कर अपना समय बर्बाद मत कर।।

“नौ दो ग्यारह हो जा”।

“तू काम का ना काज का दुश्मन अनाज का।।

इतनें में मां नें आवाज लगाई।

तुम दोनों की प्लेटें  मेज पर हैं लगाई।।

रामू आ कर मां से बोला जल्दी से खाना लाओ न।

इधर-उधर की बातों में मेरा समय गंवाओ न।।

मां बोली पहले साबुन से हाथ धो कर आओ। फिर खाने की प्लेट को हाथ लगाओ।।

गंदे तौलिए का इस्तेमाल मत करो।

हाथों को रगड़ रगड़ कर साफ करो।।

खाने को खुला मत छोड़ो।

ढक्कन लगाकर बीमारी से सदा के लिए रिश्ता तोड़ो।

गंदगी के कीटाणु ना फैलाएं।

डिटॉल फिनाइल का पोचा लगा कर फर्श को  खूब चमकाएं।। ़

बहना बोली भाई से :-नित्य ब्रश करने की आदत डालो

बहना का कहना कभी मत टालो।।

ना ज्यादा गर्म ना ज्यादा ठंडा खाना कभी मत खाओ।

खाना चबाकर खाने से ना हिचकिचाओ।।  ज्यादा तेल और मसाले का इस्तेमाल ना कीजिए।

जितना जरूरी है उन्हीं का उपयोग कीजिए।। कम नमक का इस्तेमाल कीजिए।

वर्ना उक्त रक्तचाप को दावत दीजिए।।

ज्यादा मीठा खाना सेहत के लिए हानिकारक गुड़ का इस्तेमाल है  हर उम्र में लाभदायक।।

जादुई जूते

  • बहुत समय पहले की बात है कि एक छोटे से गांव में राजू अपने माता पिता के साथ रहा करता था। वह छठी कक्षा का छात्र था। उसके माता-पिता मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे। वह बहुत ही भोला भला छात्र था। हर रोज स्कूल जाता था। अपने माता-पिता का हमेशा कहना मानता था। स्कूल में उसके दो दोस्त बन गए। वह दोनों दोस्त गुंडागर्दी में संलिप्त थे। स्कूल में हर रोज उसके साथ ही कक्षा में बैठते थे। उन्होंने राजू को भी अपना दोस्त बना लिया जो कुछ भी लाते साथ बैठते उठते बैठते शाम को वे दोनों बहुत ही दूर पैदल चल कर घर जाते थे। राजू को भी उन्होंने अपनी श्रेणी में शामिल कर लिया। दोनों दोस्त नशा अफीम के शादी के धंधे में संलिप्त थे। उन्होंने राजू को भी   नशा करना सिखाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे राजू को भी नशा करने की आदत पड़ने लगी।

    एक दिन उसके दोनों दोस्त स्कूल नहीं आए थे वह जब अड्डे पर पहुंचा जहां से वह नशे का सामान खरीदता था उन्होंने राजू को कहा कि पैसे ला कर उन्हें दिया कर उसके पिता तो उसे रुपए कभी नहीं देते थे। उन्होंने उस से कहा अगर माता-पिता तुम्हें  रुपये नहीं देते तो क्या हुआ? तुम  उनके पर्स से चोरी करके ले आना। जो भी  वस्तु मिलेअगर रुपया ना मिले तो अपनी माता के गहने भी  चलेंगें।आप की मम्मी उन रुपयों को तिजोरी में रखती होगीं। उनकी तिजोरी पर नजर रखनी चाहिए।

    वह समझ गया हर वक्त अपनी मां के पर्स को ताका करता था। वह  पर्स कहां रखती है।? वहां तिजोरी में कितने खाने हैं? मां के गहने कहां है? यह बातें घर में किसी को मत बताना नहीं तो वे तुम्हें खेलेंगे भी नहीं भेजेंगें।

    राजू नें अपनी मां का एक एक गहना ला कर उन नशाखोरी वाले गैंग को देना शुरू कर दिया वह छोटा बच्चा क्या करता? वह उसे तरह-तरह के लालच  देते। वह अभी भी सुधर सकता था। उसके माता-पिता को तो उस बात की भनक नहीं थी उनका बेटा भी इन कामों में संलिप्त हो सकता है। राजू को धीरे धीरे  नशे की लत की आदत पड़ गई।

    एक दिन उसने अपनी मां की अंगूठी चुरा ली। उसकी मां ने उसे तिजोरी खोलते  देख लिया। वह यह सब देख कर हैरान हो गई। एक दिन उसके ₹2000 उसके पर्स में से गायब थे। उसने सोचा शायद  बाजार में शॉपिंग करते करते उसने कहीं गिरा दिए होंगे। उसने घर में अपने पति को भी कुछ नहीं कहा। उनका ध्यान अपने बेटे की तरफ कभी भी नहीं गया कि वह भी कभी चोरी कर सकता है। उसने तिजोरी के बारे में अपने बेटे से बात नहीं की जैसे  ही वह अपने दोस्त के घर गया उसकी मां ने उसके बाद देखा तो उसका कलेजा बाहर को आने लगा। उसकी तिजोरी में कुछ भी नहीं था उसके सारे के सारे गहने चोरी हो गए थे। उसने सारा घर छान मारा। अचानक उसने सोचा कि कहीं मेरा बेटा तो चोरी नहीं करता होगा  देखना तो पड़ेगा  ही क्योंकि जिस  समय वह स्कूल जा रहा था वह तिजोरी को के आस पास ही खड़ा था।

    अचानक उसका बेटा घर वापिस आकर बोला मां मैं अपनी कॉपी यहीं पर छोड़ कर चला गया। जल्दी से ढूंढ दो नहीं तो आज मैडम से उसे मार पड़ेगी। वह बोली ठीक है बेटा तुम बिना खाए ही चले गए थे मैं तब तक तुम्हारी कॉपी तुम्हें दे देती हूं।। राजू खाना खाने की मेज पर बैठ कर  खाना लगा। वह बोल ठहर जा मैं ने से पानी लेकर आती हूं। वह जैसे ही बाजू के कमरे में गईउसनें राजू के बस्ते की तलाशी ली। उसके बारे में वह सोच भी नहीं सकती थी कि उसके बेटे को यह आदत कैसे लग गई। हमारे घर में तो कोई भी नहीं आता है उसने चोरी करना कहां से सीखा?शाम को जब उसके पापा  घर आए तो राजू की मां ने अपनें पति को सारी बात समझा कर कहा कि हमारा बेटा किसी गम्भीर बीमारी का शिकार हो गया है। उसे अगर अभी  से रोका नहीं गया तो वह ना जाने क्या कर बैठे? हमें अपने बेटे को प्यार से समझाना होगाह उस पर कड़ी नजर रखनी होगी। एक दिन मेरे पर्स से दो हजार रुपये गुम हो गए थे। मैंने सोचा शायद वह कहीं गिर गए होंगे लेकिन आज समझ में आ गया है कि हमारा बेटा किसी गलत संगत में पड़ गया है। उसकी मां संगीता ने अपने बेटे राजू पर निगरानी रखनी शुरू कर दी। राजू को पता चल चुका था कि उसकी मां को  उसके चोरी करनें की जानकारी  मिल गई है। इसमें सोचा वह आज घर  ही नहीं जाएगा। वह चल पड़ा चलता चलता जा रहा था उसे भूख भी बड़े जोरों की लग रही थी। अचानक उसे एक धर्मशाला दिखाई थी। वहां पर जा कर देखता हूं कि अंदर क्या है? शायद वहां पर खाना मिल जाए। उसने सुना था कि धर्मशाला में बच्चों को खाना मुफ्त में मिलता है। लेकिन वह जैसे ही अंदर घुसने लगा वहां पर बाहर उसे बहुत ही सुंदर जूते दिखाई दिए। उसने अपने मम्मी पापा से कितनी बार अच्छे जूते लेने के लिए फरमाइश की थी परंतु उसके माता-पिता ने उसे सुंदर जूते कभी भी लेकर के नहीं दिए। वह सोचने लगा क्यों ना मैं इन जूतों को पहन लूं  मुझे कोई नहीं देखेगा। सब के सब तो अंदर है। मुझे यहां कोई भी  देखें वाला नहीं है। मुझे कोई भी यहां पर चोर नहीं समझेगा। यह जूते तो बड़े हैं। थोड़े से ही बड़े होंगे  तो भी चलेगा उसने वह जूते पहन लिए। वह जूते जादू के थे वह जूते जो कोई भी व्यक्ति पहनता था उसी के नाम में वह फिट हो जाते थे। वह जूते उसे बहुत अच्छे लगे। वह झूमते गाते रास्ते से जा रहा था। कई दोस्त मिले वह उन से बातें करता जा रहा था। किसी भी दोस्त नें उसकी बातों का जबाब नहीं दिया। अचानक उसे रास्ते में उसके दोनों दोस्त आयुष और अविनाश दिखाई दिए। दोनों के पास जाकर उसका चेहरा खिल गया। राजू नें उन्हें आवाज दी लेकिन उन्होंने उसकी बात का कोई जबाब नहीं दिया। शायद वे दोनों  उस के स्कूल आने पर एतराज कर रहें होगें तुम कैसे हमारे बिना कल स्कूल चले  गए। कोई बात नही इन दोनों को मनाए बगैर मैं भी यहां से जानें वाला नहीं। चलो इन के पीछे पीछे चलता हूं। देखता हूं वे आपस में बाते करते इस वक्त किस के पास जा रहें हैं? दोनों दोस्त नशा करानें वाले गैंन्ग के पास जा कर बोले हमारे

    ₹10, 000 जल्दी ही हमें दे दो। हमने एक दोस्त को अपने गैंग में शामिल कर दिया है। उसका नाम है राजू। आपने हम से कहा था कि अगर तुम एक व्यक्ति को लाओगे तो हम तुम्हें ₹10, 000 देंगे। हमने आपके पास उस बच्चे को लाकर सौंप दिया और उसने अपने सारे गहने आपके पास लाकर दे दिए। हमने उस बच्चे को भी झांसा देकर अपने गैंग में शामिल कर दिया। वह नशे के गिरोह का आदमी बोला चले जाओ यहां से तुम दोनों को गोली मार दूंगा। तुम्हें कोई रुपये नहीं मिलने वाले। तुमने अगर हमारी बातें किसी को बताई तो तुम्हें भी मृत्यु के घाट उतार दिया जाएगा।

    राजू को अपने दोस्तों पर दया आई। अपने दोस्तों को बचाने के लिए दौड़ा। वह चिल्लाता रहा मगर उसके दोस्तों ने तो मानो कुछ सुना ही नहीं। वह हैरान रह गया।

    ऐसे दोस्त भी हो सकते हैं। दोस्तों ने उसे गलत धंधे में फंसा दिया। उसने तो अपने माता पिता के सारे गहने बेच दिए। एक दिन अपने माता पिता के पर्स से ₹2000 चुरा लिए। वह तो अपने दोस्तों पर आंख मूंदकर विश्वास करता था। आज उनका असली चेहरा उसे नजर आ गया। इनके गैंग में लिप्त हो गया। पर मैं दिखाई क्यों नहीं दे रहा हूं।

    आज वह घर में सब कुछ बता देना चाहता था वह घर की ओर दौड़ने लगा। घर पहुंच गया लेकिन घर में माता-पिता नें रो रो कर सबको इकट्ठा कर लिया था। हमारा बेटा ना जाने कहां चल गया? क्या करें? वह जोर जोर से बोल रहा था कि मैं यहां हूं। मैं यहां हूं। लेकिन उसको कोई भी देख नहीं पा रहा था। जूते जादू के थे। जिस कारण वह दिखाई नहीं दे रहा था। वह भगवान से प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान क्या करूं? जल्दी से मुझे वापस अपने रूप में बदल दो। मैं कभी भी चोरी नहीं करुंगा तभी उसकी नजर कांच के एक टुकड़े पर पड़ी। वह कांच के टुकड़े में नजर आ गया। उसकी समझ में आ गया शायद यह जूते जादू के हैं। उसकी दादी से उसने बहुत सारी कहानियां सुनी थी। लेकिन कोई  उन जूतों को धर्मशाला में क्यों छोड़ गया?

    यह प्रश्न उसके दिमाग में घर कर गया। मैं इसका पता लगा करके ही रहूंगा क्या करूं? मेरा नशा करने को मन कर रहा है। नहीं मुझे इन बच्चों जैसा नहीं बनना है। इन जूतों ने मुझे सच्चाई की राह दिखाई वर्ना मैं तो भटक गया था। उसका हाथ लोहे की छड़ के ऊपर पड़ गया। अचानक वह दिखाई देनें लग गया। उसके परिवार का  एक सदस्य आकर बोला तुम्हारे माता-पिता रो रो कर परेशान हो रहे थे। तुम कहां चले गए थे? वह बोला मैं तो कहीं नहीं गया था।

    उसकी मां दौड़ते दौड़ते आई बोली बेटा तू कहां चला गया था? उसने अपने बेटे को गले लगा कर चूम लिया। सब के सब लोग अपने अपने घरों को चले गए थे। उसने अपनी मां को बताया मां पिताजी आप मुझे माफ कर दो आपसे मैं आज सच बताना चाहता हूं।

    मैं आपके पर्स चोरी करके ले जाता था। कभी कभी सौ के नोट कभी 500रु के। मुझे मेरे दोस्तों ने गलत संगत में डाल दिया।  उनके चेहरे से नकली नकाब उतर गया। उसकी मां बोली किसने तुम्हें गलत संगत में डाला? वह बोला मुझे तो अभी इस धंधे में पड़े चार-पांच महीने ही हुए हैं। आप जब तिजोरी खोल कर देख रही थी तो मुझे पता चल गया था कि आपने सब कुछ देख लिया है इसलिए मैं आज घर नहीं आना चाहता था। अचानक चलते चलते मैं इतनी दूर निकल आया मुझे भूख भी बड़े जोर की लग रही थी तभी मेरी नजर एक धर्मशाला पर पड़ी।

    मैं  धर्मशाला के अंदर चला गया। मेरी नजर उस धर्मशाला में बाहर रखे चमचमाते जूतों पर पड़ी। मुझे कोई ना देखें मैंने जल्दी से वह जूते उठा लिए। मैंने फिर चोरी कीह वह जूते पहनें। मैं जूते अपने पैर में पहन धीरे धीरे रास्ते से चला जा रहा था। कई दोस्त मिले मैं उनसे बातें करता रहा लेकिन उन्होंने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। अचानक मेरे स्कूल के मेरे सबसे पक्के दो दोस्त अविनाश और आयुष मिले। दोनों को देखकर चेहरा खिल उठा। मैंने उनको आवाज दी लेकिन उन्होंने मेरी ओर देखा भी नहीं। मुझे बड़ा गुस्सा आया मैं उनके पीछे पीछे चलने लगा ताकि उनकी बातें सुन सकूं। वह एक अड्डे पर जाकर बोले जल्दी से हमें ₹10000 दे दो। हमने आपको एक नशा खोर फंसा कर दिया है। वह भी नशे में संलिप्त हो गया है। उसने घर से सारे अंगूठी और जेवरात लाकर आपको दे दिए। आपने हमें कहा था कि जब आप एक बच्चा लाओगे तो हम तुम्हें ₹10000 देंगे। आप जल्दी से हमें ₹10000 दे दो। गिरोह वाला व्यक्ति मिला चलो निकलो यहां से वे दोनों बोले हम यहां से नहीं जाएंगे। हम तुम्हारे ग्रुप का पर्दाफाश कर देंगे। गैन्ग का नेता पिस्तौल लेकर आया वह बोला अगर तुमने जरा भी हमारे बारे में किसी को बताया तो तुम दोनों का काम तमाम कर दूंगा। नशे में संलिप्त व्यक्ति पिस्तौल चलाने की वाला था तभी वहां पर एक ग्राहक आया। वे दोनों बच्चे अपने-अपने घरों को जान बचा कर भागे। मुझे उनकी असलियत पता चल गई। वह जादू के जूते थे जिसमें से मैं दिखाई नहीं देता था। जब मैं रास्ते से आ रहा था तो मुझे एक आदमी मिला। वह बोला बेटा जो जूते तुम्हें मिले हैं वह जादू के जूते हैं। मुझे किसी साधु महात्मा ने दिए थे। वह किसी इंसान के पास केवल दो बार ही प्रयोग किए जा सकते हैं हम इन जूतों का प्रयोग अच्छे काम के लिए करेंगे तो यह जूते करिश्मा दिखाते हैं अगर गलत उपयोग किया तो उस व्यक्ति की खबर नहीं। यह गलत उपयोग किए जाने वाले व्यक्ति के पास दो बार से ज्यादा नहीं रहते। मैंने भी लालच किया था। मुझे भी सजा भुगतनी पड़ी।मैं इन जूतों को इसलिए छोड़ कर गया था ताकि कोई इन जूतों को ले जाए लेकिन मैंने तुम्हारी सारी गतिविधियों पर नजर रखी। तुमने चोरी की। उसके पश्चात तुम्हें इन जूतों में ऐसा सबक सिखाया कि कभी भी गलत बच्चों का साथ नहीं करोगे। इस कारण तुम अपने माता-पिता से मिले मैं तुम्हें बताना चाहता था कि तुम भी इन जूतों का प्रयोग दूसरी बार उपयोग करने के पश्चात अच्छे काम के लिए करना उसके पश्चात तुम इनको समुद्र में फेंक देना नहीं तो यह जूते किसी ना किसी व्यक्ति को भटकाती रहेंगे। बच्चा सही दिशा अपनाएगा उसे यह जूते कुछ नहीं कहेंगे। यह कहकर वह साधु चले गए।

    घर आकर  राजू नें कसम खाई कि वह जीवन में कभी भी गंदे कामों में संलिप्त नहीं होगा। आज अपने माता पिता को सारा सच बता दूंगा। दोस्तों को भी उस गैन्ग के लोगों से  छूडा  कर लाऊंगा और आपके सारे गहने जब तक मैं आपके गहने लाकर आपको  नहीं  दे दूंगातब तक मैं  चैन से नहीं बैठ सकता। मैं आपका  अच्छा बेटा कहलानें  लायक नहीं हूं। पिताजी मुझे माफ कर दो। उसके मां पापा बोले इस काम में हम भी तुम्हारी मदद करेंगे।

    उसके पिता राजीव ने पुलिस इंस्पेक्टर शेखर को फोन लगाया। पुलिस इन्स्पेक्टर शेखर के दोस्त थे। शेखर आकर बोले बेटा हम तुम्हारे साथ साथ रहेंगे। वह बोला मैं इन जूतों को पहन कर गायब हो जाऊंगा। उनके अड्डे के सारे राज पता कर लूंगा। राजू ने पुलिस डॉक्टर को उन जूतों के बारे में बता दिया था।

    अंकल आप दिशांत होटल में दूसरे फ्लोर में आ जाना। वहां पर मैं  जादुई जूते पहन लूंगा और उन गैन्ग के अड्डे का पर्दाफाश करके ही आपके सामने आऊंगा। आपको सारा माजरा बताऊंगा।

    उसकी मां पिता को अपने बेटे पर विश्वास हो गया था। वह जैसे ही घर से निकला उसने मंदिर में जाकर भगवान के सामने माथा टेक कर कहा कि हे भगवान जी मुझे माफ कर दो। आज अचानक आप ने संभाल लिया। जूतों नें तो अपना कमाल दिखा दिखा दिया। उसने भी तो चोरी की है। उसे भी आज प्रयश्चित करना पड़ेगा। मैं सारा कार्य करने के पश्चात इन जूतों को समुद्र में फेंक दूंगा नहीं तो उन जूतों को कोई ना कोई पाने का प्रयत्न करेगा और कोई ना कोई गलत काम करेगा।

    राजू जैसे ही मंदिर से बाहर आया उसने अपने आप को तरो ताजा महसूस किया तभी उसने देखा कि उसके जूते किसी उस जैसे बच्चे नें पहन लिए थे। वह बच्चा गायब हो गया था राजू ने उसे देख लिया था वह उस बच्चे के पीछे भागा। इनमें जूतों की जरूरत तो उसे है। लेकिन यह क्या? वह बच्चा चला जा रहा था। राजू नें पीछे मुड़ कर देखा उसे कोई देख तो नहीं रहा था। अचानक उस बच्चे का पैर लोहे के एक टुकड़े से टकराया। वह बच्चा नीचे गिर गया और उसके जूते भी गिर गए। राजू नें तभी उन गैंन्ग के सदस्यों को जाते देखा। वह बच्चा शायद उन से बचाएं के लिए भाग रहा था। वह उस बच्चे को नशा करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।वह भी अपनें घर से अपनी मां के गहनें चोरी करके लाया था। शायद इन गैंन्ग  के आदमियों ने उसे भी अपने धंधे में  शामिल कर लिया था। जल्दी से राजू ने वह जूते पहने और गायब हो गया वह उस बच्चे के पास जाकर खड़ा हो गया। वे गैन्ग के आदमी उस से कह रहे थे जब तुम जब तक तुम अपने घरों से और गहने लाकर नहीं दोगे तब तक हमें तुम्हें छोड़ने वाले नहीं है। यह देखकर राजू की आंखों से झर झर आंसू बहने लगे। वह बच्चा भी इनकी गलत  संगत का शिकार हो जाएगाह वह आज अच्छा काम करके ही रहेगा। इस बच्चे को भी बचाएगा और अपने दोस्तों को भी  इन से बचाएगा।

    उसने पुलिस इंस्पेक्टर को बता दिया कि इनका गिरोह दूर-दूर तक फैला है। पुलिस ने राजू को शीशे में देख लिया था। राजू कहां पर है? राजू ने उन्हें बता दिया था कि वह शीसे में ही नजर आएगा।पुलिस  ढूंढते ढूंढते वहां पर पहुंच गई। अचानक पुलिस इन्स्पेक्टर ने लोहे की चाबी से राजू को  छू लिया। राजू अपने असली वेश में आ गया। राजू ने उन चरस अफीम और नशे के गैन्ग का पर्दाफाश कर अपने दोस्तों को भी सही सलामत घर पहुंचा दिया। उसके दोस्तों ने अपने किए पर अपने दोस्त से क्षमा मांगी। वे बोले तुमने हमको भी सुधारा और अपने आप भी  भटकने से बच गए।

    हम जैसे ना जाने लाखों करोड़ों बच्चे होंगे जो छोटी सी उम्र में गलत आदत  ने का शिकार हो जाते हैं। कोई  जादुई जूते जैसा करिश्मा करके उन लाखों करोड़ों बच्चों को भटकने से बचा कर लाए तो उसकी नैया तो पार लगेगी ही बल्कि अपने आसपास उन बच्चों की दुआएं भी लेकर अपने  नसीब को वह  संवार देगा। हमें ऐसे बच्चों को प्रेरणा देनी है जो छोटी सी उम्र में इन सब नशा जैसी आदतों में पड़ जाते हैं। अपना तो नाश करते हैं बल्कि  अपने माता पिता के सुखचैन को भी सदा सदा के लिए खो देते हैं।

    आजकल की नई पीढ़ी से अगर एक भी  व्यक्ति ऐसे बच्चों को सुधारने का कोई बीड़ा उठा ले तो हमारे देश की काया ही पलट जाएगी। राजू नें आकर अपने माता पिता को कहा कि मैं अभी आता हूं। यह कहकर वह जल्दी से भाग भाग कर समुद्र की ओर गया। उसने वह जूते समुद्र में फेंक दिए।

    पुलिस इंस्पेक्टर ने उस गिरोह का पर्दाफाश कर उसके साथियों को सही सलामत बचा लिया और राजू की मां के गहने भी उसे वापस कर दिए। उन नशाखोरों  के अड्डे में संलिप्त सभी गिरोह के व्यक्तियों को जेल में डाल कर उन्हें सबक सिखाया। पुलिस इन्सपैक्टर नें राजू को कहा कि तुम छोटे से बालक अपनी सूझबूझ से रास्ता भटकनें से बच गए मैं भी तुम्हें सलाम करता हूं। ऐसी सोच सभी को दे।