एक लोमड़ी भूखी प्यासी आई पेड़ के नीचे। लगी देखने उस पेड़ को आंखें मींचे मींचे।। पेड़ पर था एक कौवा बैठा। नटखट चुलबुल काला कौवा।। अपनी चोंच में रोटी का टुकड़ा भींचे भींचे। लगा देखनें लोमड़ी को कर के नजरे नीचे।। लोमड़ी सोच रही थी मन में, क्यों न इसे बहलाती हूं। इस बेसूरे… Continue reading कौवा लोमड़ी ओर रोटी(कविता)