किसी गांव में एक पंडित रहता था। . वह सभी को कहता था कि मैं दान करता हूं। दान करने के कारण ही तो मेरे घर में सब कुछ है। पंडित बड़ा अभिमानी था। वह किसी की बात नहीं मानता था। उसका कहना था जो मेरा कहा नहीं मानेंगा उसको वह कड़ा सबक सिखाये बिना पीछे नहीं हटेगा। वह समझता था कि उसके गांव में उससे बड़ा कोई दानी नहीं। उसने अपने घर के बाहर एक अमरूद का पेड़ लगा रखा था। उस पेड़ के अमरुद खा कर सब गांव के निवासी खुश होते थे। कोई भूखा प्यासा इंसान जो कोई भी गांव आता उस पंडित के लगाए पेड के फल बडे़ चाव से खाते थे। इस तरह भी वह पंडित अपने पेड़ के कारण भी प्रसिद्ध था। एक बार उस पंडित के घर में कुछ व्यक्ति आ कर बोले पंडित जी क्या हम आपके घर में रह सकते हैं? वह बोला भाई देखो मैं दान ही करता हूं। घर में किसी भी अजनबी को ठहरा नहीं सकता। तुम्हारा क्या पता तुम सब मुझे मार कर चले जाओ? इस तरह दिन बीतनें लगे। एक दिन उसी गांव में आकर एक दूसरा पंडित भी वहां रहने लगा। वह भी उसी की तरह दानी था जो कोई भी पहले दान लेने श्याम के घर आता था पहले रामू के घर जाने लगता। श्याम को यह देख कर उसे रामू से ईर्ष्या हुई। मेरी इतने सालों की तपस्या बेकार गई। इस गांव में मुझसे बढ़कर कोई भी दानी नहीं हो सकता। मैं इसे यहां से निकाल सकूंगा। आजकल पंडित के घर में बहुत ही मंदा चल रहा था। वह सोचने लगा कि ऐसा मैं क्या करूं।
एक दिन जब वह शहर से वापस आ रहा था तो उसे एक जादूगर दिखाई दिया। जादूगर एक पेड़ के पास जाकर कह रहा था कि यह पेड़ हरा भरा हो जाए। उसमें पके पके फल लग जाएं। जादूगर ने कुछ मंत्र गुनगुनाया ‘’पेड़, राजा को बोला पेड़ राजा बदलो इन पेडो को हरे भरे पेड़ों में। ‘’पेड़ राजा पके पके फल दिला दो जल्दी से हमें खिला दो”। भूख लगी है हम सब को”पेड़ बोला जल्दी से तीन बार हुंकार भरो और इस मंत्र को गुनगुनाओ। तीन बार बोलो’अगडम बगडम छू-अगडम बगडम छू- अगडम बगडमछू। जल्दी से वह पेड़ फलों से लद गया और देखते ही देखते हरे भरे पेड़ों में बदल गया। पंडित यह देख कर खुश हुआह वह जादूगर उसके घर के पास पहुंच गया था। पंडित नें जादूगर को ऎसा करते देख लिया था। जादूगर बोला क्या तुम्हारे घर में मैं आज रात को ठहर सकता हूं। वह बोला यह भी कोई पूछने की बात है। तुम यहां पर बड़ी खुशी से रह सकते हो।
जादूगर उसके घर पर गया। पंडित नें उस जादूगर की बहत आवभक्त की। जादूगर बोला मैं तुम्हारे दयाभाव से प्रसन्न हूं। मांगो क्या मांगना चाहते हो? वह पंडित अपने मन में सोचने लगा इस जादूगर ने तो मेरे मुंह की बात छीन ली। वह जादू मुझे भी सिखा दो जो आप उस पेड़ के पास कह रहे थे। जादूगर बोला यह तुमसे किस नें कहा। मैंने सुन लिया था जब आप पेड़ के पास जा कर कह रहे थे। जादूगर बोला एक ही शर्त पर सिखाऊंगा अगर तुम किसी पर भी इसका गलत उपयोग नहीं करोगे। इसका गल्त इस्तेमाल करोगे तो यह जादू समाप्त हो जाएगा। पंडित ने कहा वह कभी भी इसका गलत इस्तेमाल नहीं करेगा। जादूगर बोला तो मैं तुम्हें बताता हूं उसके कान में वह जादू फूंक दिया। पंडित जादू सीख कर बड़ा ही खुश हुआ। वह सोचनें लगा सबसे पहले यह जादू अपनें लगाए हुए अमरुद के पेड़ पर ही करता हूं। इसमें हर साल बहुत ही मीठे फल लगते हैं। इस बार यह पेड़ कुछ सूख गया है। हर बार हर बार मीठे मीठे फल और लोग ही खा जाते हैं। मेरे हाथ कुछ भी नहीं लगता। लोग मुझे दानी समझते हैं लेकिन मैं इतना भी दानी नहीं हूं जिस पर गुस्सा कर लेता हूं उसका पीछा नहीं छोड़ता। आज से मैं अपना दूसरा रूप कर लूंगा। जादूगर को भी बेवकूफी बना दिया वह बेचारा भी मेरे झांसे में आ गया। उसने पेड़ के पास जाकर कहा कि इस सूखे पेड़ को हरे भरे फलों में बदल दो। उसने जादूगर द्वारा दिया मन्त्र उस पेड़ के पास जा कर कहा। अगडम बगडम छू तीन बार कहा। कहा जब भी कोई राहगीर यहां फल खाएं आए तुम इस पेड़ के फलों कों जहरीला बना देना। इस गांव में जो भी लोग आते थे फल खा करके अपना पेट भरते थे। और उस पंडित को दुआएं देकर चले जाते थे। एक दिन वहां पर आकर कुछ लोग उस हरे भरे पेड़ को देखकर बोले इसमें कितने मीठे मीठे फल लगे हैं? भूख भी बड़े जोरों की लग रही है।
वह पंडित के घर के पास आकर पंडित से बोले हमें भूख लगी है हमें कुछ खाना खिला दो। पंडित को तो जादू पा कर बहुत ही घमण्ड हो गया था। पंडित बोला मेरे घर में खाना नहीं बचा है। मैं खाना तुम्हें नहीं खिला सकता। मेरे घर के बाहर एक अमरुद का पेड़ है। उसके फल खा लो। लोग जैसे फल खाने जाते वह उस पेड़ के फलों को जहरीले पेड़ में बदल देता। मीठे मीठे फलों को बाजार जा कर बेच देता था। लोग उस पेड़ के फल खा कर काफी देर तक बेहोश हो जाते। वह उनके रुपए जेवरात लेकर चंपत हो जाता। उन रुपयों को पाकर अपने घर की अलमारी में रख देता था। इस तरह कुछ दिन व्यतीत हो गए। उसने बहुत सारा धन चोरी का इकट्ठा कर लिया था।
एक दिन वही जादूगर उसके घर पर आकर सोचनें लगा उसने इस गांव के पंडित को जादू का एक मन्त्र सिखाया था। वह इस मन्त्र का सही उपयोग कर रहा है या नहीं खुद चल कर देखता हूं। वह जादूगर लोंगों से बोला यहां के पंडित जी का व्यवहार लोगों के प्रति कैसा है। लोग कहने लगे इस गांव में दूसरे पंडित के आ जानें से इस गांव के पंडित का तो रवैया ही बदल गया। वह अपनें आप को घमन्डी समझनें लगा। वह हर आने जानें वाले लोगो को मीठे मीठे अमरुद खाने के लिए कभी भी मनाही नही करता था लेकिन अब तो वह सारे फलों को चुपचाप बाजार जा कर बेच देता है। किसी को भी कुछ नहीं देता। जादूगर पंडित के घर आ कर बोला मुझे भूख लगी है। वह जादूगर रूप बदलकर आया था। उस समय पंडित अलमारी को खोलने कर रुपये गिन रहा था। पंडित ने उसको देखते ही अलमारी बन्द कर दी। पंडित ने उसको पहचाना नहीं। पंडित ने कहा कि मेरे पास तो खाने को कुछ भी नहीं है। मेरे घर के बाहर अमरूद का एक पेड़ है। इनके फलों को खाकर अपनी भूख मिटा लो। जादूगर बोला मैं यह नहीं कर सकता तुम मेरे साथ चलो मुझे उस पेड़ को दिखाओ। पेड़ कहां पर है? पंडित बोला, चलो दिखाता हूं जादूगर बोला यह पेड़ जिसके फल तो मीठे नहीं लगते। पंडित बोला तुम बिना खाए कैसे कह सकते हो कि मीठे नहीं हैं। पहले खा कर दिखाओ। पंडित ने सोचा अभी तो मैंने पेड़ में मंत्र भी नहीं फूंका है। फल खाने में क्या जाता है? जादूगर नें वंहा पंहूंच कर पेड़ में मन्त्र फूंक कर उस पेड़ के फलों को जहरीले फलों में बदल दिया था। पंडित सोचने लगा जैसे ही वह फल खाएगा जादूगर उसे फल खाता देखेगा तो वह भी फल खाने के लिए आगे बढ़ेगा। शाम के समय जादूगर नें पंडित को अपना बक्सा संभालने के लिए कहा था। उस बक्से में नकली हार छुपाए थे।
पंडित ने जादूगर की ओर देखा और सोचनें लगा आज तो करोड़ों की लॉटरी लगी है। वह जल्दी ही इस वृक्ष के फलों को जहरीले फलों के पेड़ में बदल देगा।।
पंडित अमरूद मुंह में लेकर बोला यह तो मीठे हैं। जादूगर उसे फल खाता देखता रहा। थोड़ी देर बाद पंडित बेहोश हो गया। जादूगर ने उस अलमारी की चाबी तकिए के नीचे छिपातेे देख लिया था। उस जादूगर ने तकिए के नीचे से चाबी निकाली और उस में से अलमारी के सारे के सारे जेवरात लेकर और नकदी लेकर चंपत हो गया।
जादूगर गांव के मुखिया के पास जाकर बोला जिन लोगों का रुपया खोया था उन्हें वापस कर देना। वह बोला मैं रुपए लूटने वालों का सफाया करता हूं। इतना समझना आपके लिए काफी है। मैं आप आपके गांव का नहीं हूं। जिस इंसान ने इन लोगों का रुपया लूटा था उसे सजा मिल चुकी है। शायद वह अपनी गलती सुधार ले। उसे इतनी सजा ही काफी है। यह कहकर वह जादूगर वहां से चला गया। मुखिया ने जिन लोगों का सामान खोया था वह सब वापिस कर दिया। होश में आते ही पंडित अपनी करनी पर पछताने लगा। वह हाथ मल कर बोला आगे से कभी भी लालच नहीं करुंगा।
Month: November 2018
सपनों की उड़ान
आओ बच्चों तुमको सपनों की दुनिया में ले चलें।
तारों और गगन की छांव में झूला झूला सकें। आशा की किरण जगा कर उत्साह जगा सकें।।
आओ बच्चों तुम को सपनों की दुनिया में ले चले।
झूमते गाते हरी वादियों में ले चलें।।
आओ बच्चों तुमको सपनों की दुनिया में ले चलें।
बनाओ मिसाल ऐसी की दुनिया में सब याद कर सकें।
मेहनत के बल पर मुकाम हासिल कर सकें।। आओ बच्चों तुमको सपनों की दुनिया में ले चले।
सैकड़ों के बीच में एक अलग पहचान बना सकें।।
नेकी की मिसाल कायम कर के मन में हौसला जगा सकें।
सभी को सच्चाई की डगर दिखा सकें।।
आओ बच्चों तुम को सपनों की दुनिया में ले चले।
झूमते गाते हरी वादियों में ले चलें।।
सपनों से निकल कर सपनों को हकीकत बना सकें।
आओ बच्चों तुमको सपनों की दुनिया में ले चले।
खुशी और गम सबके साथ बांटते चले।
समता का भाव ला कर हर एक को अपना बना सकें।।
मंजिल को तलाश करते करते हम कभी भी न डगमगाएं।
हार को भी अपनी ताकत बना सकें।।
आओ बच्चों तुमको सपनों की दुनिया में ले चलें।
मुश्किल की घड़ी में सबके काम आ सकें। मजबूत इरादों से आगे बढ़नें से न हिचकिचा सकें। ।
छोटे और बड़ों का लिहाज करना सभी को सिखा सकें।
आओ बच्चों तुमको सपनों की दुनिया में ले चलें।
सपनों से निकल कर सपनों को हकीकत बना सकें।
आजादी से खुलकर जीना सभी को बता सकें। सपनों को पंख लगाकर उड़ान भर सकें।। हकीकत की मिसाल कायम करके खुशी सबके मन में जगा सकें।
आओ बच्चों तुमको सपनों की दुनिया में ले चलें। 30/11/2018 Continue reading “सपनों की उड़ान”
नन्ही चिड़िया की पुकार
नन्ही चिड़िया मां से बोली।
मैं हूं तेरी प्यारी भोली।।
जल्दी से दाना देखकर मेरी भूख मिटाओ न।
कहानी सुनाकर मेरा दिल बहलाओ न।।
मां बोली ना कर शैतानी।
हर दम करती रहती मनमानी।।
नन्ही चिड़िया बोली अभी खेलने जाना है।
नन्ही चिड़ियों संग खेल खूब धमाल मचाना है।।
मां चिड़िया बोली तेरी एक नहीं चलेगी।
तू भी आज मेरे संग दाना चुगने चलेगी।।
भोली बोली मैं एक शर्त पर तेरे संग चलूंगी।
बाग में रंग बिरंगी तितलियों संग आंख मिचोली खेलूंगी।।
फूलों संग भी खेल खेल कर मन बहलाऊंगी। उनकी महक अपने मन मे जगाऊंगी।
मां बोली बेटा तुम्हारे अध्यापक अध्यापिकांए आज घर आएंगे।
तुझे खेलते देखकर मुझे समझाएंगें।।
भोली बोली मां मैं आज पढाई नहीं करुंगी।
आज तो मैं ढेर सारी मस्ती करुंगी।।
भोली बोली आज अध्यापिकांओं को बुलाओ न।
उनसे कह कर बस्ते का बोझ कुछ कम करवाओ न।।
मां बोली बेटा आज से तू पढाई लिखाई में मन लगाएगी।
तभी तेरी सारी इच्छाएं मां पूरी कर पाएगी।।
भोली खुश होकर बोली मां जल्दी से मुझे पढ़ाई करवाओ ना।
पढ़ाई करा कर मुझे और डराओ न।।
मां चिड़िया बोली शिक्षा रहित जीवन निर्थक।
शिक्षा सहित जीवन सार्थक।।
मां बोली शिक्षा बहुत जरुरी है।
- शिक्षा बिना जीवन अधूरा तुम्हे समझाना जरूरी है।।
जादुई तलवार और दुष्ट जादूगर
परियों की राजकुमारी नैना थी बहुत ही सुंदर।
सुंदर आंखों वाली थी बहुत ही चंचल।।
एक दिन नैना बाग में थी घूम रही।
फूलों के संग बाग में थी झूम रही।।
एक भंवरा उड़ कर उस बाग में आकर मंडराने लगा।
परी के आगे पीछे घूम कर उसे डराने लगा।।
भंवरा आकर परी को बुलाने लगा।
उसे बुलाते देखकर परी को गुस्सा आने लगा।।
परी बोली तुम कहां से आए हो?
तुम क्यों मेरे आगे पीछे मंडराए हो।।
भंवरा बोला मैं ना जाने यहां कैसे पहुंच गया?
मैं तो शिकार खेलने के बहाने यहां आ कर रास्ता भटक गया।।
एक जादूगर ने मुझे भंवरा बना दिया।
मैं था एक राजकुमार मुझे भंवरा बना कर अपने महल में पहुंचा दिया।।
भंवरा बनकर अपने घर जाने की कोशिश करता रहता हूं।
हर बार विफल हो कर ही रह जाता हूं।।
परी रानी परी रानी तुम्हें देखकर मेरे मन में एक विचार है आया।
तुम्हे अपना समझ कर यह सब कहनें को मन कर गया।।
तुम्हें ही मुझे उस जादूगर से बचा कर लाना होगा।
अपना कमाल दिखा कर उस जादूगर को सबक सिखाना होगा।।
राजकुमारी जी, मैं तुम्हें सारी बात समझाता हूं।
जादूगर को मार कर अपने देश वापस जाना चाहता हूं।।
परी बोली तुम भंवरा बन कर आए हो शायद एक बहुरूपी हो।
कैसे विश्वास करूं तुम पर तुम एक छलिए भी हो सकते हो।।
भंवरा बोला मैं था एक सुंदर देश का राजकुमार।
मैं केवल शिकार से रखता था सरोकार।।
मैं जादूगर का पीछा करता करता था दौड़ रहा।
उसकी चीजों को चुराने को मेरा मन था डोल रहा।।
उसके पास जादू की तलवार देख कर मन मेरा खुशी से झूम उठा।
तलवार की लालच में उसके पीछे चलने के लिए दिल मचल उठा।।
जादू की तलवार लेकर वह एक विशाल महल में आया।
मुझे पीछा करता देख कर उसकी समझ में सब आया।।
जादूगर बोला तुम्हें पता चल गया है जादू की तलवार का।
समय आ गया है तुम्हें भंवरा बना कर अपनी भूख मिटाने का।।
जो कोई भी जादूगर की तलवार पाने की कोशिश करेगा।
वह अपनी जान से हाथ धो बैठेगा।।
तुम भंवरा बन कर यहां गुनगुनाते रहो। चैनसुख होकर जान अपनी गंवाते रहो।।
परी को उसकी बात में सच्चाई थी नजर आई।
वह दौड़ी दौड़ी अपनी सहेली संग बताने चली आई।।
अपनी सहेलियों को बोली हम सबको एक विशाल जादुई महल में जाना होगा।
वहां पर एक राज कुमार को बचा कर वापस लाना होगा।।
जादूगर ने उस राजकुमार को अपना शिकार है बना लिया।
भंवरा बना कर उस पर अत्याचार है किया।।
चुपके से उसके महल में जाकर उसकी जादूगर की तलवार लानी होगी।
राजकुमार की जान हमें जल्दी से बचानी होगी।।
परी भंवरे के पास आकर बोली, भंवरे राजा भंवरे राजा- तुम्हें देखकर मेरा मन है डोला।
तुम्ही तो हो मेरे सपनों के सुन्दर छैला।।
हम हम सब उस जादूगर को मार कर ही दम लेंगी।
जब तक वह नहीं मरेगा हम सब पीछे नहीं हटेंगी।।
भंवरा उन परियों के संग एक मिन्ट में जादूगर के देश में पहुंच गया।
राजकुमार उनकी ताकत देख कर खुश हो गया।।
वह बोला जादूगर की तलवार है चांदी के एक संदूक में ।
जिसकी खबर का हिसाब रखता है वह जादू गर पल पल में।।
तुम्हें उस तलवार को जादूगर से लाना होगा।
उसके तकिए के नीचे से चाबी को उठाना होगा।।
भंवरा बोला मैं जादूगर का पीछा करता रहूंगा।
तुम्हें हर पल पल की खबरें देता रहूंगा।।
परी बोली तुम जादूगर के पास जाकर मंडराओ।
हमें भी उस जादूगर तक चुपके से पहुंचाओ।।
हम जादू की बल से उस महल में आएंगी।
वहां पहुंचकर अपना कमाल दिखाएंगी।।
भंवरा उनको महल में ले गया।
परी ने उसका पीछा कर उसे जादूगर को भी खुश कर दिया।।
परी ने बिस्तर से चाबी निकालकर उस जादूगर की तलवार को प्राप्त कर लिया।
तलवार जैसे ही थी हाथ में आई।
राजकुमार की आंख खुल आई।।
जादूगर की तलवार का स्पर्श मुझसे करवाओ। भंवरे से मुझे इंसान बनाओ।।
राजकुमारी ने जल्दी से जादू की तलवार भंवरे पर थी घुमाई।
देखते ही देखते भंवरे को भी बेहोशी छाई।। परियां यह देखकर घबराई।
थोड़ी देर बाद नौजवान राजकुमार को इन्सान बना देख कर मुस्कुराई।।
राजकुमार बोला प्यारी प्यारी परी तुमने मेरी जान बचाकर मेरी दुनिया संवारी।
मुझे नई खुशियाँ दे कर मेरी खुशी बढाई।।
मैं उस जादूगर को जल्दी से मौत के घाट पहुंचाऊंगा।
तुम्हें अपने रानी बनाकर अपने महल में ले जाऊंगा।।
परी ने़ राजकुमार संग की सगाई।
उसकी सखियों ने उसे सगाई की दी बधाई।।।
खुशी खुशी राजकुमार परी को लेकर घर आ गया।
परी के संग ब्याह कर सुखचैन सारा पानी गया।।
बेजुबान
पर्यटन स्थलों के लिए शिमला की वादियों में घूमने आए दिन बहुत लोग पहाड़ों की ठंडी ठंडी वादियों का लुत्फ उठाने सैंकड़ों की संख्या में शिमला घूमने आते हैं। शिमला की प्राकृतिक छटा का अनुपम सौंदर्य उन्हें शिमला की वादियों का आन्नद लेने के लिए अपनी ओर आकर्षित करता है। हर पर्यटक का मन करता है कि इस बार शिमला की वादियों में घूमा जाए ऐसे ही एक दंपति अपने बेटे और बेटी के साथ घूमने शिमला आए थे। वहां पर पहुंचते ही उन्होंने एक होटल बुक करवाया।
कुली को सामान पकड़ा कर कहा हमें होटल ले चलो। वह औरत बहुत मस्ती में झूमते जा रही थी। उसके पास ही एक बन्दरों का झून्ड उन्हें घूरे जा रहा था। वे परिवार के लोग चिप्स खा रहे थे। खा कर उन्होंने वह चिप्स का पैकेट नीचे फेंक दिया और लड़के ने भी केले का छिलका नीचे गिरा दिया। यह कार्यवाही करते देख बंदरों का झुंड एक दूसरे से कहने लगा आए दिन शिमला में लोग सैकड़ों लोग घूमने आते हैं। हमारे शहर को गंदा कर चले जाते हैं। ऐसे तो पर्यावरण स्वच्छता का अभियान जोरों पर है यह लोग दूसरे शहर में आकर भूल जाते हैं कि इस शहर को भी साफ रखना है। भाई, इन्हीं लोगों पर यह नियम लागू नहीं होते। हमारे हिमाचल प्रदेश से भी लाखों लोग घूमने दूसरे सभी स्थानों में जाते हैं वह भी ऐसा ही करते हैं। कूड़ा- कचरा कूडेदान में नहीं डालते। साफ सड़क में डाल देते हैं। कल ही की बात है कि एक आदमी ने केले का छिलका फेंका। सामने से एक बच्चा आ रहा था। उसका पांव उस केले के छिलके पर पड़ा वह दूर नाली में जा गिरा। उसे गंभीर चोट आई। उस बच्चे को जल्दी से अस्पताल पहुंचाया गया। इन लोगों को सबक सिखाना ही पड़ेगा। एक बंदर सीधे नीचे उतरकर आया और उस परिवार से चिप्स का पैकेट लेकर छूमंतर हो गया। उसकी देखा देखी में बाहर से आए हुए लोगों पर भी बन्दरों नें धावा देना शुरू कर दिया। बंदरों का मुखिया बोला हम हर किसी से सामान नहीं खींचा करेंगे जो हमारी नगरी को नुकसान पहुंचाएगा उसे ही कड़ा सबक सिखाएंगे।
हम तो उन लोगों में यूं ही बदनाम हो गए। हर रोज हमारी शिकायतें पत्र पत्रिका में छपती रहती हैं। हम क्या करें? हमें पता है हम तो किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते लोग लाठी लेकर बिना वजह ही हमें मारनें दौड़ते हैं। एक दिन उस तेजी बंदर ने एक मोटी सी औरत से उसका पर्स छीन लिया। उसमें उस औरत के जेवरात और उसकी जरूरी कागजात थे। क्या करें, जब उसने भी खा पीकर अपना लिफाफा कूड़ा दान के बजाय सड़क पर गिरा दिया तो हमसे यह सहन नहीं हुआ। थोड़ी देर पहले ही वहां सफाई कर्मचारी झाड़ू लगाकर गए थे। उस औरत को सबक सिखाना तो जरूरी था। जिसके भाग्य में सामान लिखा हो उसी को ही वह मिलता है। सामने से एक गरीब औरत जा रही थी। वह पर्स उसकी झोली में जा गिरा। उस औरत का बेटा अस्पताल में था। वह औरत पर्स देखकर हैरान रह गई। उस रुपए का क्या करूं? उसने जल्दी से जाकर पुलिस इंस्पेक्टर को पुलिस थानें जा कर वह पर्स थमाया वह जल्दबाजी में अपनी झोली वहीं पर भूल गई।
हम बंदरों का झुंड यह देखने के लिए कई वह पुलिस स्पेक्टर इन रुपयों का क्या करता है? चुपचाप छुप कर देखने लगे। पुलिस इंस्पेक्टर ईमानदार था। उसने जिस औरत का वह पर्स था उसे लौटा दिया। पुलिस स्पेक्टर ने कहा कि यह पर्स एक गरीब औरत दे कर गई है। उस बेचारी बूढ़ी औरत की झोली यही पड़ी है। मैंनें आपका पता देख कर और फोन नम्बर की सहायता से आप को पर्स लौटानें का निर्णय किया। जल्दी में वह अपनी झोली यही भूल गई। जिस औरत का वह सामान था वह एक पत्रकार थी। सबसे पहले उस पत्र कार नें पुलिस इन्सपैक्टर का धन्यवाद किया। उसे खुशी हुई कि हमारे देश में अभी भी ईमानदार लोग जिंदा है। सारी खोलीयों में जाकर पता किया कि यह झोला किसका है तब कहीं जाकर एक खोली के पास एक फटे पुराने वस्त्र पहने एक लड़का निकला। वह बोला यह झोली तो मेरी मां की है। इसमें हमारा खाना है हमें खाना दे दो। हमें भूख लगी है। हमने कुछ भी नहीं खाया है। मां अस्पताल में भाई को देखने चले गई। मेरा भाई बीमार है। वह किसी का पर्स लौटाने गई है।
उस पत्रकार औरत का दिल पसीज गया। उस औरत का लोंगों से पूछते पूछते और बच्चे द्वारा पता करके वह उस अस्पताल में गई जहां पर कि उसका गरीब औरत का बेटा बिमार था। गरीब औरत पंक्ति में लगकर अपने बेटे को अपनी छाती से लगाए अंदर ले जाने का प्रयत्न कर रही थी। लोग एक दूसरे को धक्का दे रहे थे। वह सोच रही थी कब जैसे मेरे बेटे की बारी आए और जल्दी से अंदर अपने बेटे को दिखा सके। उसने देखा कि उसकी बारी ही नहीं आ रही है तो वह जल्दी से एक ब्लड बैंक में घुस गई। वहां पर एक आदमी अपने बच्चे को बचाने के लिए खून मांग रहा था। वह जल्दी से उस आदमी को पकड़ कर बोली आप मेरा खून ले लीजिए जल्दी से मेरे बेटे को बचाना है। मैं आपको खून देने के लिए तैयार हूं। जल्दी से उस पत्रकार ने उसे वहां से खींच कर कहा तुममेरे पास आओ। तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। तुमने मेरा पर्स लौटा कर अपनी ईमानदारी का सबूत दे दिया है। वास्तव में तुम ही सच्ची नेकी का का जीता जागता उदाहरण हो।
मैं तुम्हारे बेटे के इलाज के लिए तुम्हें रुपए दूंगी। उसने जल्दी से बड़े डॉक्टर को फोन कर के कहा जल्दी से एक बच्चे की जान बचाना बहुत ही जरूरी है। वहां पर सैकड़ों लोग लाइन में खड़े हुए थे। उस पत्र कारऔरत की एक मिनट में ही बारी आ गई। बंदरों का झुंड उस औरत को दुआ दे रहा था जिसने उस गरीब औरत के बेटे की जान बचाई।
बंदरों का नेता बोला अगर सभी लोग ऐसा समझ ले तो हर एक सुखी हो सकता है। हर एक इंसान हमें समझता है कि हम उनका माल लेकर भाग जाएंगे। हम बोल नहीं सकते मगर हमें सब समझ में आता है।।
आजकल रास्ते में हर आनें जाने वाले कुत्तों को लोग मारते फिरते हैं। हम बिना वजह किसी पर भी हमला नहीं करते। यह लोग हमें जब मारनें दौड़ते हैं तभी हम उन पर आक्रमण करते हैं तभी हम उनका माल लेकर गायब हो जाते हैं। जब कोई इंसान बिना वजह से किसी को मारता है तब हम उसको सजा देते हैं ताकि उसे ऐसा महसूस हो सके कि बिना वजह किसी पर चोट नहीं करनी चाहिए। मनुष्य हर दिन पका हुआ खाना बासी समझ कर अपने घरों में यूं ही कूड़े करकट में डाल देते हैं अगर किसी बेजुबान जानवर को खिला दे तो इसमें बुराई क्या है?अमीर लोगों के घरों में ना जाने फ्रिज में दस दिन तक खाना पड़ा रहता है। मगर उन को देने के लिए कुछ नहीं होता सिवाय प्रताड़ना के। इंसान भी अगर अपने कर्तव्य को समझ जाए तो हमें तो समझाने की नौबत ही नहीं आएगी। सबसे पहले इंसानों को समझने की देरी है अगर वे अपनी आंखों पर काला चश्मा लेकर घूमेंगे तो हमें भी उन्हें वैसा ही सबक समझाना पड़ेगा। वे भुगतते आ रहे हैं और आगे भी भुगतेंगें।
सिसकती आहें
26/11/2018 (नई कहानी)
पारो के परिवार में उसकी दो बेटियां थी। शैलजा और शीतल। पारो बहुत ही कम पढ़ी लिखी थी। उसके मां-बाप ने उसे आगे शिक्षा नहीं दिलाई थी। वह पढ़ना तो चाहती थी मगर उसके मां-बाप ने उसकी एक नहीं सुनी। वह अपने ससुराल शादी करके आ गई। ससुराल में आकर इतना व्यस्त हो गई कि उसे कभी भी पढ़ाई का ख्याल ही नहीं आया। उसे ख्याल तब आया जब उसकी बेटियां हुईं वह जब और बच्चों की माताओं को अपनी बेटियों को पढ़ाते दिखती तो उसके मन में यह सवाल उठता उसनें क्यों पढाई नहीं की। आज जब उसकी एक बेटी दसवीं की कक्षा की छात्रा और छोटी दूसरी कक्षा की छात्रा थी। उस की बड़ी बेटी को अपनी बहन को पढ़ाने का समय ही नहीं लगता था। उसने अपने मन में निश्चय किया कि वह अपनी बेटियों को तो अवश्य ही पढाई करवाएगी। वह जब भी अपनी बेटियों के स्कूल जाती देखती उन के अध्यापक उन्हें घर को होमवर्क देते तो वह उन्हें करवा ही नहीं पाती। बड़ी बेटी को तो उसने कुछ नहीं सिखाया क्योंकि वह केवल पांचवी तक ही पढ़ी थी।
आज उसे पढ़ाई का मूल्य समझ आ रहा था कि बेटियों को पढ़ाना बहुत ही जरूरी होता है। हम बेटियों को नहीं पढ़ाएंगे तो बेटी का सारा जीवन नर्क बन जाता है। बेटी की शादी के बाद अच्छा जीवन साथी मिल गया तब तो ठीक है वर्ना उसको ना जाने अपने ससुराल में क्या क्या सहना पड़ता है। एक तो नए घर में जाकर लड़की अपने आपको नए परिवेश में पाकर डरती रहती है। पारो एक दिन जब अपनी छोटी बेटी को लेने स्कूल गई तो देखा कि उसकी सहेली की बेटी स्कूल नहीं आई थी। पारो की एक सहेली थी झुमरी । झुमरी भी उसी की तरह थी। उसे तो उसके मां-बाप ने बिल्कुल भी नहीं पढाया था।। वह तोअंगूठा छाप थी। पारो ने अपनी सहेली झूमरी के घर का दरवाजा खटखटाया। वह अपनी सहेली से बोली क्या कारण है।? आज तुम स्कूल नहीं आई और ना ही अपनी बेटी को स्कूल में भेजा। झूमरी कहने लगी मेरा आदमी शराब पी कर कर मुझे माने लगता है। मेरा दिल ही जानता है कि मैं किस तरह से अपने घर का सारा खर्च उठा रही हूं। ऐसा ही चलता रहा तो मैं अपनी लड़की को भी नहीं पढा पाऊंगी। मैं अगर आज पढ़ी लिखी होती तो कहीं भी आसानी से छोटी मोटी नौकरी कर लेती। आज मुझे पता चला कि नौकरी करना जरूरी होता है। अच्छा है मैंने अपनी बेटी को स्कूल में डाल दिया वर्ना यह भी मेरी तरह अनपढ़ ही रह जाती। मुझे वह कभी कभी पढ़ाईकरवाती रहती है। शिक्षा की किमत क्या होती है आज मैंनें जाना जब मैं अपनी लड़की के साथ बाजार सामान लेने गई तो उस दुकानदार ने बातों-बातों में पता कर लिया कि मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं। उसने मुझे ₹20 की चीज ₹100 में दे दी। मैंने भी उसे ₹100 का नोट दे दिया। उस समय मेरी लड़की अपनी सहेली से मिलने गई थी। जब वह वापस आई तो बोली मां चलो आज कुछ खाया जाए। उस नें मां के हाथ में ₹200 के नोट देखे थे। वह बोली लाओ रुपये मुझे दे दो। उसकी मां बोली बेटा उसके पास तो केवल एक ही नोट बचा है। उसकी बेटी बोली मां बताओ तो सही ऎसा आपने क्या खरीदा है? उसकी मां बोली बेटी मैंनें यह छोटी सी बोरोप्लस की ट्यूब ही खरीदी। यह तो काफी महंगी है। दुकानदार ने उसे रुपए नहीं लौटाए। उसकी बेटी बोली अभी मेरे साथ उस दुकानदार की दुकान पर चलो। आपको तो हर कोई लूट कर चला जाएगा। उसकी बेटी जब दुकानदार के पास आकर बोली मेरी मां से आपने ₹100 का नोट लिया और यह छोटी सी ट्यूब थमा दी। इस पर 20रुपये लिखा है। आप अनपढ़ लोगों का इस तरह मजाक उड़ाते हो। आप को शर्म आनी चाहिए। ऐसी घिनौनी हरकते करते हुए आपको तो उन पर तरस खाना चाहिए था। मेरी मां अपनी पढाई जारी नहीं रख सकी । हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे लेकिन आज से मैं कसम खाती हूं कि मैं अपनी मां को पढ़ना लिखना आवश्यक सिखाऊंगी। वहं जब तक अपनी मां को पढ़ाई करना न सिखा दे तब तक उसे चैन नहीं आएगा। आज ना जाने मां जैसी कितनी अभागी औरतें होगी जो कभी स्कूल नहीं गई होंगी तुम जैसे लालची लोगों ने उन को बेवकूफ बनाने में कभी कमी नहीं रखी होगी।
आजकल तो लड़कियां पढ लिख कर अपना भला बुरा सब समझ सकती हैं। हमारे में से कितनी सारी लडकियां स्कूल और कॉलेजों में लड़कियां पढ़ने जाती हैं अगर वह अपने घर के आसपास किसी ऐसी औरत को शिक्षा दे दे जो पढ़ी लिखी ना हो तो उन औरतों का भाग्य भी संवर जाएगा। वह किसी लालची व्यापारीलोगों का शिकार नहीं होगी जो अनजाने में ही उनसे लूटकर धन दौलत कमा कर अपनी तिजोरी में भर लेते हैं। बहन आज अपनी बेटी को पढ़ा कर मैं कोई गलत काम नहीं कर रही हूं। मेरा पति तो घर बार कुछ नहीं देखता उसने मेरी बेटी की शादी तय कर दी है। वह कहता है कि तुम भी तो पढ़ी-लिखी नहीं थी क्या तुम्हारा निर्वाह नहीं हो रहा है? उसका भी घर चल पड़ेगा। पढ़ाई कराना जरूरी नहीं है। आजकल तो उसे लड़की वाले देखने भी आ रहे हैं। मैं क्या करूं। अपनी बेटी का उन लोगों के साथ रिश्ता जोड़ कर मेरे पति अच्छा नहीं कर रहे हैं। मैंने सुना है कि उस लड़के के पिता शराबी हैं। एक शराबी दूसरे शराबी के घर ही रिश्ता जोड़ेगा। जब अपने पति को रोका तो उन्होंने मुझे थप्पड़ मार कर दिया। मेरे बीच में टांग अड़ानें की कोई कोशिश नहीं कर सकता है। मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह क्या करता है? उसके परिवार में दो बेटे हैं। बड़े की शादी हो चुकी है। छोटे लड़के से उसकी बेटी भव्याके रिश्ते के लिए हां कर दी हैं। मैं क्या करूं? मैं बहुत उलझन में हूं। इसी कारण आज स्कूल नहीं आ सकी।
पारो जब घर पहुंची तो वह बहुत ही उदास थी वह भी तो पढ़ी लिखी नहीं है। मेरे पति तो अच्छे हैं। अगर मेरे पति भी शराब पीते तो मेरी बेटी का भविष्य भी नर्क की आग में झुलस पड़ता। मैं समझ गई हूं कि पढ़ना बहुत ही जरूरी होता है।
पारो को उदास देख कर उसकी बेटी शैलजा बोली मां क्या बात है? पारो ने अपनी सारी कहानी अपनी बेटी को सुना दी। शैलजा बोली उस परिवार में तो कभी भी भूलकर आंटी को अपनी बेटी की शादी नहीं करनी चाहिए। उसकी मां बोली बेटा उसकी कहां चलेगी? उसका पति ना जाने फन फैलाए मां बेटी के बीच में दीवार बनकर बैठा है। उसने तो अपनी बेटी की शादी करके उनसे शराब और अच्छी मोटी रकम ऐंठने की तैयारी कर डाली होगी। मुझे तो ऐसा ही लगता है। पारो बोली बेटा तुम तो बहुत ही समझदार हो। शैलजा बोली मुझे आंटी की बेटी से मिलवाने।
एक दिन पारो ने शैलजा को अपनी सहेली की बेटी भव्या से मिलाया। वह आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। बहुत ही होशियार गोल मटोल चेहरा चंचल और हंसमुख स्वभाव वाली। भव्या के साथ जल्दी ही घुल मिल गई। बातों ही बातों में भव्या से पूछ बैठी कितनी कक्षा तक पढ़ना चाहती हो? वह बोली पढलिख करअपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं। शैलजा बोली तेरे पापा तुझे पढाना ही नहीं चाहते। वह बोली वह अभी शादी नहीं करेगी पर अपने सपनों को अवश्य पूरा करूंगी। उसकी भोली सूरत देखकर अपने आप को रोक नहीं पाई। उसके ससुराल के घर की जानकारी अवश्य लेकर ही रहूंगी ।
शैलजा ने किसी ना किसी तरह पता लगा लिया की आंटी की बेटी भव्या का रिश्ता कहां होने जा रहा है? सबसे पहले जाकर उस लडके से जा कर मिली। उसे अपना परिचय दिया और कहा वह स्कूल की तरफ से चन्दा लेने आई है। स्कूल का नाम सुन कर अनिकेत बोला बैठो। वह भी उसी स्कूल से पढा था जिस स्कूल से वह चन्दा मांगने आई थी। शैलजा नें उसे उसे बताया कि वह स्कूल की तरफ से चन्दा लेने आई है। उस से बातों ही बातों में पूछ डाला तुम क्या करते हो?। मैं कुछ नहीं करता हूं। फल की दुकान में काम करता हूं। अनिकेत शैलजा से बोला तुम कहां रहती हो? तुम क्या करती हो? वह बोली मैं स्कूल में पढ़ती हूं। वह लड़का बोला तुम तो बहुत ही सुंदर हो। तुमसे शादी करना चाहता हूं। उसके चेहरे की तरफ देख लगी यह कैसा लड़का है? शैलजा बोली अच्छा बताओ तुमनें मुझमें ऐसा क्या देखा कि तुम मुझसे शादी करना चाहते हो। तुम बहुत ही सुंदर हो। शैलजा बोली तुम सुंदरता को ही अपनी पसंद मानते हो। अनिकेत बोला हां। मैंने सुना है तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हारे लिए एक एक अच्छी लड़की देखी है। हां मेरे बाबा ने मुझे एक लड़की देखी है। वह दिखने में सुंदर नहीं है लेकिन अपने मां-बाप की खुशी को भी ध्यान में रखना पड़ता है। मैं उससे शादी थोड़ी करूंगा उससे काम चला कर उस से तलाक लेकर छुटकारा पा लूंगा। उस लड़की के पिता और मेरे पिता एक दूसरे के पक्के दोस्त हैं। उन्होंने हमसे वादा किया है कि शादी में 5 लाख कैश जरूर देंगे। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता वह पढ़ी-लिखी है या नहीं। इतनी मोटी रकम मिलेगी तो शादी से भला कौन बेवकूफ़ इंकार करेगा। उसके से तलाक लेकर तुमसे शादी करके खुश रहूंगा।
शैलजा बोली मैंने शादी के बारे में अभी सोचा नहीं है। तुमने अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया। वह बोली एक दिन में ही सब कुछ पूछ डालोगे या मुझे समय भी दोगे। किसी ना किसी तरह उससे सब कुछ सच उगलवा लिया। इस बेचारी लड़की का तो जीवन ही नर्क में बीत जाएगा। वह ऐसा जुल्म कभी नहीं होने देगी। उस बचानें के लिए आवाज उठा कर ही रहेगी।
शैलजा घर आकर अपने आपको चिंता मुक्त महसूस कर रही थी। उसने आंटी के घर जाना शुरू कर दिया। उसने अपनी सहेली भव्या को समझाया तुझे शादी नहीं करनी है। तुझे पढ़ाई अवश्य करनी है। शैलजा फिर उस लड़के से मिली। उसने कहा कि मैं तुमसे शादी नहीं करूंगी। तुम जिस लड़की के साथ शादी करने जा रहा हूं वह आगे पढ़ना चाहती है। तुम उस छोटी सी मासूम की जिंदगी क्यों बर्बाद करने पर तुले हो। तुम्हारे बारे में सब कुछ पता कर लिया है। तुम्हारे पिता और मेरी आंटी के पति मिलकर इस योजना में हिस्सेदार हैं ताकि तुम तुम्हें मोटी रकम मिल सके। रकम पाकर तुम उस लड़की को सताना शुरू कर दोगे और उसका जीवन नर्क बन जाएगा। मैं कभी भी ऐसा नहीं होने दूंगी।
अनिकेत बोला तुम ऐसा कदापि नहीं कर सकती। तुम कर लो जो तुम्हे करना है। उसे शादी तो मेरे साथ ही करनी पड़ेगी। शैलजा घर आकर बहुत ही उदास थी। वह भी कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि वह भी गरीब परिवार से थी। वह आवाज उठाती तो धन-दौलत के लालची भेड़िये उसे जीने नहीं देते।उसकी मां और बहन पर कीचड उछालते। अनिकेत ने शैलजा को धमकी दी कि तूने अगर अपनी जुबान खोली तो तेरा भी अंत निश्चित है। वह डर के मारे जुबान ही नहीं खोल सकी।
पारो ने घर आ करअपनी मां को सब कुछ बता दिया। उसकी मां बोली बेटा हम गरीब इंसानों को तो आवाज उठाने का भी अधिकार नहीं है।।
झुमरी की बेटी की शादी तय हो गई। झुमरी भी कुछ नहीं कर सकी। भव्या की अपनें पिता के सामने कुछ भी न चली। वह शादी कर अपने ससुराल आ गई। ससुराल में आकर अनिकेत ने उसे बात बात पर ताने देना शुरू किया। उसके पिता से मोटी रकम वसूल की और उसके से सदा सदा के लिए छुटकारा पाने का निर्णय कर लिया। वह लड़की बेचारी मासूम आठवीं कक्षा की छात्रा भोली भाली। उस लड़के ने एक साजिश रची। उसने अपने घर में तेजाब की बोतल ला कर रख दी। तेजाब दिखने में बिल्कुल साफ पानी की तरह था। अनिकेत ने वह तेजाब वाली शीशी भी चुपके से लाकर वहां रख दी जहां रात को भव्या सोई हुई थी। उसने रात को पानी पीनें के लिए एक बोतल में रखा था। वह बोतल कांच की थी। उसके पति ने वैसी ही एक कांच की दूसरी बोतल ला कर रख दी। तेजाब उस पानी की बोतल में रख दिया। शाम को उसकी पत्नी भव्या ने अपने पति के हाथ में बोतल देखी। उसने अपने पति से पूछा इसमें क्या है? वह बोला तुम्हारे लिए पानी की एक बोतल और लेकर आया हूं। वह खुश हो गई। मेरे पति कितने अच्छे हैं?
सुबह के समय अनिकेत ने उस बोतल में पानी की जगह तेजाब डाल दिया। सुबह सुबह अंधेरा था। अंधेरों में ही बिना प्रकाश किए ही भव्या न उस बोतल को छुआ। उसनें देखा कि पानी की बोतल पड़ी हुई है। उसने बिना सोचे समझे उस बोतल से पानी समझकर पी गई। वह जब तडफने लगी तो उसकी ननद ने उस कराहते देखा तो उसके डर के मारे चीख निकल गई। उसकी चीख की आवाज उस घर में दूध देने वाली एक गवालिन ने सुनी। ग्वालिन ने आकर देखा तो वहां पर घर की बहु तड़प रही थी। घर वाले कोई उसे वहां पर दिखाई नहीं दिए। सब के सब कहीं चले गए थे। अचानक ग्वालिन ने और उसकी ननद ने मिलकर उसको अस्पताल पहुंचाया। बड़ी मुश्किल से उसे बचाया।
भव्या की मां को जब खबर मिली तो वह अपनी बेटी को देखने अस्पताल पहुंची। पारो भी अपनी सहेली झुमकी की बेटी को देखने अपनी बेटी शैलजा के साथ गई। शैलजा के सब्र का बांध टूट चुका था। पुलिस कार्यवाही की गई तो शैलजा ने सारी घटना पुलिस को बता दी। वह तो उस लड़के की आदतों से पहले से ही परिचित थी। मेरी मां ने मुझ से कहा कि मेरी सहेली की बेटी की शादी होने जा रही है। वह बेचारी अनपढ़ है। उसकी मां नें झूमकी की सारी कहानी सुनाई थी कि उस का पति एक आवारा और शराबी है तो मैंने सोचा क्यों न जा कर उस लड़के के घर जाकर कर उस लड़के की परीक्षा लेती हूं। वहां जाकर पता चला कि उसका पिता सचमुच ही शराबी है। वह लड़का भी कोई काम धाम नहीं करता था। छोटी सी फल की दुकान में काम करता था। दहेज के लालच में उसके पिता ने अपने बेटे की शादी रचाई थी और दहेज ना देने पर उसने अपनी पत्नी को तलाक देने के बजाय उसे मौत के विनाशकारी कृत्य को अंजाम देने की योजना बना ली थी। मौत के विनाशकारी कृत्य को अंजाम देकर अपने मनसूबे को अंजाम देने की कोशिश की। वह अपने मंसूबे में कामयाब भी हो गया था मगर मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है। मौके पर आकर उस ग्वालिन ने भव्या को मौत के मुंह से बचा लिया।
शैलजा के बयानों के अनुसार पुलिस ने पाया की असली गुनहगार अनिकेत के माता पिता और वह लड़का अनिकेत था। भव्या ने बताया कि एक दिन जब शैलजा नें उस लड़के को कहा कि मैं सारी शिकायतें लड़की के मां से करूंगी तो उसने उसे भी धमकी देकर कहा कि तुमने मेरे खिलाफ आवाज उठाई तो तुम्हारा भी अंजाम अच्छा नहीं होगा। गरीब होने की वजह से उसनें अपनी जुबान बंद रखी,गुनाहगार थे अनिकेत के माता पिता और वह लड़का स्वयं था। उनको कड़े से कड़ा दंड दिया गया। भव्या अपनी मां के घर सुरक्षित लौट आई।
- शैलजा की मां ने अपनी बेटी को पुचकारते हुए कहा कि बेटा तुम्हें अच्छी शिक्षा दिलाकर ही तुम्हारे हाथ पीले करूंगी। उसे पता चल गया है शिक्षा का क्या मूल्य होता है? छोटी बेटी के साथ साथ अपनी बड़ी बेटी से कुछ ना कुछ सीखने का प्रयास करेगी ताकि वह भी शिक्षा का भरपूर फायदा उठा सके।
फलों और सब्जियों की उपयोगिता
फल खाए फल खाएं।
फल खाकर अपनी सेहत खुब बनाएं।।
फल खाकर त्वचा पर चमक लाएं।
गलत तरीके द्वारा शरीर की क्रियाओं में कमी पाएं।।
सुबह-सुबह नाश्ते में खाएं फल भरपूर।
इसको खा कर हो जाएं सेहतमन्द जरुर।।
सब्जियों का सेवन हर मौसम में करो, इसका सेवन है लाभकारी।
इससे दूर हो जाए हर बीमारी।।
बदल बदल कर अलग-अलग रंगों की सब्जियां और फल खाएं।
फल और सब्जियों को खा कर भरपुर फायदा उठाएं।।
फल हमारी पाचन शक्ति को हैं बढाते।
यह हमें ऊर्जा दे कर हमारी कार्य क्षमता को हैं बढाते।।
हर रोज एक सेब जो है खाता।
वह हर बिमारी को है दूर भगाता।।
खीरा, पालक, टमाटर तरबूज अंगूर स्ट्राबेरी में पर्याप्त मात्रा में होता है पानी।
इन सभी में कैलोरी और फाइबर से बढ़कर भी नहीं है कोई सानी।।
लाल फलोंऔर सब्जियों में लाईकोपिन सबसे महत्वपूर्ण रंग है होता।
यह कैंसर और हार्टअटैक से बचाकर सूजन भी है कम करता।।
पीले रंगों की सब्जियां ऊर्जा भी हैं दिलाती।
पपीते के सेवन से रोगी को पिलिया से मुक्ति है आती।
कार्बोहाइड्रेटस और विटामिन के काफी मात्रा भी हैं ऊर्जा दिलाते।
यह वजन को कम कर और रक्त के थक्के नहीं जमने देते।
पालक और पीली सब्जियों जो हैं खाते।
हृदय रोग और दिल की बीमारियों को हैं कम करते।
प्याज और लहसुन है अवरोधक क्षमता से भरपूर।।
इसको खा कर अपनी सोजिस को करे दूर।
हृदयरोग खांसी और कोलेस्ट्रोल में आलू कार्बोहाइड्रेट देकर अपना चमत्कारी परिवर्तन है दिखाता।
नए शैल बनाने में है अपना रंग खूब जमाता।।
केले के छिलके मे सेरोटीन हार्मोन है होता।
यह अवसाद को है दूर करता।।
साबुत अनाज और भूने चनों में प्रोटीन हैं होते।
स्वास्थ्य मांसपेशियों के साथ शरीर की सभी पोषणसंबन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति हैं करते।।
खट्टी चीजों में हमें विटामिन सी है मिलता। आंवला नीबू संतरे को खाकर व्यक्ति का चेहरा निखरा रहता।।
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- इस कविता के माध्यम से बच्चों को विटामिन की जानकारी भी दी जाती सकती है। दालों के सेवन से प्रोटीन मिलते हैं। इन सभी का उपयोग करना चाहिए। फलों और सब्जियों को धो कर ही उपयोग में लाना चाहिए। इसमें हानिकारक कीटाणु होतें हैं। हम अपनें खेतों में तरह तरह की जहरीले खाद डालतें हैं। अच्छी तरह से धो कर ही उपयोग में लाएं। विटामिन ए की कमी से अंधराता। बी की कमी से बेरी बेरी ब्लड सर्कुलेशन और हृदय रोग। विटामिन सी से स्कर्वी रोग, यानि चमड़ी के रोग। विटामिन डी हमें धूप में उपयोगी है।खून के थक्के जानें में मदद करता है। थायरोक्सीन की कमी से गिल्लड नहीं होता। लोहे की कढाई में बनी सब्जिया फायदेमन्द होती हैं। सभी पाठकों को मेरा तहे दिल से अभिवादन। और बच्चों को ढेर सारा प्यार। मेरी रचनाओं को सराहनें के लिए आप सभी का शुक्रियादा धन्यवाद।
सुख और दुःख की अनुभूति
पल्लवी के परिवार में उसका बेटा रामू। रामू को आवाज लगाई बेटा यहां आना। वह चिल्लाकर बोला मां क्या है? खेलने भी नहीं देती हो। नन्हा सा रामू वह अपनी मम्मी को इतना तंग करता था। लॉड प्यार ने उसे इतना बिगाड़ दिया था जब वह खाने को देती वह कहता नहीं मुझे चिप्स खाने है। बर्गर खाने हैं। उसकी मम्मी अपनी बेटी की हर फरमाइश को पूरा करती थी। उसे कभी भी नहीं कहती थी कि कि हमें यह चीजें नहीं खानी चाहिए। उसकी सहेलियाँ उस से कहती भी थी कि इतना लाड प्यार अच्छा नहीं होता पल्लवी को भी समझ में नहीं आता था। वह तो अपने बेटे रामू के हर अरमान को पूरा करना चाहती थी। वह सोचती उसके कौन से 10 बच्चे हैं बच्चे तो ऐसे ही होते हैं। उनके पास एक बिल्ली थी किटटू। उसको भी वह अपने साथ साथ ही रखता था। उसकी मां उसका भी खूब ध्यान रखती थी। जब वह सैर करने उसे ले जाती तो किट्टू को भी साथ ले जाती। उसको भी शॉल ओढ़ कर।
पल्लवी के घर के पास मजदूरों के बच्चे खेला करते थे। एक बार पल्लवी की सास गांव में आई। वह पल्लवी को बोली बेटा हमेंअपने बच्चों को इन बच्चों के साथ भी खेलने देना चाहिए। एक दिन एक मजदूर का बच्चा आकर रामू के साथ खेल रहा था। रामू के पास आकर बोला चलो खेलते हैं। उसके बाल बिखरे हुए थे सारे सिर में मिट्टी लगी हुई थी। उसने अपने बेटे को अपने पास बुलाया और कहा इसके साथ खेलने की कोई जरूरत नहीं है। देखो कितना गंदा है। इस के कपडों से कितनी दुर्गंध आ रही है। तुम इन बच्चों के साथ नहीं खेलोगे। रामू चलो तुम मेरे साथ खेलोगे। उस की सास बोली बेटा माना तुम्हारे पास गाड़ी है बंगला है किसी वस्तु की कमी नहीं है। इन सब चीजों को पाकर इंसान को कभी घमंड नहीं करना चाहिए। ना जाने ईश्वर का क्या खेल हो सकता है?। वह राजा को रंकं भी बना सकता है और रंक को राजा भी। हमें कभी भी गर्व नहीं करना चाहिए। इस छोटे से बच्चे को तो देखो बालों में मिट्टी ही तो लगी है। हम मिट्टी से ही हम पैदा हुए हैं और मिट्टी में ही हमें मिल जाना है। बच्चों को खेलने देना चाहिए। प्रवाह नहीं करनी चाहिए कि उसके चोट लगने जाएगी। सभी बच्चे एक जैसे होते हैं ना कोई छोटा ना कोई बड़ा।
मां जी आप तो रहने ही दो। मैं ही इसके साथ खेलती हूं। उसने रामू को उस बच्चे के साथ खेलने से मना कर दिया। एक दिन बड़े जोर की आंधी तूफान चल रहा था। पल्लवी अपने बच्चे के साथ बाल्कनी में खेल रही थी। ठंड के दिन थे। वह मजदूर का बच्चा अपनी मां के साथ आया और बालकनी के पास बैठ गया। तभी अचानक रामू अपनी मम्मी के साथ किट्टू के साथ आया। उस मजदूर बच्चे के पैर में जूते भी नहीं थे। शायद 2 दिन से कुछ भी खाया नहीं था। उसने जैसे ही किट्टू के लिपटी हुई शक्ल देखी उसने वह शहर उस किटटू के पास से लेनी चाहिए तभी पल्लवी ने रोक दिया बोली हमारी किट्टू की शौल है। उसका बेटा चिप्स का पैक्ट ले कर लाया था। वह खा रहा था। वह भी बालकनी में बैठकर चिप्स खा रहा था। उस मजदूर औरत का बच्चा उसको चिप्स खाते हुए देख रहा था। दो तीन बिस्कुट खाकर उसने बचा दिए थे मजदूर का बच्चा इधर ही देखे जा रहा था ताकि उसे भी एक बिस्किट खाने को अगर मिल जाता तो अच्छा होता। पल्लवी ने वह बिस्किट उठाकर किट्टू को डाल दिया। बच्चा देखता ही रह गया। पल्लवी भी उस मजदूर को खरा खोटा सुनाने में व्यस्त थी। तू तो आज शौल को चुराने के चक्कर में थी। वह बोली बीवी जी मैं ठंड में मर रही थी। मुझसे अपने बच्चे की हालत देखी नहीं जा रही थी। इसलिए मैंने सोचा क्यों ना अभी मैं अपने बच्चे को यह शॉल ओढा दूं। बाहर वर्षा हो रही थी इसलिए बाल्कनी में आ गई। मैं जब यहां से जाती तो यह शौल यहीं रख जाती। बच्चा ठंड के मारे कांप रहा था।
पल्लवी डांट डपट कर बोली आ जाते हैं यहां मांगने या चोरी करने। मजदूर औरत की आंखों में उसकी करुण पुकार उसकी आंखों से झलक रही थी। उसने अपनी चादर फाड़ डाली और अपने बच्चे को ओढा दी।
दिन प्रतिदिन रामू बिगड़ता ही जा रहा था स्कूल में एक दिन उसने एक बच्चे को गेंद मार दी। बड़ी मुश्किल से वह बच्चा बच गया। पल्लवी नें सोचा कि अपने बेटे को कैसे सुधारा जाए? किसी ने उसे बताया कि कुछ दिनों के लिए गांव के वातावरण में रहेगा तो वह सुधर जाएगा। उसने अपने बेटे को सुधारने के लिए गांव जाने का निश्चय कर लिया। एक दिन वह अपने बेटे को लेकर अपने गांव जा रही थी। अपने गांव रतनपुर जा रही थी। रास्ते में बस खाई में गिरते गिरते बची। ठंड के दिन थे किसी ना किसी तरह बस में बैठे यात्रियों को बचा लिया गया। बस एक पहाड़ की खाई में गिरने ही वाली थी वहां पर एक पहाड़ी से लुढ़क कर बड़े से पत्थर से अटक गई थी। वहां दूर-दूर तक घना जंगल था। कहीं भी कोई दुकान होती जहां से रात को खाने को मंगवाया जा सकता था। या फोन करके सूचना दे सकती थी। सारे के सारे सारे यात्री वहां पर फंस गए। मोबाइल टूट चुके थे। सबके कपड़े जगह जगह से फट चुके थे और कपड़े धूल मिट्टी से सन गए थे। नन्हा सा रामू भूख भूख चिल्ला रहा था। मां आपने मुझे खाने को नहीं दिया मैं आपके बाल खींच लूंगा। मुझे खाना चाहिए। वह अपनी मां के बाल खींच रहा था। उस बियाबान जंगल में खाना कहां से आता। 2 दिन वहीं पर हो गए।
उसकी नजर तभी अपनी पिछली सीट पर बैठी एक मजदूर औरत पर गई। वह अपने बच्चे को लेकर बैठी थी बस खाई में लुढक जाने के कारण यात्रियों के कपड़े जगह-जगह से फट गए थे। पल्लवी की साड़ी भी फट चुकी थी आकाश के बालों में भी मिट्टी लगी हुई थी। वह तो बिल्कुल उन मजदूर बच्चों जैसा नजर आ रहा था। वह एक भिखारी की तरह लग रही थी जो भूख से छटपटा रही थी। उन्हें 2 दिन से खाने को कुछ भी नहीं मिला था। केवल पानी की एक बूंद ही नसीब हुई थी। उसके सामने अपने घर की मजदूर औरत का चेहरा याद आ गया। कैसे वह ठंड में कांप रही थी। उसने अपना दुपट्टा फाड़ कर अपने बेटे को ढक दिया था। मगर उसनें तो उससे शौल भी छीन ली थी। उस बेचारी का उसमें क्या कसूर था।? वह तो अपने बच्चे को ठंड से बचाने का प्रयत्न कर रही थी।
पल्लवी का बेटा बुखार में तड़प रहा थाह वह बेहोशी की हालत में खाना खाना चिल्ला रहा था। पल्लवी ने अपना दुपट्टा फाड़ा और अपने नन्हे बेटे को उस से ढक दिया। अपने आप सारी रात ठंड से ठिठुरती रही। उसकी इस करुणा वेदना की चीत्कार उसके साथ वाली मजदूर औरत सुन रही थी। वह अपनी सीट के पास से आई बोली बीवी जी आपका बेटा भूखा है आप बड़े लोग हैं आपके पास तो बहुत कुछ होगा मगर इस वक्त आपके बच्चे को बड़ी जोर की भूख लगी है शायद इसी कारण उसे बुखार भी आ गया है। मैंने अपने बेटे के लिए एक लड्डू बचा लिया था। रास्ते में शादी की एक बारात जा रही थी उन लोगों ने हमें खाने के लिए लड्डू दिए थे उसमें से केवल एक लड्डू बचा था। मेरा बेटा आज नहीं खाएगा तो कोई बात नहीं। मेरे बेटे को तो भूखा रहने की आदत है। उसे कुछ नहीं होगा। आप यह लड्डू अपने बेटे को खिला दो।
उस भिखारिन के ऐसा कहने पर पल्लवी जोर जोर से रोने लगी। उस मजदूर औरत की बात सुनकर हैरान हो गई मजदूर औरत बोली बीवी जी आप घबराते क्यों हो।? आपके बच्चे को कुछ नहीं होगा। थोड़ी देर बाद गाड़ी को बहुत सारे लोगों की मदद से ऊपर लाया गया। तूफान भी थम गया था। सुबह हो चुकी थी दूसरी बस आ चुकी थी। ड्राइवर ने कहा कि सब के सब लोग दूसरी बस में बैठ जाओ। जाते-जाते पल्लवी ने उस मजदूर भिखारी की तरफ प्यार से देखते हुए उसे कहा बहन यह लो मेरी तरफ से एक छोटा सा तोहफा। उसने अपना एक सूट जो लेकर गई थी उसे दे दिया और कहा धन्यवाद। गांव में थोड़े दिन रहने के बाद पल्लवी ने अपने बेटे को कुछ-कुछ सुधार दिया था। वह उसे अब बर्गर चिप्स खाने को नहीं देती थी। उसे एहसास हो गया कि इंसान के जब गाज अपने ऊपर गुजरती है तभी उसे दूसरों के दर्द का एहसास होता है। वह कुछ दिन गांव रह कर शहर आ गई थी।
उसने देखा उसके घर में मजदूर का बच्चा आकर खेल रहा था। पल्लवी अपने बेटे से बोली बेटा जाओ उस बच्चे के साथ खेलो। रामू बोला मैं उस बच्चे के साथ नहीं खेलूंगा। उसके कपड़े गंदे हैं। जगह-जगह से फटे हुए हैं। उसकी मां बोली बेटा कोई बात नहीं। जब हम उस दिन बस में गए थे तो आपके कपड़े भी मिट्टी में ऐसे ही हो गए थे। तो आप भी तो ऐसे ही लग रहे थे। अगर हम उसको साफ करेंगे तो वह भी अच्छा बच्चा बन जाएगा। चलो आज हम इस को नहलाते हैं। पल्लवी ने उस बच्चे को नहलाया और उसे साफ किया। अपने बेटे रामू को कहा देखो अब यह वह भी तुम्हारी तरह लग रहा है। पर भी बोली बेटा अगर आप भी मिट्टी में खेलोगे तो आपके कपड़े भी गंदे हो जाएंगे मगर जो खुशी तुम्हें मिट्टी के खेल में खेल कर और इस बच्चे के साथ खेलकर मिलेगी वह तुम्हें कहीं प्राप्त नहीं होगी। तुम इस बच्चे के साथ ही खेलो। मां जी ठीक ही कह रहीं थी। मैंनें तो उन्हें भी खरीखोटी सुनादी थी। मैं उन से भी क्षमा मांग लूंगी।
चलो मैं तुम दोनों को चॉकलेट देती हूं। मजदूर औरत अपने बेटे को मालकिन के बेटे के साथ खेलता देख कर खुश हो रही थी। पल्लवी को महसूस हो रहा था कि आज ही तो उसे सच्ची खुशी मिली है। आज से पहले तो वह भ्रम में जी रही थी। धन-दौलत की चमक दमक नें उसके मन में अहंकार की भावना उत्पन्न कर दी थी। उसे मजदूर औरत की वेदना समझ नहीं आई थी। चलो सही समय पर मुझे यह अंतर समझ में आ गया। उसका बेटा रामू भी उस छोटे से बच्चे के साथ खेल कर मुस्कुरा रहा था।
बंदर आया
बंदर आया बंदर आया।
पेड़ो पर उछल कूद कर सारा घर सिर पर उठाया।
पेड़ पर चढ़कर इधर उधर इठलाया।।
छज्जों पर हर जगह चढ़कर करता शैतानी।
हर जगह धूम चौकड़ी मचा कर करता अपनी मनमानी।।
खो खो करता बंदर आया।
हर आने जाने वाले राहगीरों को डराया।।
नकल करता बंदर आया, बंदर आया।
मोटी शाखाओं पर इधर-उधर मंडराया।।
लोगों की जेबों से माल चुराता बंदर आया।
नटखट और शातिर लोगों को डराता बंदर आया।।
लोगों की खुली खिड़की देख अंदर से रोटी चुराता बंदर आया।
घर के मालिक के आते ही रफूचक्कर होता बंदर आया।।
बंदर आया बंदर आया,
हर लोगों की नकल उतारता बंदर आया।
हर आने जानें वालों को डराता बंदर आया।।
सिफारिश
विभु के पापा ने वैभव को आवाज दी बेटा यहां आओ वह बोला आप क्या कहना चाहते हैं!? उसके पापा एक जाने माने राजनीतिक नेता थे। वह हर बार चुनाव में खड़े होते थे। आज भी जनता ने उन्हें वोट देकर जीता दिया था। वह अपने गांव वाले लोगों और जो लोग उनके पास अपनी फरियाद लेकर आते थे उनकी इच्छा पूरी किया करते थे। वह एक नामी राजनीतिक व्यक्ति थे। उनके पास रुपए और धन दौलत की कोई कमी नहीं थी। गरीब लोग उनके पास अपनी फरमाइश लेकर आ जाते थे। हमारे बेटे को लगवा दो। बस नेताजी आप की ही दया है। विभु बोला क्या बात है? पापा आपने मुझे क्यों बुलाया।? वह बोला पापा आज फिर मैडम ने आप से मेरी शिकायत की होगी। आपका बेटा पढ़ाई नहीं करता है। आपने ठीक है सुना है। पापा मैंने आपको कितनी बार कह दिया कि मैं नौकरी नहीं करूंगा। यह पढ़ाई पढ़ाई मेरे बस की बात नहीं है। उसके पापा नाराज होकर बोले कुछ तो पढ़ लो। तुझे भी मैं राजनीतिक दल में प्रवेश करवा दूंगा। इस के लिए भी थोड़ी बहुत पढ़ाई करनी पड़ती है।
राजनीति मेरे बस की बात नहीं यह काम मुझसे नहीं होता। वह बाहर चला आया। ऐसे तो अच्छा लड़का था मगर उसे दूसरों की बातें सुनने में बड़ा मजा आता था। आज भी उसके दिमाग में सुबह की घटना चलचित्र की भांति घूम रही थी। रास्ते में जा रहा था एक बहुत ही गरीब व्यक्ति किसी बड़े अधिकारी से कह रहा था आप सेठ विश्वनाथ जी के पास जाकर मेरे बेटे की सिफारिश कर दो। मेरा बेटा 3 बार इंटरव्यू दे चुका। पढ़ाई में इतना होशियार है। इतना मेहनती है हर बार किसी और को ही सेलेक्ट कर लिया जाता है। आज उसने जब अपना परिणाम देखा तो खुश हो कर बोला इस बार तो मैं जरूर चुन लिया जाऊंगा अपने पापा के सपनों को साकार करूंगा। इस बार तो मैंने जी जान लगाकर मेहनत की है। इस बार तो अवश्य ही मैं सिलेक्ट हो जाऊंगा। जब परिणाम पता करने कार्यालय पहुंचा तो देखा वहां तो शिफारिश के लिए एक बहुत बडी लाइन लगी थी। अन्दर जाना ही मुश्किल था। मेरा बेटा लिखित परीक्षा में 90% लेकर निकल चुका है। बस अब केवल मौखिक टेस्ट बाकी है। कल परिणाम घोषित होने वाला है। मैंने अपने किसी खास आदमी को जब उस कार्यालय में पता करने के लिए भेजा तो उन्होंने कहा कि केवल दो बच्चों का ही नाम है वह भी बड़े-बड़े व्यापारियों के बच्चे हैं। मेरे अखिल का तो नाम ही नहीं। मेरा बेटा इसी गम में कहीं कोई गलत कदम ना उठा ले। अपने इस इंटरव्यू में सेलेक्ट नहीं हुआ तो ना जाने वह क्या कर बैठेगा?
हम गरीब लोग अपना दुखड़ा रोने किसके पास जाएं। हमारा तो कोई भाई भतीजा या कोई हमदर्द नही है जिसके पास जाकर अपनी फरियाद सुनाए। विभू का माथा ठनका जिस व्यापारी के बेटे की स्लैक्शन की बात कर रहे थे वह तो बहुत ही नालायक है। मेरे पिता की सिफारिश के बल पर उसको सेलेक्ट किया जाना होगा। इससे पहले कि कुछ गलत हो जाए मुझे उन अधिकारियों से मिलकर उस बच्चे का नाम कटवाना होगा। वह अपनें पढाई वाले कमरे में गया। अचानक उस बच्चे का प्रार्थना पत्र जो उसके पापा ने मेरे पापा के पास सिफारिश के लिए भेजा था। सारा पत्र पढ़कर माजरा समझ में आ गया। उसके पापा अगर किसी गरीब की भलाई करते तो अच्छा था। जिस बच्चे ने इतनी मेहनत की है उस की सिफारिश कर आते तो अच्छा था। उसके पापा ने तो उस व्यक्ति की सिफारिश की थी जो सचमुच में ही सिलेक्ट होने के काबिल नहीं था। उस गरीब बच्चे का चांस उस से छीन लिया जाएगा। इससे पहले की देर हो जाए उस बच्चे के लिए वही कुछ करेगा। जल्दी से विभाग के ऑफिस में जाकर पूछताछ कि जहां कल इंटरव्यू हुए थे उसे सब कुछ मालूम हो गया था। किस ने टेस्ट में परीक्षा में प्रश्न पूछे थे।
शाम के समय विभाग अधिकारी महोदय को फोन किया है हेलो मैं विश्वनाथ प्रताप बोल रहा हूं। कल मैंने आपको एक बच्चे के स्लैक्श्न के लिए फरमाइश की थी। अधिकारी बोले वह बच्चा तो इतना काबिल नहीं था। उस से काबिल तो एक दूसरा बच्चा था। वह सचमुच में ही तारीफ के काबिल था। उसके लिखित परीक्षा में 90% अंक आए थे। तुम्हारी सिफारिश के दम पर हमने उस बच्चे का नाम काट दिया। मैंने प्रमोद का सेलेक्शन कर दिया। विभु ने कहा मुझे बड़ाही खेद है। बड़े खेद से कहना पड़ रहा है मैंने आपको जल्दबाजी में नाम प्रमोद बता दिया। दरअसल उस बच्चे का नाम तो अखिल है। अखिल को सेलेक्ट करना है। अधिकारी महोदय बोले मैंने तो प्रमोद को सेलेक्ट कर दिया। विभू अपने पिता की आवाज में टेलीफोन पर बोला मुझसे गलती हो गई क्या करूं। न जाने कितने लोगों के कॉल आते हैं। आंखों से दिखाई भी नहीं देता। अब बूढ़ा हो चुका हूं। इसलिए जरा सुनने में गलती हो गई होगी। अधिकारी महोदय प्रमोद का नाम काटकर आप अखिल का नाम लिखिए।
अधिकारी महोदय बोले वह बच्चा तो सचमुच ही स्लैक्ट होनें के काबिल है। चलो अभी मैंने परिणाम बाहर नहीं भेजा है। मैं अखिल का नाम लिख दूंगा।
विभु खुशी महसूस कर रहे था। । उसने अपने पापा की आवाज निकाल कर एक बच्चे को बचा लिया जो सच में स्लैक्ट होनेके काबिल था। जब परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया तो अखिल खुशी से फूला नहीं समा रहा था। वह सेलेक्ट हो गया था।
प्रमोद के पापा विश्वनाथ जी के पास जाकर बोले हमने आपको अपना शुभचिंतक माना था मगर आपने तो मेरे बेटे को सेलेक्ट ही नहीं करवाया। एक गरीब बच्चा निकल गया।।
विभू अपनें पापा और उन अंकल के पास जा कर बोला जब आप जैसे नेता यह सब धांधली करने लगेंगे तो गरीब बच्चों के भविष्य का क्या होगा? मैंने आपका प्रार्थना पत्र देख लिया था मैंने ही आपकी आवाज में अखिल के सेलेक्ट होने की सिफारिश के लिए कहा तो अधिकारी बोले वह बच्चा तो सच में ही सिलेक्ट होने के काबिल है। अभी मैंने प्रणाम बाहर नहीं भेजा है मैं अखिल का नाम लिख दूंगा पापा अगर आप कुछ बोले तो मैं अपने सब दोस्तों को कह दूंगा आप को वोट ना दें। उसके पापा अपने बच्चे की बात सुनकर चुप हो गए। विभू अंकल से बोला अंकल आपका बेटा कहीं भी प्रवेश ले लेगा। मगर उस व्यक्ति को सेलेक्ट करना चाहिए जो बच्चा योग्यता का पात्र होता है अधिकारी महोदय ने मुझसे कहा कि तुम्हारी इस बारिश के कारण मैंने उसका नाम काट दिया है मैंने उन्हें उनकी आपकी आवाज में कहा मैंने गलती से प्रमोद नाम बता दिया वह बच्चा तो अखिल है अधिकारी महोदय बोले अगर आप फोन नहीं करते तो तो मैं उस बच्चे को ही सिलेक्ट करता। क्योंकि नौकरी का हकदार तो वही एक बच्चा है विश्वनाथ प्रताप बोले तुम्हें इसी दिन के लिए मैंने यह शिक्षा दी थी। वह बोला पापा हम नई पीढ़ी के बच्चे हैं। हमें ही अपने आने वाली पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करना है। अगर आप कुछ बोले तो मैं अपने सब दोस्तों को कह दूंगा कि आप को वोट ना दे। उसके पापा अपने बच्चे की बात सुनकर चुप हो गए।
विभु उस अंकल के पास जाकर बोला अंकल आपका बेटा कहीं भी प्रवेश ले लेगा मगर उसी व्यक्ति को सेलेक्ट करना चाहिए जो बच्चा सचमुच ही योग्यता का पात्र होता है।