(मानव शरीर के अंग)

हड्डियों और मांस पेशियों से मिलकर बना है यह शरीर। मानव को आकृति प्रदान करने में सहायक  होता है  यह शरीर।। मांसपेशियां शरीर के हिलने ढुलनें में सहायता है करती। इसके बिना मानव की कोई नहीं हस्ती। मस्तिष्क शरीर के सभी अंगो को नियंत्रित है करता। यह तंत्रियों के माध्यम से है काम करता। हृदय… Continue reading (मानव शरीर के अंग)

(शिमला में बिन मौसम बरसात)

बिन मौसम की की बारिश में ऐ मानव क्या तू दौड़ पाएगा? पल में ठंडक पल में गर्मी क्या तू सह आएगा।। गर्मी के मौसम में आसमान ने बजाई रणभेरी। वर्षा ने आते हुए भी नहीं लगाई देरी।। छम छम वर्षा ने बरस कर पानी बरसाया। बादलों ने भी गरज गरज कर अपना बिगुल बजाया।।… Continue reading (शिमला में बिन मौसम बरसात)

ईमानदार बंजारा

बंजारों की एक छोटी सी बस्ती थी। उन बंजारों का मुखिया था रामप्रसाद। रामप्रसाद को उन्होंने मुखिया पद से हटा दिया था। वह अपने बेटे के साथ अलग से रहता था। राम प्रसाद की पत्नी मर चुकी थी। उसनें अपनें बेटे का  नाम  विवेक रखा था। प्यार से वह अपने बेटे को  विकु बुलाया करता… Continue reading ईमानदार बंजारा

(झपटू)

एक राजा था उसके एक बेटा था वह अपने बेटे को प्यार से झपटू बुलाता था जब वह छोटा था वह हर एक वस्तु को झपट कर प्राप्त कर लेता था। उसकी आदत बड़े होकर भी वही बनी रही। वह बहुत ही दयालु था।। एक बार राजा ने झपटू को अपने पास बुलाया और कहा… Continue reading (झपटू)

वनस्पति वैज्ञानिक हितेश

एक बच्चा था उसका नाम था। हितेश। वह बहुत ही शरारती था ।  वह प्रकृति की गोद में अर्थात् जंगल में पैदा हुआ था । हितेश की नानी ने उसके पापा को कहा था कि सविता मेरे ही घर पर बच्चे को जन्म दे गी। तुम इसको वहां पर छोड़ देना अभी हितेश के पैदा… Continue reading वनस्पति वैज्ञानिक हितेश

हाय! रे मानव”(कविता)

10/3/2019 वह दिन भी थे कितनें प्यारे। गांव में थे हरे भरे खेत हमारे।। खेतों में अब चारों ओर बन गए मकान। खेत हो गए बिल्कुल उजाड़ समान।। बच्चे जहां खलियान में सुबह से शाम तक धमा चौकड़ी मचाते थे। सारा दिन खेल खेल कर नहीं उकताते थे।। खलिहानों में भी  अब तो बन गए… Continue reading हाय! रे मानव”(कविता)

अपनें पराए

किसी गांव में मोनू और सोनू दो भाई थे। मोनू अपने परिवार में बड़ा बेटा था। सोनू छोटा। मोनू और सोनू के माता-पिता नहीं थे। मोनू अपने भाई को बहुत ही प्यार करता था। वह उसकी आंखों में कभी भी आंसू नहीं देखना चाहता था। उसने बचपन से ही अपने भाई को मां और बाप… Continue reading अपनें पराए

(आज का युग है तेरा हे! नारी शक्ति)

आज का युग है तेरा  हे! नारी शक्ति। तुझ में समर्पण की है अद्भूत शक्ति।। इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास से भरा है कोमल ह्रदय तेरा। तुझ पर  सब को गर्व है बहुतेरा।। तू अपनी मेहनत के बल पर मुकाम हासिल करती है। अपनी जिंदगी में बदलाव के लिए नींव तैयार करती है।। तू है सृष्टि… Continue reading (आज का युग है तेरा हे! नारी शक्ति)

स्वच्छता का संदेश भाग(2)

 (स्वच्छता का संदेश) भाग(2) “ आओ हम सब मधुर स्वर में एक साथ गुनगुनाएं। मिलकर हम सब अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं।। ,, 1()धातु, शीशा, गता कागज प्लास्टिक पॉलिथीन नायलॉन कूड़ा करकट  इधर-उधर नहीं फैलाएं। (2 )अनुपयोगी सामान को कबाड़ी को बेच कर आएं।। (3) हम कूड़े कचरे को जलाएं। (4)साग सब्जी और फलों के… Continue reading स्वच्छता का संदेश भाग(2)