शिक्षक हैं हमारी आन,बान और शान।
हम दिल से सदा करते हैं उन का सम्मान।।
वे हमें देतें हैं सत्बुद्धि,शिक्षा और ज्ञान।
हमारे शिक्षक सभ्य और संस्कारी।
नम्रता की मुर्त और हितकारी।
उन की संगत हमें लगती है प्यारी।।
ऊंगली पकड़ कर लिखना सिखलाते।
मां की ममता जैसा आभास करवाते।।
बार बार अभ्यास की राह सुझाते।
हर शब्द,वाक्य,स्वर,वर्णों का क्रम है सिखलाते।
श्रूतलेख का हर रोज अभ्यास है करवाते।
बारंबार लिखनें का आभास है करवाते।।
वे लिखनें का सही तरीका हमें समझाते।।
आनाकानी करनें पर हल्का रोब है दिखलाते।
अपनत्व भरा व्यवहार हम से अपनाते।।
हमारे शिक्षक जन तो हैं गुणोंकी है दिव्य खान।।
वे तो हैं शालीनता की अद्भुत पहचान।।
हम शिक्षकों का दिल से करतें हैं सम्मान।।
शिक्षक जनों की छत्र छाया में रह कर हम सीख पातें हैं ज्ञान।
चिन्तन,मनन,और श्रवण के सभी सोपान।।
शिक्षक जन हैं हमारी आन,बान और शान।
हम दिल से करतें हैं उनका आदर सम्मान।।
वे तो हैं गुणों की खान।
शिक्षक जनों से है हमारा रिश्ता प्यारा।
माता पिता की तरह न्यारा।।
चरणों का स्पर्श कर हम उन्हें करतें हैं प्रणाम।
हमारे शिक्षक अति सभ्य और महान।।
Month: March 2022
थाली में खाना जूठा मत छोड़ो
थाली में खाना जूठा मत छोड़ो।
आवश्यकता से अधिक खानें कि आदत से पीछा छोड़ो।।
अन्न में होता है अन्न पूर्णा का निवास।
जूठन बचाना होता है बर्बादी का वास।
अन्न पूर्णा का मत करो अपमान।
नहीं तो कोई भी तुम्हारा जग में कभी नहीं करेगा सम्मान।।
अपनें छोटे भाई बहनों को भी यह बात समझाओ।
भूख से कम खानें की आदत को अपनाओ।।
अपनें भोजन का कुछ भाग जरूरत मंद को दे डालो।
अपनें मुकद्दर को नेक काम करके बदल डालो।।
थोड़ा थोड़ा करके अन्न कि बचत कर अपने जीवन को सुखमय बनाओ।
हफ्ते में एक दिन झुग्गी झोपड़ियों का चक्कर लगाओ।।
अपनें हाथ से दान कर अपनें जीवन को जगमगाओ।
दूसरे की पीड़ा को समझ कर उन के दुःख में काम आओ।
उनकी मदद के लिए सबसे पहले आगे आओ।।
अपनें साथियों को भी इस नेक काम में शामिल करके दिखाओ।
अपनें परिवार और उनके जीवन में भी खुशहाली बिखराओ।
हर वस्तु की बचत करना जब तुम सीख जाओगे।
कामयाबी के शिखर तक तब तुम पहुंच जाओगे।।
पानी,बिजली,सफाई और बचत को अपनी आदत में शामिल कर डालो।
इस नेक काम को करनें कि पहल अपने मोहल्ले से कर डालो।।
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नई सदी का भारत
नई सदी का मानव बनेगा महान।
शान्ति दूत बन कर सभी का करेगा कल्याण।
भ्रष्टाचार कि राजनीति करनें वालों पर कड़ा रुख अपनाएगा।
भाई भतीजावाद, चापलूसी से मुक्ति दिलवाएगा।।
आंतकवाद फैलानें वालों को अपनें देश से बाहर करवाएगा।
कर्मयोग की राह पर चलने वाला ही मां भारती का सच्चा सपूत कहलाएगा।
अपनें प्राणों का उत्सर्जन करनें पर भी नहीं हिचकिचाएगा।।
अशिक्षा और ग़रीबी से समाज को वहीं मुक्त करवाएगा।।
वहीं सच्चे लोकतंत्र को स्थापित कर पाएगा।
जन जन को तनाव से मुक्ति दिलवा पाएगा।।
भ्रष्टाचार रुपी रावण का वध कर पाएगा।
आतंकवाद, नस्लवाद को खत्म कर पाएगा।।
देश को विश्व का ताज पहनाएगा।
अपनी पहचान स्वर्णिम अक्षरों में लिखवाएगा।
हम नन्हें नन्हें हैं बच्चे

हम नन्हे नन्हे बच्चे,
नादान उम्र के हैं कच्चे।।
भोले भाले दिल के सच्चे।
मासूम और सच्चे बच्चे।।
लिखना पढ़ना क्या जानें?
हम तो अभी अक्षर भी न पहचानें।।
केवल मां की ममता को ही जानें।।
हम नन्हे नन्हें हैं बच्चे
नादान उम्र के हैं कच्चे।
मासूम और सच्चे बच्चे।।
हमें डांट फटकार से डर लगता है।
केवल मातापिता का संग ही अच्छा लगता है।
हमें तो आजादी भरा वातावरण ही अच्छा लगता है।।
हम से ज्यादा पढ़ाई न करवाओ।
हमें खेल खेल में सब कुछ समझाओ।।
हमारे संग बच्चा बन कर धमाल मचाओ।।
रूखा व्यवहार मत अपनाओ।
अपनें चेहरे पर हंसी का नूर लाओ।।
होम वर्क विद्यालय में ही करवाओ।
चित्र कारी करनें का अवसर दिलवाओ।।
हम हैं नन्हें नन्हें बच्चे।
नादान उम्र के हैं कच्चे।
भोले भाले दिल के सच्चे बच्चे।।
हमें हाथ पकड़ कर ही लिखना सिखाओ।
गन्दा लिखनें पर आंखें मत दिखाओ।
हम पर जबरदस्ती मत चलाओ।।
मैडम हम तो हैं नन्हें नन्हें बच्चे।
नादान उम्र के हैं कच्चे।
भोले भाले दिल के सच्चे।।
प्रार्थना
तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।
तुम्हारा हर पल करें हम ध्यान।
भक्तों का तुम करते कल्याण।।
तेरी छवि अति महान।
मनमोहक अति सुन्दर राम।।
तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।
तू ही अन्दर ,
तू ही भीतर
तू ही सब का प्यारा हितकर।।
तू ही सर्वत्र विद्यमान।
तेरी लीला अति महान।
तेरी लीला अति महान।।
तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।
तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएंआलीशान।
तू ही भक्ति देनें वाला।
तू ही शक्ति देने वाला।
तू ही सब का तारण हार।
तू ही सब का पालनहार।।
तेरी करुणा अति महान।
तेरी करुणा अति महान।
तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।
भव चक्र से छुड़ाने वाला।
मोह, अंधकार मिटाने वाला।
कष्टों का निवारण हार।
तू दाता तू ही कर्तार।
तू दाता तू ही करतार।
आओ मन में तुम्हें बसाएं।
सुबहोशाम तेरा ध्यान लगाएं।।
बारम्बार तुम्हें शीश नवाएं।
सब के दाता दानी राम।
सब के दाता दानी राम।।
तेरे पूजन को भगवान बना मन को बनाएं आलीशान।
झुलाझूला कर तुम्हें सुलाएं।
शीतलजल कुंए से लाएं।
वृक्षों के फल तोड़ कर लाएं।
अपनें हाथों से तुम्हें खिलाएं।।
तुम्हें हर पल रिझाएं राम।
तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।
तेरी माया बड़ी निराली।
मंत्र मुग्ध होते नर नारी।।
तुम्हारी ओर खिंचे चले आते।
दिव्य दृष्टि,तेज तुम से ही पाते।
तुम्हारी अनौखी लीला राम।
प्रभु,पिता,परमेश्वर राम।
प्रभु, पिता, परमेश्वर राम।
कल्याण मुर्ति के धाम।।
चौपाईयां
राम कथा जीवन आधारा।
सुमरित श्रवण कर जग से तारा।।
राम सिया राम ,सिया राम जै जै राम।
सुखी वहीं जो राम गुण गाएं।
प्रभु प्रसाद वहीं जन पाएं।।
राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।
राम सिया राम, सिया राम , जै जै राम।।
भृकुटि विशाल,नयन चकोरा।
चारू कपोल,चंचल चितचोरा।।
राम सिया राम,सिया राम जै जै राम।।
स्नेह सुधा बरसानें वाले।
मोह मद अहंकार मिटाने वाले।
राम सिया राम सिया राम जै जै राम।
बिना सत्संग ज्ञान नहीं पावें
वो तो मूढ़ मति ही रह जावे।।
राम सिया राम, सिया राम जै जै राम।।
राम सिया राम ,सिया राम जै जै राम।
हरि अनन्त कथा अनन्ता।
प्रिय पालक परलोक के सन्ता।।
राम सिया राम ,सिया राम जै जै राम।।
एक अनीह सर्वत्र व्यापक भगवान।
जग हित हेतू कृपा करुं समाना।।
राम सिया राम सिया राम जै जै राम।
हरहूं क्लेश दुःख कलुषित विचारा।
देहूं विमल मति विवेक की धारा।।
राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।
काम कोटि छवि श्याम शरीरा।
शील गुण सम्पन्न रघुवीरा।।
राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।
आन्नद स्नेह सुख की राशि।
सुख के धाम अवध के वासी।।
राम सिया राम,सिया राम जै जै राम।।
मन क्रम वचन ध्यान से जो कथा सुनें सुनाए।
वहीं सकल सर्व सम्पत्ति पा जाए।।
राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।
वृथा जन्म ताकों जग माहिं।
जो राम कथा से विमुख होई जाहिं।।
राम सिया राम सिया राम जै जै राम।।
प्रार्थना
सुबह सवेरे ले कर तेरा नाम प्रभु।
करते हैं शुरुआत आज का काम प्रभु।।
पढ़ाई में हमेशा ध्यान लगाएं हम।
मेहनत से ही अच्छे अंक पाएं हम।
मेहनत से ही अच्छे अंक पाएं हम।।
सुबह सवेरे ले कर तेरा नाम प्रभु।
करते हैं शुरुआत आज का काम प्रभु ।।
कक्षा में कभी जी न चुराएं हम।
सच्चाई को ही हमेशा अपनाएं हम।
सच्चाई को ही हमेशा अपनाएं हम।।
मातापिता,गुरूजनो का हमेशा सम्मान करें।
नत मस्तक हो कर उनका आदर सत्कार करें।।
नत मस्तक हो कर उनका आदर सत्कार करें।।
कलह क्लेश राग द्वैष को बिसराए हम।
प्रेम स्नेह,अपनत्व का सभी को पाठ पढ़ाएं हम।
प्रेम स्नेह अपनत्व का सभी को पाठ पढाएं हम।
सुबह सवेरे ले कर तेरा नाम प्रभु।
करतें हैं शुरुआत आज का काम प्रभु।।
भू की रज को माथे से लगाएं हम।
हाथ जोड़ कर उन्हें शीश झुकाएं हम।।
हाथ जोड़ कर उन्हें शीश झुकाएं हम।।
तिरंगे का हमेशा मान बढ़ाएं हम।
शहीदों के पथ पर चल कर दिखलाएं हम।
शहीदों के पथ पर चल कर दिखलाएं हम।
होली के रंग
एक साथ मिल बांट कर गुलाल लगाएं ।।
होली के रंग में रंग कर ,सभी को लुभाएं।
अपनों के संग गुझिया और मिठाई मिल-बांट कर खाएं ।।
मां,दादी,नानी के जायकेदार पकवानों को खा कर खुब लुत्फ उठाएं।
दोस्तों, रिश्तेदारों के संग खुशियां मना कर सुरीले गीत गाएं।।
आओ सखियों मिल जुल कर होली के रंग में रंग जाएं।
होली के त्योहार में चार-चांद लगा कर सभी के मन को महकावें।।
ढोलक की थाप पर थिरक थिरक कर आओ नाचें और सभी को नचाएं।
राधिका बन कर कृष्ण कि बंसी का आनन्द उठाएं।।
आओ वृज में राधिका के संग होली खेलनें जाएं।
कृष्ण और राधिका की सजीली जोड़ी देख कर मंद मंद मुस्कुराएं।।
गोपियों के संग गोपी बन कर उन्हें नृत्य दिखलाएं।
बंसी की धुन में खो कर खुद पर इतराएं।
मन की आंखों से कृष्ण सांवरे सिलौने की जोडी कों रिझाएं।।
एक साथ मिल बांट कर गुलाल लगाएं।