उन मुक्त गगन के हम पंछी नभ में विचरण करने वाले। हम खग , नभचर , और विहग हैं कहलाते। दिखनें में हैं हम अति सुन्दर,मनभाते। ,तभी तो अपनी जान हैं गंवाते।। कभी शिकारी पकड़ कर हमें ले जातें हैं। हमें कठपूतली बना कर अपनें इशारों पे नचातें हैं। पक्षी विक्रेता को बेच कर हमें… Continue reading उन्मुक्त गगन के पंछी
मधुमक्खी और तितली की दोस्ती
मधुमक्खी और तितली की है यह कहानी। एक थी सुंदर एक थी स्वाभिमानी।। एक पेड़ पर मधुमक्खी और तितली साथ साथ थी रहती। दोनों साथ साथ रहकर सदा थी मुस्कुराती रहती।। साथ साथ रहने पर भोजन की तलाश में थी जाती । शाम को अपने पेड़ पर इकट्ठे थी वापिस आती।। अपने बच्चों के संग… Continue reading मधुमक्खी और तितली की दोस्ती
गोलू की फरियाद
गोलू मां से बोला मां मां मुझे कुछ ढेर सारे महंगे खिलौनें दिला दो ना। मेरे मन की ईच्छा को पूर्ण कर मुझे खुशी दिला दो ना। मां बोली बेटा हर जरूरत की चीज ही तुम्हें दिलवांऊंगी। अपने घर का बजट देखकर ही तुम्हारा कहना पूरा कर पाऊंगी। गोलू बोला मां तू है बड़ी ज्ञानी… Continue reading गोलू की फरियाद
फूलों संग खेल
रंग बिरंगे फूलों संग आओ खेलें खेल हम। उनकी सुहानी खुशबू में खोकर खुशी से झूमें हम। रंग बिरंगे फूलों संग खेल खेल कर, खुब मौज मनाएं हम। मिलजुल कर सारे गाएं .. ओ फूल राजा,ओ फूल राजा यह तो बताओ कहां छुपे हो तुम? कहां छुपे हो तुम बाग के कोनो कोनो में झांक… Continue reading फूलों संग खेल
नशे की प्रवृत्ति है घातक
मिल कर कदम बढाना होगा। नशे की प्रवृति से अपनें बच्चों को छुटकारा दिलवाना होगा।। नशे की प्रवृति है घातक। यह घर घर कि बर्बादी का है द्योतक।। मादक पदार्थों से मूल्यवान है हमारी युवा पीढ़ी । बच्चों में दृढ़ निश्चय और विवेक से अच्छे संस्कार जगा कर सुधारना कामयाबी की है सीढ़ी।। बीड़ी सिगरेट… Continue reading नशे की प्रवृत्ति है घातक
प्रथम पाठशाला परिवार
सबसे बड़ा विद्यालय है परिवार हमारा । परिवार के सदस्य शिक्षक बनकर संवारतें हैं भविष्य हमारा जिंदगी की पाठशाला में माता शिक्षक है बन जाती । प्यार दुलार व डांट फटकार लगाकर हर बात है समझाती ।। जिम्मेदारी का अहसास ,अनुशासन का पाठ, सम्मान का पाठ भी है सिखलाती। गुरु व माता बनकर अच्छे संस्कारों… Continue reading प्रथम पाठशाला परिवार
अध्यापिका के प्रश्न
रज्जू हमेशा की तरह स्कूल जाने की तैयारी कर रहा था तभी उसकी मां नें रज्जू को आवाज लगाई बेटा जल्दी नाश्ता कर लो ।स्कूल के लिए देरी हो जाएगी ।वह बोला मां मुझे स्कूल नहीं जाना है ।मुझे वहां बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।पारो बोली, बेटा तू पढ़ाई के बिना कुछ भी हासिल नहीं… Continue reading अध्यापिका के प्रश्न
नेकी का रास्ता
तरुण आठवीं कक्षा का छात्र था। घर में सबका लाड़ला था इसलिए वह बिगड़ गया था। सुबह उठते हुए जब उसकी मां उसे कहती बेटा नाश्ता कर लो तो वह नाक भौं सिकोड़ कर कहता की क्या बना है ?उसे खाने में कुछ भी अच्छा नहीं लगता था।उसे बाजार की वस्तुएं खाने की आदत पड़… Continue reading नेकी का रास्ता
आशियाना
एक वन में विशाल और ऊंचा बरगद का पेड़ था। कितने सालों से वह पेड़ था यूं ही था वहां खड़ा । पेड़ ने एक दिन यूं आने जाने वालों से पूछा मैं यहां क्यों हूं रहता। मैं यहां क्यों हूं रहता। पेड़ हर रोज यही प्रश्न पूछा करता था। हर रोज चिंता में घुटता… Continue reading आशियाना
शिक्षा और अक्षर ज्ञान
एक दिन मिन्नी मां से बोली मैं भी स्कूल पढ़ने जाऊंगी। नई नई किताबे पढनें का अवसर पाऊंगी।। मां बोली बेटा तू तो है अभी बहुत ही छोटी । खा पीकर पहले हो जा मोटी ।। तू तब स्कूल पढ़ने जाना । पढ़कर बड़ा बन कर दिखलाना।। मिन्नी बोली मां देख ,मैं कितनी बड़ी दिखती… Continue reading शिक्षा और अक्षर ज्ञान