बंदर आया (कविता)

बंदर आया बंदर आया।
पेड़ो पर उछल कूद कर सारा घर सिर पर उठाया।
पेड़ पर चढ़कर इधर उधर इठलाया।।
छज्जों पर हर जगह चढ़कर करता शैतानी।
हर जगह धूम चौकड़ी मचा कर करता अपनी मनमानी।।
खो खो करता बंदर आया।
हर आने जाने वाले राहगीरों को डराया।।
नकल करता बंदर आया, बंदर आया।

पेड़ों पर इधर-उधर मंडराया।।
लोगों की जेबों से माल चुराता बंदर आया।
नटखट और शातिर लोगों को डराता बंदर आया।।
लोगों की खुली खिड़की देख अंदर से रोटी चुराता बंदर आया।
घर के मालिक के आते ही रफूचक्कर होता बंदर आया।।
बंदर आया बंदर आया,
हर लोगों की नकल उतारता बंदर आया।
हर आने जानें वालों को डराता बंदर आया।।

साहसी शिब्बू

शिब्बू जल्दी में स्कूल जा रहा था। शिब्बू को स्कूल पहुंचने में देर हो गई थी। स्कूल में निरीक्षक महोदय आए हुए थे। वह थोड़ा देर से स्कूल पहुंचा था। मैडम ने उस को कहा देर से आने वाले बच्चे बेंच पर खड़े हो जाओ अधीक्षक महोदय उस के पास आए बोले तुम्हें देर कैसे हुई। शिब्बू बोला गांव से आते जाते मुझे नदी पार करके आना पड़ता है। स्कूल पहुंचने के लिए सात किलोमीटर पैदल आना पड़ता है। आज तो बरसात के मौसम में नदी में पानी खूब भर जाता है। मुझे नदी पार कर आना पड़ता है। निरीक्षक महोदय बोले बेटा तुम इतनी दूर से स्कूल आते हो। वह बोला सर मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। मेरे गांव के पास कोई भी स्कूल नहीं है। निरीक्षक महोदय ने मैडम को कहा कि इस बच्चे को बैंच पर मत खड़ा करो। क्योंकि तुमने इससे बिना  कारण  इस बच्चे को इतनी बड़ी सजा   दे डाली। तुम्हें बच्चों की मनोवृति को समझना चाहिए। मैडम को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसकी मैडम अब सब बच्चों से पूछने लगी तुम्हें आज देर क्यों हुई?

एक दिन  वह देरी से  विद्यालय गया तो मैडम बोली बेटा  तुम देर से क्यों आए? बोला मैडम रास्ते में केले का छिलका गिरा हुआ था सामने एक सेठ और सेठानी आ रहे थे। वह   सेठानी उस केले के छिलके   पर अपना पैर रखने की जा रही थी किसी ने दौड़कर उस केले के छिलके को उठा लिया। सेठानी ने सोचा मुझे वह लड़का धक्का दे रहा है। उस नें ज़ोर से चांटा शिब्बू के गाल पर मार दिया। साथ आने जाने  वाले व्यक्ति ने यह सब देख लिया। उसने गुस्से से सेठानी को देखा और गुस्से में कहा सेठानी जी बिना सोचे समझे तुमने इसके गाल पर थप्पड़ क्यों लगाया? वह केवल नीचे गिरे हुए केले को उठा रहा था। आप ने केले का छिलका नहीं देखा था। वह तो आपको फिसलने से बचा रहा था। सेठानी ने शिब्बू की और देखा वह अभी भी अपना गाल चला रहा था। वह सेठानी बोली बेटा मुझे माफ कर दो। मुझसे बड़ी गलती हो गई। मैंने बिना सोचे समझे तुम्हें चांटा जा दिया।  तुम तो मुझे बता रहे थे।

शाम के समय अपने पिता से मिलने गया उसके पिता  एयरपोर्ट के सामने वाले ढाबे में चाय बनाते और पकौड़े बेचने का काम करते थे। वह जल्दी जल्दी स्कूल की छुट्टी के पश्चात अपने पिता के ढाबे पर जा रहा था। थोड़ी देर अपने पिता को विश्राम करने के लिए कहता था और थोड़ी देर ढाबे को संभालता था। आज भी वह जल्दी स्कूल से आ गया था और ढाबे पर बैठकर अपने पिता के काम में हाथ बंटाता था।

एक दिन सुबह जब वह अपने पिता के ढाबे पर जा रहा था। उसके स्कूल में छुट्टी थी। उसने देखा रास्ते   में एक बहुत ही बड़ा पत्थर था वह सड़क के पास ही था। वह पत्थर इतना बड़ा था कि उसको  वंहा से हटाना बड़ा ही मुश्किल था।। रास्ते में उसको उस बड़े से पत्थर से ठोकर लगी। उसको हटाने की कोशिश करने लगा मगर वह टस से मस नंही हुआ। उस पत्थर को हटाने के लिए इतना जोर लगा रहा था कि वह पत्थर थोड़ा सा खिसका तो उसको नीचे एक लकड़ी का फट्टा दिखाई दिया।वह थोड़ी दूर पर जाकर वहां से डंडा ले आया और उस  पत्थर को हटाने लगा। वह पत्थर को हटाने में कामयाब हो गया। जैसे हीे इसने लकड़ी के फट्टे को हटाया तो नीचे सीढ़ियां थी। वह चुपचाप सिडिंयों से नीचे उतरा तो उसने  जो देखा वह देखकर दंग रह गया। उसने खिड़की में से देखा वहां पर बहुत सारे  साधु थे। उसमें से एक साधु दूसरे साधु को कह रहा था तुम सब को कह रहा हूं कल एयरपोर्ट पर ठीक 11:00 बजे पहुंच जाना उसे समझते देर नहीं लगी कि वे  साधु के भेष में छलिया हो। परंतु बिना सोचे समझे  मुझे कोई तर्क नहीं देना चाहिए। पहले मैं इन साधुओं की अच्छे ढंग से छानबीन करूंगा तभी उनके बारे में कुछ राय कायम करूंगा। परंतु यह साधु वाली बात मुझे अब तक अपने तक ही सीमित रखनी चाहिए।

वहां से आकर वह सीधा अपने घर पहुंच गया दूसरे दिन उसने अपने पिता को कहा कि मैं आज स्कूल नहीं जाऊंगा।  हमारी परीक्षा हो चुकी है। स्कूल में खेलों का ही कार्यक्रम है। मैं आपके साथ आपका हाथ बटांऊगा। वह अपने पिता के साथ एयरपोर्ट पर पहुंच गया तभी उसने देखा कि एक एयरपोर्ट पर जाहिर आ चुका थ जिसमें से उतरकर व्यक्ति पैदल चल रहे थे। शिब्बू ने वहां पर आसपास से गुजरते हुए साधुओं को देखा। उन्हें देख कर शिब्बू नें उनको पहचान लिया वह तो कल वाले ही साधु हैं। उसने देखा कि वह साधु एयरपोर्ट पर किसी का इंतजार कर रहे थे तभी सामने से आते हुए उन्होंनें एक व्यक्ति को देखा। व्यक्ति देखने में खूब मोटा और तगड़ा था। उसने हाथ में सूटकेस ले रखा था। जल्दी से साधु उस सूटकेस वाले व्यक्ति से बातें करनें लगा। सूटकेस वाले व्यक्ति ने साधु बाबा को अपना सूटकेस दे दिया। सामने से चेकिंग वाले आ रहे थे। वह सूटकेस वाला भी लाइन में लग चुका था।  शिब्बू नें उस साधु बाबा को अपने बैग में कुछ रखते देख लिया था। वह देख नहीं पाया कि इस बैग में क्या है? वह साधु बाबा वहां से ओझल  हो गए। शाम के समय अपने घर आ रहा था तो उसने उन साधुओं को वंहा से जाते हुए देखा तो अपने मन में सोचा कि वह तो अपने निवास स्थान से निकल चुके हैं चलो देखते हैं उन्होंने कल क्या लाया था। इसकी जानकारी ले लेता हूं।  चुपचाप से  सिडिंयों को उतर कर नीचे पहुंच गया। उसने दरवाजा खोला क्योंकि वह पहले से ही  अपनें साथ एक मास्टर कि ले आया था। । जिससे कि सभी ताले खुल जाते थे। उसने जल्दी से दरवाजा खोला। वह देख कर हैरान हो गया कि वह बैग वही पड़ा था उसमें चरस थी। उसे समझते नहीं यह साधु बाबा चरस का व्यापार करते हैं। वह एक CID अफसर की तरह उन साधु बाबाओं का पीछा कर रहा था। वह पुलिस थाने में जाकर उनकी सूचना पुलिस को देना चाहता था परंतु उसके मन में ख्याल आया कि अभी नहीं क्योंकि हो सकता है पुलिस का कोई आदमी इस काम में लिप्त होगा तो मेरा सारा बना बनाया खेल बिगड़ जाएगा इसलिए उसने कोई सूचना  नहीं  दी।

उसके स्कूल की बरसात की छुट्टियां होने वाली थी। उसने अपने पिता को कहा कि वह छुट्टियों में अपने मामा के पास ही रहेगा। स्कूल की पढ़ाई करने के लिए बहुत ही दूर आना पड़ता है। मैं छुट्टियों में मामा जी के घर पर ही रहूंगा उसके मामा का घर एयरपोर्ट के पास ही था अपने मामा के पास आ गया था। वह अपने पिता के पास दिन को दुकान पर आ जाता था। वह एक ग्राहक को पकौडे दे रहा था तभी उसकी नजर  साधुओं पर पड़ी जो एक जगह खड़े हुए थे। वह सोचनें लगा ये सब  यहां क्या कर रहे हैं तभी एक साधु  एयरपोर्ट के सामने जाकर खड़ा हो गया। फ्लाइट आने का समय हो चुका था। और बाकी   उसके सभी साथी इधर उधर थे। उसने दो साधुओं को एक महिला के पास चक्कर लगाते देखा। तीन साधु अघोरी साधु एक ग्रुप में थे परंतु सभी अलग-अलग ग्रुप में थे। तभी  फ्लाइट आ चुकी थी। उसने अपने बाबा को कहा बाबा अब आप देख लो। मैं अभी एक चक्कर मार कर आता हूं। उसके पिता ने कहा बेटा तू इतनी देर में मेरे ग्राहक देख रहा है एक राउंड मार कर आ जा

शिब्बू एयरपोर्ट के पास जा कर उन साधुओं पर नजर रखे हुए था  तभी उसने एक व्यक्ति को देखा जो एक बॉक्स उन साधनों को पकड़ा रहा था।।।

दूसरे दिन  उसने  वहां जाकर देखा कि उसके कमरे में जो बॉक्स पड़ा था उसमें नकली इंजेक्शन थे। ना जाने कैसे इंजेक्शन थे उसने उनमें से एक इंजेक्शन चुरा लिया और अपने एक अंकल के पास जाकर बोला डॉक्टर अंकल आप बताइए तो यह इंजेक्शन  किस बीमारी के लिए होता है। उन्होंनें कहा बेटा यह इंजेक्शन तो किसी भी इंसान को बेहोश करने के लिए लगाया जाता है। दूसरे दिन शिब्बू अपनें पुलिस अंकल डीआईजी से मिला। उनका तबादला  उन के शहर  अहमदाबाद में होने वाला था। परंतु अभी वहां पर पहले वाले डीआईजी  उस पद पर नियुक्त थे क्योंकि अभी वे वहां से जाना नहीं चाहते थे। उन्होंने अपनी ट्रांसफर रुकवाने के लिए एक प्रार्थना पत्र दे रखा था। उसने कहा अंकल मैं आप की मदद से एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश करना चाहता हूं। जैसे  ही मुझे कोई और  सुराग मिलेगा तो फुर्सत में मैं आप से सारी बातें बैठकर हल करने की कोशिश करूंगा। इस तरह से वह साधु की मंडली पर नजर रखने लगा।

एक दिन जब वह अपनी दादी को लेकर अस्पताल गया था वहां पर उन साधुओं को देखकर  दंग रह गया। एक साधु एक डॉक्टर से कुछ कह रहा था। वह उनकी बातें छिप कर सुनाएं लगा।  साधु चलते चलते एक डिब्बा डाक्टर को दे गया और जल्दी-जल्दी वहां से चला गया। डाक्टर नें वह डिब्बा नीचे रख दिया था  उसमें वही सिरिंज थी जो उसने डाक्टर अंकल को दिखाई थी। वह डाक्टर भी उन साधुओं से  मिले हुए थे। नकली इन्जैक्सन बाहर से आते थे। और वे साधु इन इन्जैक्सन को लोगों को सप्लाई करते थे। साधु बाबा पर तो कोई शक नंदी करता था।  चरस का धन्धा भी। चरस ला कर होटल के मालिक को बेच देते थे। वे चरस का धंधा  भी करते  थे। सुपरिडैन्ट और पुलिस को भी बातें करते सुना यहां पर  तीन चारखूंखार आतंकियों को छुड़ाना है जो जेल में है। इंजेक्शन के माध्यम से वहां पर ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों को देखकर उनको बेहोश करके उन आंतकियों को वापस  उन के शहर भेज देंगे क्योंकि दो-तीन दिन बाद उनके साथ होने  उन्हे लेने के लिए आ रहे हैं। वह भी अपनी गाड़ी लेकर।

 ढोंगी साधु औरतों को भी  ड्रग सूंघा कर उनके  गहनों जेवरात उन के हाथों से छीन लेते थे। और तो और बूढ़ी वृद्ध महिलाओं को जहां वे क्लब में जाती थी। जब  सारी महिलाएं क्लब से वापस आती थी तब उन्हें लालच देकर कि तुम्हारा रुपया दुगना कर देंगे। और तुम्हे पोता चाहिए  तो तुम्हें  ये उपाय करना है। वह उन्हें बेहोशी का इन्जैक्सन दे कर उन के गहने रुपये छिन कर ले जाते थे। डी आईजीअंकल की मदद से उन  साधु बाबा के निवास स्थान पर  पहुंचे।  बाबा के निवास स्थान पर पहुंचकर बहुत सारे हीरे और पासपोर्ट जब्त किए। उन साधु बाबाओं का गिरोह अलग-अलग दिशा में काम कर रहा था।।। कोई अस्पताल में कोई शराब के अड्डे पर कोई चरस के व्यापार में कोई लड़कियों को नौकरी का लालच देकर बाहर जाकर बेच देता था। डीआईजी को भी शिब्बू के अंकल ने उस कार्य में संलिप्त  पाया। उसको पता चल चुका था कि शिब्बू नाम का लड़का साधु बाबा के गैंग का पर्दाफाश करना चाहता है।

उसने एक चाल चली कि किस तरह से शिब्बू को फंसाया जाए। उसने एक दिन एक सेठ सेठानी का पर्स छिन लिया  और उसे बेहोश करने ही जा रहा था तो शिब्बू ने  उसे  देख लिया। शिब्बू नें   उस आंटी को  कहा आंटी ध्यान से आपका पर्स अभी गया था। शिबू वहां से चला गया।  वहां पर साधु बाबा का गिरोह आया  और उन्होंने उस  सेठानी को बेहोश कर दिया और उसके गहनें और पर्स छिन लिया।

जब शाम को शिब्बू घर लौट रहा था तो उसने उस आंटी को पहचान लिया क्योंकि वह तो वही सेठानी थी जिसने उसके गाल पर चांटा मारा था। उसने एक बार फिर उस सेठानी को बचा लिया था। उस सेनानी नें   होश में आते ही पुलिस इंस्पेक्टर को कहा कि पुलिस बाबू मेरे पर्स में  20, 00, 000 रुपए थे। कृपा  करके आप पता लगाइए। पुलिस वालों ने छः दिन लगा दिए क्योंकि क्योंकि कई पुलिस वाले भी उन पाखंडी साधु से मिले हुए थे।

शिब्बू ने उन आंटी को विश्वास दिलाया कि वह उनका पर्स  उन चोरों से वापस लेकर आएगा शाम को शिब्बू ने डीआईजी पुलिस की मदद से उस साधु बाबा के निवास स्थान पर छापा मारा। वहां पर एक पर्स  पाया गया और कीमती हीरे जवाहरात और बहुत सारे ड्रग्स प्राप्त किए। उन सब को पुलिस के हवाले कर दिया। सेठानी ने शिब्बू को ₹500,000 इनाम के तौर पर दिए और उन गैंग वालों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।पुलिस वालों ने भी शिब्बू को एक लाख रुपये दिए और उसकी बहादुरी के लिए  छब्बीस जनवरी को पुरस्कार दे कर सम्मानित किया गया।

बुरे काम का बुरा नतीजा

एक छोटे से गांव में एक ग्वाला और ग्वालिन रहते थे। ग्वालिन गांव में दूध बेचकर अपना भरण पोषण करती थी। ग्वालिन अपना काम बहुत ही अच्छे तरीके से किया करती थी। उसका पति उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था। वह जो कुछ   मेहनत से  कमाती उसका पति उसकी मेहनत को बेकार कर देता था। वह जो कुछ भी कमा कर  लाती उसकी मेहनत शून्य हो जाती।। उसका पति एक आलसी व्यक्ति था। वह घर में कुछ काम धाम नहीं करता था। उसकी पत्नी  गाय के लिए चारे  और भूसे  का इंतजाम करती। उसी के प्रताप से  वह गाय  खूब दूध देती। वह अपने पति के पास दूध बेचने के लिए दे देती थी। वह बाजार में जाकर दूध बेचता था। रास्ते में जब दूध बेचने जाता वह सोचता आज  तो में ज्यादा रुपए कमा लूंगा। वह आलसी होने के साथ-साथ लालची भी था। वह उस दूध में पानी मिला देता अगर उसे ₹400 मिलते तो वह आधे से ज्यादा जूए में उड़ा देता। उसकी पत्नी उससे पूछती कि कितने   रुपये  कमाये। वह थोड़े रुपये ही  अपनी पत्नी  के हाथ में थमा देता था। आधा पानी मिलाकर  जब दूध बेचता  वह मन ही मन खुश होता कि उसने ग्राहकों को आज उल्लू बनाया। इस तरह हर रोज  वह ग्वाला अपने ग्राहकों को चुना लगाता रहता था।

उसकी पत्नी अपने पति की  इन्हीं आदतों से तंग आ गई थी। वह कई बार  ग्वाले को कहती थी कि तुम भी मेरे साथ काम किया करो। उसकी बातों को  वह ग्वाला कोई ना कोई बहाना बना कर टाल दिया करता था। जब उसका ज्यादा दूध बिकता थोड़ा खुश होता। अपने मन में सोचा करता कि पानी मिलाकर भी लोग उस से दूध खरीदते हैं। एक दिन उसने अपनी पत्नी को कहा कि तुम तो इतना गाढा दूध बाजार में  बेचती हो। तुम  भी दूध में थोड़ा पानी मिलाकर दूध बेच दिया करो। उसकी पत्नी अपने पति को बोली कि हमें दुध में पानी नहीं मिलाना है। हमारे ग्राहक हम पर विश्वास कर हमसे दूध खरीदतें हैं।  हम भी अगर दूध में पानी मिलाकर बेचेंगे तो लोग हम से दूध लेना बंद कर देंगे। उसका पति बोला भाग्यवान ईमानदार होना अच्छी बात नहीं उसकी पत्नी बोली आप कभी भी दूध में पानी मत मिलाना। ग्वाला  अपनी पत्नी की तरफ देख कर चुप हो गया। उसने सोचा मैं अपनी पत्नी को बता दूंगा कि मैं पानी मिलाता था  वह मुझसे नाराज हो जाएगी। उसे कभी  भी पता नहीं चलने दूंगा कि मैं दूध में पानी मिलाकर बाजार में बेचता हूं। कई बार दूध लेने वालों ने ग्वाले से शिकायत भी की आजकल आप का दूध ठीक नहीं आ रहा है। ग्वाला  कहता आजकल घर का सारा काम  मुझे  ही करना पड़ता है। वह गांव वालों को झूठ ही कहता मेरी पत्नी की तबीयत आजकल ठीक नहीं है। गाय की देखभाल ठीक प्रकार से नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए आजकल आप लोगों को दूध भी ठीक नहीं मिल रहा होगा। मैं आप सभी लोगों से क्षमा मांगता हूं। इस तरह लोगों की नजरों में वह कभी भी बुरा नहीं बन पाता था।

एक दिन इसी तरह  झूठ बोलते बोलते एक दिन उसकी पत्नी  सचमुच में ज्यादा  ही बीमार पड़ गई। उसे अपनी गाय की देखभाल भी करनी पड़ती। गाय को चराने  भी जाना पड़ता। वह  हर रोज गाय को खूब मारने लगा। उसकी प्रताड़ना को     गाय सहन नहीं कर पाती थी। उस पर कभी टांग से प्रहार करती कभी खूंटा तोड़कर भागने का प्रयास करती। वह देखा करती कि घर की मालकिन कब जैसे ठीक हो। एक दिन घर की मालकिन भी अपने पति की हरकतों से तंग  आ कर अपने पति से बोली कि आप गाय से ठीक ढंग से पेश आया करो। आपको इसे अपने घर का सदस्य समझना चाहिए। यह भी कोई मशीन नहीं है। तुम्हारे गुस्से वाले हाथों से यह परेशान आ चुकी है। इसी तरह चलता रहा तो देखना एक दिन यह हम को छोड़ कर भाग जाएगी। मैं उठने लायक होती तो उससे अच्छे ढंग से पेश आती। आप इसे जंगल में चराने ले जाया करो। उसके साथ नम्रतापूर्ण व्यवहार करो।

ग्वाला अपनी पत्नी से बोला ठीक है मैं गाय के साथ नम्रता से पेश आऊंगा। उसकी पत्नी की हालत  बहुत ही खराब हो गई थी।ग्वालिन नें अपनें पति से कहा  मेरी दवाइयां बाजार से लेकर आ जाओ।। वह  अपनी पत्नी से बोला ठीक है। वह दूध  तो  मिलावटी बेचता ही था साथ ही साथ उसके दोस्तों ने उसे जुआ खेलना भी सिखा दिया था। उसे जूए की लत लग चुकी थी। कभी-कभी  वह जूए में जीत भी जाता था। उसने सोचा क्यों ना मैं एक बार फिर जूआ खेलूंगा। जूआ खेलने अपने दोस्तों के साथ बैठ गया।  उस दिन उसकी किस्मत अच्छी होने से वह जूए  में कुछ रुपये जीत गया। अपनी पत्नी की दवाई ले आया। उसकी पत्नी कुछ ठीक हो रही थी। उसने सोचा क्यों न  आज भी  जूआ खेला जाए। इस बार जूए में जीत जाऊंगा तो मेरी पत्नी की दवाइयां भी इन्हीं रुपयों से आ जायेगी और कुछ रुपये भी बच जाएंगें। वह  जूए में  सारे रुपये हार गया। उसनें जो दवाईयों के रुपये थे वह भी  गंवा दिए।शाम को खाली हाथ आया। अपनी पत्नी से बोला आज तुम्हारी दवाइयाँ लाना भूल गया। कल ले कर आ जाऊंगा।

उसे  जुए का और भी ज्यादा चस्का लग गया था। दूध से जो रुपए मिलते वह सब जूए में लगा देता। अपनी पत्नी को दवाइयाँ ले कर आता  मगर अपनी पत्नी को भी आधी दवाई देता। आदि दवाई में पानी मिलाकर दे देता। उसकी पत्नी ठीक होने में  ही नहीं आ रही थी पत्नी को भी ठीक ढंग से दवाइयाँ नहीं देता था। अपनी पत्नी को भी आधी ही दवाइयाँ देता और उसमें भी पानी मिला देता। उसकी पत्नी को ठीक होने में समय लग रहा था।

गाय सब देखा करती। एक दिन जब उसका पति  दूध निकालने गौ शाला गया तो गाय को उस पर इतना गुस्सा आया रहा था। उसने  ग्वाले को एक जोरदार लात मारी। उस की मार  के  प्रहार से वह दो-तीन दिन तक बिस्तर से उठ नहीं सका। घर में 2 दिन तक किसी ने कुछ भी नहीं खाया। उसकी पत्नी थोड़ा-थोड़ा उठकर काम करती। तीसरे दिन जब थोड़ा ठीक हुआ वह गाय को चराने जंगल में ले गया उसको  गाय पर बहुत ही गुस्सा था। उसने जोर से एक मोटी सी नोकिली लकड़ी उठा कर गाय पर मारी। लकड़ी को अपनी  तरफ उछला देख कर गाय  एकदम से गाय तो पीछे हट गई थी। गाय के कुछ चोट लगी। उसकी आंख के पास चोट लगी थी। वह गाय नीचे गिर पड़ी थी। उस ग्वाले  नें जैसे ही वह टुकड़ा गाय की तरफ  उछाला  एक छोटा सा टुकड़ा  ग्वाले की आंख में घुस गया। टुकड़ा इतना तीखा था कि वह भयंकर  दर्द  से छटपटानें  लगा। उसकी  चिल्लाहट गांव वालों ने सुनी। गांव वाले उसे उठाकर घर ले आए। उसकी पत्नी क्या करती? जैसे तैसे  वह बडी़ ही मुश्किल से उठी।  अपने हाथ के कंगन बेचकर उसने जो रुपये मिले उससे अपने पति को अस्पताल में दाखिल कराया। गाय की आंखों के पास का घाव भी गहरा था। वह घाव तो थोड़े ही दिनों में ठीक हो गया।

डॉक्टरों ने  ग्वालियर को कहा कि  आप के पति की एक आंख की रोशनी सदाके लिए चली गई है। वह एक ही आंख से देख सकेगा। कुछ ठीक हुआ तो उसे अपनी गलती पर पछतावा हुआ। वह अपनें मन में सोचने लगा मैंनें अपनी देवी तुल्य पत्नी को बहुत ही सताया। उस की दवाइयाँ भी उसे पूरी ला कर नहीं दी। आलसी बन कर सारा रुपया जूए में उड़ाता रहा। उस के साथ छल कपट और गौ समान माता के साथ इतना बड़ा षडयंत्र किया। उसकी ओर लकड़ी फेंक कर उससे उस दिन का बदला लेना  चाहता था। उसकी पत्नी अपनें पति को दिलासा देते हुए बोली आप जिन्दा बच गए इतना ही काफी है। ग्वाले ने अपनी पत्नी को सारी की सारी सच्चाई बता दी। उसकी पत्नी बोली आपने अपनी  गौ माता को भी नहीं छोड़ा। आपने उसे लाठी से मारा। जाको राखे साइयां मार सके ना कोई।  भगवान की लाठी में इतनी शक्ति होती है कि उस के कहर से कोई भी नहीं बच सकता। दूसरों के लिए अगर  तुम नुकसान पहुंचानें की कोशिश करोगे तो खुद ही उसका शिकार हो जाओगे।

अभी भी समय है तुम अपनी काली करतूतों से बाज आ जाओ। आज तो आपको काफी अच्छा सबक मिल गया है। अपनी भूल के लिए गौ माता से क्षमा मांगो। ग्वाला  बोला हां भाग्यवान  मैं   गौ  माता से ही क्षमा नहीं मांगूंगा बल्कि तुमसे भी मैं क्षमा मांगना चाहता हूं।

मैंनें तुम्हें भी धोखे में रखा। तुम्हें  डॉक्टरों  ने जो दवाइयां लिखी थी मैं उस में भी पानी मिला कर तुम्हें  दवाइयाँ खिलाता रहा। गुस्सा आने पर गौ को भी मारा। दूध बेचने पर जो रुपये मिलते उससे जूआ खेलता और जब हार जाता तब तुम्हारी दवाओं के लिए रुपए नहीं बचते तब मैं ऐसा कदम उठाता। कृपया आज मुझे माफ कर दो। उसकी पत्नी बोली पहले तुमको गौ माता के चरण स्पर्श कर उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना  करनी चाहिए। मैं तुम्ह तभी  माफ करुंगी जब आप गौ माता के चरणों को स्पर्श करेंगे। नहीं तो मैं भी इसी वक्त तुम्हें छोड़ कर चली जाऊंगी।

जब तुम्हें दिल  से अपनी करनी पर पछतावा होगा।  तभी  मैं  तुम्हे स्वीकारेंगे वर्ना नहीं। उसके पति नें  गौ माता के चरणों को छू कर कसम खाई  मैं कभी भी जूए को हाथ नहीं लगाऊंगा। मैं जूए जैसे घिनौनें कृत्य को अंजाम देकर ऐसा करने पर विवश था। मैंनें लालच में पड़कर इतना बड़ा कदम  उठाया था। मुझे माफ कर दो। गौ माता उसकी तरफ देखकर उसके हाथ को चाट रही थी मानो  कह रही थी तूनें अपने  पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते की लाज रख ली। अपनी पत्नी को सारी सच्चाई बता दी। मुझे अब तुमसे कोई गिला नहीं है। गौ माता ने उसे चाटना शुरु कर दिया। उसकी पत्नी मुस्कुरा कर अपने पति से बोली शाम का भूला हुआ  अगर सुबह को घर वापिस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते।

पानी का महत्व (कविता)

जल है जीवन का आधार।

यूं न करो इसे बेकार।।

जल से ही है जीवन सबका।

यह  न मिले तो मरण है सबका।।

97.5जल है खारा।

स्वच्छ जल2. 5%है न्यारा।।

बच्चे बूढे सभी को पानी की उपयोगिता को समझाओ।

पानी को कम खर्च कर के  बिजली की उर्जा को बचाओ।।

एक एक बूंद को व्यर्थ न गंवा कर हर बूंद  की बचत कर उसको उपयोग में लाओ।

हर एक को पानी के  उपयोग के बारे में जानकारी दे कर उनको पानी की बचत करना सिखाओ।।

घर के नल का किचन की नाली से नाता जोड़ो।

घर की फुलवारी को इस से  सींच डालो।।

पानी की बूंद बूंद का सदुपयोग करो सदुपयोग करो।

इस को यूं न व्यर्थ बेकार करो। बेकार करो।।

पानी  का महत्व सब को समझाओ।

सब  को समझा कर ही  इसको अम्ल में लाओ।।

शिक्षा का महत्व (2)

ज्ञान हमारे अंदर प्रकाश की ज्योति है जगाता।

सभी का वर्तमान और भावी जीवन योग्य है  बनता।।

ज्ञान से  सुप्त इंद्रिया जागृत होती है।

उसकी कार्यक्षमता में दिन रात तरक्की होती जाती है।।

शिक्षा का क्षेत्र है विस्तृत।

जीवन से लेकर मृत्यु  पर्यन्त तक  चलने वाला शिक्षा का एक स्रोत।।

प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुल में थी दी जाती।  उसके मस्तिष्क में तरह तरह के सवालों का घेरा  लगा होता है।।

छोटा बच्चा अनेक तरह के प्रश्नों की बौछार है करता।

उनके सवालों के जवाब ना देने पर व्यक्ति का चेहरा है लटकता।।

विद्या है व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ सम्मान।

चोर भी उसको  चुरा कर इसका करता नहीं इसका अपमान।।

विद्या दूसरों को देने से निरंतर बढ़ती जाती है।
दिन रात  व्यक्ति के स्तर में उन्नति होती जाती है।।

विद्या से विनय, विनय से योग्यता है मिलती।
योग्यता से धन, और धर्म से सभी सुखों की प्राप्ति है होती।।

ज्ञान से बुद्धि तेज है बनती।

व्यक्ति की उन्नति में चार चांद है लगाती।।
विद्या और सुख व्यक्ति को एक साथ नहीं मिलते।

व्यक्ति को इसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने  ही पड़ते।।

विद्या चाहने वाले को सुख छोड़ देना चाहिए।
सुख चाहने वाले को विद्या का त्याग कर देना चाहिए।।

विद्या के बिना व्यक्ति का जीवन पशु समान है होता।

बिना ज्ञान के उसका जीवन निष्फल होता।।
विद्या प्राप्त कर बड़प्पन नहीं दिखाना चाहिए।

ज्ञान का प्रसार सभी में कर हर किसी को व्यक्ति का हौंसला बढ़ाना चाहिए।।

शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित है करती।

उसे भला और बुरे की पहचान करा कर उसमें आत्मविश्वास की प्रेरणा है भरती।।

जादुई जूते

बहुत समय पहले की बात है कि एक छोटे से गांव में राजू अपने माता पिता के साथ रहा करता था। वह छठी कक्षा का छात्र था। उसके माता-पिता मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे। वह बहुत ही भोला भला छात्र था। हर रोज स्कूल जाता था। अपने माता-पिता का हमेशा कहना मानता था। स्कूल में उसके दो दोस्त बन गए। वह दोनों दोस्त गुंडागर्दी में संलिप्त थे। स्कूल में हर रोज उसके साथ ही कक्षा में बैठते थे। उन्होंने राजू को भी अपना दोस्त बना लिया जो कुछ भी लाते साथ बैठते उठते बैठते शाम को वे दोनों बहुत ही दूर पैदल चल कर घर जाते थे। राजू को भी उन्होंने अपनी श्रेणी में शामिल कर लिया। दोनों दोस्त नशा अफीम के शादी के धंधे में संलिप्त थे। उन्होंने राजू को भी   नशा करना सिखाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे राजू को भी नशा करने की आदत पड़ने लगी।

एक दिन उसके दोनों दोस्त स्कूल नहीं आए थे वह जब अड्डे पर पहुंचा जहां से वह नशे का सामान खरीदता था उन्होंने राजू को कहा कि पैसे ला कर उन्हें दिया कर उसके पिता तो उसे रुपए कभी नहीं देते थे। उन्होंने उस से कहा अगर माता-पिता तुम्हें  रुपये नहीं देते तो क्या हुआ? तुम  उनके पर्स से चोरी करके ले आना। जो भी  वस्तु मिलेअगर रुपया ना मिले तो अपनी माता के गहने भी  चलेंगें।आप की मम्मी उन रुपयों को तिजोरी में रखती होगीं। उनकी तिजोरी पर नजर रखनी चाहिए।

वह समझ गया हर वक्त अपनी मां के पर्स को ताका करता था। वह  पर्स कहां रखती है।? वहां तिजोरी में कितने खाने हैं? मां के गहने कहां है? यह बातें घर में किसी को मत बताना नहीं तो वे तुम्हें खेलेंगे भी नहीं भेजेंगें।

राजू नें अपनी मां का एक एक गहना ला कर उन नशाखोरी वाले गैंग को देना शुरू कर दिया वह छोटा बच्चा क्या करता? वह उसे तरह-तरह के लालच  देते। वह अभी भी सुधर सकता था। उसके माता-पिता को तो उस बात की भनक नहीं थी उनका बेटा भी इन कामों में संलिप्त हो सकता है। राजू को धीरे धीरे  नशे की लत की आदत पड़ गई।

एक दिन उसने अपनी मां की अंगूठी चुरा ली। उसकी मां ने उसे तिजोरी खोलते  देख लिया। वह यह सब देख कर हैरान हो गई। एक दिन उसके ₹2000 उसके पर्स में से गायब थे। उसने सोचा शायद  बाजार में शॉपिंग करते करते उसने कहीं गिरा दिए होंगे। उसने घर में अपने पति को भी कुछ नहीं कहा। उनका ध्यान अपने बेटे की तरफ कभी भी नहीं गया कि वह भी कभी चोरी कर सकता है। उसने तिजोरी के बारे में अपने बेटे से बात नहीं की जैसे  ही वह अपने दोस्त के घर गया उसकी मां ने उसके बाद देखा तो उसका कलेजा बाहर को आने लगा। उसकी तिजोरी में कुछ भी नहीं था उसके सारे के सारे गहने चोरी हो गए थे। उसने सारा घर छान मारा। अचानक उसने सोचा कि कहीं मेरा बेटा तो चोरी नहीं करता होगा  देखना तो पड़ेगा  ही क्योंकि जिस  समय वह स्कूल जा रहा था वह तिजोरी को के आस पास ही खड़ा था।

अचानक उसका बेटा घर वापिस आकर बोला मां मैं अपनी कॉपी यहीं पर छोड़ कर चला गया। जल्दी से ढूंढ दो नहीं तो आज मैडम से उसे मार पड़ेगी। वह बोली ठीक है बेटा तुम बिना खाए ही चले गए थे मैं तब तक तुम्हारी कॉपी तुम्हें दे देती हूं।। राजू खाना खाने की मेज पर बैठ कर  खाना लगा। वह बोल ठहर जा मैं ने से पानी लेकर आती हूं। वह जैसे ही बाजू के कमरे में गईउसनें राजू के बस्ते की तलाशी ली। उसके बारे में वह सोच भी नहीं सकती थी कि उसके बेटे को यह आदत कैसे लग गई। हमारे घर में तो कोई भी नहीं आता है उसने चोरी करना कहां से सीखा?शाम को जब उसके पापा  घर आए तो राजू की मां ने अपनें पति को सारी बात समझा कर कहा कि हमारा बेटा किसी गम्भीर बीमारी का शिकार हो गया है। उसे अगर अभी  से रोका नहीं गया तो वह ना जाने क्या कर बैठे? हमें अपने बेटे को प्यार से समझाना होगाह उस पर कड़ी नजर रखनी होगी। एक दिन मेरे पर्स से दो हजार रुपये गुम हो गए थे। मैंने सोचा शायद वह कहीं गिर गए होंगे लेकिन आज समझ में आ गया है कि हमारा बेटा किसी गलत संगत में पड़ गया है। उसकी मां संगीता ने अपने बेटे राजू पर निगरानी रखनी शुरू कर दी। राजू को पता चल चुका था कि उसकी मां को  उसके चोरी करनें की जानकारी  मिल गई है। इसमें सोचा वह आज घर  ही नहीं जाएगा। वह चल पड़ा चलता चलता जा रहा था उसे भूख भी बड़े जोरों की लग रही थी। अचानक उसे एक धर्मशाला दिखाई थी। वहां पर जा कर देखता हूं कि अंदर क्या है? शायद वहां पर खाना मिल जाए। उसने सुना था कि धर्मशाला में बच्चों को खाना मुफ्त में मिलता है। लेकिन वह जैसे ही अंदर घुसने लगा वहां पर बाहर उसे बहुत ही सुंदर जूते दिखाई दिए। उसने अपने मम्मी पापा से कितनी बार अच्छे जूते लेने के लिए फरमाइश की थी परंतु उसके माता-पिता ने उसे सुंदर जूते कभी भी लेकर के नहीं दिए। वह सोचने लगा क्यों ना मैं इन जूतों को पहन लूं  मुझे कोई नहीं देखेगा। सब के सब तो अंदर है। मुझे यहां कोई भी  देखें वाला नहीं है। मुझे कोई भी यहां पर चोर नहीं समझेगा। यह जूते तो बड़े हैं। थोड़े से ही बड़े होंगे  तो भी चलेगा उसने वह जूते पहन लिए। वह जूते जादू के थे वह जूते जो कोई भी व्यक्ति पहनता था उसी के नाम में वह फिट हो जाते थे। वह जूते उसे बहुत अच्छे लगे। वह झूमते गाते रास्ते से जा रहा था। कई दोस्त मिले वह उन से बातें करता जा रहा था। किसी भी दोस्त नें उसकी बातों का जबाब नहीं दिया। अचानक उसे रास्ते में उसके दोनों दोस्त आयुष और अविनाश दिखाई दिए। दोनों के पास जाकर उसका चेहरा खिल गया। राजू नें उन्हें आवाज दी लेकिन उन्होंने उसकी बात का कोई जबाब नहीं दिया। शायद वे दोनों  उस के स्कूल आने पर एतराज कर रहें होगें तुम कैसे हमारे बिना कल स्कूल चले  गए। कोई बात नही इन दोनों को मनाए बगैर मैं भी यहां से जानें वाला नहीं। चलो इन के पीछे पीछे चलता हूं। देखता हूं वे आपस में बाते करते इस वक्त किस के पास जा रहें हैं? दोनों दोस्त नशा करानें वाले गैंन्ग के पास जा कर बोले हमारे

₹10, 000 जल्दी ही हमें दे दो। हमने एक दोस्त को अपने गैंग में शामिल कर दिया है। उसका नाम है राजू। आपने हम से कहा था कि अगर तुम एक व्यक्ति को लाओगे तो हम तुम्हें ₹10, 000 देंगे। हमने आपके पास उस बच्चे को लाकर सौंप दिया और उसने अपने सारे गहने आपके पास लाकर दे दिए। हमने उस बच्चे को भी झांसा देकर अपने गैंग में शामिल कर दिया। वह नशे के गिरोह का आदमी बोला चले जाओ यहां से तुम दोनों को गोली मार दूंगा। तुम्हें कोई रुपये नहीं मिलने वाले। तुमने अगर हमारी बातें किसी को बताई तो तुम्हें भी मृत्यु के घाट उतार दिया जाएगा।

राजू को अपने दोस्तों पर दया आई। अपने दोस्तों को बचाने के लिए दौड़ा। वह चिल्लाता रहा मगर उसके दोस्तों ने तो मानो कुछ सुना ही नहीं। वह हैरान रह गया।

ऐसे दोस्त भी हो सकते हैं। दोस्तों ने उसे गलत धंधे में फंसा दिया। उसने तो अपने माता पिता के सारे गहने बेच दिए। एक दिन अपने माता पिता के पर्स से ₹2000 चुरा लिए। वह तो अपने दोस्तों पर आंख मूंदकर विश्वास करता था। आज उनका असली चेहरा उसे नजर आ गया। इनके गैंग में लिप्त हो गया। पर मैं दिखाई क्यों नहीं दे रहा हूं।

आज वह घर में सब कुछ बता देना चाहता था वह घर की ओर दौड़ने लगा। घर पहुंच गया लेकिन घर में माता-पिता नें रो रो कर सबको इकट्ठा कर लिया था। हमारा बेटा ना जाने कहां चल गया? क्या करें? वह जोर जोर से बोल रहा था कि मैं यहां हूं। मैं यहां हूं। लेकिन उसको कोई भी देख नहीं पा रहा था। जूते जादू के थे। जिस कारण वह दिखाई नहीं दे रहा था। वह भगवान से प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान क्या करूं? जल्दी से मुझे वापस अपने रूप में बदल दो। मैं कभी भी चोरी नहीं करुंगा तभी उसकी नजर कांच के एक टुकड़े पर पड़ी। वह कांच के टुकड़े में नजर आ गया। उसकी समझ में आ गया शायद यह जूते जादू के हैं। उसकी दादी से उसने बहुत सारी कहानियां सुनी थी। लेकिन कोई  उन जूतों को धर्मशाला में क्यों छोड़ गया?

यह प्रश्न उसके दिमाग में घर कर गया। मैं इसका पता लगा करके ही रहूंगा क्या करूं? मेरा नशा करने को मन कर रहा है। नहीं मुझे इन बच्चों जैसा नहीं बनना है। इन जूतों ने मुझे सच्चाई की राह दिखाई वर्ना मैं तो भटक गया था। उसका हाथ लोहे की छड़ के ऊपर पड़ गया। अचानक वह दिखाई देनें लग गया। उसके परिवार का  एक सदस्य आकर बोला तुम्हारे माता-पिता रो रो कर परेशान हो रहे थे। तुम कहां चले गए थे? वह बोला मैं तो कहीं नहीं गया था।

उसकी मां दौड़ते दौड़ते आई बोली बेटा तू कहां चला गया था? उसने अपने बेटे को गले लगा कर चूम लिया। सब के सब लोग अपने अपने घरों को चले गए थे। उसने अपनी मां को बताया मां पिताजी आप मुझे माफ कर दो आपसे मैं आज सच बताना चाहता हूं।

मैं आपके पर्स चोरी करके ले जाता था। कभी कभी सौ के नोट कभी 500रु के। मुझे मेरे दोस्तों ने गलत संगत में डाल दिया।  उनके चेहरे से नकली नकाब उतर गया। उसकी मां बोली किसने तुम्हें गलत संगत में डाला? वह बोला मुझे तो अभी इस धंधे में पड़े चार-पांच महीने ही हुए हैं। आप जब तिजोरी खोल कर देख रही थी तो मुझे पता चल गया था कि आपने सब कुछ देख लिया है इसलिए मैं आज घर नहीं आना चाहता था। अचानक चलते चलते मैं इतनी दूर निकल आया मुझे भूख भी बड़े जोर की लग रही थी तभी मेरी नजर एक धर्मशाला पर पड़ी।

मैं  धर्मशाला के अंदर चला गया। मेरी नजर उस धर्मशाला में बाहर रखे चमचमाते जूतों पर पड़ी। मुझे कोई ना देखें मैंने जल्दी से वह जूते उठा लिए। मैंने फिर चोरी कीह वह जूते पहनें। मैं जूते अपने पैर में पहन धीरे धीरे रास्ते से चला जा रहा था। कई दोस्त मिले मैं उनसे बातें करता रहा लेकिन उन्होंने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। अचानक मेरे स्कूल के मेरे सबसे पक्के दो दोस्त अविनाश और आयुष मिले। दोनों को देखकर चेहरा खिल उठा। मैंने उनको आवाज दी लेकिन उन्होंने मेरी ओर देखा भी नहीं। मुझे बड़ा गुस्सा आया मैं उनके पीछे पीछे चलने लगा ताकि उनकी बातें सुन सकूं। वह एक अड्डे पर जाकर बोले जल्दी से हमें ₹10000 दे दो। हमने आपको एक नशा खोर फंसा कर दिया है। वह भी नशे में संलिप्त हो गया है। उसने घर से सारे अंगूठी और जेवरात लाकर आपको दे दिए। आपने हमें कहा था कि जब आप एक बच्चा लाओगे तो हम तुम्हें ₹10000 देंगे। आप जल्दी से हमें ₹10000 दे दो। गिरोह वाला व्यक्ति मिला चलो निकलो यहां से वे दोनों बोले हम यहां से नहीं जाएंगे। हम तुम्हारे ग्रुप का पर्दाफाश कर देंगे। गैन्ग का नेता पिस्तौल लेकर आया वह बोला अगर तुमने जरा भी हमारे बारे में किसी को बताया तो तुम दोनों का काम तमाम कर दूंगा। नशे में संलिप्त व्यक्ति पिस्तौल चलाने की वाला था तभी वहां पर एक ग्राहक आया। वे दोनों बच्चे अपने-अपने घरों को जान बचा कर भागे। मुझे उनकी असलियत पता चल गई। वह जादू के जूते थे जिसमें से मैं दिखाई नहीं देता था। जब मैं रास्ते से आ रहा था तो मुझे एक आदमी मिला। वह बोला बेटा जो जूते तुम्हें मिले हैं वह जादू के जूते हैं। मुझे किसी साधु महात्मा ने दिए थे। वह किसी इंसान के पास केवल दो बार ही प्रयोग किए जा सकते हैं हम इन जूतों का प्रयोग अच्छे काम के लिए करेंगे तो यह जूते करिश्मा दिखाते हैं अगर गलत उपयोग किया तो उस व्यक्ति की खबर नहीं। यह गलत उपयोग किए जाने वाले व्यक्ति के पास दो बार से ज्यादा नहीं रहते। मैंने भी लालच किया था। मुझे भी सजा भुगतनी पड़ी।मैं इन जूतों को इसलिए छोड़ कर गया था ताकि कोई इन जूतों को ले जाए लेकिन मैंने तुम्हारी सारी गतिविधियों पर नजर रखी। तुमने चोरी की। उसके पश्चात तुम्हें इन जूतों में ऐसा सबक सिखाया कि कभी भी गलत बच्चों का साथ नहीं करोगे। इस कारण तुम अपने माता-पिता से मिले मैं तुम्हें बताना चाहता था कि तुम भी इन जूतों का प्रयोग दूसरी बार उपयोग करने के पश्चात अच्छे काम के लिए करना उसके पश्चात तुम इनको समुद्र में फेंक देना नहीं तो यह जूते किसी ना किसी व्यक्ति को भटकाती रहेंगे। बच्चा सही दिशा अपनाएगा उसे यह जूते कुछ नहीं कहेंगे। यह कहकर वह साधु चले गए।

घर आकर  राजू नें कसम खाई कि वह जीवन में कभी भी गंदे कामों में संलिप्त नहीं होगा। आज अपने माता पिता को सारा सच बता दूंगा। दोस्तों को भी उस गैन्ग के लोगों से  छूडा  कर लाऊंगा और आपके सारे गहने जब तक मैं आपके गहने लाकर आपको  नहीं  दे दूंगातब तक मैं  चैन से नहीं बैठ सकता। मैं आपका  अच्छा बेटा कहलानें  लायक नहीं हूं। पिताजी मुझे माफ कर दो। उसके मां पापा बोले इस काम में हम भी तुम्हारी मदद करेंगे।

उसके पिता राजीव ने पुलिस इंस्पेक्टर शेखर को फोन लगाया। पुलिस इन्स्पेक्टर शेखर के दोस्त थे। शेखर आकर बोले बेटा हम तुम्हारे साथ साथ रहेंगे। वह बोला मैं इन जूतों को पहन कर गायब हो जाऊंगा। उनके अड्डे के सारे राज पता कर लूंगा। राजू ने पुलिस डॉक्टर को उन जूतों के बारे में बता दिया था।

अंकल आप दिशांत होटल में दूसरे फ्लोर में आ जाना। वहां पर मैं  जादुई जूते पहन लूंगा और उन गैन्ग के अड्डे का पर्दाफाश करके ही आपके सामने आऊंगा। आपको सारा माजरा बताऊंगा।

उसकी मां पिता को अपने बेटे पर विश्वास हो गया था। वह जैसे ही घर से निकला उसने मंदिर में जाकर भगवान के सामने माथा टेक कर कहा कि हे भगवान जी मुझे माफ कर दो। आज अचानक आप ने संभाल लिया। जूतों नें तो अपना कमाल दिखा दिखा दिया। उसने भी तो चोरी की है। उसे भी आज प्रयश्चित करना पड़ेगा। मैं सारा कार्य करने के पश्चात इन जूतों को समुद्र में फेंक दूंगा नहीं तो उन जूतों को कोई ना कोई पाने का प्रयत्न करेगा और कोई ना कोई गलत काम करेगा।

राजू जैसे ही मंदिर से बाहर आया उसने अपने आप को तरो ताजा महसूस किया तभी उसने देखा कि उसके जूते किसी उस जैसे बच्चे नें पहन लिए थे। वह बच्चा गायब हो गया था राजू ने उसे देख लिया था वह उस बच्चे के पीछे भागा। इनमें जूतों की जरूरत तो उसे है। लेकिन यह क्या? वह बच्चा चला जा रहा था। राजू नें पीछे मुड़ कर देखा उसे कोई देख तो नहीं रहा था। अचानक उस बच्चे का पैर लोहे के एक टुकड़े से टकराया। वह बच्चा नीचे गिर गया और उसके जूते भी गिर गए। राजू नें तभी उन गैंन्ग के सदस्यों को जाते देखा। वह बच्चा शायद उन से बचाएं के लिए भाग रहा था। वह उस बच्चे को नशा करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।वह भी अपनें घर से अपनी मां के गहनें चोरी करके लाया था। शायद इन गैंन्ग  के आदमियों ने उसे भी अपने धंधे में  शामिल कर लिया था। जल्दी से राजू ने वह जूते पहने और गायब हो गया वह उस बच्चे के पास जाकर खड़ा हो गया। वे गैन्ग के आदमी उस से कह रहे थे जब तुम जब तक तुम अपने घरों से और गहने लाकर नहीं दोगे तब तक हमें तुम्हें छोड़ने वाले नहीं है। यह देखकर राजू की आंखों से झर झर आंसू बहने लगे। वह बच्चा भी इनकी गलत  संगत का शिकार हो जाएगाह वह आज अच्छा काम करके ही रहेगा। इस बच्चे को भी बचाएगा और अपने दोस्तों को भी  इन से बचाएगा।

उसने पुलिस इंस्पेक्टर को बता दिया कि इनका गिरोह दूर-दूर तक फैला है। पुलिस ने राजू को शीशे में देख लिया था। राजू कहां पर है? राजू ने उन्हें बता दिया था कि वह शीसे में ही नजर आएगा।पुलिस  ढूंढते ढूंढते वहां पर पहुंच गई। अचानक पुलिस इन्स्पेक्टर ने लोहे की चाबी से राजू को  छू लिया। राजू अपने असली वेश में आ गया। राजू ने उन चरस अफीम और नशे के गैन्ग का पर्दाफाश कर अपने दोस्तों को भी सही सलामत घर पहुंचा दिया। उसके दोस्तों ने अपने किए पर अपने दोस्त से क्षमा मांगी। वे बोले तुमने हमको भी सुधारा और अपने आप भी  भटकने से बच गए।

हम जैसे ना जाने लाखों करोड़ों बच्चे होंगे जो छोटी सी उम्र में गलत आदत  ने का शिकार हो जाते हैं। कोई  जादुई जूते जैसा करिश्मा करके उन लाखों करोड़ों बच्चों को भटकने से बचा कर लाए तो उसकी नैया तो पार लगेगी ही बल्कि अपने आसपास उन बच्चों की दुआएं भी लेकर अपने  नसीब को वह  संवार देगा। हमें ऐसे बच्चों को प्रेरणा देनी है जो छोटी सी उम्र में इन सब नशा जैसी आदतों में पड़ जाते हैं। अपना तो नाश करते हैं बल्कि  अपने माता पिता के सुखचैन को भी सदा सदा के लिए खो देते हैं।

आजकल की नई पीढ़ी से अगर एक भी  व्यक्ति ऐसे बच्चों को सुधारने का कोई बीड़ा उठा ले तो हमारे देश की काया ही पलट जाएगी। राजू नें आकर अपने माता पिता को कहा कि मैं अभी आता हूं। यह कहकर वह जल्दी से भाग भाग कर समुद्र की ओर गया। उसने वह जूते समुद्र में फेंक दिए।

पुलिस इंस्पेक्टर ने उस गिरोह का पर्दाफाश कर उसके साथियों को सही सलामत बचा लिया और राजू की मां के गहने भी उसे वापस कर दिए। उन नशाखोरों  के अड्डे में संलिप्त सभी गिरोह के व्यक्तियों को जेल में डाल कर उन्हें सबक सिखाया। पुलिस इन्सपैक्टर नें राजू को कहा कि तुम छोटे से बालक अपनी सूझबूझ से रास्ता भटकनें से बच गए मैं भी तुम्हें सलाम करता हूं। ऐसी सोच सभी को दे।

अभिमान का परिणाम

11/12/2018

किसी जंगल में एक शेर रहता था। जंगल में सभी जानवर शेर के आतंक से डर कर रहते थे।वह कभी ना कभी उनको मार कर खा जाया करता था। एक दिन सभी जानवरों ने राजा को कहा कि आपका कर्तव्य है हमारी रक्षा करना। आप ही हमें नुकसान पहुंच जाओगे तो हम कभी भी  हम आपका साथ नहीं देंगे।

हम किसी दूसरे जंगल में रहने के लिए चले जाएंगे। राजा बहुत ही घमंडी था।

राजा सभी जानवरों को लेकर अपने दूसरे दोस्त शेर के पास दावत पर जा रहा था

उसने जंगल के सभी जानवरों को दावत के लिए बुलाया था। राजा मन ही मन खुश हो रहा था कि मेरा जंगल में सभी जानवरों पर कितना राज है। राजा सभी जानवरों को बोला जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाओ। जानवर चलते चलते थक गए थे। उन्हें प्यास भी लग रही थी। एक बाग में पहुंचे। रंग-बिरंगे फूलों से महकते बगीचे पर उनकी नजर पड़ी। राजा से बोले कुछ देर  यहां विश्राम कीजिए फिर चलते हैं। राजा बोला यहां कोई नहीं रुकेगा। राजा की आज्ञा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। सभी क्या कहते। गिलहरी राजा के पास  जा कर बोली आप इतने निष्ठुर क्यों हो रहे हैं? यह सारे के सारे थक गए हैं। विश्राम करना चाहते हैं। आप भी विश्राम करें हमें भी करने दीजिए। राजा बोला इतनी सी पिददी जैसी हो। बातें बड़ी-बड़ी बनाती हो। मेरे सामने बोलने का हक तुम्हें किसने दिया।

वह बोली शेर राजा मैं चुप नहीं रहूंगी आप चाहे जो मर्जी कर लीजिए मी मुझे मेरी मां ने सिखाया है कि अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने चाहिए। राजा बोला चल हट दूर हो जा शेर बोला। गिलहरी को गुस्सा तो आ रहा था पर वह चुपचाप चलनें लगी। सभी जानवर थक गए थे। गिलहरी भी आईस्ता आईस्ता कदम बढ़ाते हुए चलने लगी। उसे पास से आता हुआ मधुमक्खियों का झुंड दिखाई दिया। गिलहरी मेरी प्यारी बहना नमस्कार आप कहां जा रही हो? वह बोली हम भी अपनी सहेली की बेटी की शादी में जा रही हैं। गिलहरी बहन तुम तो बहुत ही होशियार हो कभी कोई काम हो तो बताना। तुम हमारे बच्चों को पढ़ाती हो। अच्छी शिक्षा देती हो तुम्हारी बातों में दम होता है। अच्छा चलती हूं। गिलहरी साथ ही साथ चलने लगी। गिलहरी सोचने लगी कि यही अच्छा वक्त है राजा को सबक सिखाने का। वह जल्दी से फूँक कर  राजा  के पास आ कर बोली। राजा साहब बस बहुत हो गया। आपका घमंड ज्यादा घमंड करना जीवो को को शोभा नहीं देता।

किसी दिन आप का घमंड चूर चूर हो जाएगा राजा बोला दुष्ट गिलहरी तुझे अभी मजा चखाता हूं।वह बोली आप क्या कर लोगे। अगर सारे जानवरों को मैं आप आपके खिलाफ कर दूं तो आप अकेले ही रह जाओगे। क्या अकेले रह पाओगे। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ पाता। एक और एक मिलकर ही ग्यारह बनते हैं। मैं सभी जानवरों को अपनी तरफ कर लूंगी राजा बोला शेखी बघारनें  वाली राजा की आज्ञा तो तुम्हें माननी ही पड़ेगी जो राजा की आज्ञा नहीं मानेगा वह मुंह के बल गिरेगा। अच्छा गिलहरी बोली अच्छा और करके बता दिया तो राजा बोला दूर हट चल यहां से गिलहरी। छोटा सी  है और बातें बड़ी बड़ी। गिलहरी बोली छोटा समझ कर इंसान को दुत्कारना  नहीं चाहिए। कभी छोटा इंसान भी काम में आ सकता है। राजा बोला यह मुंह और मसूर की दाल। तू मेरे क्या काम आएगी?

गिलहरी मुस्कुराते हुए जंगल के सभी जानवर के पास आकर बोली। तुम सब राजा को बोलो आप की गीदड़ भक्तों से हम डरने वाले नहीं हैं। खाना ही है तो सभी को खा कर बता? हम सब एक हैं हम सब इकट्ठे होकर आप का मुकाबला करेंगे। गिलहरी बोली अगर आप सभी अपने आप को कमजोर समझते रहे तो इसी तरह तुम्हें अपने राजा के अत्याचारों का हर रोज सामना करना पड़ेगा। हर रोज अत्याचार सहने से तो अच्छा है मर जाना। गिलहरी की बात सुनकर सभी जानवर आपस में  बोले बात तो ठीक ही कहती हो। गिलहरी राजा को  बोली राजा जी अब हम थक गए हैं। हम और आगे नहीं चल सकते। राजा उन पर जोर से दहाड़ा।  तुम्हें अपने राजा के सामने बोलने का अवसर किसने दिया? सभी जानवर बोले हम आपकी बड़ी इज्जत करते हैं परंतु अब  बस बहुत हो गया। हम आपको छोड़कर किसी दूसरे जंगल में जाकर रहेंगे। सभी के सभी जानवर राजा को छोड़कर चलने लगे। केवल गिलहरी  ही वहां रह गई। वह बोली राजा जी मैं आपको छोड़कर नहीं जाऊंगी। राजा बोला दूर हो जा तू क्या मेरी सहायता कर पाएगी। गिलहरी बोली  ठीक है ज्यादा घमंडी  को एक न एक दिन सजा मिलकर ही रहती है। गिलहरी पीछे पीछे  चलनें लगी। गिलहरी ने कहा कि तुम्हें मेरा एक काम करना होगा। राजा को सबक सिखाना जरूरी  है। मधुमक्खियों को गिलहरी नें कहा तुम्हे मेरा एक काम करना होगा। आप दो तीन मधुमक्खियां राजा को काट खाओ। सारी की सारी मधुमक्खियां राजा की पीठ पर बैठ कर उन्हें काटनें लगी। राजा उन मधुमक्खियों के काटनें से बहुत परेशान हो गया। वह बोला मुझे बचाओ। उसकी दर्द भरी आवाज सुनने के लिए कोई भी नहीं था। उस के सारे के सारे जंगल के जीव उसको छोड़ कर आगे बढ़ चुके थे। उसके पास हथियार  डालने के सिवा कोई चारा नहीं था।

गिलहरी  बोली क्या हुआ है?राजा बोला मुझे मधुमक्खियां काट रही है। गिलहरी राजा से बोली तुम तो बहुत शक्तिशाली हो। इतनी छोटी सी मधुमक्खियों से डर गए। अब कहां गया तुम्हारा घमंड।? यह कहकर गिलहरी जोर जोर से हंसने लगी। राजा बोला तुम हंसना बंद करो

तुम हंसना बंद करो और मुझे  बचाओ। गिलहरी बोली एक शर्त पर आप बच जाओगे आप आज कसम खाइए जंगल के जानवरों पर अत्याचार नहीं करेंगे। राजा बोला ठीक है। गिलहरी ने सभी मधुमक्खियों को कहा कि राजा जी को छोड़ दो। मधुमक्खियों ने राजा को काटना छोड़ दिया। राजा गिलहरी को बोला तुम बहुत ही बहादुर हो। तुमने आज एहसास करवा दिया कि हमें किसी भी जीव को छोटा नहीं समझना चाहिए। मुझे माफ कर दो। आज से मैं तुम्हें अपना सलाहकार नियुक्त करता हूं। तुमने मुझे शिक्षा देकर अच्छा काम किया है। गिलहरी बोली की जंगल के सभी जानवर को वापस बुला कर लाओ और अपनी गलती मानकर उनसे क्षमा मांगो। राजा ने सभी जानवरों को वापस लाने का आदेश दिया। सभी जानवर अभी आगे नहीं गए थे। गिलहरी नें सभी  जानवरों को वापिस बुलाया।  सभी जंगल के जीव आकर राजा से बोले अगर आपको अपनी गलती का एहसास हो गया तो हम आपसे क्षमा मांगते है। क्योंकि क्षमा मांगने से कोई भी छोटा नहीं हो सकता। हम आपको अपना राजा अभी भी मानते हैं और आगे भी मानेंगे लेकिन आप अपना वादा भूल गए थे। इसलिए आप को सबक सिखाना जरूरी था। हमें गिलहरी बहन ने सब कुछ साफ-साफ बता दिया है। अब हम दावत का मजा अच्छे ढंग से लेंगे। सभी जीव खुशी खुशी दावत का मजा लेनें चल पड़े।

अच्छी आदतें भाग(2) | मुहावरों का प्रयोग

रामू घर आकर बोला मां मेरे पेट में चूहे हैं कूद रहे।
मां धमा चौकड़ी मचा कर परेशान है कर रहे।।
मां आकर बोली तू है मेरी आंख का तारा। प्यारा प्यारा राज दुलारा।।
पढ़ाई में हमेशा ध्यान लगाना।
कक्षा में इस बार भी अव्वल आ कर दिखाना।।
रामू बोला बहना से :-तू क्यों मुझ से झगड़ रही।
तू अपनी शेखी क्यों बघार रही।।
रेनु बोली भाई मेरे:- तू तीन पांच मत कर। जल्दी से अपना काम कर।
झगड़ा कर अपना समय व्यर्थ मत गंवा।
“नौ दो ग्यारह हो जा”।पढ़ाई में मन लगा कर दिखा।
“तू काम का न काज का दुश्मन अनाज का।।
इतनें में मां नें आवाज लगाई।
तुम दोनों की प्लेटें मेज पर हैं लगाई।।
रामू आ कर मां से बोला जल्दी से खाना लाओ न।
इधर-उधर की बातों में मेरा समय गंवाओ न।।
मां बोली पहले साबुन से हाथ धो कर आओ। फिर खाने की प्लेट को हाथ लगाओ।।
गंदे तौलिए का इस्तेमाल मत करो।
हाथों को रगड़ रगड़ कर साफ करो।।
खाने को खुला कभी मत छोड़ो।
ढक्कन लगाकर बीमारी से सदा के लिए पीछा तोड़ो।
गंदगी के कीटाणु ना फैलाएं।
डिटॉल फिनाइल का पोचा लगा कर फर्श को खूब चमकाएं।। ़
बहना बोली भाई से :-नित्य ब्रश करने की आदत डालो।
बहना का कहना कभी मत टालो।।
ना ज्यादा गर्म ना ज्यादा ठंडा खाना कभी मत खाओ।
खाना चबाकर खाने से ना हिचकिचाओ।। ज्यादा तेल और मसाले का इस्तेमाल ना कीजिए।
जितना जरूरी है उन्हीं का उपयोग कीजिए।। कम नमक का इस्तेमाल कीजिए।
वर्ना उक्त रक्तचाप को दावत दीजिए।।
ज्यादा मीठा खाना सेहत के लिए हानिकारक ।गुड़ का इस्तेमाल है हर उम्र में लाभदायक।।

अच्छी आदतें

मां द्वारा सिखाई आदतें जिंदगी में बहुत काम है आती।
बच्चे के व्यक्तित्व में आदतों का पालन करना है सिखाती।।
खाना खाने से पहले हाथों को धोना,
हर रोज ब्रश करना, रोज नहाने की आदत भी अपना चमत्कार है दिखलाती।
बच्चे के चेहरे पे निखार ला कर उसकी सुन्दरता में चार चांद हैं लगाती।

इन आदतों से बच्चा पढ़ाई में मन है लगाता
हर वक्त खिला खिला कर मुस्कुराता जाता।।
बिस्तर पर जूतों संग कभी नहीं चढ़ना चाहिए।
इस आदत को सुधारनें का प्रयत्न करना चाहिए।।
चाहे तुम कितनी भी क्यों ना हो नक चढ़े।
अपनें में सुधार ला कर,ही तुम आगे बढ़े।।

सोने से पहले ब्रश करने की आदत डालो।
दुर्गन्ध को हटा कर अपनें दांतों को चमका डालो।।
ऊपर से नीचे कि ओर,नीचे से ऊपर कि ओर
आगे पीछे चारों ओर ब्रश को घुमाओ,
आहिस्ता आहिस्ता दु्र्गन्ध से पीछा छुडाओ।।

सार्वजनिक स्थलों की सफाई का ज्ञान,
अपनें परिवेश में नाटक दिखा कर करवाओ।।
उनको भी इस में शामिल कर उनमें सफाई के प्रति जागरूकता जगाओ।।

घर का टॉयलेट और बाथरूम स्वयं साफ कर चमका डालो।
बच्चों में इस आदत को सिखा कर उनकी प्रशंसा कर डालो।।
बाहर से आकर हाथ पांव को हमेशा धो डालो।
बच्चे में भी इस आदत का संकल्प करवा डालो।।
टीवी के सामने ,बिस्तर पर बैठ कर खाना जो हैं खाते।
जीवन के मार्ग में तरक्की कभी नहीं कर पाते।।
अपनी आदतों में जो सुधार हैं करते , वही आगे बढ़ पाते।।

ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडा पानी मत पियो।
इस में सुधार ला कर खुशी खुशी से जीओ।।
खाने को चबा चबाकर खाओगे।
चबाकर खाने से पाचन शक्ति को बढ़ाओगे।।
खाना खाने से पहले और नहाने से पहले,
एक गिलास गुना गुना पानी पी कर ,
अपनी सेहत में सुधार पाओ।
शाम को भी खाने से पहले पानी पीकर,
अपनी सेहत का राज सभी को बताओ।।

(रिश्ते तो अनमोल होतें हैं) कविता

रिश्ते तो अनमोल होते हैं।

ये तो भगवान की दी हुई शानदार नियामत होतें हैं।। ।

भाई बहन पति पत्नी सास ससुर और अनेको रिश्वते हैं दिए हुए।

उन रिश्तों में अपनी अपनत्व की मिठास घोल दिजीए।

उन रिश्तों का दामन खूबसूरती से पकड़े रखिए।।

उन की खुशी के लिए अपनी तरफ से कभी पिछे मत हटिए।

ये तो विश्वास की मजबूत डोर होते हैं।

जरा सी असावधानी से बिखर कर टूट जाते हैं।।

अपनें रिश्ते को कभी भी किसी की नजर न लगनें दिजीए।

बिश्वास की डोर को कभी अविश्वास के तराजू में न तोलिए।।

अपनों से बिछुड़ने की   कभी मत सोचिए। दुनिया की कही बातों  पर मत चलिए।।

अपनी विवेक पूर्ण बुद्धि से हर बात को जांच  परख कर ही विचार कीजिए।

अपनी वाणी में मधुरता ला कर आलोचना करनें वालों को भी अपनें व्यवहार से उनके विचारों को भी बदल डालिए।।

 तुम्हारे   मधुर व्यवहार से रिश्तों में भी मजबूती आएगी।

तुम्हारे अपनों के साथ जितनी भी कडवाहट हो वह भी मिट जाएगी।।

टूटे रिश्ते अपनें आप संवर कर जुड़ जाएंगे।

घर परिवार वाले तुम्हें  खुशी भरा आशीर्वाद दे कर तुम्हें सराहेंगे।।

अपनें को बड़ा समझ कर अपना कदम पिछे मत हटाए।

केवल एक बार पहल कर तो देखिए।।

हर टूटे रिश्तों में अहंकार आडे आता है।

अहंकार को मिटा कर खुशी का दामन थाम लिजीए।

अपने लिए जिए तो क्या जिए।

दूसरों की खुशी के लिए खुद को जमानें के  अनुकूल बदल डालिए।।