खुशियां

जिंदगी की खुशियां सब के संग बांटते चलो। सभी को दुनिया में अपना बनाते चलो।।

जिंदगी के दोराहे पर इंसान चाहे कितना भी बड़ा बन जाए।

बड़ा बनकर अपने भाग्य पर कभी ना इतराए।। ऊंचा उठने के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं होता।

जिंदगी में कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता।।

हर इंसान फरेबी का नकाब ओढ कर बड़ा बनने की चाहत किया करता है।

इस नकाब को उतारकर ईमानदारी से भी काम किया जा सकता है।।

मानवता  और समभाव से काम किया करो। ईश्वर की बनाई गई कृतियों को सहेज कर रखा करो।।

दिल से ईश्वर का नाम लिया करो।

सुबह उठते ही उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना किया करो।।

अच्छी सोच सादगी और सरलता का जीवन जिया करो।

दूसरे की उन्नति को देखकर ईर्ष्या मत किया करो।।

ज्यादा पाने की तमन्ना मत किया करो।

हर एक समय पर एक ही काम किया करो।। नकारात्मकता जैसी बीमारी को अपने वातावरण में जगह न दीजिए।

उसे अपने मन के हर कोने से निकाल कर सकारात्मकता को अपना लीजिए।।

रैन बसेरा

चिड़िया के छोटे से घौंसलें  में रहता था एक परिवार।

एक दूसरे से करते थे सभी प्यार।।

घोंसले में मिलजुल कर साथ रहते थे।

एक दूसरे की सहायता कर सदा सुखी  रहते थे।।

चिड़िया के तीन बच्चे थे बड़े हो रहे।

वे भी उधर उधर दाना चुग कर जीवनी  यापन कर रहे।।

घोंसले में एक साथ रहने से होती थी घुटन। बच्चे भी सारा दिन उधम मचा कर करते  नाक में दम।।

एक दिन चिड़िया बोली तुम हो मेरे बच्चा बच्ची।

यह बात है कड़वी मगर सोलह आने सच्ची।। तुम सभी आत्मनिर्भर हो चुके हो।

जीवन का यथार्थ समझने लगे हो।।

तुम्हें हमसे अलग होकर रहना ही होगा।

अलग से काम धंधा कर अपना जीवन यापन करना  ही होगा।।

एक साथ इस घोसले में इकट्ठा नहीं रहा जा सकता।

घुटन भरे वातावरण में जिया नहीं जा सकता।। तुम्हारे बूढ़े दादा दादी की भी देखभाल करना जरूरी है।

यह बात तुम्हें समझाना जरूरी है।।

पक्षियों को तो अलग से रैन बसेरा बनाना ही पड़ता है।

अलग हो हो कर जीवन यापन करना ही पड़ता है।।

चिड़िया का एक बच्चा बोला मां तुम हमें छोड़ कर जाओ ना।

हमें अपने से जुदा करवाओ न।।

दूसरा बच्चा बोला एक दिन आप भी बूढ़े हो जाएंगे।

तब आप अपनी देखभाल कैसे कर पाएंगे।। तीसरा बच्चा बोला आपको भी किसी ना किसी की जरूरत पड़ेगी।

तब आप किस को मदद के लिए बुलाएंगे।। बच्चे बोले हम आपको छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।

आसपास की शाखा पर ही अपना आशियाना बनाएंगे।।

हम स्वावलंबी हो सकते हैं स्वार्थी नहीं।

हम आपके हैं और आप हमारे क्या इतना काफी नहीं।।

आप से ही है घर संसार हमारा।

यहीं पर माता पिता के चरणों में है सुख सारा।।

प्रार्थना हे! विश्व विधाता

ऐ मेरे दाता, जगत विश्वविधाता।

सर्व जगत कल्याण कारण, दुःख- संहारक प्रख्याता।।

अपनी अद्भुत छटा से ज्ञान का उज्जवल प्रकाश कर दे।

मेरे मन से अंधकार की अंधेरी परत को हटा कर मुस्कुराहट भर दे।।

हर सुबह शाम और चारों  पहर बस लूं तेरा ही नाम।

होठों पर हंसते-हंसते आए बस एक तेरा ही नाम।।

अपने कर्तव्य पथ से कभी पीछे ना हटूं।

आलस्य और बेचैनी का कभी नाम ना लूं।
मुस्कुराहट का दामन थाम सभी के  चेहरों पे खुशियां बिखेर दूं।

अपनी मुस्कुराहट के बल पर हर मुकाम हंसते-हंसते  हासिल कर लूं।।

सफर चाहे जितना भी लंबा हो भंवर से निकलकर ही सांस लूं।

ए मेरे दाता विश्व भाग्यविधाता।

सर्व जगत कल्याण कारक विष्णु विधाता।
हंसते  हंसते हर खुशी से अपना काम कर सकूं।

मित्रता भाईचारे और जात पात के बंधन को मिटा कर सबको बराबरी का दर्जा दिला सकूं।
ए मेरे दाता जगत विश्व विधाता।

सर्वजन कल्याण कारक दुःख संहारक प्रख्याता।।

तिनका तिनका जोड़कर आशियाना बना सकूं।

टूटे हुए दिलों को जोड़ कर प्रेम की गंगा बहा सकूं।।

बांकू बन्दर और कालू भेड़िया की दोस्ती

किसी नदी के किनारे एक मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ रहता था। मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ हंसी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहा था। नदी के किनारे सामने पेड़ पर एक बंदर रहता था। वह भी मगरमच्छ का दोस्त था। उसको मीठे मीठे फल खाने को दिया करता था। मीठे मीठे फलों को खा कर मगरमच्छ की पत्नी एक दिन अपने पति को बोली  तुम्हारा दोस्त हर रोज इतने मीठे मीठे फल खाता है। उसका कलेजा भी मीठा होगा इसको अपना शिकार कैसे बनाया जाए? इसी धुन में वह हर वक्त रहती थी कि कब मौका मिले और बांकू बन्दर को अपना शिकार बना ले। एक दिन मगरमच्छ की पत्नी नें सोचा कि बंदर को अपने घर पर बुलाएगी। एक दिन वह अपने पति के साथ उस वृक्ष के पास जाकर  बंदर से बोली बंदर भाई बंदर भाई आप कितने अच्छे हो?

आप मेरे पति को हर रोज मीठे मीठे बेर खाने को देते हो। कभी आप भी तो हमें अपनी आव- भक्त करने का मौका दो। वह बोला नहीं बहन मैं तो पेड़ पर ही ठीक हूं। वह बोली एक तो मुझे बहन मानते हो और मुझसे डरते हो। कही,मैं तुम्हें खा ही ना लूं। आपको भाई कहा है क्या कभी भाई को भी मैं खा सकती हूं? हरगिज़ नहीं। आप यदि सचमुच में ही मुझे अपनी बहन मानते हो तो इस बार मेरी सालगिरह पर आपको मेरे घर आना ही होगा। बंदर असमंजस में पड़ गया अगर यह सचमुच में ही मुझे खा गई तो।   आसपास पेड़ पर रहने वाले सभी बंदर उसके दोस्त थे। उसने एक दिन अपनी समस्या आसपास रहने वाले दोस्तों को बताई। भाई मेरे मगरमच्छ की पत्नी मुझे हर रोज अपने घर बुलाती है। मैं डर के मारे वहां नहीं जाता। कहीं उसने मुझ पर प्रहार कर दिया मुझे मार दिया तब सारे के सारे जानवर बोले हम तेरे आसपास ही रहेंगे। तू चिल्ला कर हमें बुला लेना। वह तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। हम सब जानवर एक ही हैं। वह अकेली तुम्हारा कुछ नहीं कर पाएगी। वह बोला ठीक है तब तो उसके घर जाऊंगा।

वह मगरमच्छ के घर जाने के लिए तैयार हो गया। एक दिन वह मगरमच्छ के घर पर पहुंच गया मगरमच्छ की पत्नी ने उसकी खुब आवभक्त की और बहुत सारा खाने का सामान उसे घर के लिए दे दिया। इस तरह वह बांकू बंदर को अपने घर बुलाने लगी। वह बंदर भी इस बात से बेखबर की वह मगरमच्छ की पत्नी उसे नुकसान पहुंचाएगी   उसके घर पर दिन प्रतिदिन जाने लगा।

मगरमच्छ की पत्नी ने तो एक योजना बनाई थी कि पहले इस बंदर का विश्वास जीत लो क्योंकि कहा गया है कि धीरे-धीरे ही योजना को अंजाम देना चाहिए। एक ना एक दिन तो यह बंदर भाई मेरे काबू में आ ही  जाएगा। एक दिन जैसे ही बंदर वापस आ रहा था तो उसका दोस्त कालू भेड़िया उसके पास आकर बोला। भाई मेरे मैं तुम्हें एक सलाह देता हूं। ऐसे किसी भी जीव पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। उस पर कड़ी नजर रखा कर देखना चाहिए कहीं वह तुम पर बैठे पीठ पीछे वार ना कर दे। शत्रु पीठ में छुरा घोंघा कर ही वार करते हैं। उसके घर पर जाते वक्त अपने आंख कान सब खुले रखने चाहिए। और ऐसे चलना चाहिए ताकि सुई की भी आवाज ना आए। बंदर सोचने लगा यह ठीक ही तो कह रहा है। कालू भेड़िया उसका सब से पक्का दोस्त था। जंगल में रहते रहते उनकी बहुत ही पक्की दोस्ती हो गई थी। वह भी कालू को अपनी सारी बातें खुल कर बता दिया करता था। कालू भेड़िया मेरा सचमुच ही पक्का दोस्त है। उसनें आज मुझे सोलह आने सच्ची बात बताई है। हो सकता है किसी दिन अगर मगरमच्छ की पत्नी ने मुझ पर आक्रमण कर दिया तो मैं क्या करूंगा? कालू भाई तुमने मुझे अच्छी  सलाह दी है वह सब दोस्तों कुछ ना कुछ बांटा करता था। वह जो कुछ भी मगरमच्छ के घर से लाता था सभी जानवरों को बांट दिया करता था। सभी जंगल के जानवर उस सेे प्रेम करते थे।

एक दिन जब वह बंदर मगरमच्छ के घर गया तो चुपके से कान लगाकर मगरमच्छ की पत्नी की बातें सुनने लगा। मगरमच्छ की पत्नी मगरमच्छ से कह रही थी कि हमारी योजना अच्छी तरह से काम कर रही है। हमने उस बंदर का विश्वास जीत लिया है। हम  अगर उसका अभी उसका काम तमाम कर देते तो वह ठीक नहीं था। किसी दिन चुपके से धोखे से उसे मारकर उसका कलेजा खा लेंगे। बंदर की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। वह डर के मारे थर थर कांपनें लगा। वह भाग कर वापस भी नहीं जा सकता था। जल्दी से अंदर आकर बोला बहन आज मुझे जल्दी काम है। मेरे सारे के सारे दोस्त आसपास हैं। वह मुझे बुलाने आए हैं। मगरमच्छ की पत्नी  यह बात सुन कर उदास हो गई। आज भी उसकी योजना काम नहीं कर पाएगी क्योंकि वह अपने सारे दोस्तों को अपनी मदद के लिए बुलाएगा।

मगरमच्छ की पत्नी को डरते देखकर बंदर बोला सारे जंगल के दोस्त मेरे आस-पास ही रहते हैं क्योंकि क्या पता कोई जंगल का जानवर मुझ पर हमला कर दे तो मैंने पहले ही उन्हें सतर्क कर दिया है।। मगरमच्छ की पत्नी बोली भला तुम्हें कोई क्यों मारनें लगा। तुम तो बहुत ही प्यारे हो। अपनी प्रशंसा सुन कर खुशी से फूला नहीं  समाया लेकिन अचानक वह बात बदल कर बोला मैं चलता हूं।

जल्दी से वहां से चलने लगा। मगरमच्छ की पत्नी ने कहा ठीक है अभी तुम जाओ, जैसे ही बंदर जानें लगा उसने मन में सोचा अब इसके घर नहीं आऊंगा। आज तो किसी ना किसी तरह जान बची। उसने कालू को सारा माजरा कह सुनाया। कालू बोला मैं मगरमच्छ की पत्नी पर नजर रखा करूंगा। उस दिन कालू मगरमच्छ की पत्नी पर नजर रखने लगा।

एक दिन मगरमच्छ की पत्नी अपने पति से बोली अगर   हम सभी जंगल के सभी जानवरों को बंदर के खिलाफ कर दे तो वह अकेला रह जाएगा। उसकी मदद को कोई  भी आगे नहीं आएगा। वह हमारे द्वारा मारा जाएगा मगरमच्छ खुश होकर बोला तुम तो बहुत ही शातिर हो।  मगरमच्छ की पत्नी यह सारी बातें अपने पति मगरमच्छ को कह रही थी कि हम सभी जानवरो के पास जाकर कहेंगे कि बंदर तुम सब को मारना चाहता है। जानवर उस पर यकीन कर लेंगे। उसके हाथ से   जरीले अमरुद कभी नहीं खाएंगे। मैं उन्हें कह दूंगी की मैंने बंदर को अमरुद में जहरीला पदार्थ मिलाते देखा है। वह मेरी बात पर यकीन कर लेंगे और उसके हाथ से कभी भी अमरुद नहीं खाएंगे। मगरमच्छ की पत्नी सभी जानवरों के पास आकर बोली  बंदर तुम सब जानवरों को मारना चाहता है। तुम इस इस बंदर से नाता तोड़ लो। तुम यहाँ बात बंदर को मत बताना। सभी जानवर आग बबूला होकर बोले इतना घमन्डी और बातें बडी़ बडी़। हमारे सामने शेखी बघारता है। इतना घमंड बांकू बंदर को।

कालू भेडिये ने आकर सभी जानवरों को मगरमच्छ की पत्नी की बातें अपने सभी दोस्तों को बताई। वह झूठ बोल रही है वह तो केवल बंदर को खाना चाहती है। इसलिए वह तुम्हें बंदर के खिलाफ भड़का रही है ताकि तुम सब  उस बंदर को अकेला छोड़ दो। वहअकेला हो जाएगा तो हम उसको मार कर खा जाएंगे। वह मीठे मीठे फल खाता है। उसका कलेजा भी इतना मीठा होगा। मैंने उन दोनों की बातें सुनी थी। सभी जानवर बंदर के पास जाकर बोले हमें पता चल गया है वह मगरमच्छ की पत्नी हमें तुम्हारे खिलाफ करके तुम्हें खाना चाहती है। तुम डरो मत। हम सब तुम्हारे साथ है।

बांकू बंदर बोला आप सभी को मेरा धन्यवाद। आप नें मुझ पर विश्वास किया मेरे लिए इतना ही बहुत है।

मेरी समझ में आज यह बात आई है।  सारे के सारे जानवर बंदर को बोले। हमें उसे कुछ भी जाहिर नहीं होने देंगे। मगरमच्छ की पत्नी  एक दिन सभी जानवरों के पास आकर बोली कि तुम सब जानवर बंदर को अपना हितैषी समझते हो। वह कल तुम्हें जहरीले फल खिलाने वाला है। सभी जानवर मगरमच्छ की पत्नी की बातों को सुनकर बोले ठीक है हम उसके दिए हुए फल नहीं खाएंगे। तुम कितनी अच्छी हो।

मगरमच्छ की पत्नी मन ही मन बहुत ही खुश हुई।। मैंने सारे के सारे जानवरों को बंदर के खिलाफ कर दिया है।  उसकी मदद को अब कोई भी आगे नहीं आएगा।

एक दिन मगरमच्छ की पत्नी ने बंदर को अपने घर दावत पर बुलाया और कहा बंदर भाई मेरे घर पर दावत पर चलो।  बाकू बंदर बोला। मेरी प्यारी बहन मैं तुम्हारी चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आने वाला। मैंने तुम्हारी सारी असलियत पता लगा ली है। तुम मुझे मार कर खाना चाहती थी। जो दूसरों के लिए गड्ढा  खोदता है वह एक दिन उसी गड्ढे में जा गिरता है। यह देखो मेरे दोस्तों ने तुम्हारे पति की क्या हालत बना दी है। आज से मैं इस वृक्ष को छोड़ कर सदा सदा के लिए जा रहा हूं। जंगल के सभी जानवरों ने भी उन दोनों से किनारा कर लिया। मगरमच्छ और उसकी पत्नी पछताने लगे। बंदर उस पेड़ को छोड़कर सदा सदा के लिए किसी दूसरे पेड़ पर रहने के लिए चला गया। खुशी खुशी दूसरी जगह सुखपूर्वक रहने लगा।

दांतों की सफाई कविता

शाम, सवेरे जल्दी उठ मंजन कर जो हैं सोते।
वे जीवन में अपनें दांतों को कभी नहीं है खोते।।
वे दांतों को सुन्दर और मजबूत है बनाते।
अपने चेहरे पर हर वक्त खुशी है झलकाते।।
अपनें चेहरे कि खूबसूरती को और भी है बढाते।।
आंख में अंजन,दांत में मंजन ,नित कर नित कर।
नाक में उंगली,कान में तिनका मत कर मत कर।।
मसूड़ों कि मालिस हर रोज है, हित कर हित कर।।
दांतुन का उपयोग भी है , श्रेष्ठ कर, श्रेष्ठकर।।

दांतो की खूबसूरती से ही झलकता है चेहरे का आकार।
यह चेहरे में चांद चार चांद लगा कर खूबसूरती को देता है निखार।।
संतुलित विटामीन और मिनरल युक्तभोजन जो हैं खाते,
वे कभी भी बिमारी को न्योता दे कर नहीं बुलाते।।

फल सलाद और सब्जियां खा कर अपने दांतो और
मसूड़ों को मजबूत है बनाते।
अपनें चेहरे कि खुबसूरती को और भी है बढाते।।

सुबह सवेरे उठ , ब्रश कर ब्रश कर।
इसे अपनी आदत का हिस्सा बना, नित कर नित कर।।
मीठी-मीठी चीजों का प्रयोग है नाशकारी।
इससे बच कर रहने में ही है समझदारी।।

माता पिता के साथ प्यार प्यार से ब्रश कर हंस हंस कर।
खेल खेल में यह प्रक्रिया दोहरा,चेहरे पर खुशी के भाव झलका नित कर।।

फ़्रीज के पानी को ठुकराओ,सुराही को उपयोग में लाओ बच्चों।
गुनगुने पानी को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाओ।।
खेल खेल में इस प्रक्रिया को दोहराओ।
डाक्टर को दूर भगाओ।
अपने दांतो में कीड़ा लगने से बचाओ।

फ्लोराइड का सेवन दातों के लिए है घातक।
सही मात्रा में इसका सेवन है सार्थक।।

कैलशियम फास्फोरस और निश्चित मात्रा में फ्लोराइड वाली वस्तुएं ही उपयोग मे लाओ।।
हर वक्त खाते रहने की आदत को न अपनाओ ।
खाना चबा चबाकर खा पाचन शक्ति में सुधार पाओ।।

नई सोच

, यह कहानी हिंदू मुस्लिम सिख इसाई परिवार की है।   मुस्लिम परिवार की एक लड़की श्रेया अनपढ़ जिसे पढ़ना लिखना कुछ नहीं आता था। एकदम अनपढ़ गवार गांव में पली-बढ़ी किसी ना किसी तरह उसके मां-बाप ने उसकी शादी अपनी ही जाति के एक लड़के से कर दी। शादी के दिन उसके पति ने उस से दहेज की मांग की। एक तो अनपढ़ और उसके पिता भी अंगूठा छाप। लड़के लड़के वालों ने सोचा क्यों ना इसके सारे को खेतों को हड़प लिया जाए। उन्होंने उससे उसकी सारी जमीन हड़पने के लिए शादी रचाने का फैसला कर लिया था। जिस दिन बारात  आई उस दिन उस लड़की के मां बाप अपनी बेटी को डोली में बिठाने का सपना देख रहे थे। उसके नाना नानी जी की ज्यादात थी जिसको उसके नाना नानी ने अपनी बेटी के नाम कर दिया था। दहेज मांगने पर बेटी के मां बाप ने कहा हमारे पास बेटी के इलावा दहेज में देने के लिए कुछ नहीं है वह नहीं माने बरात को लेकर जाने लगे लड़की के मां बाप ने कहा कि तुम बारात  को वापिस लेकर मत जाओ। उसके नाना समझदार थे उन्होंने कहा हमें अपनी बेटी की जिंदगी नरक नहीं बनानी है। तुम ऐसे घर में रिश्ता करने से मना कर दो बेटी ने कहा ठीक है मेरे नाना नानी जी ठीक ही कहते हैं तभी किसी ने बीच में से गोली चला दी। नाना नानी और लड़की के घर के दूसरे घर के सदस्य मारे गए।

लड़की बिल्कुल अनपढ़ असहाय उसने सोचा मेरी जिंदगी में अब कुछ नहीं बचा है। उस ने निर्णय कर लिया कि मैं मर जाऊंगी। वह मरने के लिए एक ऊंची इमारत से कूदने का प्रयास करने लगी। उसको यह करते हुए एक हिन्दू लड़की ने देख लिया। उस ने उससे कहा आत्महत्या तो कायर करते हैं। तुम यह कदम क्यों उठा रहे हो।।? मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूंगी उसने अपनी सारी कहानी उस हिन्दू लड़की को सुना दी। उसने कहा मैं तुम्हें पढ़ाऊंगी। सबसे पहले तुम्हें आगे बढ़ने के लिए शिक्षा ग्रहण करना बहुत ही जरूरी है। उसने उसे पढ़ाना शुरु कर दिया हिन्दू लड़की ने उससे कहा तुम मेरी सहेली हो तुम अपनी जिंदगी को नए ढंग से जीने की कोशिश करो। तुम एक ऐसे बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लो जो कभी स्कूल ना गया हो। मुस्लिम लड़की ने कहा ऐसा ही होगा। वह बहुत होशियार हो गई थी। सृष्टि ने उसे पढ़ लिखकर एक बहुत ही अच्छा इंसान बना दिया था। उसने अपनी एक सिलाई की दुकान खोली थी एक दिन जब वह बाजार जा रही थी तो उसने देखा कि एक बच्चा चोरी कर रहा है उसने क्यों चोरी की? सृष्टि ने देखा कि उस बच्चे पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। जब वह चोरी करने जा रहा था तो उस लड़की ने देखा आइसक्रीम की दुकान पर आइसक्रीम देखकर  वह काफी देर तक दुकान पर खड़ा रहा। दुकानदार ने उसे डांट फटकार कर भगा दिया उसके उसके दोस्त आइसक्रीम खा रहे थे उन सबको आइसक्रीम खाते देखकर उसका भी मन किया कि मैं भी आइसक्रीम खाने के लिए लें लूं। आइसक्रीम के लिए  सचमुच उसके पास रुपए नहीं थे। सृष्टि पीछे-पीछे गई। वह  एक झोंपड पट्टी के पास आकर उसने दरवाजा खटखटाया। मां मुझे भूख लगी है मैं भी आइसक्रीम खाना चाहता हूं। उसकी माता नें एक तमाचा उसके गाल पर  जड दिया। एक तो तुम्हारा बाप ना जाने कब से नाली में गिरा पड़ा है। वह सब कुछ हमसे लूटकर ले जाता है और हमारे पास क्या बचता है। मैं तुम्हें आज आइसक्रीम कहां से लाकर दूं। गंगू एक सेठ की दुकान पर गया उसके गले से रुपए चोरी किए और खूब मजे से आइसक्रीम खाई। उसकी व्यथा स्वयं महसूस कर उसने उस बच्चे की मां से मिलकर उस बच्चे को अपना लिया। उसकी मां ने भी हंसते-हंसते अपने बच्चे को सुंदर और सृष्टि को सौंप दिया। अपने बच्चे को अपना कर गंगू से कहा कि तुम आज के बाद कभी चोरी नहीं करोगे। वह बोला आंटी में कभी चोरी नहीं करूंगा क्योंकि मेरा मन आइसक्रीम देखकर ललचा गया। था

सृष्टि ने उसे पढ़ना लिखना सिखाया और उसे नेक इंसान बनाया। मेघा की एक दोस्त रुपाली   सिक्ख परिवार की लड़की खेतों में जाते  जाते उसे हर रोज मिलती। वह कॉलेज में पढ़ती थी कॉलेज में वह एक लड़के अविनाश से प्यार करती थी वह भी उसे दिलो जान से चाहता था उसके पड़ोस में एक लड़का था उसको देखा करता था कहीं ना कहीं वह भी दिल से उसे प्यार करता था। वह युवा ईसाई परिवार का लड़का था। उसने कसम खाई कि उसको अपना बना कर ही रहेगा। शादी वाले दिन उसने अपनी करनी को अंजाम दे दिया। शादी में सभी व्यस्त थे रुपाली जब तैयार होने के लिए गई उसने अपनी बहन को कहा कि तुम भी मेरे जैसा ही सूट बनाना उसने भी उसी रंग का लाल जोड़ा पहना हुआ था। धोखे से उस लड़के ने तेजाब रुपाली समझ कर उसकी बहन पर छिड़क दिया। तेजाब रुपाली पर ना गिर  कर उसकी बहन श्वेता पर पड़ गया था चारों तरफ हाहाकार मच गया। शादी की खुशियां चित्कार में बदल गई चारों तरफ बचाओ बचाओ की ध्वनि गूंज रही थी। जल्दी से उसे अस्पताल ले जाया गया वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। अपनी बहन के मौत के सदमे को रुपाली सहन न कर सकी और वह भी मरने के लिए कूदने के लिए जाने लगी उसको भी उस हिंदू परिवार की लड़की मेघा ने बचाया उस ने उसे कहा मौत करना तो कायरता है। उसने अपनी सारी कहानी अपनी सहेली को सुनाई।

सहेली ने उसे कहा कि तुम डरो मत तुम उस व्यक्ति से मत डरो जिससे  जिसने तुम पर तेजाब फेंका है। उस व्यक्ति को सलाखों के पीछे पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। जल्दी ही उस तेजाब फेंकने वाले व्यक्ति को पकड़ लिया गया और उसको जेल में डाल दिया गया। वह तीनों मिलकर एक हो गई थी। वह लड़का   एक ईसाई परिवार का था। उसने पढ़ लिखकर एक ईसाई परिवार की लड़की से  शादी की और अपना घर बसाया।

पढ़ना लिखना है जरुरी

एक दिन मुन्नू अपनी मां से बोला मां मुझे पाठ याद करवाओ न।

मुझे पाठ के साथ साथ इसका अर्थ भी समझाओ न।।

मां बोली बेटा मैं हूं अनपढ़।

मैं तुझे ना पढ़ा पाऊंगी।

लेकिन मैं तुम्हें अच्छी शिक्षा दे पाऊंगी।।

मां बाप नें जल्दी से शादी कर डाली।

शादी करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर डाली।।

बेटा जिंदगी में पढ़ाई लिखाई किए बिना जिंदगी अधूरी है।

जिंदगी का निर्वाह कर पाना बड़ा जरूरी है।।

मुन्नू अपनी मां से बोला मैं स्कूल जाने से कभी नहीं कतराऊंगा।

स्कूल जाकर अपनी शिक्षा पूरी कर पाऊंगा।। मुन्नू बोला मां अब घबराओ न।

मेरे साथ साथ तुम भी पाठ दौहराओ  न।

मैं तुम्हें भी पाठ पढ़ना सीखाऊंगा।

और एक-एक अक्षर का उच्चारण अच्छे ढंग से करा पाऊंगा।

आप अपने बेटे से पढ़ना लिखना सीख पाओगी।

अपनी सहेलियों के साथ जाकर खुशी-खुशी बैठ पाओगी।।

अब आप शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगी।

आगे चलकर आप भी किसी को पढ़ा पाएंगे।।

बाजार में या समूह  में अपने हस्ताक्षर खुद कर पाएंगी।

हस्ताक्षर कर सच्ची खुशी हासिल कर पाएंगे।।

अभिमान का परिणाम

किसी जंगल में एक शेर रहता था। जंगल में सभी जानवर शेर के आतंक से डर कर रहते थे।वह कभी ना कभी उनको मार कर खा जाया करता था। एक दिन सभी जानवरों ने राजा को कहा कि आपका कर्तव्य है हमारी रक्षा करना। आप ही हमें नुकसान पहुंच जाओगे तो हम कभी भी  हम आपका साथ नहीं देंगे।

हम किसी दूसरे जंगल में रहने के लिए चले जाएंगे। राजा बहुत ही घमंडी था।

राजा सभी जानवरों को लेकर अपने दूसरे दोस्त शेर के पास दावत पर जा रहा था

उसने जंगल के सभी जानवरों को दावत के लिए बुलाया था। राजा मन ही मन खुश हो रहा था कि मेरा जंगल में सभी जानवरों पर कितना राज है। राजा सभी जानवरों को बोला जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाओ। जानवर चलते चलते थक गए थे। उन्हें प्यास भी लग रही थी। एक बाग में पहुंचे। रंग-बिरंगे फूलों से महकते बगीचे पर उनकी नजर पड़ी। राजा से बोले कुछ देर  यहां विश्राम कीजिए फिर चलते हैं। राजा बोला यहां कोई नहीं रुकेगा। राजा की आज्ञा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। सभी क्या कहते। गिलहरी राजा के पास जा कर बोली आप इतने निष्ठुर क्यों हो रहे हैं? यह सारे के सारे थक गए हैं। विश्राम करना चाहते हैं। आप भी विश्राम करें हमें भी करने दीजिए। राजा बोला इतनी सी पिददी जैसी हो। बातें बड़ी-बड़ी बनाती हो। मेरे सामने बोलने का हक तुम्हें किसने दिया।

वह बोली शेर राजा मैं चुप नहीं रहूंगी आप चाहे जो मर्जी कर लीजिए मी मुझे मेरी मां ने सिखाया है कि अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने चाहिए। राजा बोला चल हट दूर हो जा शेर बोला। गिलहरी को गुस्सा तो आ रहा था पर वह चुपचाप चलनें लगी। सभी जानवर थक गए थे। गिलहरी भी आईस्ता आईस्ता कदम बढ़ाते हुए चलने लगी। उसे पास से आता हुआ मधुमक्खियों का झुंड दिखाई दिया। गिलहरी मेरी प्यारी बहना नमस्कार आप कहां जा रही हो? वह बोली हम भी अपनी सहेली की बेटी की शादी में जा रही हैं। गिलहरी बहन तुम तो बहुत ही होशियार हो कभी कोई काम हो तो बताना। तुम हमारे बच्चों को पढ़ाती हो। अच्छी शिक्षा देती हो तुम्हारी बातों में दम होता है। अच्छा चलती हूं। गिलहरी साथ ही साथ चलने लगी। गिलहरी सोचने लगी कि यही अच्छा वक्त है राजा को सबक सिखाने का। वह जल्दी से फूँक कर  राजा के पास आ कर बोली। राजा साहब बस बहुत हो गया। आपका घमंड ज्यादा घमंड करना जीवो को को शोभा नहीं देता।

किसी दिन आप का घमंड चूर चूर हो जाएगा राजा बोला दुष्ट गिलहरी तुझे अभी मजा चखाता हूं।वह बोली आप क्या कर लोगे। अगर सारे जानवरों को मैं आप आपके खिलाफ कर दूं तो आप अकेले ही रह जाओगे। क्या अकेले रह पाओगे। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ पाता। एक और एक मिलकर ही ग्यारह बनते हैं। मैं सभी जानवरों को अपनी तरफ कर लूंगी राजा बोला शेखी बघारनें  वाली राजा की आज्ञा तो तुम्हें माननी ही पड़ेगी जो राजा की आज्ञा नहीं मानेगा वह मुंह के बल गिरेगा। अच्छा गिलहरी बोली अच्छा और करके बता दिया तो राजा बोला दूर हट चल यहां से गिलहरी। छोटा सी है और बातें बड़ी बड़ी। गिलहरी बोली छोटा समझ कर इंसान को दुत्कारना नहीं चाहिए। कभी छोटा इंसान भी काम में आ सकता है। राजा बोला यह मुंह और मसूर की दाल। तू मेरे क्या काम आएगी?

गिलहरी मुस्कुराते हुए जंगल के सभी जानवर के पास आकर बोली। तुम सब राजा को बोलो आप की गीदड़ भक्तों से हम डरने वाले नहीं हैं। खाना ही है तो सभी को खा कर बता? हम सब एक हैं हम सब इकट्ठे होकर आप का मुकाबला करेंगे। गिलहरी बोली अगर आप सभी अपने आप को कमजोर समझते रहे तो इसी तरह तुम्हें अपने राजा के अत्याचारों का हर रोज सामना करना पड़ेगा। हर रोज अत्याचार सहने से तो अच्छा है मर जाना। गिलहरी की बात सुनकर सभी जानवर आपस में  बोले बात तो ठीक ही कहती हो। गिलहरी राजा को बोली राजा जी अब हम थक गए हैं। हम और आगे नहीं चल सकते। राजा उन पर जोर से दहाड़ा। तुम्हें अपने राजा के सामने बोलने का अवसर किसने दिया? सभी जानवर बोले हम आपकी बड़ी इज्जत करते हैं परंतु अब बस बहुत हो गया। हम आपको छोड़कर किसी दूसरे जंगल में जाकर रहेंगे। सभी के सभी जानवर राजा को छोड़कर चलने लगे। केवल गिलहरी ही वहां रह गई। वह बोली राजा जी मैं आपको छोड़कर नहीं जाऊंगी। राजा बोला दूर हो जा तू क्या मेरी सहायता कर पाएगी। गिलहरी बोली  ठीक है ज्यादा घमंडी को एक न एक दिन सजा मिलकर ही रहती है। गिलहरी पीछे पीछे चलनें लगी। गिलहरी ने कहा कि तुम्हें मेरा एक काम करना होगा। राजा को सबक सिखाना जरूरी है। मधुमक्खियों को गिलहरी नें कहा तुम्हे मेरा एक काम करना होगा। आप दो तीन मधुमक्खियां राजा को काट खाओ। सारी की सारी मधुमक्खियां राजा की पीठ पर बैठ कर उन्हें काटनें लगी। राजा उन मधुमक्खियों के काटनें से बहुत परेशान हो गया। वह बोला मुझे बचाओ। उसकी दर्द भरी आवाज सुनने के लिए कोई भी नहीं था। उस के सारे के सारे जंगल के जीव उसको छोड़ कर आगे बढ़ चुके थे। उसके पास हथियार  डालने के सिवा कोई चारा नहीं था।

गिलहरी  बोली क्या हुआ है?राजा बोला मुझे मधुमक्खियां काट रही है। गिलहरी राजा से बोली तुम तो बहुत शक्तिशाली हो। इतनी छोटी सी मधुमक्खियों से डर गए। अब कहां गया तुम्हारा घमंड।? यह कहकर गिलहरी जोर जोर से हंसने लगी। राजा बोला तुम हंसना बंद करो

तुम हंसना बंद करो और मुझे  बचाओ। गिलहरी बोली एक शर्त पर आप बच जाओगे आप आज कसम खाइए जंगल के जानवरों पर अत्याचार नहीं करेंगे। राजा बोला ठीक है। गिलहरी ने सभी मधुमक्खियों को कहा कि राजा जी को छोड़ दो। मधुमक्खियों ने राजा को काटना छोड़ दिया। राजा गिलहरी को बोला तुम बहुत ही बहादुर हो। तुमने आज एहसास करवा दिया कि हमें किसी भी जीव को छोटा नहीं समझना चाहिए। मुझे माफ कर दो। आज से मैं तुम्हें अपना सलाहकार नियुक्त करता हूं। तुमने मुझे शिक्षा देकर अच्छा काम किया है। गिलहरी बोली की जंगल के सभी जानवर को वापस बुला कर लाओ और अपनी गलती मानकर उनसे क्षमा मांगो। राजा ने सभी जानवरों को वापस लाने का आदेश दिया। सभी जानवर अभी आगे नहीं गए थे। गिलहरी नें सभी  जानवरों को वापिस बुलाया। सभी जंगल के जीव आकर राजा से बोले अगर आपको अपनी गलती का एहसास हो गया तो हम आपसे क्षमा मांगते है। क्योंकि क्षमा मांगने से कोई भी छोटा नहीं हो सकता। हम आपको अपना राजा अभी भी मानते हैं और आगे भी मानेंगे लेकिन आप अपना वादा भूल गए थे। इसलिए आप को सबक सिखाना जरूरी था। हमें गिलहरी बहन ने सब कुछ साफ-साफ बता दिया है। अब हम दावत का मजा अच्छे ढंग से लेंगे। सभी जीव खुशी खुशी दावत का मजा लेनें चल पड़े।